ही दोस्तों, मैं नीना अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. अगर आप में से किसी ने भी पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े. उमीद है आपको मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.
पिछले पार्ट्स में आप सब ने पढ़ा की मैं अपने पापा को ठीक करने के लिए उनको उत्तेजित करने में लगी हुई थी. इसके लिए मैने पापा के सामने अपने जिस्म की नुमाइश शुरू कर दी थी. उसका रिज़ल्ट भी मुझे पॉज़िटिव लग रहा था. अब आयेज बढ़ते है.
रात को पापा को उत्तेजित करने के लिए मेरे दिमाग़ में एक धंसु आइडिया आया था. मैं रेग्युलर 9 बजे सोती थी, और पापा को सोने में 11 बजे जाते थे. मैने आज सोने से पहले एक पतली त-शर्ट, और साथ में शॉर्ट्स पहन लिए. मेरा प्लान ये था, की अगर मैं पापा के साथ सो जौ, तो इससे पापा सबसे ज़्यादा उत्तेजित हो जाएँगे. क्यूंकी औरत को सिर्फ़ देखना और उसके जिस्म की गर्मी को महसूस करने में बहुत फराक होता है.
9 बाज चुके थे, लेकिन मैं अभी तक सोई नही थी. मैं 9:30 बजने की वेट कर रही थी. फिर जैसे ही 9:30 बजे, मैं अपने बेड से उठी, और पापा के रूम का दरवाज़ा खटखटाया.
मैं: पापा मैं आ सकती हू (दरवाज़ा खटखटते हुए)?
पापा: हा बेटा, आ जाओ.
फिर मैं अंदर गयी, और पापा को बोला-
मैं: पापा मुझे बहुत बुरा सपना आया है. आप ठीक तो है?
पापा: हा बेटा मैं बिल्कुल ठीक हू. तुम्हारी सेवा से मेरी हालत में बहुत सुधार है.
मैं: पापा मुझे अपने कमरे में दर्र लग रहा है. क्या मैं आपके साथ आज सो सकती हू?
पापा: हा बेटा, बिल्कुल सो सकती हो.
ये बोल कर पापा ने अपने साथ जगह बनाई, और मैं पापा के साथ लेट गयी. फिर मैने चादर ओढ़ ली. मैने मूह दूसरी तरफ कर लिया, ताकि पापा को मेरी गांद के दर्शन हो सकते. कुछ देर में पापा ने लाइट बंद कर दी, और खुद भी सो गये.
मैं सोई नही थी, बस सोने का नाटक कर रही थी. तकरीबन एक घंटे के बाद मुझे अपनी गांद पर पापा का हाथ फील हुआ. पापा मेरी गांद पर धीरे-धीरे हाथ फेर रहे थे. मैने कोई रिक्षन नही दिया, ताकि पापा को लगे की मैं गहरी नींद में थी. फिर पापा ने मुझे हल्की सी आवाज़ लगाई.
पापा: बेटा, बेटा.
लेकिन मैने कोई रेस्पॉन्स नही दिया. अब पापा को कन्फर्म हो गया था की मैं गहरी नींद में थी. फिर उन्होने मेरे चूतड़ दबाने शुरू कर दिए. मैं खुश थी, क्यूंकी पापा ठीक होने वाले थे मेरी वजह से. फिर पापा ने मेरी त-शर्ट पीछे से उठाई, और अपना हाथ मेरी पीठ पर फेरने लगे.
साथ में ही मुझे अपनी गांद पर कुछ और भी फील हुआ. शायद वो पापा का लंड था. वो बिल्कुल हार्ड लग रहा था. मुझे उमीद नही थी, की पापा मुझे साथ लेती हुई देख कर इतना आयेज बढ़ जाएँगे. लेकिन इस बात की खुशी थी, की वो ठीक हो रहे थे किसी तरह.
