दुल्हन की हवस अधूरी रह गयी

ही दोस्तो, उमिद इस सेक्स कहानी का पूरा मज़ा लेने के लिए “हवस के रिश्ते-1” ज़रूर पढ़िए. अब आयेज..

रात की जबरदस्त चुदाई के बाद सुबह उन दोनो के नंगे जिस्म एक दूसरे से चिपके हुए थे. रात की जबरदस्त चुदाई के बाद अनिता बहोट खुश थी, क्योकि उसकी जवानी की आग रात पूरी तरह से उसके पति ने शांत कर दी थी. अब सुबह के 8 बजे चुके थे.

तभी किसी ने बाहर से दरवाजा नॉक किया और अनिता ने कपड़े दल कर दरवाजा खोला तो उसने देखा की सामने उसका ससुर रामलाल खड़ा था. अनिता ने झट से उनके पैर को चुया और रामलाल बोला.

राम लाल – सदा सुहागन रहो बेटी.

फिर राम लाल व्हन से चला गया. अनिता ने अभी तक अपने घर मे सिर्फ़ दो मर्दो को ही देखा था. एक अपना बुढ़ू पति और दूसरा उसका बाप यानी उसका ससुर राम लाल.

सास ननद, जेठ, ड्यूवर के नाम अभी तक उसने किसी को न्ही देखा था. उसे अपनी अनाड़ी पति पर बहोट गुसा आ रा था. पर अनिता कर भी क्या स्काती थी, इसलिए उसने अपना सारा गुस्सा पी लिया. पर उसे इस बात की खुशी थी, की उसका पति उसे आचे से छोड़ता था. बाकी र्ही शरम की बात वो तो सब टाइम तो टाइम ठीक हो स्कता था.

पर वो तोड़ा कम दिमाग़ का था, पर उसे आचे बुरे की थोड़ी स्मझ ज़रूर थी. रात को अनिता ने खुद पहले करके अछा किया, क्योकि अगर वो ऐसा ना करती. तो उसे अभी तक अपनी जवानी की आग मे जलना पड़ता. उसे अपने उस लिए गये फ़ैसले पर काफ़ी गर्व महसूस हो रा था.

अभी भी सुहग्रात के आग के बाद अनिता के जिस्म मे आग लग र्ही थी. वेसए रात को उसके पति ने उसकी सारी आग को भुझा दिया था. पर अभी भी अनिता के जिस्म की आग पूरी तरह से भुजी न्ही थी.

अनिता चाहती थी, की उसका पति उसके जिस्म एक एक कोने को खूब आचे से चूमे और छाते जिस से उसे एक एक किस का मज़ा आए. पर उसके पति ने उसे नंगा देखने से सॉफ ही माना कर दिया था. सुबह जब अनमोल उठा तो उसकी ताबयिट कुछ ठीक न्ही थी. वो सुबह अपने खेतो मे भी बे माना सा होकर गया.

खैर दूसरी रात फिर से अनिता ने उसके साथ छेड़ खानी करनी शुरू कर दी. अनिता अपने पति को अपनी तरफ खींचने की ट्रिक्स आजमा र्ही थी. पर उसका पति अनमोल तस से मास न्ही हो रा था. इसलिए वो दूसरी रात काफ़ी देर तक अनमोल के साथ झक मार कर सो गयइ.

टेसरी रात भी अनिता अनमोल को छेड़ने लग गयइ पर उस रात अनमोल तोड़ा गुस्से मे बोला.

अनमोल – अनिता प्लीज़ मुझे तुम ऐसे बार बार तंग ना करो, मेरी ताबयिट ठीक न्ही है अभी समझी तुम.

फिर अनिता ने एक बार अनमोल के मत पर हाथ र्खा तो उसने देखा की उसे काफ़ी तेज़ बुखार हो रा है. इसलिए उस रात अनिता ने अपने पति की बहोट सेवा करी, वो सारी रात अनमोल के माथे पर गीले पानी की पत्तिया र्ख र्ही थी. सुबह तक उसका बुखार तोड़ा कम हो गया, और फिर वो सुबह अनिता उसे अपने साथ डॉक्टर पर ले गयइ. डॉक्टर ने उसे चेक कर खा.

डॉक्टर – देखिए घबराने वाली कोई बात न्ही है, इन्होने शायद ज़्यादा ही मेहनत कर ली है. इसलिए कमज़ोरी के कारण इन्हे बुखार हो गया है. पर फिकर ना करो ये दो दिन की दवाई है, इसे खा कर वो ठीक हो जाएगें.

