साली को चोद के चरमसुख दिया

हेलो दोस्तों, मैं हू सौरव कोलकाता से. आज मैं एक सॅकी चुदाई कहानी आप लोगों के साथ शेर करने वाला हू. सो आप लोगों को कैसा लगा मुझे ज़रूर मैल करके बताना. चलो अब कहानी शुरू करते है.

पहले बता डू ये जो चुदाई है, मेरे और मेरी सेक्सी साली सुनीता के बीच हुई है. सुनीता मेरी बड़ी साली है. उसकी फिगर 32-30-32 है. आप लोग समझ चुके होंगे क्या मस्त माल है वो. मेरा 7 इंच लंबा और 2.5” मोटा लंड है. ये कहानी पिछले महीने की है.

मैं कोलकाता में बिज़्नेस करता हू. मेरी पिछले साल शादी हुई है, और मेरी बीवी मोनिका बहुत सुंदर और सेक्सी है. शादी के बाद मेरी लाइफ कलर्फुल हो गयी थी. डेली चुदाई कर-कर के मैं छोड़ू बन गया था, और इसमे मेरे बीवी पूरा सपोर्ट देती थी.

मुझे बिज़्नेस को एक्सपॅंड करना था, इसलिए एक ब्रांच भुबनेस्वर में खोलनी थी. इसलिए मेरे को हफ्ते में 2-3 दिन भुबनेस्वर आना पड़ता था. सो मेरी बीवी ने मुझे कहा कुछ दीनो के लिए मैं भुबनेस्वर में ही रुक जौ, और पूरा कम ख़तम होने के बाद वापस आ जौ.

मेरी बड़ी साली भुबनेस्वर में सेटल्ड है. उनके पति एक इट कंपनी में काम करते है. और फिलहाल वो दुबई में रहते है. बाकचो के पढ़ाई के कारण सुनीता उनके साथ नही जेया सकती थी. सो वो अपने बच्चो के साथ भुबनेस्वर में रहती थी. तो मेरी बीवी ने उसकी बेहन से बात कर ली, और उसने भी खुशी-खुशी हा भर दी मेरे वाहा रहने के लिए.

मैं नेक्स्ट वीक समान लेके पहुँच गया. वो बहुत खुश दिख रही थी, और मेरे को मेरा कमरा दिखा दिया. शुरू में कुछ दिन नॉर्मली काट गये. एक दिन वीकेंड था, और मैं सुबह उठ के च्चत पे योगा आंड तोड़ा वर्क आउट कर रहा था. वो उसी टाइम नहा के कपड़े सूखने आई.

उसने उसकी पनटी आंड ब्रा मेरे सामने सुखाई, और मेरे को तिरछी नज़रों से घूर रही थी. मैने ध्यान दिया तो वो मेरी बॉडी को घूर रही थी. फिर मैने जब उनको देखा, तो वो हड़बड़ा गयी, और वाहा से चली गयी.

उसके जाने के बाद उसकी पनटी आंड ब्रा को देख के मेरे मॅन में उसके लिए सेक्स का भूत सवार हुआ. मैं जाके उसकी पनटी को सूंघ के उसकी छूट के बारे में सोचने लगा, और मेरा लंड महाराज खड़ा हो गया. फिर मैं नीचे गया, और जाके न्यूसपेपर पढ़ रहा था, तो उसी टाइम वो छाई लेके आई.

मेरे नज़र उसके बूब्स पे गयी, क्यूंकी वो एक-दूं डीप कट ब्लाउस आंड ट्रॅन्स्परेंट सारी पहन के आई थी. मैं उसके बूब्स को घूरे जेया रहा था, और वो आके जब छाई दी, तब होश आया. मैने शरम के मारे सर नीचे कर लिया. लेकिन उसने मेरी लूँगी के नीचे खड़े महाराज को देख लिया था, और हस्स के वाहा से चली गयी.

उसी दिन से मैने सोच लिया कुछ भी हो जाए सुनीता को छोड़ के ही रहूँगा. जब मौका मिले उसकी बॉडी को चूना और घूर्ने का चान्स मिस नही करता था मैं. शायद उसको भी ये चीज़ अची लगती थी. ऐसे ही कुछ दिन चलता रहा. एक दिन मैं फ्राइडे काम ख़तम करके घर आया. देखा की कोई भी बच्चे दिख नही रहे थे.

