बेटे जैसे भिकारी साहू ने की मम्मी की तंबू में की जबरदस्ती चुदाई

हाय,
मेरा नाम नीलिमा कोमल शर्मा है, कोमल यह नाम मेरे मैके का है और ससुराल का मेरा नाम नीलम है, मेरी उम्र ५० है, मैं एक संस्कारी महिला हु, लाज शर्म रखना, कोई आए तो घूंघट सिर पे लेना, जभी भी कोई आते थे हमारे घर तो मैं हमेशा साड़ी का पल्लू अपने सिर पे घुंघट जैसे लेके जाति थी एकदम संस्कारी महिला हु मैं, जो घर के रीति रिवाज संभालती है, सबका खयाल रखती है, वैसे टिपिकल संस्कारी महिला हु मैं, मैं मेरे पति जिनकी उम्र अब ६० साल है, हम दोनो ही घर होते है, वैसे मेरी दो बेटियां है उनकी शादी भी हो चुकी है, वो अपने ससुराल में एकदम खुश है।
मेरे पति तो वैसे रिटायर हो चुके है, हमारा याने मेरा अपना साडियो शॉप बिजनेस है जो मैं या तो मेरे रिटायर पति देख ते है, हम अच्छे खासे रईस है, हमारा खुद का घर याने एक मिनी बंगलो है जो, गली के कोने में है।
अब मैं क्या बताऊं, जैसे के मैने आप को कहा के मै एक संस्कारी महिला हु लेकिन इस उम्र में भी मुझे चुदाई की इच्छा होती है लेकिन अब मेरे पति में कोई दम ही नहीं है और चुदाई में कोई इंटरेस्ट भी नही है, उनका इंटरेस्ट खाली दोस्तो के साथ शराब पीने में ही था, वो आज कल शराब खुच जादा ही पीने लगे थे, इसलिए मैं हमेशा भूखी प्यासी रहती हु चुदाई के मामले में।
मैं जभी भी मेरे पति को सेड्यूस करने की कोशिश करती हू तो वो उत्तेजित हो जाते है, लेकिन अपना लंड मेरी फुद्दी में डालने से पहले ही उनका वीर्य बाहर ही निकलता है। आज की कहानी है के कैसे मेरे पति से जादा उम्र वाले भिकारी ने अपने तंबू में मुझे जबरदस्ती चोदा, उस भिकारी की उम्र ७० साल की थी, लेकिन फिर भी इतना दम था के क्या बताऊं, एकदम जानवरों जैसे चुदाई की थी उसने मेरी।
अरे अब मेरे बारेमें, जैसे के मैने आप को कहा के मेरी उम्र पचास है, मेरे बाल थोड़े सफद जरूर थे लिकन मै इतनी भी बुरी नही दिखती,  मेरी ऊंची पांच फिट तीन इंच है, मेरी फिगर छ्त्तीस-बत्तीस-चालीस, सुनो मेरे स्तन बयालीस के याने मैं छ्त्तीस DD साइज का ब्रा पहनती हु, कमर बत्तीस की और मेरे नितंभ बयालीस के है। मैं दिखने में तो एकदम संस्कारी, एकदम संस्कारी, मैं साड़ी, और सलवार भी पहनती हु, माथे में मोटी बिंदी और ऊपर सिंदूर तो लगती ही हु। जैसे के मैने आप को कहा के घर कोई आए तो मैं अपना साड़ी का पल्लू सिर पे घुंघट जैसे लेके जाति हु।
हां जी लेकिन इसमें एक दिक्कत होती थी, मैं जभी किसी के सामने सिर पे साड़ी का पल्लू घुंघट लिए जाती तब मेरी कमर और ब्लाउज को धक ना मुश्किल हो जाता और मेरी गहरी नाभी के दर्शन सब को हो जाते, मैने कही बार देखा है जब मेरे पति के दोस्त घर आते है तब उनकी नजर हमेशा मेरी कमर की गहरी नाभी पे होती है। मेरे पति के जितने भी दोस्त मेरे घर आते है सब की नजर मेरी गहरी नाभी और मेरे ब्लाउज के स्तनों के उभारों के साथ ही मेरे ब्लाउज से दिखने वाली स्तनों की दरारों मेरे क्लीवेज में होती है। मेरी नाभी भी इतनी गहरी है के किसी की भी डेढ़ इंच उंगली आराम से गहरी मेरी नाभी में घुस सकती है।
यही नहीं तो, मैं जभी बाहर कोई सामान लाने जाति हु तब भी में सिर पे साड़ी का पल्लू घुंघट लिए ही जाति हु उसके कारण मेरे ब्लाउज के उभार और मेरी कमर की गहरी नाभी के दर्शन सब को होते थे। मेरे स्तन बहुत ही बड़े बड़े और गोरे है। मेरी कमर और नितम्ब का साइज देखकर काफी सारे लोगोंके लंड खड़े हो जाते है और उनने मुझे चोदने को वासना जाग जाती है। न जाने क्यों यही लोगोकि वासना भरी नजर मुझे अच्छी लगने लगी थी।
इसी के यादों में कई बार मूला, गाजर और केला मेरी फुद्दी में डाल के अपनी सेक्स वासना को शांत करने की कोशिश करती थी।
चलो तो अब आगे बढ़ते है, जैसे के मैने कहा के मेरे पति में कोई चुदाई का दम ही नहीं है, वो ऐसा होता है के, उनका लंड भी अभी छोटा हो चुका है, लंड का वीर्य मेरी फुद्दी के बाहर ही निकल जाता है। एक दिन ऐसा ही हुआ के रात को मैने मेरे पति को सेड्यूस किया, मेरे पति ने मुझे चूमना शुरू किया, वो बड़े ही उत्तेजित हो चुके थे मैने कहा “अरे थोड़ा आराम से करो” लेकिन वो नही माने, उन्होंने मेरा साड़ी का पल्लू निकाला मेरे ब्लाउज से दिखने वाले बड़े स्तनों को देख ते रहे, अपने हातो से मेरे स्तन जोर से दबाने लगे, अपनी चड्डी और अंडरवीयर उतारी, जैसे ही ही मैने अपनी साड़ी ऊपर की उन्होंने मेरी निकर खींची, मैं तो साड़ी पे ही थी और अभी भी मेरे बदन पे ब्लाउज था, फिर वो मेरी फुद्दी में उंगली करने लग जाते हैं,फिर वह मेरी फुद्दी को धीरे धीरे सेहलाते रहते हैं और मेरे स्तनों को दबाने लगते है, हां जी लेकिन मैं अभी भी नंगी नही थी बल्के ब्लाउज और साड़ी पे ही थी खाली मैने साड़ी ऊपर की थी, उन्होंने तो मेरे ब्लाउज भी नही खोले, ब्लाउज के अंदर अभी भी ब्रा थी। वो इतने उत्तेजित थे, मैने फिर से कहा “इतनी जल्दी क्या है तोड़ा आरमसे, नही तो”, पति थोड़े रुक गए और कहा “नही तो क्या”. फिर से वो उत्तेजित हो गए। और मेरी फुद्दी में उंगली करने लगे, फिर पति ने मेरे पैर ऊपर लिए, हम मिशनरी पोजीशन में थे,
