अनिता की चुदाई सुहागरात पर

अनिता की आज ही अनमोल से शादी हुई थी, उसने आज तक अपने मस्त जिस्म को किसी लड़के का हाथ न्ही लगने दिया था. उसने अपनी कवरी जवानी अपने होने वेल पति के लिए बचा कर र्खी हुई थी. जब वो जवान हुई थी, तब उसके अंदर सेक्स की आग जल र्ही थी.

ऐसा न्ही था, की उसे सेक्स के बारे मे कुछ भी न्ही पता था. उसे सेक्स के बारे सब कुछ पता था, पर उसने अभी तक किसी के साथ किया न्ही था. खैर वो शादी के बाद अपनी पहली रात जिसे सुहग्रात कहते है. इस रात का अनिता को काफ़ी टाइम से इंतेज़ार था. और आज वो रात आ गयइ थी.

अनिता पूरी साझ धज कर अपने पति के आने का वेट कर र्ही थी. दुल्हन बॅन कर अनिता काफ़ी आचे से त्यआर हुई बैठी थी. अनिता से अकेले बैठे इंतेज़ार करना बहोट मुश्किल हो रा था.

अनिता बैठी बैठी सपने ले र्ही थी, की अभी कुछ देर मे उसका पति अंदर आएगा. और आते ही सबसे पहले डोर को बंद करेगा. और फिर वो उसके पास आकर उसके पास बहोट धीरे से बैठेगा.

फिर वो अपनी दोनो हाथो से उसके घुगंत को उपेर करेगा. और उसके सनडर गोरे चेहरे की तारीफ करेगा. फिर वो उसके होंठो को धीरे से चूमेगा और फिर उसके गाल फिर गार्डेन. फिर उसके कपड़े निकल कर उसके बूब्स चुसेगा और फिर पेट और फिर नीचे.

ये सब सोच सोच कर अनीत शरमा र्ही थी, उसके जिस्म मे एक अजीब से गर्मी बार बार उसे अंदर से जला र्ही थी. अनिता से अब एक एक पल का इंतेज़ार करना भी बहोट मुश्किल हो रा था. उसकी आँखें कभी से बंद पड़े दरवाजे पर गाड़ी हुई थी.

अनिता ने टाइम देखा तो 11:30 बजे चुके थे, तभी अचानक दरवाजा खुलने की आवाज़ आई. तभी अनिता ठीक कर अपना घूँघट सेट करके बैठ गयइ. उसने अपने घुँगत मे से देखा, की रूम के अंदर उसके पति के साथ उसकी मूह बोली भाभी भी अंदर आई है. अनमोल बेड पर बैठ गया और भाभी खड़ी खड़ी बोली.

भाभी – देख बहू, कहने को तो मैं तेरे पति की मूह बोली भाभी हूँ. पर मैं इसे अपना सागा ड्यूवर ही मनती हूँ.

फिर भाभी अनिता के पास आई और उसके कान मे धीरे से बोली – देखो बहू मेरा ड्यूवर तोड़ा ज़्यादा ही शर्मिला है. इसलिए अगर आज की रात तुमने यादगार बनाई है. तो आज पहेल तुम्हे ही करनी होगी, पर तुम फिकर ना करो बाद मे सब ठीक हो जाएगा.

ये कह कर भाभी रूम के बाहर चली गयइ. अनमोल विन वेसए ही बैठा हुआ था, उसने उठ कर डोर को लॉक तक न्ही किया. ये देख कर अनिता झट से उठी और डोर को लॉक कर दिया, ताकि अंदर कोई और ना जाए. डोर को लॉक करने के बाद अनिता ने अनमोल को देखा तो वो वेसए ही बूट की तरह जमा हुआ बैठा हुआ था.

अनिता के उसके पास जा कर बैठी तो, अनमोल अपना मूह फेर कर सो गया. अनिता के सब देख कर तोड़ा सा अजीब लगा. पर फिर उसे सोचा की शायद उसका पति उसे और तड़पा रा है. वो कब से वेट कर र्ही थी, की वो अब उठ कर उसे अपनी बाहों मे भर उसे किस करेगा. और फिर उसका पति उठ कर उसे बोलेगा, की चलो जान आज रात साथ मे सोते है उसकी सारी थकान डोर करने का वाडा करेगा. पहले वो नखरे करेगी पर बाद मे मान जाएगा.

