शोक सभा से हम बिस्तर

हेलो फ्रेंड्स, मेरे सब प्यारे जीत और देवरों को मेरी तरफ से ढेर सारा प्यार. आप लोग यहा आई तो मैं दिल की गहराई से स्वागत करती हूँ अपनी कहानी पे.

तो फिर चलिया पहेले मैं अपनी बारे मई थोड़ी बहात बता देती हूँ. मैं मनीषा शर्मा, पेट नामे रूही (आप सभी के रूही भाबी). उमरा 27 साल हैं.

देखने मई तो मैं सुंदर हूँ ही लेकिन सुंदर चहेरे के अलावा मेरी तां की नकक्षा सब लोगो को मेरी और आकर्षित करती हैं. तो मेरी नकक्षा यानी फिगर साइज़ है 34सी-28-36. चाहे वा कोई जवान हो या बुढहा, यहा तक की कुछ औरत भी आकर्षित हुआ है मुझे देख के.

मेरी आस पास की एरिया पे लोग मुझे “पनीर” बोलके कॉमेंट्स करते थे. इसलिया मैं “पनीर भाबी” नाम से फेमस हूँ अपनी एरिया पे. मुझे कोई प्राब्लम नही थी, बल्कि यॅ वर्ड सुनकर मैं उल्टी मान ही मान खुस होती थी.

रीज़न तो मुझे भी नही पता था पर बाद मई पता चला मुझे. वा सब धीरे धीरे आपको आने वाली कहानी पढ़ने के बाद पता चल ही जायगा. तो सब मुझे पनीर क्यू कहते थे गेस करके आप मुझे मैल कर सकते हैं.

अब ज़्यादा समय खराब ना करते हुआ चलिया कहानी की और बढ़ते है. वैसे तो मैं अभी एक सुंदर शुशील सुगृहिणी (हाउसवाइफ) हूँ लेकिन सदी से पहेले मैं प्राइवेट सेक्टर पे जॉब करती थी. सदी के बाद जॉब छ्चोड़ दी. सदी से मैं अपनी हब्बी सृिकांत के साथ खुस थी.

सृिकांत 31 साल के हैं और अपनी पिताजी के बिज़्नेस मई सहायता करते है. ससुर जी के सिटी के आंदार और हाइवे पे कुछ पेट्रोल स्टेशन और हाइवे पे ही कई तो ढाबा है. जिसकी देखभाल ससुर जी करते थे पर अब वा सृिकांत को दे दिया थे.

मेरी जेठ जी उँचपाद पर सरकारी नौकरी मई थे. तो उन्हे कोई आपत्ति नही था की बिज़्नेस सृिकांत संभाले.

सदी के कुछ एक या डेढ़ महीने तक हम सब (सास, ससुरजी, जेत्जी ,उनकी बीवी, उनकी बता बेटी, सृिकांत और मैं) मिलके रहे. फिर ससुरजी ने सृिकांत और मुझे उस घर से कोई 150-200 मीटर दूर एक नये मकान बनाई थे तो हमे वाहा शिफ्ट कर दिया यह बोलते हुआ की हम नये नये सदी के जोड़े प्राइवेट स्पेस के लिया यहा आराम से रहे.

मुझे तो अजीब लगी पर सही भी था. सदी के बाद हमे अपनी प्राइवेट स्पेस मिल गई थी. सास ससुरजी तो रोज यहा आते.

हमारी सेक्षुयल लाइफ ठीक से चल रही थी. चुदाई हो या रोमॅन्स हम दोनो भर पूर मज़ा ले रहे थे. इतने बड़े घर पे सिर्फ़ हम दो नो, जब मान हो तब कही भी मस्ती करते थे. मैं उनके साथ सॅटिस्फाइड थी.

सदी के बाद से ही हम बचे के लिया ट्राइ करते रहे. पर मैं प्रेग्नेंट नही हो पति थी. मेरी सास दवाब बना रही थी मेरी उपर की मैं जल्दी से प्रेग्नेंट हो जौ. और एक पोटा या पोती उनके हाथ मई थमा देती. ससुर जी भी यही चाहते थे पर बोलते नही थे.

कहानी सुरू होती है अब,

तो बात 3 साल पुरानी हैं. तब मेरी सदी को एक साल कंप्लीट हो गई थी. मेरी एक सहेली (निधि) की सासू मा जो की गुजर गई थे, उनके शोक सभा मई जाना था मुझे. समर को पूछने पर वा माना कर दिया और मुझे अकेले ही जाने के लिया बोले.

मैं सफेद सलवार कमीज़ के साथ अंदर ब्रा पनटी भी सफेद की ही पहेंके घर से निकली. आगर श्री (सृिकांत) आते तो हम मिलके कार से जेया सकते थे. मुझे कार ड्राइविंग नही आती तो मैं स्कॉटी ले जाने का सोची. पर श्री ने मुझे माना काइया और टॅक्सी या ऑटो बुक करके जाने को बोले.

टॅक्सी मिली नही तो मैं ऑटो से 10:30 को निधि के घर पहुँची. मैं वाहा पहुँच के निधि और उसकी फॅमिली वालो से मिली. शोक सभा सुरू होने वाला था तो मैं सबके साथ सभा मई बेत गई. वाहा मैं नोटीस काइया की एक आदमी मुझे वाहा भी घूरे जेया रहा था बेच बेच पे. काइया बार हम दोनो की नज़रे भी मिली.