उन्होंने अपना लंड निकाला और मेरी फुद्दी पे रखा और झटके देने लगे।  लेकिन मैं क्या बताऊं मुझे कुछ महसूस नहीं हो रहा था क्यों के उनका लंड अभी भी छोटा ही था।
मैं उनके लंड को नुन्नी कहूंगी, उनका लंड याने अब तो छोटे बच्चे जैसा हो गया था।
मेरे पति अपनी नुन्नी मेरी फुद्दी में डालने की कोशिश करते है, उनकी नुन्नी मेरे फुद्दी में घुस गई  लेकिन क्या बताऊं, केवल मेरी चूत को १ मिनट में ही उनके नुन्नी का पानी मेरी फुद्दी के बाहर निकल जाता है, और थोड़ी देर मेरे ऊपर लेट के बाजू में सो जाते है। उनका लंड हमेशा मेरी फुद्दी के बाहर ही लंड झड़ जाता है। मुझे यह सोच कर बहुत दुख होता है मैं अक्सर ऐसे तड़पती रह जाती हूं और मेरा पति मुझे कभी भी सेटिस्फाई नहीं कर पाता बाद में वह सो जाता है, और इसलिए मैने उन्हे कहा
“इतनी जल्दी क्या है तोड़ा आरमसे, नही तो” ये नही तो यही था, के वो मुझे अक्सर सेटिस्फाई नहीं कर पाते, लेकिन वो मेरे पति थे ये बात मै उन्हें कैसे समझाऊं के आप मेरी कामवासना को सेटिस्फाई नही कर पाते।
फिर बाद में मुझे ही बाथरूम में जाके गाजर, मूला और केला मेरी फुद्दी में डालके खुद की वासना को संतुष्ट करना पड़ता है।
लेकिन क्या बताऊं आज अचानक मुझे साहू नाम के भिकारी का लंड ही दिख ने लगा था।
अब साहू भिकारी के बारे में थोड़ा बताती हु, हां जी,
साहू एक पागल ७० साल का बुड्ढा आदमी है जो हमारी गली में भीख मांगने के लिए आता है, वैसे तो वो पागल है। वो हमेशा मेरे घर के आसपास ही होता है, वो मेरे घर के बाहर हमेशा आता है और मैं उसे खाना देती हु, वैसे तो हमारी गली के सब लोग से खाना देते है, ऐसे ही समझो न के वो अब हमारे गली का मेंबर ही बन चुका है, क्या करे बेचारा।
साहु की उम्र ७० या थोड़ी जादा ही होगी लेकिन अभी भी वो बड़ा तंदुरुस्त दिखता था, क्या बोलूं मैं अब वो तो मेरे पति से भी तंदुरुस्त दिख ता था। वो तो हमेशा आधा नंगा ही घूमता था गली में। मैने कई बार उसका झूल ता हुआ लंड देखा था। उसको कपड़ो की कोई परवा नहीं थी।
एक दिन हुआ यू के में कुछ सामान लाने गई, देखा तो एक छोटा तंबू था फटा हुआ और अंदर साहू भिकारी बैठा था। बाहर बारिश हो रही थी। यह देख कर मुझे बड़ा दुख हुआ के एक वयस्क आदमी इतने बारिश में कैसे रह लेता है। मै तुरंत ही घर आई और मेरे पति को बताया।
मेरे पति तो वैसे एक अच्छे इंसान थे, उहोने एक लड़के को साथ में लिया और साहू के इधर जाके उसको हमारे घर के बाहर के कंपाउंड में लेके आए, साथ ही में उसका तंबू भी लेके आए।
मेरे पतीने कहा “साहु, आज से तुम यही रहो तुम्हे तंबू में रहने की कोई जरूरत नहीं, तुम हमारे घर के पीछे वाले छोटे मकान में रह सकते हो” लेकिन साहू तो पागल भिकारी वो कहा मान रहा था, उसने अपना तंबू फिर से लगाना शुरू किया मेरे घर के कंपाउंड में। मै और मेरे पति देख रहे थे, बाहर भारी बारिश हो रही थी।
पति ने कहा “ठीक है साहू कोई बात नही अगर तुम्हे तुम्हारे तंबू में रहना है तो रह सकते हो हां लेकिन इस कंपाउंड के बाहर मत जाना, और अगर बारिश जाड़ा हो तो तुम वो पीछे वाले मकान में रह सकते हो, मैं वो मकान खुला ही रखूंगा”।
फिर पति ने मुझे कहा “देखा नीलिमा, इसको स्वाभिमान कहते है, इतनी जगह देने के बाद भी इस साहू भिकारी को अपना तंबू ही प्यारा लगता है, अरे, नीलिमा, बुढा पा भी एक बचपन ही होता है, खैर, जाओ थोड़ी चाय बनाओ, मेरे लिए तेरे लिए और इस साहु भिकारी के लिए भी”
फिर ऐसे ही साहू मेरे घर के कंपाउंड में रहने लगा।
कभी कभी तो वो मेरी मदत भी करता था, कंपाउंड के पेड़ पौधों को पानी देना, घर का छोटा मोटा काम करना इत्यादि। साहु भिकारी मुझे माई करके ही बुलाता था।
जैसे के मेरे पति ने कहा बचपना और बुढ़ापा एकजैसे ही होता है तो मै भी उसे कभी कभी बेटा कहकर पुकार ती थी, काम करते वक्त कभी कभी साहू की उंगली उसने मेरे गहरी नाभी में भी घुसाई थी, ऐसा काफी बार हुआ लेकिन मैने भी उसे पागल भिकारी समझ के, पागल हरकत समझ के अनदेखा किया। इन दौरान मैने उसके कपड़े फटे हुए होने कारण उसके पजामे में से उसका लंड देखा था, जैसे मैने कहा के वो बहुत ही गंदा और आधा नंगा ही रहता था।
हां जी, तो यही था, आज मुझे फिर से मेरे पति ने
सेटिस्फाई नही किया। उनका वीर्य मेरे फुद्दी के बाहर ही निकल गया। फिर बाद में मुझे ही बाथरूम में जाके गाजर, मूला और केला मेरी फुद्दी में डालके खुद की वासना को संतुष्ट करना पड़ता है।
क्या कहूँ, आज मुझे एक साहू भिखारी की सूरत दिखाई देने लगी।  इसके बाद साहु भिकारी ने जो मेरे साथ किया, जो हरकत मेरे साथ की वो देख आगे की कहानी मैं उसे अब भिकारी कह कर बताऊंगी.