ये सब सोचते सोचते अनिता को कब नींद आ गयइ, उसे ये पता तक न्ही चला. अनिता की आँख रात के 2 बजे जा खुली. उसने देखा की अनमोल वेसए ही उसकी तरफ कमर करके सोया हुआ था. ये देख कर उसे गुस्सा तो आया, पर अनिता बहोट समझदार लड़की थी. इसलिए अपना गुस्सा कंट्रोल किया और अपनी एक तंग अपने पति के उपेर र्ख दी. इससे उसका पति एक दम कांप सा गया और वो फिर से सो गया.

रात ख़तम होने वाली थी, और अनिता अपनी पहली सुहग्रात की चुदाई के लिए तदपि जा र्ही थी. अब अनिता का अपने आप से कंट्रोल खोता जा रा था. अब उसे दिमाग़ मे उल्टे सीधे ख़याल आने लग गये. जेसे किन उसका पति ना मर्द तो न्ही है. अगर इसकी जगह कोई और मर्द होता तो अब तक वो उसके सेक्सी जिस्म के सारे कपड़े फाड़ कर उसको निम्बो की तरफ निचोड़ कर र्ख देता. पर इस अनमोल ने अभी तक उसे आचे से देखा तक न्ही था.

इसलिए अनिता ने सोचा की क्यो ना वो पति को चेक करे की वो मर्द है भी है या न्ही. इसलिए उसने अपने पति के टॅंगो बीच मे हाथ डाला तो उसे बीचो बीच एक खड़ा डंडा सा महसूस हुआ. इससे अनिता को इस बात का तो पता चल गया था, की उसका पति कम से कम ना मर्द न्ही है.

फिर वो सोचने लग गयइ, की अगर वो ना मर्द न्ही है. तो फिर अनमोल ऐसे क्यों चुप छाप लेआटा हुआ है. तभी अनिता को याद आता है, की जाते हुए भाभी ने उसे खा था, की अगर उसे अपनी सुहग्रात अची मनगी है. तो उसे खुद पहले करनी होगी, क्योकि उसका पति बहोट शर्मिला किसाम का है. अब अनिता ने कुछ करने की सोची और वो बोली.

अनिता – सुनो जी, क्या ऐसा हो सकता है. की मैं आपसे लिपट कर सो जौन, क्योकि ये नया घर नयी जगह है. मुझे सच मे काफ़ी दर लग रा है.

अनमोल – ठीक है, पर तुम अपनी तंग मेरे उपेर मत र्खना.

अनिता – क्यो ना रखूं मैं आपकी वाइफ हूँ, अब से आप पर मेरा पूरा हक है.

ये सुन कर अनमोल उसके आयेज कुछ बोल न्ही पाया और उसने फिर अनिता उससे एक दम चिपक गयइ. ऐसा करने से अनिता के जिस्म मे एक अजीब सी मस्ती चने लग गयइ, उसके बाद उसने अपनी एक तंग उसके उपेर र्खी. ऐसा करने से अनमोल का लंड अनिता की छूट पर लगने लग गया. जिससे अब अनिता मस्त होने लग गयइ. इस मस्ती को पाने के लिए अनिता के काफ़ी इंतेज़ार किया था, इसलिए वो इस पाल का आराम से मज़ा ले र्ही थी

अनिता अपने मान मे सोच र्ही थी, की बस अब उसका पति उसके बूब्स को पकड़ निचोड़ दे और उसके होंठो को चूस चूस कर उसका रस्स सारा पी जाए. पर उसका पति ऐसा उसके साथ न्ही कर रा था. पर अनिता भी हार मानने वाली न्ही थी. उसने अपने पति का हाथ प्कड़ा और अपने बूब्स पर र्ख बोली.

अनिता – देखिए ज़रा मेरे दिल की धड़कन कितनी तेज़ चल र्ही है.

अनमोल – रूको मैं अभी पापा से दिल की दवाई ले कर आता हूँ, उससे सब ठीक हो जाएगा.

ये कह कर अनमोल उठ कर जाने वाला होता है, पर तभी अनिता उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए बोली.

अनिता – अरे न्ही आज हुमारी पहली रात है, ऐसे बाहर न्ही जाते.

अनमोल – ठीक है, पर ठीक तो हो ना. क्योकि तुम इतनी गरम हो र्ही हो.

अनिता – मैं लड़की हूँ ना इसलिए, पर मुझे पता है तुम भी गरम हो र्हे हो.

अनमोल – न्ही तो.

फिर अनिता ने अनमोल का लंड अपने हाथ मे पकड़ लिया और बोली – ये देखो केसे आइरन रोड की तरह ये गरम हो र्खा है. वेसए सच कहूँ आपका बहोट मोटा है लंबा है.