शोक सभा ख़त्म होने के बाद हम फोटो पे फूल अर्पण करने के लिया फोटो के पास खड़े हुआ. वा आदमी भी मेरी बगल पे लेफ्ट साइड मई ही था. फूल अर्पण करने के बाद जब हम जाने लगे तब मैं लेफ्ट की तरफ और वा रिघ्त की तरफ बढ़ने लगा तो हम दोनो मई टकराव हो गई. टकराव होने के बाद जब दिशा चेंज कर फिर हम जाने केलिया आयेज बढ़े तो फिर से टकराव हो गई.

मैं : सॉरी, आप जा सकते है.

वा आदमी : नही, पहेले आप.

फिर मैं वाहा से निकल गई.

सभा ख़त्म होने के बाद खाने (लंच) का प्रोग्राम था. तो मैं भी वाहा पहुँच के खाना ले ली. सब खाना खा रहे थे. खाना खाते वक़्त भी वा लड़का मेरी पास पास ही रहने लगा और मुझे ही देख रहा था.

फिर सब कारया ख़त्म होने के बाद लोग जाने लगे. तो मैं भी विदाई लूँगी बोलने के लिया निधि के पास गई. मैं उसे बता ही रही थी की वाहा उसके ससुर जी आई. तो मैं उनसे भी विदाई की अज्ञान ली. तब वा आदमी जो मुझे घूर रहा था वा भी वाहा पहुँच गया.

निधि के ससुर जी : अरे राहुल, तुम भी जेया रहे हो क्या?

(तब मुझे पता चला की उसका नाम राहुल हैं. देखने मई नॉर्मल था और वाइट कपड़ो मई 3 स्लीव फोल्ड और हल्की बियर्ड के साथ अच्छा देख रहा था. उसका उमरा लगभग 25 ही होगा. )

राहुल : हाँ अंकल. बस आपको बताने ही,

ससुर जी : बेटा मनीषा, पति नही आई ना तुम्हारे साथ. अकेली हो तुम तो.

मैं : जी हन, अंकल.

ससुर जी : तुम राहुल के साथ चली जाओ. वा तुम्हे छ्चोड़ देगा.

मैं : नही अंकल मैं टॅक्सी कर लूँगी.

निधि : वा भी अकेला है, तुझे छ्चोड़ के आज़ाइगा वा.

मैं थोड़ी अनकंफर्टबल महसूस करने लगी.

ससुर जी : कोई बात नही बेटा, राहुल आराम से छ्चोड़ देगा. तुम जेया सकते हो.

मैं : ठीक है अंकल, नमस्ते. अब मैं चलती हूँ. अपना ख़याल राखिया आप.

अंकल थोड़ी भाबुक हो गई और उनके आँखो मई अंशु आगाई. फिर मैं अंकल की हाथों को पकड़ते हुआ उनको सांत्वना दी. फिर अंकल नॉर्मल हुआ.

अंकल : आते रहना बेटा, जब भी तुम्हे टाइम मिले.

मैं : ज़रूर अवँगी अंकल.

राहुल : अच्छा अंकल निकलते है हम.

मैं और राहुल (एक साथ) : बाइ निधि.

निधि : बाइ , आराम से जाओ.

राहुल : आइए मनीषा जी.

फिर राहुल और मैं वाहा से निकल गई. हम दोनो साथ मई ही बाहर आई. वा बेच बेच पे मुझे देख रहा था पर मैं सामने ही देख रही थी. वा मेरी बाए तरफ और मैं उसके दाहिने तरफ थी.

राहुल : तो आप सदी सुधा हो ?

मैं : जी हन.

राहुल : देख के लगा नही आपको.

मैं : ठीक है.

राहुल : आप इतनी रूड्ली क्यू जवाब दे रही हो ?

मैं : मतलब.

राहुल : मतलब कुछ नही, प्यार से नही तो आराम से भी बता सकती हो.

मैं : वा केसे.

असे बोलते ही रास्ते पे निकले हुआ एक पठार से मेरी पेर टकरा गई और मैं सामने की तरफ गिरने ही वाली थी की राहुल ने मुझे पकड़ लिया. वा मुझे असे पकड़ा की उसका बया हाथ मेरी छूट के थोड़ी ही उपर कमर पे और दाहिना हाथ बिल्कुल दोनो स्तन के नीचे पेट पे लपेट ते हुआ पकड़ा था. मैं गिरते वक़्त सामने झुकी हुई थी तो वा मुझे उठाया.

उठाते वक़्त दोनो हाथ से मुझे पकड़ा था इसलिया वा मेरी पिच्चे ही था. तो मैं उठी तो मेरी बदन की पिच्छला हिस्सा उसे टच हुई. मैं थोड़ी आसमंजश हुई तो वा मेरी कमर और पेट से हाथ हटते हुआ मुझे छ्चोड़ा और थोड़ी पिच्चे हुआ.

मैं : थॅंक योउ, राहुल.

राहुल : मिस मनीषा जी, चलते वक़्त सिर्फ़ सामने ही नही नीचे भी देखना पड़ता है.

फिर मैं हासणे लगी तो वा भी हासणे लगा. मैं सोचने लगी की आगर थोड़ी इधर उधर होती तो वा मेरी स्तन को पकड़ ही लेता मुझे उठाने की चक्कर मई.

राहुल : क्या सोच रहे मनीषा जी?

मैं : नही कुछ नही. (मुस्कुराते हुआ)

राहुल : आब काइया ना आप प्यार से मुस्कुराते हुआ बात. तो असे ही जारी राखिया ना प्लीज़.

मैं : अच्छा अच्छा ठीक है.

कंटिन्यूड,

यॅ मेरी पहेली कहानी है सो थोड़ी गड़बड़ तो हुई होगी. तो कृपया मुझे माफ़ करे और मुझे मेरी ग़लती ज़रूर बताई. ताकि मैं आने वाली कहानी मई सुधार साकु.