ये सुन कर अनिता को सबसे ज़्यादा खुशी हुई. उसके मान मे खुशी के लादू फूटने लग गये. क्योकि आज अनिता अपने पति से चूड़ने वाली थी. अनिता रात होने का बेसब्री से इंतेज़ार करने लग गयइ.

रात होते ही अनिता अपने बेड पर पूरी नंगी हो कर ल्ट गयइ. अनिता नंगी लेआतई सोच र्ही थी, की अभी उसका पति अनमोल रूम मे आएगा. और फिर वो उसके जिस्म पर धीरे धीरे हाथ फेरते हुए. उसकी छूट पर चला जाएगा, पर पहले तो वो उसे माना करेगी. पर बाद मे थोड़े नखरे करने के बाद वो मान जाएगी.

फिर वो अपने पति के लंड को हाथ मे पकड़ कर उसे कस्स कर मसल कर रख देगी. पहले तो वो शरमाएगी, पर बाद मे वो खुद उसके लंड को पकड़ कर उपेर नीचे करने लग जाएगी. इतने मे अनिता ने अपने उपेर से रज़ाई हटता दी और अनमोल से बोली.

अनिता – सुनो जी, ज़रा इधेर देखो और बतो मैं केसी लग र्ही हूँ.

अनमोल ने उसकी तरफ देखा और उसने अनिता का गोरा नंगा जिस्म देखा और बोला.

अनमोल – अनिता तुम्हारा नंगा जिस्म बहोट ही अछा और सनडर है, सच कहूँ मैने आज तक ऐसा गोरा जिस्म कभी न्ही देखा.

ये सुनते ही अनिता और खुशी से फूल गयइ, और वो एक दम उछाल कर अपने पति के उपेर आ गयइ. और उसे अपनी बाहों मे भर लिया, और अनमोल ने उसे देखते हुए खा.

अनमोल – अरे रूको यार, ज़रा मुझे भी कपड़े निकालने दो. आज मैं भी तुम्हारे साथ पूरा नंगा हो कर साथ दूँगा.

ये कहते ही अनमोल ने अपने कपड़े उतार दिए. फिर अनमोल पूरा नंगा हो कर अनिता के उपेर आ गया. अनमोल का लंड गरम और एक दम पूरा खड़ा हुआ था. अनिता अपने पति की आज इतनी गर्मी देख कर पागल होने लग गयइ थी. अब अनिता ज्यरा देर तक न्ही रुक स्काती थी.

अनिता अपने पति के उपेर चाड गयइ, और अपनी दोनो टाँगे खोल कर अपने छूट को खोल कर उसके लंड पर टीका कर बैठ गयइ. पर उसकी छूट मे लंड जा न्ही रा था, क्योकि अनिता की छूट अभी भी बहोट टाइट थी.

पर मस्ती से भारी अनिता ने अपनी छूट अनमोल के लंड पर टीका ही लिया. और अपना सारा ज़ोर लगा कर उसके लंड पर वो बैठ गयइ. उसकी कोशिश कामयाब हो गयइ, और उसकी छूट मे उसके पति का लंड उतार गया. लंड अंदर लेते ही अनिता को जन्नत का मज़ा आ गया.

अब वो जोश मे आ कर लंड के उपेर ज़ोर ज़ोर से उँचालने लग गयइ. करीब 4-5 ढाको मे ही अनिता ने देखा की उसके पति के लंड का सारा पानी निकल गया है. और उसका लंड अब फिर से छ्होटा सा हो गया. अनिता को ये देख कर बहोट गुस्सा आया, पर उसने सोचा की चलो पहली बार जल्दी होता है. इसलिए उसने फिर से उसका लंड खड़ा करने की कोशिश करने लग गयइ.

पर उसकी सारी कोशिश बेकार र्ही, क्योकि उसके पति का लंड फिर से खड़ा ही न्ही हुआ. अनमोल अब अनिता से प्रेशन हो गया और वो ज़ोर से उसे गुस्से मे बोला.

अनिता – बहें छोड़ सो जा, मुझे कल खेत मे काम भी करना है.

अनिता भी गुस्से मे बोली – तू बहें छोड़, साले तुझसे दो इंच की छूट तो छोड़ी न्ही जाती. और कल तू दो खेत जा कर क्या छोड़ेगा. मेरी छूट को देख वो कितनी सुखी पड़ी है.

अनिता अब गुस्से मे आकर तक कर सो गयइ.

सुबह होते ही पास वाली भाभी अनिता के पास आई और वो बोली – अनिता मुझे साँझ न्ही आता, की ड्यूवर जी इतनी सुबह रोज ख़ान चले जाते है.