अनमोल – मेरा तो ये कुछ भी न्ही है, भाभी के पति यानी मेरे भाईया का मुझसे काफ़ी बड़ा और लंबा है.

अनिता – अछा तुमने कभी देखा है उनका ?

अनमोल – हन एक बार जब मैं उनके घर गया तो, मैं विंडो मे से देखा की वो दोनो पूरे नंगे थे.

अनिता मज़े लेते हुए बोली – अछा वो नंगे हो क्या कर र्हे थे ? प्लीज़ मुझे बताओ तुम्हे मेरी कसम है.

अनमोल – प्लीज़ मुझे कसम ना दो.

अनिता – क्यो ?

अनमोल – क्योकि एक बार मुझे मेरी मा ने मुझे अपनी कसम दी थी, और वो मुझसे हुमेशा के लिए डोर चली गयइ थी.

अनिता – अछा तो तुम न्ही चाहते की मैं तुमसे डोर ना जौन ?

अनमोल कुछ न्ही बोला और फिर अनिता – ठीक है मैं तुम्हे अपनी कसम न्ही देती प्लीज़ आयेज बतो ?

अनमोल – आयेज फिर वो दोनो एक दूसरे को चूम र्हे थे. फिर भाईया ने भाभी की दोनो टाँगे खोल कर अपना लंबा डंडा भाभी के दोनो टॅंगो के बिछे मे दल. और भाभी दर्द से आहह आ करने लग गयइ. पर भाईया ने उस पर ज़रा सा भी तरस न्ही किया.

वो तो ज़ोर ज़ोर से अपना डंडा उनकी टॅंगो के बीच अंदर बाहर कर र्हे थे. पर मुझे ये साँझ न्ही आता, की अगर भाभी को इतना दर्द हो रा था, वो रो र्ही थी. तो वो भाईया को पकड़ उसने लिपट क्यो र्ही थी.

अनिता – क्योकि भाभी को मज़ा आ रा था.

अनमोल – अगर भाभी को मज़ा आ रा था, तो वो रो क्यो र्ही थी.

अनिता – ऐसा सेक्स मे होता है.

अनमोल – तो उन्हे दर्द क्यो हो रा था.

अनिता – ऐसा करो आज तुम अपना डंडा मेरे अंदर दल कर देखो. फिर तुम्हे सब साँझ आ जाएगा.

अनमोल – पर मैं तुम्हारे साथ ये सब केसे कर स्कता हूँ ?

अनिता – क्यो न्ही कर स्केट तुम मेरे पति हो, तुम मेरे साथ कुछ भी कर स्केट हो.

अनमोल – ठीक है.

अनिता – ऐसे न्ही पहले तुम अपने सारे कपड़े निकालो और आयिल ले कर आयो.

अनमोल उठा और अपने सारे कपड़े निकल दिए वो आयिल की बोटेल ले कर आया और उसने अनिता को दे दी. जब उसने अनिता को देखा तो अनिता पहले से ही पूरी नंगी हुए लेआतई हुई थी.

फिर अनिता ने अपने हाथो से अनमोल के लंड पर आयिल लगया और साथ ही अपनी छूट पर भी लगा दिया. फिर उसने अनमोल को अपने उपेर लिया और उसका लंड अपनी छूट पर सेट करवा के उसने उसे ढाका मरने को खा.

जेसे ही अनमोल ने ढाका मारा उसका लंड अनिता की कवरी चिकनी छूट को चीरता हुआ अंदर चला गया. जिससे अनिता को बहोट ज़्यादा दर्द हुआ, और वो छीलाने लग गयइ. जिससे दर कर अनमोल बोला.

अनमोल – मैं बाहर निकल डून ?

अनिता – न्ही जान आज छाए मैं रोने लग जौन, पर तुम रुकना मत अपने इस गरम लंड से मेरी छूट को फाड़ कर र्ख दो. अब देख क्या र्हे हो मरो ढके ज़ोर लगा कर.

बस फिर क्या था, अनमोल अनिता के कहें पर चुदाई करने लग गया. करीब 30 मिनिट हो चुके थे. अनमोल अब तक चुदाई कर रा था, ये देख कर अनिता को बहोट खुशी हुई क्योकि उसका पति ना मर्द न्ही था.

और चुदाई करने मे भी बहोट ज़्यादा अछा था, जिसने की उसकी छूट का पानी टीन बार निकल दिया था. फिर उन दोनो का पानी निकल गया और ऐसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर वो दोनो सो गये.

रात की चुदाई के कारण वो तक चुके थे, और इसलिए वो सुबह 8 बजे उठे.

दोस्तो अभी कहानी जारी है. [email protected]