अब आगे बढ़ते हैं. इसलिए लेकिन क्या बताऊं आज अचानक मुझे साहू नाम के भिकारी का लंड ही दिख ने लगा था। जब से मैंने उसका लंड देखा है मैं रात दिन उसके लंड के बारे में सोचती रहती हूं उसका लंड बहुत ही बड़ा है, उसका लंड बिना तने इतना झूलता है के वो उत्तेजित होने के बाद तो उसका लंड १० तो या उसे भी जाड़ा इंच का होगा।
खैर, अब असली कहानी, तो मुझे बेचैनी हो रही थी, मेरी चुदाई की भूख अभी भी बाकी थी, मैने देखा तो अब घड़ी में रात के १:३० थे, बाहर घमासान बारिश हो रही थी, मैं किचन में गई चाय बनाके पी, तभी मुझे साहु भिखारी का खयाल आया, वो कैसा होगा, वो तो उसके तंबू में ही सोया होगा, लेकिन इतने बारिश में उसका तंबू अंदर से गीला हो तो वो कैसे सो सकता है। मैने देखा तो मेरा पति जो मुझे चोद नही पा रहा था वो गहरी नींद में सो रहा है, मैने तुरंत ही साड़ी ठीक की, साड़ी को थोड़ा ऊपर लिया, एक छाता लिया और साहु भिखारी के तंबू के और चली गई।
बाहर तो बिजली और बादल तो ऐसे बरस रहे थे, एक एक रूफानी बारिश थी। में साहू के छोटे तंबू के बाहर थी, हमारे इलाके की बाहर के लाइट सब बंद थे, एकदम अंधेरा था, खाली साहू के तंबू में एक मुंबत्ती जल रही थी।
हां जी, अभी भी बाहर बहुत तूफानी बारिश हो रही थी, इस बारिश के वजह से भिकारी के तंबू पे गिरने वाली बारिश के बूंदों की आवाज और साथ ही में हवाके वजह से फड़फड़ा ता हुवे उसके तंबू की आवाज का शोर बहुत था। मैने उसके तंबू का कपड़ा हटाया और अंदर गई तंबू बहुत छोटा था इसलिए मुझे झुकना पड़ा। भिकारी अपने पैर अकड़ कर सोया था। वो थोड़ा कांप भी रहा था ठंडी और बाहर की भारी बारिश के वजह से। मुझे उसपे तरस आया, मैं फिर से वैसे ही बाहर आई मेरे रूम में गई, सामने आईना था, ध्यान गया तो मैं भी आधे से जाड़ा गीली थी बारिश के कारण, खैर फिर एक बड़ी ब्लैंकेट लेके फिर से उस भिकारी के तंबू में आगई।
फिर मैने उसके ऊपर वो मोटी ब्लैंकेट डाली, और प्यार से उसके माथे से हाथ घुमाया और तभी वो भीकारी अपने नींद से जग गया और उठ के बैठ गया, मेरी तरफ देख रहा था और बोला “माई”, मैने कहा “साहु, तुम ठीक तो हो न”लेकिन वो कुछ नही बोला, मैं भी उसे देख रही थी, तंबू छोटा होने के कारण मैं झुक गई थी, मैने देखा तो भिकारी का ध्यान कही और जा रहा था, तभी मैने नीचे देखा तो मेरा साड़ी का पल्लू गिरा हुआ था और मेरे बड़े बड़े स्तनों के दर्शन साहु को हो रहे थे, हां जी मैने ब्लाउज तो पहना था लेकिन मैं हमेशा लो नेक, तंग गलेका ब्लाउज पहनती हु, जैसे के मैने कहा अब इस मुंबत्ती के उजाले में भी साहु मेरे मम्मो को घूर घूर के देख रहा था। मैने तुरंत ही मेरी साड़ी ठीक की और वहा वहा से निकल ने लगी।
तभी अचानक भिखारी ने मौका देख मुझे पिचेसे दबोचा,   उसने ने दबोच कर मुझे पीछे ही खीच लिया चूमना शुरू कर दिया। उसके हाथ मेरे शरीर पर मेरे बड़े स्तनों पर सारी जगह चल रहे थे और वो अपने हटोहो से मेरी गर्दन पर चूमने लगा। भिकारी ने मुझे सीधा होने का मौका ही नही दिया, उसकी पकड़ इतनी भारी थी के मेरा छूट ना मुश्किल था।
पीछे से भिखारी ने मेरी गर्दन को पकड़ा और मेरा मुँह मोड़ कर मेरे होठो को अपने गंदे होठो से चूमने लगा। उसकी गन्दी सासे मेरे मुँह के अंदर जा रही थी और उसके गंदे काले हाथ मेरे ब्लाउज में घुसा कर मेरे कोमल बड़े स्तनों को पागलो की तरह दबा रहे थे। मै छटपटा रही थी, भिकारी से छुटकारा पाने की कोशिश कर रही थी, हां जी मेरी पीठ अभी भी भिकारी के तरफ थी उसने मुझे पिछेसे दबोच रहा था, मैने बोला “साहु, छोड़ो मुझे, ये क्या कर रहे हो तुम” लेकिन वो कहा मान रहा था, अचानक उसपे तो वासना का भूत जाग गया था।