तो मैने सुनीता से पूछा: बच्चे कहा है?

वो बोली: मेरे भाई आए थे, और बच्चो को दो दिन के लिए उनके घर ले गये. वो मंडे को आएँगे.

ये बात सुन के मेरे मॅन में लड्डू फूटा. फिर मैं नहा के टीवी देखने लगा. थोड़ी देर बाद वो भी मेरे बगल में आके बैठ गयी. मेरे लिए काली छाई लेके आई थी. मैने काली छाई देखी तो उसको पूछा की काली छाई किस लिए. उसने जवाब दिया की दूध ख़तम हो गया था इसलिए.

तो मैं हस्स के उसके बूब्स देखते हुए बोला: इतना दूध होते हुए ख़तम कैसे हो गया?

वो समझ गयी फिर भी नादान बनते हुए पूछी की मैने क्या बोला. फिर मैं बात घुमा दिया की पास में इतनी दुकाने होते हुए दूध कैसे ख़तम हो गया. इतने टाइम में एक छिपकली च्चत से उसके उपर गिर गयी, और वो चिल्लाते हुए मेरे उपर आ गयी. उसकी छाई मेरे पाजामे के उपर गिर गयी. गरम छाई के कारण मैने पाजामा खोल दिया.

मैं बस ककचे में भाग के बातरूम चला गया. वाहा बातरूम में कक्चा उतार के लंड को धोया आचे से. गरम छाई गिरने से लंड में भी थोड़ी सूजन सी आ गयी. थोड़ी देर ठंडा पानी डाला. मैं जल्दी-बाज़ी में दरवाज़ा बंद करना भूल गया था. फिर सुनीता जब टवल लेके आई, और दरवाज़े पे हाथ लगाई, तो दरवाज़ा खुल गया. अंदर मैं नंगा खड़ा हुआ था.

मेरे पास और कोई रास्ता नही था, क्यूंकी कोई कपड़ा नही था, और लंड जल रहा था, तो च्छूपा भी नही सकता था. वो मेरे को इस हालत में देख के घबरा गयी, और टवल फेंक के चली गयी. थोड़ी देर बाद मैं टवल लपेट के बाहर आया. उसने मुझे सॉरी कहा.

मैं बोला: कोई बात नही.

वो एक क्रीम लेके आई, और उसको लगाने को मेरे को दी. मेरे हाथ भी जल गये थे, तो मैं बोला-

मैं: मेरा हाथ दर्द कर रहा है अभी. मैं बाद में लगौँगा.

वो बोली: मैं लगा दूँगी.

मैने माना किया बुत वो सुनने वाली नही थी. उसने मेरे को बेड पर बिताया और मेरे हाथ और पेट पे लगा दिया. अब बचा मेरा लंड. मैं लंड के लिए उसको बोल नही सकता था, बुत दर्द तो वाहा भी था. तो वो खुद ही मेरे को बोली-

सुनीता: अगर बुरा ना मानो तो मैं टवल खोल के वाहा भी लगा डू? फिर आपको राहत मिल जाएगी.

मैं ये सुन के अंदर से तो बहुत खुश था, बुत मूह से कोई रिक्षन नही दे पाया. उसने मेरी चुप्पी को हामी समझ के टवल खोल दिया, और लंड पे क्रीम लगा दी. जब उसने मेरे लंड को पकड़ा, उसके मूह से चीख निकल गयी. फिर वो दवाई लगा के चली गयी. थोड़ी देर बाद वो वही पे खाना लेके आई, और क्यूंकी मेरा हाथ खराब था, इसलिए वो मुझे खाना खिलाने लगी.

खाना खिलते वक्त उसकी मादक खुश्बू और बूब्स दोनो मेरे मूह के पास आते थे. धीरे-धीरे मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया. मैं बस टवल लपेट के बैठा था, तो उसने मेरे खड़े लंड को देख लिया, और तोड़ा सा मुस्कुरा के चली गयी. फिर वो काम ख़तम करके मेरे पास आई और बैठ के बात करने लगी इधर-उधर की. फिर बातों-बातों में बोली-

सुनीता: मोनिका बहुत लकी है, की तुम जैसा मर्द उसको मिला है.