पीठ पर हाथ फेरते-फेरते पापा अपना हाथ धीरे-धीरे आयेज की तरफ आने लगे. मैने आज ब्रा नही पहनी थी, तो पापा जिस चीज़ को महसूस करना चाहते थे, उसका रास्ता बहुत ही आसान था. अगले कुछ ही सेकेंड्स में पापा का हाथ मेरे बूब्स पर पड़ा. मेरी सिसकी निकालने वाली थी, लेकिन मैने खुद को कंट्रोल किया.
फिर पापा हल्के हाथो से मेरे बूब को दबाने लगे. वो अपनी उंगली को मेरे निपल के चारो तरफ घूमने लग गये. इससे मुझे भी मज़ा आ रहा था. जो भी हो, पापा को औरत को उत्तेजित करना आचे से आता था. धीरे-धीरे वो ज़ोर से मेरे बूब को दबाने लगे. शायद वो ये भूल गये थे की अगर मैं जाग गयी तो वो क्या बोलेंगे.
या ये भी हो सकता था की उन्होने कोई बहाना पहले से सोच रखा हो. मैं अभी भी सोने का नाटक कर रही थी. अब पापा के ठीक होने से ज़्यादा मई ये जानना चाहती थी, की वो कितनी आयेज बढ़ सकते थे.
कुछ देर बूब को दबाने के बाद वो हाथ नीचे ले गये, और मेरे पेट को सहलाने लगे. फिर वो खुद भी नीचे हुए, और चादर के अंदर घुस गये. मैं समझ नही पा रही थी, की वो आयेज क्या करने वाले थे. फिर मुझे मेरी पीठ पर कुछ महसूस हुआ.
ओह मी गोद! ये मेरे पापा के होंठ थे. और वो मेरी पीठ पर किस कर रहे थे. उनके होंठ जैसे ही मेरी पीठ पर पड़ते मैं सिहार जाती. लेकिन मैं आवाज़ नही कर सकती थी. क्यूंकी उनकी नज़र में मैं सोई हुई थी. वो मेरी पीठ को प्यार कर रहे थे, और उनके ऐसा करने से मेरी छूट गीली हो रही थी.
पापा का हाथ अब मेरे पेट से नीचे मेरी शॉर्ट्स पर चला गया. वो अपना हाथ मेरी टाँगो के बीच में ले गये, और शॉर्ट्स के उपर से मेरी छूट को हल्के-हल्के से दबाने लग गये. मैं तो जैसे पागल हो रही थी, और मेरी छूट धड़ा-धड़ पानी छ्चोढ़ रही थी.
फिर उन्होने अपने हाथ से मेरी शॉर्ट्स का बटन खोला, और फिर धीरे-धीरे ज़िप भी नीचे कर दी. मेरी शॉर्ट्स टाइट थी, तो ज़िप खुलते ही शॉर्ट्स आयेज से खुल गयी. फिर पापा ने मेरी शॉर्ट्स के अंदर अपना हाथ डाला, और उनका हाथ सीधा पनटी के उपर से मेरी छूट पर गया.
जैसे ही उन्होने मेरी छूट को च्छुआ, मैं तो काँप गयी. इस बार मैं अपने आप को कंट्रोल नही कर पाई थी, तो शायद मेरा कांपना पापा ने भी महसूस किया होगा. लेकिन वो रुके फिर भी नही. फिर पापा ने धीरे-धीरे अपना हाथ मेरी पनटी में डाल दिया. मैं सोच रही थी, की पापा कितनी आयेज बढ़ रहे थे, और कितनी हिम्मत थी उनमे जो अपनी बेटी की पनटी में हाथ डाल रहे थे.
फिर वो और नीचे हुए, और शॉर्ट्स पीछे से थोड़ी और नीचे की. उसके बाद उन्होने अपने होंठो से मेरे चूतड़ को चूमा. उनका हाथ जो मेरी पनटी में था, मेरी छूट तक पहुँच चुका था. फिर जैसे ही उन्होने मेरी छूट पर हाथ लगाया, मैं पीछे मूड गयी, और बोली-
मैं: पापा ये आप क्या कर रहे हो.
पापा ने मुझे क्या जवाब दिया, और इसके आयेज क्या हुआ वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ ज़्यादा से ज़्यादा शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.