कुछ देर तक मुझे चूमने के बाद उस हवसी भिखारी ने अपना गन्दा कला लंड निकाला और पीछे से मेरी कमर पे धीरे धीरे धके लगा कर उसे रगड़ने लगा, हां जी वो मेरे बड़े नितंबों पे अपना लंड रगड़ ने लगा, उसका चिपचिपा गन्दा लंड मेरी कमर पर रगड़ ओर मेरे बड़े कद्दू जैसे बड़े कूल्हों पे रगड़ के साथ ही में वो पिछेसे मुझे चूमता हुआ मेरे ब्लाउज में हाथ डाल के मेरे बड़े गोरे चालीस के स्तनों को दबा रहा था।
उसका गन्दा मुँह मुझे चूमता हुआ गन्दी आवाजे कर रहा था और उसका थूक मेरे मुँह में गीर रहा था। वो ऐसी गन्दी हरकत मेरे साथ अपने तंबू में कर रहा था।
मुझे चूमते हुए उसने पूरी ताकद से पिछेसेही अपना एक हाथ मेरे कमर पे बंधी हुई, मेरी नाभी के नीचे से हाथ डालके साड़ी में घुसा दिया और मेरी साड़ी और पेटीकोट को खीच लिया खोल कर मेरी निकर में हाथ घुसा दिया। उसका गन्दा ठंडा हाथ मेरी फुद्दी को धीरे धीरे रगड़ने लगा और वो भिखारी मेरी गर्म फुद्दी का आनंद लेने लगा। इस तरह वो मुझे पिछेसे ही पूरा दबोच रखा था। उसका लंड मेरी कमर पर रगड़ रहा था एक हाथ निकर में था तो दूसरा मेरे ब्लाउज के अंदर याने ब्रा के अंदर घुसा के मेरे स्तनों को मसल रहा था। इस तरह वो कुछ देर मुझे चूमता रहा और मेरे सुंदर गोरे शरीर का पूरा आनंद लेने लगा।
ऐसे भूखे को अगर पूरी भरी हुई थाली मिले तो वो थोड़ी ना छोड़ेगा, पूरी थाली चाट के टूट पड़ेगा, एक भरी हु थाली समझ के वो मेरे ऊपर टूट पड़ा। एक घर, और सुंदर ओरत और चुदाई फ्री मैं कभी मिलती भी नहीं तो सोचो कैसे वो मुझे दबोचा होगा, आज साहू को सब मिल रहा था।
लेकिन मैं तो अभी भी छटपटा रही थी “नही साहु नही, तुम ऐसे नही कर सकते हो मेरे साथ” में विरोध कर रही थी, मैं चिल्ला रही थी, लेकिन बाहर इतनी बारिश थी, तूफानी बादलों की आवाज के कारण कोन सुनेगा मेरी, और उसमे भी मेरे पति तो शराब के नशे में धुत पड़े थे।
कुछ देर बाद उसने मेरा हाथ पकड़ा और पीछे खींचता हुआ मुझे सीधा किया
उसने मुझे अपने बदबूदार तंबू में लेटाया और मेरी साड़ी जो बीच में फसी थी उसको खीच के बाजू में फेक दिया साथ ही में उसने मेरे निकर में हाथ डाल के मेरी निकर भी खीच के फाड़ दी, अब ऊपर खाली ब्लाउज ही था बाकी नीचे मैं पूरी नंगी थी, अब तो उसने अपने गंदे हाथ मेरे ब्लाउज में घुसा के पूरी ताकद से मेरा ब्लाउज भी फाड़ के उतार कर उसने मुझे दरी पर लेटाया। हां जी अब तो साहु भिकारी ने मुझे पूरा नंगा ही कर दिया, मेरे बालो को कसके पकड़ के मेरे बाल भी खोल दिए। मैं तो अभी भी जोर लगा रही थी, भिकारी से छूटकारा पानेकी कोशिश कर रही थी, मैं चिल्ला रही थी “साहु, नही रुक जाओ, नही ये तुम क्या कर रहे हो, थोड़ी तो शर्म रखो, छोड़ो मुझे” लेकिन साहु भिकारी कहा मान रहा था, वो खाली “माई” बोला।
अब उसने मेरे दोनो पैर उठा लिए और मेरे ऊपर आगया,
ऊपर आके भिकारी ने अपना गन्दा कला लंड निकाल कर ठीक मेरे मुँह के सामने कर दिया, उसका मोटा लंड कला ढीला और गोटिया भारी थी, पूरा मोटा लंड अच्छा खासा झूल रहा था और उसके मुँह से गंदा पानी सलाइवा टपक रहा था, भिकारी का मोटा लंड भी अभी गीला था उसमेसे पानी टपक रहा था।
मैं देख हैरान रह गई और ये सोचने लगी की हो क्या रहा है। भिखारी ने अपना लिंग पकड़ा और उसका गिला टोपा सीधा मेरे मुँह के अंदर घुसा दिया। उसका लिंग गर्म और गिला था और उसके पानी का स्वाद कुछ कटा था। उसके बाद उसने मेरी कच्छी उतारी और मेरी चुत को रगड़ रगड़ कर उसको भोसड़ा बनाने लगा। उसने बिना आगे पीछे देख मेरे पैर ऊपर करके पूरी ताकद से अपना मोटा लंड मेरे मुंह में घुसा दिया और अपनी कमर हिलाने लगा।
अब तो उसने मुझे खूब रगड़ा और मैं उसकी काली मोटी गोटिया अपने एक हाथ में पकड़ कर उसका मोटा लंड चूसने लगी, मेरी मुंह से आवाजे आनी लगी, साथ ही में भिकारी ने मेरी फुद्दी में हाथ डाल के, मेरी फुद्दी में उंगली घुसाने लगा।
भिखारी अचानक बोला “माई, अहह चूस !! माई अहह ममम अहह मम तुम्हारे चूत का छेद तो काफी छोटा है”।
भिकारी का मोटा लंड मेरे मुंह में फस गया था मेरे मुंह से आवाजे आनी लगी “हम्म अहह अहंम अहह ममम अहह ममम अहह !!”