मैं भी मज़ाक में बोला: तुम्हारे हज़्बेंड भी बहुत लकी है, की तुम उसको मिली हो.

ये सुन के वो मायूस हो गयी.

मैं ये देख के सॉरी बोला, और पूछा: तुम दुखी किस लिए हो गयी? मैं मज़ाक में बोल दिया.

वो बोली उसके हज़्बेंड अब उसपे इतना ध्यान नही देते और हज़्बेंड के आगे 40+ हो चुकी थी, सो अब प्यार नही दे पाते थे.

फिर मैने उनको दिलासा देते हुए कहा: काम के प्रेशर की वजह मैं भी मोनिका से डोर रहता हू. मैं तुम्हारा दुख समझ सकता हू.

फिर मैने तोड़ा सा नाटक करते हुए कहा: टवल लगने से अंदर जलन हो रही है.

तो उसने बोला: घर पे और कोई नही है. तुम एक काम करो, टवल निकाल दो और ऐसे ही खुल्ला छ्चोढ़ दो. थोड़ी हवा लेगेगी तो अछा हो जाएगा.

फिर मैने कुछ देर सोचा, और टवल निकाल दिया. मैं दीवार से सट्टे हुए बेड पे बैठा था. जैसे ही मैने टवल निकाला, तो मेरा लंड बाहर आ गया, और फिर खड़ा होने लगा. अब उसकी नज़र उसपे बार-बार आ रही थी. फिर भी थोड़ी देर बाद वो अपने रूम में चली गयी सोने के लिए.

मैं थोड़ी देर बाद पेशाब करने जब बातरूम जेया रहा था, तो देखा की अभी तक उसके रूम की लाइट जल रही थी. मैं खिड़की से झाँक के देखना चाहता था की वो अभी तक सोई नही थी, या भूल गयी लाइट बंद करने को. जब मैने झाँका तो अंदर का सीन देख के मैं पागल हो गया.

अंदर सुनीता बिल्कुल नंगी बेड पे टांगे फैला के डिल्डो से चुड रही थी. और ख़ास बात ये है, की वो मेरा नाम लेके चुड रही थी. मेरा मॅन तो कर रहा था की उसको अभी जेया के छोड़ डू. बुत लंड में जलन अभी तक कम नही हुई थी. बुत मैने इस सब चीज़ को अपने फोन में रेकॉर्ड किया, और चला गया. फिर थोड़ी देर में मैं सो गया.

सुबह करीब 9 बजे मेरे लिए वो दूध और टॅबलेट लेके आई, और बोली: गुड मॉर्निंग, उठ जाओ, और मेडिसिन लेलो. इससे ठीक हो जाओगे.

उसको देख के कल रात वाला सीन याद आ गया, बुत मैने कंट्रोल किया. उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पे ही थी. मैं उसको कॉमेंट मारते हुए बोला-

मैं: थोड़ी आज भी क्रीम लगा देती तो जल्दी ही ठीक हो जाता.

वो समझ गयी और क्रीम लगानी शुरू कर दी. बुत आज उसकी आँखों में हवस नज़र आ रही थी. मेरे लंड भी उसका हाथ लगते ही लोहे जैसे टाइट हो गया. आज मेरा दर्द कम हो गया था, तो मुझे भी मज़ा आ रहा था.

दवाई लगते-लगते लंड बिल्कुल रोड बन गया था, और वो भी भूल गयी थी की वो डॉवा लगा रही थी. वो मेरे लंड से खेलने लग गयी, और मूह से सिसकारी निकल रही थी. मैं भी पूरा गरम हो गया था. फिर मैं धीरे से उसके बूब्स को दबाने लगा.

जैसे ही मैने दबाया, तो वो चौंक उठी, और वाहा से भाग गयी. फिर मैं दवाई और दूध लेके, ऐसे ही खड़ा लंड लेके, नंगा उसको ढूँढने लगा. वो किचन में कुछ काम कर रही थी. मैने पीछे से जाके उसको जाकड़ लिया, और मेरा खड़ा लंड उसकी गांद की दरार में घुस गया कपड़े के उपर से ही.