अनिता – क्या बतुन भाभी, आज कल उन्हे खेत मे काम करने की ज़्यादा पड़ी हुई है. इसलिए सुबह सुबह जल्दी वो घर से निकल जाते है.

भाभी मस्ती मे बोली – अनिता वो खेत मे ही काम करता है. या तेरा भी काम करता है ?

भाभी के मूह ये सुनते ही, अनिता का दिल भर गया. और वो अपना दिल भर कर बोली.

अनिता – भाभी क्या बतुन मैं आपको. आज धीरे धीरे पूरा एक महीना निकल चुका है. पर अनमोल ने मुझे टच तक न्ही किया है भाभी.

अब अनिता चुप छाप घर मे रहने लग गयइ थी. वो अपनी आग को अपने अंदर ही कंट्रोल कर र्ही थी. खुद ही रात रात भर उस आग मे जलती थी. ये सब उसका ससुर राम लाल देख रा था. उसे पता था, की अनिता और अनमोल मे अब ज़रूर कुछ आन बॅन चल र्ही है.

एक दिन जब अनमोल खेतो मे काम करने चला गया. तब राम लाल अनिता के पास गया और बोला.

राम लाल – बहू क्या बात है ? मैं इतने दीनो से देख रा हूँ, तू काफ़ी उदस्स र्हेती है. तू बेटा खुश तो है ना अनमोल के साथ ?

अपने ससुर के मूह से ये सब सुनते ही, अनिता की आँखो से आँसू निकालने लग गये. राम लाल अपनी बाबू की आँखो मे आँसू देख कर झट से साँझ गया, की ज़रूर कोई बहोट बड़ी गड़बढ है.

राम लाल – बेटी मुझे बीटीये तेरे और अनमोल वो सब थी है, जो एक पति पत्नी के बीच मे होता है. तू साँझ र्ही है, ना जो मैं तुझसे पूछना चाहता हूँ.

अनिता कुछ न्ही बोली, वो बस रोए जा र्ही थी. राम लाल अनिता की हालत झट से समझते हुए बोला.

राम लाल – चलो बहू अब बाकी बातें अंदर जा कर करते है. और वेसए तुम मुझे न्ही बाटोगी तो किसे बाटोगी बेटी.

फिर राम लाल और अनिता दोनो अंदर चले गये, राम लाल ने बहोट प्यार से अपनी बहू के सिर पर हाथ फेर कर उससे पूछा – बहू अब बतो क्या दिकाट है ?

ये कहते कहते राम लाल के हाथ अनिता के सिर से उसके कंधो पर आ गये और फिर वो बोला – बहू मेरा तेरा ससुर न्ही, तेरा बाप जेसा ही हूँ. और मेरे होते हुए मेरी बहू धुखी न्ही रह स्काती.

फिर राम लाल ने अनिता को अपने गले से लगा लिया, और अब उसके हाथ अनिता की कमर पर चल र्हे थे.

राम लाल – अछा बहू मुझे प्लीज़ सच सच बताना, क्या सुहग्रात के बाद तुम दोनो कुछ हुआ न्ही क्या ?

अनिता – पापा जी बस एक बार ही हुआ था.

राम लाल – वो केसा रा फिर ?

अब अनिता का दिल एक दम से भरा आया और वो फुट फुट कर रोने लग गयइ.

अनिता – पापा जी वो मर्द न्ही एक ना मर्द है.

राम लाल अब बहू के बूब्स सहलाने के बाद उसका लंड भी अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था. अनिता का भी बुरा हाल हो रा था, उसके पूरे जिस्म मे गरमी च्चाने लग गयइ थी. राम लाल का खड़ा हुआ लंड बार बार अनिता की छूट पर लग रा था. इससे अनिता को बहोट ही अछा लग रा था, पर दिकाट ये थी. की इस सुख के बारे मे वो अपने ससुर से किस मूह से कहती. अंदर ही अंदर अनिता चाहती थी, की इस मामले मे पहेल पहले उसके ससुर जी करे.

अनिता अब अपना सारा दुख दर्द भूल कर सिर्फ़ अपने ससुर के एक एक टच का मज़ा ले र्ही थी. राम लाल किसी ना किसी बहाने से बातो बातो मे अपनी बहू अनिता के बूब्स को च्छू रा था. अनिता उन्हे कुछ न्ही कह र्ही थी, ये सब देख कर राम लाल साँझ गया की अब अनिता त्यआर है इसलिए वो बोला.

राम लाल – आयो बहू बैठ कर बात करते है हम दोनो,

दोस्तो अब अनिता के साथ आयेज क्या हुआ, और केसे हुआ. ये जानिए इस कहानी के अगले पार्ट एक और मस्त पार्ट मे. [email protected]