भिखरी भी मदहोशी में आवाजे करने लगा “अहह उह्ह्ह अहह अम्म्म अहह ममम अहह मम अहह अम्म अहह।
अब तो मेरी फुद्दी नीचे से पूरी गीली हो चुकी थी जिसका ये मतलब था की अब उसपर चुदाई का नशा भी हो गया था।
भिखारी का काला गन्दा मोटा लंड जोर जोर से मेरी मुंह में घुस रहा था, और भिखारी ने मेरे हातो को कस के पकड़ लिया था।
मुझे को दर्द तो हो रहा था, मैं अभी चुदाई का विरोध करके छटपटा रही थी, अब भिकारी का पूरा ध्यान मेरी लाल फुद्दी रगड़ने में था और मेरे गोर बदन, बड़े चलूस के स्तनों को मसल ने में था।
अब वो साहु भाकरी नीचे आया, उसने अपना लंड मेरे मुंह से निकला, और मैं खुच न बोलूं इसलिए उसने मेरा मुंह अपने हाथों से दबा दिया था। एक तरफ भिकारी ने मेरा मुंह अपने हातो दबाया दूरी और मेरे पैर ऊपर कर के मेरी फुद्दी चाटने लगा।,
उसने मेरी फुद्दी को कभी अंदर से चाटा तो कभी ऊपर से,  साथ ही साथ उसे कई बार मेरी फुद्दी पर जोर जोर से फटके लगाए, तीन चार बार तो उसने मेरी फुद्दी के बाहरी लटकती हुई पंखड़ी यो को भी अपने दातों से कटा, “Oooucch, Uff”
मेरी फुद्दी का ऊपरी भाग पूरा लाल जब तक न पड़ा तक तक वो रुका नहीं। उसके बाद उसने अपने हाथ पर थूका और अपने लंड को हिला कर उसे टाइट करने लगा।
ऐसी गन्दी हरकते देख मेरी फुद्दी गीली हुई जा रही थी और भिखारी के साथ सेक्स करने के लिए मरे जा रही थी मेरी फुद्दी। हां जी लेकिन मैं तो एक संस्कारी महिला हु, इसलिए मुझे ये अब मंजूर नही था, मैं अभी भी हाथ पैर मारके उसका इस चुदाई से विरोध कर रही थी। मै अपनी इज्जत बचाने की पूरी कोशिश कर रही थी।
मै अभी भी चिल्ला रही थी, लेकिन बाहर इतनी बारिश हो रही थी के कोन सुनेगा मेरी आवाज।
भिखारी ने अपने काले मोटे लंड को खड़ा किया और मेरी फुद्दी के दरवाजो पर अपने लंड टोपा लगा कर उसे ऊपर नीचे जोर जोर से रगड़ते हुए मुझे देखते लगा। चोद ते वक्त अचानक उसने अपना हाथ मै ना चिल्लाऊ इसलिए उसने अपने हातोसे मेरा मुंह दबा दिया, फिर उसने अपने हाथ आगे लिए और बाजू के एक कटोरे में किशमिश था, वो मुट्ठी भर लिया और मेरे मुंह में ठोस दिया, फिर से उसने मेरे मुंह हो अपने हातोसे मेरा मुंह दबा दिया, उसने मेरे मुंह में थोड़ा हुआ किशमिश मैं निगलने लगी।
उसका खड़ा लंड मेरी फुद्दी पर जोर जोर से रगड़ खा रहा था। ऐसा लग रहा था की मेरी फुद्दी से पानी बस निकलने ही वाला है। उसने बिना आगे पीछे देख जोर से अपना लंड मेरे फुद्दी अंदर सरकाया और मेरे चेहरे को आंखे फाड़ फाड़ कर देखता रहा।
मुझे देखते हुए उसने जोर जोर से मेरी फुद्दी चोदना शुरू कर दिया और मुझे चोदता ही रहा। उसका बड़ा सा काला लंड मेरी टाइट फुद्दी में अंदर बाहर होता जा रहा था और वो अपनी कमर पूरी पीछे करता और फिर तेजी से धका लगा कर मेरे टाइट फुद्दी में अपना काला मोटा लंड अंदर कर देता।
हां जी मेरी फुद्दी तो बड़ी टाइट थी, मेरे पति मेरी ठीक से चुदाई नही कर पाते तो वो ढीली कैसे हो सकती थी।
अहह उसका मोटा कला लंड का टोपा मेरे फुद्दी के अंदर तेजी से रगड़ रहा था और फुद्दी से धीरे धीरे पानी खोद कर बाहर निकाल रहा था।
काफी सर्दी लग रही थी और तेज हवा भी चल रही थी पर उसका गर्म काला मोटा लंड और मेरी गर्म फुद्दी की वजह से झोपड़े में गर्मी बनी हुई थी। उसने खरूबजे जैसे गोरे बड़े स्तनों अपनी दोनो हातो से दबाया और मेरे ऊपर चढ़ करी मेरी टांगे खोल कर मुझे चोदने लगा, बेहरमी से मेरी फुद्दी चोदने लगा।
देखते ही देखते उसका काला मोटा लंड मैं अपनी फुद्दी में बड़ा और बड़ा होता महसूस करने लगी। उसके कूल्हे किसी मशीन की तरह चल रहे थे। मुझे चोदते चोदते उसका मुँह भी सुख गया और शरीर पसीने से गिला हो गया, अब तो मेरा गोरा बदन भी पेसिनेस पूरा गीला होने लगा, इतनी बेरहमी में जबरदस्ती जोरदार चुदाई हो रही थी मेरी।
इस सब के बावजूद वो मेरे बड़े खरबूजे जैसे स्तनों को अपने गंदे मुंह से चूस रहा था, काट रहा था, मेरी फुद्दी बड़े बेरहमी से चोद रहा था। कुछ ही देर बाद उसने बड़े बड़े धके लगाना शुरू कर दिया और मेरी फुद्दी से उसके काले बड़े लंड का गीलापन मुझे महसूस होने लगा।
अब तो मेरी गीली फुद्दी और उसके बड़े काले लंड के घर्षण के कारण मेरी फुद्दी से बच बच बच बच फच फच फच फच की गन्दी अश्लील आवाजे सुनाई देने लगी।
बाहर जोर दार बारिश हो रही थी और ये  काला बदबूदार भिकारी मेरे मुझे दबोच कर चोदता रहा। कुछ देर में ही वो हाफने लगा और उसने मेरे बड़े स्तनों अपने हाथो से दबा कर निप्पल को चूसने, काटने लगा।
वो मुझे चोदता हुआ अपनी नंगी गांड हिलता रहा और देखते उसके इस जोर दार चुदाई के कारण मैं अभी भी छटपटा रही थी। भिखारी का झडा नहीं और मेरी फुद्दी से तो अब तक 2 से 3 बार पानी निकल गया। झोपड़े के अंदर कडकती ठंडी हवा गंदे बदबूदार भिखारी की नंगी गांड को लग रही थी और पर फिर भी वो उसे हिला हिला कर मेरी फुद्दी ले रहा था।