वो मुझसे छ्छूटने की नाकाम कोशिश कर रही थी, बुत मैं कहा मानने वाला था. मैने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया, और दूसरे ही हाथ में बूब्स दबा रहा था. वो पहले माना कर रही थी, और बोल रही थी-

सुनीता: मत करो, छ्चोढ़ दो, ये सब ग़लत है. मुझे छ्चोढ़ दो.

फिर भी मैं करता रहा. कुछ देर बाद वो चुप हो गयी और साथ देने लगी. फिर मैं उसको वाहा से उठा के सीधा बेडरूम में ले गया. बेड पे डालते ही मैं उसके उपर टूट पड़ा. उसकी सारी, ब्लाउस और पेटिकोट को फेंक दिया, और उसको 1 मिनिट के अंदर नंगी कर दिया. वो चुप-छाप मेरा साथ दे रही थी.

फिर मैं उसके बूब्स को बारी-बारी में खाने लगा, और दबाने लगा. वो बिल्कुल मदहोश आवाज़ निकाल रही थी. फिर मेरे को धीरे से बूब्स खाने को बोला. मैं धीरे-धीरे खा रहा था, और एक उंगली उसकी छूट में डाल के सहला रहा था. वो बिल्कुल गरम हो चुकी थी, और आवाज़े निकाले जेया रही थी.

ऐसे कुछ टाइम बाद वो बोली: अब और नही प्लीज़, छोड़ो मुझे.

और मेरे लंड को अपने मूह में डाल के चूसने लगी. मैं लेट गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा. कुछ टाइम बाद वो मेरे लंड से पानी निकाल दी, और सारा पानी पी गयी. फिर मैं उसको लिटा के उसकी छूट को चाटने लगा.

वो मेरे सर को अपनी छूट में दबा रही थी, और पागल की तरह खुद की बूब्स दबा रही थी. मैने चाट-चाट ने उसकी रसीली छूट की पानी निकाल दिया. फिर मैं उसके पास लेट गया. वो मेरे को अपनी बाहों में भर के किस करने लगी और बोली-

सुनीता: आज तुमने जो खुशी दी है, वो सुख मेरे को कभी नही मिला.

फिर मैं उसको बोला: ये तो शुरुआत है मेरी जान. अभी तो मैं सीन बाकी है.

फिर वो मेरे लंड को चूस के खड़ा कर दी, और बोली: मोनिका बहुत लकी है जो इतना बड़ा लंड मिला है. मेरे हज़्बेंड का लंड तो बहुत छ्होटा है, और वो ठीक से छोड़ नही पाते.

फिर मैं उसको टेबल के उपर बिता दिया, और उसके टांगे मेरे कंधे पे रख दी. मैने लोड्‍ा उसकी छूट में सेट किया, और धक्का लगाना शुरू किया. उसको बहुत दर्द हो रहा था, क्यूंकी वो बहुत दीनो से चूड़ी नही थी. धीरे-धीरे मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और उसकी आवाज़ भी बढ़ गयी.

पुर कमरे में पच-पच की आवाज़ ही गूँज रही थी. करीब 20 मिनिट की घमासान चुदाई के बाद उसकी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया. फिर मैने उसको डॉगी स्टाइल में आने को कहा. वो मेरा इरादा समझ गयी, और मुझे रिक्वेस्ट करने लगी-

सुनीता: आज मेरी गांद मत मारो. मैं पहले कभी गांद नही मरवाई हू.

मैं कहा सुनने वाला था. उसकी गांद में थूक लगा के मैने लंड पेल दिया. सच में बहुत टाइट गांद थी, बुत मज़ा बहुत आया. धीरे-धीरे करके पूरा लंड उसकी गांद में डाल दिया.

उसी रात हम लोग और 2 राउंड्स चुदाई किए, और अभी भी जब जाता हू भुबनेस्वर, उसको पक्का छोड़ता हू.

दोस्तों कहानी यहा ख़तम होती है. अगर कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको फ्रेंड्स में शेर ज़रूर करे. [email protected]