ससुर बहू की चुदाई, और गांद मारने की कोशिश

मा बस दादा जी को अपने से चिपका कर उनको पकड़े हुए थी. थोड़ी देर बूब्स चूसने के बाद दादा जी मा से अलग हुए, और अपनी धोती खोल दिए.

मा: बस यही एक चीज़ मुझे अची नही लगती.

दादा जी: पर फिर भी तू करती है.

मा: करना पड़ता है.

दादा जी: फिर कर दे अब.

मा: पर बस थोड़ी देर.

दादा जी: हा ठीक है.

इसके बाद मा उठी, और उन्होने अपना ब्लाउस लिया, और दादा जी की साइड बैठ गयी बेड पर. फिर मा ने अपने ब्लाउस से दादा जी का लंड सॉफ किया. दादा जी का लंड करीब 8 इंच का लंबा और मोटा था, और उनके अंडे बहुत बड़े थे.

मा बेड से उतरी, और पास से हेर आयिल लिया, और उसे पूरा दादा जी के लंड पर गिरा दिया. फिर पूरा आयिल उपर से लेकर नीचे तक कर दिया, जिससे उनका लंड पूरा चमकने लगा. पूरा आयिल लगाने के बाद मा ने उसको वापस से अपने ब्लाउस से पोंछ दिया. उसके बाद लंड के उपर का एक हिस्सा अपने मूह में भर लिया.

दादा जी ने मा के बालों को पकड़ लिया, और मा उनके लंड के सूपदे को चाटने लगी. फिर मा ने हल्का सा और अपने मूह में भर लिया. ऐसा करते हुए उन्होने करीब आधे से ज़्यादा लंड अपने मूह में ले लिया, और अब उनसे वो और अंदर नही जेया रहा था. तो मा उतने लंड को ही चूसने लगी. थोड़ी देर लंड चाटने के बाद मा बोली-

मा: चलिए आज मैं स्टार्ट करती हू.

दादा जी: क्या बात है बहू, बहुत हवस चढ़ि है क्या आज तुझे?

मा: हा, और आपको पूरा निकालना पड़ेगा.

दादा जी: कभी छ्चोढा है क्या जो आज छ्चोढ़ दूँगा.

मा ये सुन कर हासणे लगी, और उन्होने दादा जी को बेड पर लिटा दिया, और वापस से उन्होने लंड पर आयिल लगाया. उसके बाद अपना पेटिकोट उठा कर अपनी जांघों तक किया, और दादा जी के उपर आ गयी. फिर मा ने एक बार में ही पूरा लंड अंदर ले लिया, और वैसे ही बैठ गयी.

दादा जी: मैं छोड़ू की खुद चूड़ेगी?

मा: चुड्ती हू ना, रुकिये तो तोड़ा. आप बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते हो.

दादा जी: अछा ठीक है, लेले समय जितना लेना है.

फिर मा ने अपने पैरों को मोड़ कर दादा जी के पैरों के अंदर किया, और हल्का सा झुक कर आयेज को हुई, और फिर पीछे. मुझे बस मा का हिलना दिखा रहा था. क्यूंकी उन्होने अपनी पूरी गांद को पेटिकोट से धक रखा था.

थोड़ी देर ऐसा ही करने के बाद मा ने दादा जी के सीने पर हाथ रखे, और उपर-नीचे उनके लंड पर कूदने लगी. साथ में मा आहह श आ अफ हाए की आवाज़े करने लगी.

दादा जी ने मा के बालों को पकड़ रखा था, और फिर उनको रुकने का इशारा किया. फिर मा को तोड़ा सा उठा कर खुद उनकी चुदाई करने लगे. मा दर्द की वजह से आ आ आ उफ़फ्फ़ श कर रही थी.

मा दादा जी से बोली: क्या मस्त छोड़ते हो आप. मुझे पहले क्यूँ नही मिल गये आ आ?

इसी बीच मा अपने हाथो को अपनी पीठ पर ले गयी, और अपनी ब्रा के स्ट्रॅप को खोल दिया, और फिर अपने हाथ उठा कर उसे निकाल कर बेड की साइड फेंक दिया. अब दादा जी ने मा को बालों को छ्चोढा और उनके बूब्स को पकड़ लिया, और खुद रुक गये. अब मा खुद की चुदाई कर रही थी, और वो बहुत ही धीरे-धीरे आयेज-पीछे हो रही थी.