मै उस भिकारी के तंबू के रग पर  लेटी हुई थी, उसके जोर दार चुदाई के कारण मेरे बड़े गोरे स्तन उपरनीचे हिल रहे थे, अब तो मेरे बड़े स्तन लाल, जाँघे और गांड याने मेरी गांड भी लाल पिली हो राखी थी, फुद्दी के अंदर उसका काला मोटा लंड की रगड़ से मेरे फुद्दी में जलन मच रही थी।
कुछ ही देर मैं भिकारी मुझे चोदता हुआ मेरे ऊपर पूरी ताकद में लेट गया और मेरी फुद्दी में अपना बड़ा काला मोटा लंड घुसता हुआ मेरे मुँह को चूमे लगा।  हां जी, उसका बदबूदार मुंह से मेरे नाजुक जग गुलाबी होटों को चूमने लगा और काटने लगा। अचानक उसने अपना हाथ आगे लिए और बाजू के एक कटोरे में किशमिश था, वो मुट्ठी भर लिया और मेरे मुंह में ठोस दिया, और मुझे जबर्दस्ती किशमिश खाने बोला, जैसे ही किशमिश मेरे मुंह में गया उसने, उस ने फिर से अपने गंदे होटों से मेरे होटों को चूमा, उसकी बदबूदार सासे मैं महसूस कर रही थी। उसका उसकी गंदी जीभ भी अब मेरे होठों के अंदर घुस गई थी और अपनी गंदी जीभ से उसने फिर से मेरे नाजुक जीभ को चाटने लगा।
उसकी तेज हाफति सासे और गन्दी आवाजे सुनकर मैं जान गई की वो अपनी चरम सिमा पर जा चूका है।    उसका काला गंदा बड़ा लंड मैं अपनी नाजुक फुद्दी से बाहर निकालना तो चाहती थी पर उस वक्त शरीर में जान नहीं थी। ऊपर से वो भी पागलो की तरह मुझे चोद रहा था, भूखे भिखारी का दीवाना पन देख मेरे चौथी बार फुद्दी से मलाई निकाल डाली।
उसके बाद उसने भी कस कर मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथो से दबोचा और मेरी मलाईदार फुद्दी चोदते हुए अपने गंदे होटों मेरे से मेरे नहीं होटों पे चिपकाके अपना मुंह मेरे मुंह में डाल के अपना थूक मेरे मुंह में छोड़ा, मुझे इतना गंदा लग रहा था, लेकिन मैं क्या करू, मैं चिल्ला भी नही सकती थी, इतने कस के उसे मेरी मुंह में अपना मुंह घुसाया था। फिर वो बोला “माई, थूको तुम थूको”
पता नहीं क्या चाहता था पर मैंने उसकी बात मानी और उसके मुँह में थूकना शुरू कर दिया। उसका सूखा मुँह मेरे थूक से गिला हुआ उसके चूतड़ों की रफ्तार और तेज हो गई, और वो जोर जोर से मेरी नाजुक फुद्दी चोदने लगा,
मैं अपनी थूक उसके मुँह में डालने लगी,  भिकारी दीवाना होकर मेरा थूक निगलता हुआ मुझे जोर से चोद रहा रहा और थोड़ी देर बाद ही उसका शरीर जोर जोर से कपकपाने लगा।
अचानक उसकी पकड़ और भारी हुई और मुझे अपने अंदर गर्म पानी महसूस होने लगी और मैं समज गई के उसने अपनी मलाई मेरे फुद्दी में छोड़ दी। उसका सफ़ेद गाढ़ा मलाई मेरे फुद्दी में घुस रहा था।
अब तो मैने भी विरोध करना बंद किया, क्यों के मै विरोध करके थक चुकी थी।
मुझे जबरदस्ती  चोद कर मेरे नर्म नाजुक फुद्दी के अंदर पानी चोद दिया और कुछ देर अपना गंदा मोटा लंड मेरे फुद्दी में घुसा कर रखा जब तक वो खुद हल्का न हो तब तक वो वैसे ही अपना वजनदार शरीर मेरे ऊपर लिए लेट गया।
बाहर अभी भी तूफानी बारिश हो ही रही थी।
मैं भी अब शांति से उसे अपने नरम छाती स्तनों में दबा कर लेती रही और उसके गर्म शरीर की गर्मी में अभी भी महसूस कर रही थी, वही झोपड़े में सो गई।
बाहर अभी भी घमासान बारिश हो रही थी, मैं भी थक चुकी थी, भिकारी मेरे बाजू में ही लेटा हुआ था, उसने मेरी इतनी चुदाई की में मुझे इस भरी बारिश में भी पसीना आ रहा।
मै थोड़ी देर वैसी ही पड़ी रही, आज अभी जो हुआ वो क्या था, वो प्यार था या बलात्कार था, इस गंदे भिकारी ने तो मेरी इज्जत लूटी।
आधा घंटा मैं वैसी ही पड़ी रही, मुझ में जान ही कहा थी।
फिर मैं उठी कैसी तैसे साड़ी लपेटी और बिना आवाज किए भिकारी के तंबू के बाहर आने के लिए निकल पड़ी।
मै जैसे ही मेरे कदम उसके उसके तंबू से बाहर डाले अचानक वो फिर से पीछे से आया और मुझे दबोच लिया।
फिर से वो भिकारी मेरे बड़े खरूबूजे जैसे स्तनों को पीछे से दबाने लगा,  अब मैंने सोच के क्या ये फिर से मुझे जबरदस्ती करगा कि अब ये मेरी चूत चोदेगा,  अब वो मेरी चूत को अपनी गंदी बदबूदार जीभ से चाटेगा, उसका गंदा लौड़ा मेरी फुद्दी में घुसाके फिर से मेरा बलात्कार करेगा,  क्या उसका काला मोटा लंड मेरी जांघों के गोलों से मेरी जांघों की दीवारों से टकराएगा और मुझे बेरहमी से चोदेगा और मेरा बैंड बजा देगा।
लेकिन उसने ऐसा कुछ नही किया, उसने मुझे पूरे ताकद से अपनी और खींच लिया और वो मेरी कूल्हों को जोर जोर से दबा रहा था,  उसने मेरी साड़ी फिर से उठाई और वो मेरी कूल्हों के छेद में अपनी उंगली भी डालने की कोशिश कर रहा था।
जैसे ही उसने अपनी एक उंगली मेरे बड़े तरबूज जैसे कूल्हों में डाली, मैं दर्द से कराह उठी, “अघ माँ सी.. ग्ग्ग्ग.. ऊऊह..” मुझे एहसास हुआ कि उस भिकारी को मेरी फुद्दी में नहीं बल्कि मेरी कूल्हों में दिलचस्पी थी।
मुझे डर लग रहा था, बाहर अभी भी तूफानी बारिश थी ऊपर से मेरे पति उनके रूम में दारू के नशे में पड़े थे।
मै अभी भी उस भिकारी के गंदे तंबू में ही थी।
लेकिन अब मेरे सामने कोई रास्ता नहीं था, आज जो ये बलात्कार हो रहा था, ये जो जबरदस्ती मेरे साथ हो रही थी वो तो मैं कही बोल भी नहीं सकती, इसलिए उसने जो कुछ भी किया, मैंने चुपचाप सह लिया।
उसने मुझे पूरी ताकद से घुमाया और उल्टा लिटा किया,
अब मेरी पीठ और मेरे बड़े कूल्हों उसके तरफ थे, मुझे कुछ पल ऐसा लगा के वो अब मेरे ऊपर चढ़ के पीछे से मेरी फुद्दी की ठुकाई करेगा लेकिन उसका तो इंटरेस्ट मेरे कूल्हों को चुदाई में था, हां जी मेरे कूल्हों तो मेरे स्तनों से भी बड़े थे। भिकारी ने की इस जबर्दस्ती के वजह से मेरा मन दुःखी था,  उसे तो मेरे बड़े कूल्हों चुदाई में दिलचस्पी थी।
मैं चुपचाप बिस्तर पर उल्टी होकर अपनी फुद्दी को हाथ से पकड़ कर लेटी हुई थी और वो भूखे कुत्ते की तरह मेरी  कूल्हों पर टूट पड़ा।
जैसे ही उसने अपनी एक उंगली मेरी कूल्हों के छेद में डाली, मैं दर्द से कराह उठी, “अघ माँ सी.. ग्ग्ग्ग.. ऊऊह..” अब तो मुझे पूरा यकीन हुआ कि उसे मेरी फुद्दी में नहीं बल्कि मेरी कूल्हों में दिलचस्पी थी।
लेकिन अब मैं क्या करू मैं तो पूरी उसे बाहों में फस गई थी, अब मेरे लिए कोई रास्ता नहीं था, इसलिए उसने जो भी किया, मैंने उसे चुपचाप ले लिया। उसने जो कहा वही करने लगा।
अब तो पिछे से उसने मेरी साड़ी फिर से खीच के मेरे ब्लाउज में हाथ डाल के  मेरा ब्लाउज भी पिछेसे फाड़ दिया, पहली फुद्दी चुदाई में भिकारी ने सामनेसे ब्लाउज फाड़ा और अब तो उसने पिछेसे से भी ब्लाउज फाड़ दिया।
उसने मेरी कमर उठा कर मेरी कूल्हों में अपनी उंगलियां डालने लगा, हां जी, मेरे बड़े कूल्हों में अपनी उंगली पूरी ताकद से घुसाने लगा। फिर थोड़ी ही देर में  भिकारी ने अपना थूक मेरी कूल्हों के छेद पर लगाया और फिर अपना गंदा काला मोटा लंड मेरी कूल्हों के छेद पर सेट किया।  मैं धड़कते दिल से देखने लगी कि आगे क्या होगा।  जैसे ही उसने अपना गंदा लंड मेरी कूल्हों में डाला, मैं चिल्ला उठी, “माँ सी..”
उसका लंड बहुत सख्त था. पहले तो उसने मेरे ऊपर जबर्दस्ती बलात्कार करके मेरी फुद्दी अपने गंदे लंड से चोदी और अब वो भिकारी मेरे कूल्हों में घुस रहा था। जैसे ही उसने अपना गंदा लंड मेरी कूल्हों में अंदर-बाहर करना शुरू किया तो मेरी कराहें बढ़ गईं।  मेरी आँखों से पानी टपकने लगा,   मैं बड़ी मुश्किल से इसे सेह रही थी मैं जोर जोर से चिल्ला रही थी “ओऊउच, उई मां, मर गई मैं तो”।  मेरे इस चिल्लाने के वजह से उसमे और जोश आगया, उसने पीछे से अपना वजन मेरे ऊपर डाला, साथ ही में पीछे से हाथ डाल के मेरा मुंह बंद कर दिया।
मै, बहुत तकलीफ में थी, मैं अपना ध्यान भटका दिया।
उसके जोरदार धक्को से मेरी कूल्हे हिल रही थे,  उसने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और अपना लंड मेरी कूल्हों में गहराई तक पेल दिया।  मैं चिल्ला उठी “माँ सी….  ऐसे भी कोई कूल्हों को चोदता है!”  उसकी जांघें मेरी कूल्हों के गोलों से टकरा रही थीं,  वह मेरी कूल्हों को ऐसे सहला कर चोद रहा था जैसे वह किसी लड़की की नहीं बल्कि कुत्ते की गांड को सहला रहा हो।
मैंने सुना था कि जब कोई लड़की पहली बार चुदवती है तो उसकी योनि से खून निकलता है,  मेरी कूल्हों के साथ भी कुछ ऐसा ही होने लगा,  वहां से खून तो नहीं निकल रहा था बल्कि उसके लंड से चिपचिपी मलाई बहकर मेरी कूल्हों से निकलने लगा,  वो मेरी कसी कूल्हों को ठोक रहा था,  उस रात भरी तूफानी बारिश एक अँधेरे तंबू में मैं पहली बार एक भिकारी से अपनी कुल्हे मरवा रही थी।  मैंने हमेशा सपना देखा था एक दिन कोई  जवान मेरी फुद्दी में लंड डालेगा और उसका स्वाद चखेगी लेकिन यहाँ तो दर्द मेरी फुद्दी की जगह मेरी कूल्हों में हो रहा था।  मैं अपनी बालो से भरी हुई फुद्दी लिए उसे जबर्दस्ती चुदावा चुकी थी, अब उस भिकारी से तो मेरे कूल्हों जबरदस्ती बलात्कारी चुदाई झेल रहे थे।
उसका बड़ा लंड मेरे बड़े कूल्हों को छोड़ने को तैयार ही नहीं था,  शायद यह पहली बार था जब वह एक भरी हुई औरत की कूल्हों को चुदाई के मिली थी और वह साहु भिकारी इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए तैयार था।  वह पीछे से मेरी छाती से लटक रहे मेरे बड़े स्तनों को दबाते हुए मेरी कूल्हों को जोर जोर से चोद रहा था। उसके पीछे से झटके इतने जबरदात थे के उसका असर मेरी फुद्दी पे हो रहा था, और मैं अपनी उंगलियों से अपनी फुद्दी को सहला रही थी।
मैं बड़बड़ा रहा था- क्या गांड है!  माँ सी..