दादा जी: तोड़ा तेज़ कर ना.

मा: नही (बोल कर हल्की सी स्माइल की).

दादा जी: क्यूँ नही?

मा: मुझे दर्द हो रहा है, इतना बहुत है.

दादा जी: तोड़ा तो तेज़ कर दे.

इसके बाद मा ने अपनी स्पीड थोड़ी सी बढ़ा दी.

मा: इतना बहुत है, अब इससे तेज़ नही.

दादा जी ने मा के बूब्स को पकड़ा, और उनको आपस में मिला कर दबा दिया. उन्होने मा के गले में पड़े उस नेकलेस को पकड़ कर मा को झुका दिया.

मा: कितने ज़ुल्मी हो आप. ऐसे ही बोल देते तो मैं नही झुक जाती.

दादा जी: कब से तो बोल रहा हू, तूने स्पीड बधाई?

मा: हा तो ज़्यादा तेज़ में मुझे दर्द हो रहा है ना. और वैसे भी आप तो अभी तेज़ी से करेंगे ही.

दादा जी: अछा, वो कब करूँगा मैं?

मा: वही अपनी पसंदीदा पोज़िशन में.

दादा जी: बहुत समझदार हो गयी है बहू तू.

इतना बोलने के बाद दादा जी ने मा के गालों पर किस किया, और उनकी गांद पर एक छमात लगाया, और उनको हटने को बोला. फिर मा उनके उपर से हॅट गयी, और दादा जी को ऐसे देखने लगी जैसे वो उनके कोई मास्टर हो, और जैसा वो बोलेंगे वही मा करेंगी.

दादा जी ने मा को नीचे उतरने का बोला, और बेड के एक डंडे को पकड़ कर घोड़ी बनने को कहा.

मा: गांद में नही लूँगी मैं पहले ही बोल देती हू.

दादा जी: ट्राइ तो कर एक बार.

मा: नही बिल्कुल नही. छूट मार लो, पर गांद नही. और वैसे भी इतना बड़ा लंड है की छूट भी दुखने लगती है मेरी बेचारी. तो सोचो गांद का क्या हाल होगा.

दादा जी: अछा ट्राइ कर, ज़्यादा दर्द हुआ तो हार्ट जौंगा.

मा: अछा ठीक है, पर बस एक बार.

दादा जी: ठीक है मेरी जान, चल अब.

मा बेड से उतरी, और बेड का एक डंडा पकड़ कर झुक गयी. दादा जी उनके पीछे गये, और उनकी गांद में हल्का सा थूका, और फिर अपना लंड उनकी गांद के उपर घूमने लगे. फिर हल्का सा अंदर डाला ही था, की तभी मा अपने पैर पताकने लगी ज़मीन पर.

मा: दर्द हो रहा है मुझे ससुर जी, निकालिए इसको बाहर प्लीज़.

दादा जी: तोड़ा सा सहन कर ले मेरी जान. इतने दीनो बाद तो तूने आज तोड़ा अंदर जाने दिया है.

मा: नही मैं नही जानती, आप बाहर निकालिए इसको तुरंत बाहर.

फिर दादा जी ने मा की कमर को पकड़ लिया. पर तब तक दर्द की वजह से मा नीचे बैठ गयी.

मा: बहुत है आज के लिए इतना. आइए आयेज की आग को बुझाइय.

दादा जी: वी करना ही पड़ेगा. पर अब उसमे ना नही सुनूँगा मैं.

मा: कभी माना किया है क्या, जो आज करूँगी?

दादा जी ने मा को बेड पर लेटने को बोला, और फिर उनका पेटिकोट निकाल कर बाहर फेंक दिया. उन्होने मा को बेड की साइड आने को बोला. अब मा बेड की एक साइड पर थी, और फिर दादा जी अपना हाथ मा के छूट पर ले गये, और उसे साइड में घूमने लगे.

मा: डाल भी दीजिए ना अंदर.

दादा जी कुछ नही बोले, और वो किसी एक्सपर्ट की तरह अपना हाथ मा के छूट पर घूमते रहे. फिर उन्होने अपनी उंगली को हल्का सा अंदर डाल दिया. मा ने आअहह भारी और फिर तोड़ा हासणे लगी. अब दादा जी ने मा के पैरों को फैलाया, और मा ने अपने पैरों को हवा में लटका दिया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.