उसने 15 मिनट के लिए मेरी कूल्हों की चुदाई जारी रखी और भिकारी का स्पीड बढ़ते गया, मुझे तो बहुत ही तकलीफ हो रही थी, मैं तो दर्द के मारे चिल्ला रही थी।
फिर अचानक उसने अपना पर वजन मेरे बदन पर डाला, और उनसे कस के पीछे से जखड़ लिया, मैं समझ गई के उसके गंदे बड़े लंड मलाई मेरे कूल्हों में घुस रही है। हां जी
उसने अपने लंड से शुक्राणु की एक धार को मेरे कूल्हों के छेद छोड़ दिया। फिर शांत हो के वैसे ही मेरे ऊपर पड़ा रहा।
मेरे में अभी भी जान नही थी, मैं भी आखों में आसू लिए वैसे ही आधा घंटा पड़ी रही। फिर वो मेरे ऊपर से हट गया, वो मेरे ऊपर आधा घंटा लेटा हुआ था। मै फिर भी वैसे ही उल्टी पड़ी रही।
थोड़ी ही देर में देखा तो भिकारी सो गया था। मै उठी तुरंत ही मेरी साड़ी ली, मैने मैने साड़ी पूरी पहनी भी नही थी, साड़ी कैसे तैसे आपने बदन पर ली और भिकारी के तंबू से घर की और भाग गई। बाहर अभी भी बिजली, बदलो से भरी तूफानी बारिश हो रही थी। मै घर में आई, देखा तो अब रात के ३.४५ बजे थे याने, मैं साहु भिकारी के तंबू में १:३० बजे गई और तब से ही मेरी चुदाई होने लगी, इतनी लंबी चुदाई मैने कभी नही की थी। मेरी नजर आईने में गई, मैं देखा तो मुझे ही शर्म आई, मेरे माथे का सिंदूर इधर उधर बिखरा हुआ था, बिंदी कही और गिर गई थी, मै उस गंदे भिकारी से चुदवाते चुदवाते मैं अब खुद एक भीकारिन दिख रही थी। देखा तो मेरे पति अभी भी शराब के नशे में सोए हुवे थे।
फिर मैं नहाने गई, इस सत्तर साल के साहु भिकारी ने जो मेरी चुदाई की उस वजह से मेरी फुद्दी और कूल्हों में बड़ा दर्द हो रहा था। मै बाथरूम मैं आपने दोनो घुटनों के शर्म से अपना मुंह डाल के बैठी रही। फिर मैने नहाया और अपने पति के बाजू में आके बिस्तर पे लेट गई।
मुझे तो नींद ही आ रही थी, मैं सोच रही थी आज रात अभी जो इस साहु भिकारी ने मेरे साथ किया वो क्या था वो प्यार था या बलात्कार था। मेरे मन में विचार आ रहे थे। नीलिमा, तु तो हमेशा शिकायत करती थी तेरे पति के साथ, तेरा पति तेरी सेक्स की आग नहीं भुजा सकता लेकिन आज इस गंदे साहु भिकारी ने तो तेरी सालो की सेक्स चुदाई की आग तेरे फुद्दी और कूल्हों को चोद के शांत की। ऐसे कई विचार मेरे मन में आते आते मुझे भी नींद लग गई।
दूसरे दिन मैं उठी, पति के लिए नाश्ता बनाया अभी भी बाहर जोर दार बारिश हो रही थी, तभी पतीने साहु भिकारी को भी बुलाया और उसे भी चाय देने कहा, मुझे डर लग रहा था के कही ये पागल कल रात को जो हुआ मेरी चुदाई के बारे में कही मेरे पति को बोलेगा तो नही।
लेकिन वो कुछ नही बोला।
तभी पति ने कहा “नीलिमा, मैं कुछ पंधरा दिन मेरे दोस्त के साथ उसके गांव जा रहा हु, उसका कुछ प्रॉपर्टी का काम है” फिर तभी पति ने फिर से साहु भिकारी के तरफ देख के कहा “साहु कुछ पागल हरकत मत करना मैं नहीं हु पंधरा दिन”
साहु भिकारी ने मुस्कुराते हुवे चाय पीते पीते मेरी तरफ देखा, मैने भी साहु के तरफ देखा। तभी मेरा ध्यान गया तो साहु के हाथ में मेरा छाता था, और मुझे याद आया के कल रात के तूफानी बारिश में यही छाता लेके मैं साहु भिकारी के तंबू में गई थी।
मेरे मन में अब दूसरे विचार आए, नीलिमा अब तो तुझे सुनेहरा मौका मिला है, अपनी चुदाई करने का।
फिर पति चले गए, उसके बाद उसी दिन से मैं अगले पंधरा दिन गंदे सत्तर साल के साहु भिकारी से अपनी फुद्दी और कूल्हों की चुदाई की। साहु भिकारी ने मुझे खूब चोदा, मेरी फुद्दी और कूल्हों की आग शांत की।
मैने एक बार मेरे बाथरुम में साहु भिकारी से मेरी फुद्दी और कूल्हों को चुदाई, लेकिन बाद के मैने कई बार उसके गंदे तंबू के जाके ही अपनी फुद्दी और कूल्हों की चुदाई करवाई। क्यों के साहु के गंदे तंबू की बदबू अब मुझे अच्छी लगने लगी।
अब तो साहु भिकारी ही मेरी फुद्दी और कूल्हों की चुदाई करने लगा, मुझे तो अब साहु भिकारी से ही प्यार हो गया।
आपकी कोमल मॉम ( . )( . )
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