ही फ्रेंड्स, मैं गोपाल अपनी स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. मेरी पिछली कहानी अभी रीसेंट्ली ही पब्लिश हुई है. अगर आपने वो कहानी नही पढ़ी है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा, की मेरी और राधिका आंटी की चुदाई का घमासान अब ख़तम हो चुका था. अब हम एक-दूसरे के साथ प्यार भारी किस्सस कर रहे थे. लेकिन तभी पीछे से खुशे ने आके अपनी मा की आवाज़ दी. अब आयेज बढ़ते है.
खुशी: मम्मी!
उसकी आवाज़ सुन कर मेरी गांद फटत गयी. मैं जल्दी से राधिका आंटी से अलग हुआ, और आंटी और मैं दोनो खड़े हो गये. अब हम दोनो खुशी को घूर-घूर कर देख रहे थे, और वो हम दोनो को घूर-घूर कर देख रही थी.
मुझे लगा अब कोई ना कोई पंगा तो पड़ेगा. मैं मॅन ही मॅन सोचने लगा की बेटा मज़ा बहुत हो गया, अब सज़ा के लिए तैयार हो जाओ. लेकिन तभी जो शब्द खुशी के मूह से निकले, वो ज़िंदगी को बदलने वाले शब्द थे. उसने अपनी मा से कहा-
खुशी: मम्मी, आपने प्रॉमिस किया था की जब भी किसी के साथ सेक्स करेंगे, तो हम दोनो मिल कर करेंगे. लेकिन आप अकेले-अकेले लगी हुई हो. ये ग़लत बात है.
उसकी ये बात सुन कर मैं हैरान हो गया. मुझे लगा साली मा-बेटी दोनो जितनी खूबसूरत बालाए थी, उतनी ही बड़ी रंडियन भी थी. फिर आंटी बोली-
आंटी: सॉरी बेटा, वो क्या है ना मैं इसको टेस्ट कर रही थी की ये हम दोनो को संभाल पाएगा या नही. तो बस टेस्ट करते-करते पूरी चुदाई हो गयी.
फिर खुशी अंदर आते हुए, और मेरी तरफ देखते हुए बोली: तो क्या ये टेस्ट में पास हो गया.
आंटी: सिर्फ़ पास ही नही, इसकी पर्फॉर्मेन्स तो टॉप करने वाली थी. सिंगल पिच पर तो ये बहुत अची बॅटिंग कर लेता है. अब देखते है की डबल पिच पर टिक पाता है या नही.
तभी मेरे पास आ चुकी खूबसूरत बाला खुशी ने मेरे सोए हुए लंड को अपने हाथ में लेके दबाया, और बोली-
खुशी: ठीक है मम्मी, चलिए अब मैं पहले इसके बात को रेडी करती हू बॅटिंग के लिए.
ये बोल कर खुशी मेरी तरफ देखते हुए नीचे घुटनो के बाल बैठ गयी, और उसने मेरे सोए हुए लंड को अपने हाथ में ले लिए. दोस्तों जब एक खूबसूरत लड़की आपके लंड को अपने हाथ में लेती है. आपका लंड उसी वक़्त हरकत में आ जाता है. फिर चाहे लंड उसी वक़्त ही क्यूँ ना झाड़ा हो. ऐसा ही मेरे साथ हुआ.
खुशी के लंड हाथ में लेते ही मेरा लंड सख़्त होने लगा. जैसे ही लंड ने थोड़ी सख्ती दिखाई, खुशी ने मेरी आँखों में देखते हुए मेरे लंड को अपने मूह में डाल लिया. इतना कामुक एहसास लाइफ में कभी-कभी ही मिलता है. फिर वो मेरे लंड को अंदर-बाहर करने लगी.
बहुत मज़ा आ रहा था दोस्तों. खुशी ने स्लीव्ले फ्रॉक पहनी हुई थी. फिर मैं नीचे झुका, और उसकी फ्रॉक की स्ट्रॅप्स उसके शोल्डर्स से नीचे कर दी. उसकी फ्रॉक की स्ट्रॅप्स उसकी बाजू में जाके फ़ासस गयी, और अब मुझे उसके आधे बूब्स एक ज़बरदस्त क्लीवेज सीन बनाते हुए दिखने लगे.
तभी खुशी ने मेरे लंड पर से अपने हाथ हटाए, और अपने शोल्डर्स से फ्रॉक की स्ट्रॅप्स को नीचे करने लगी. लंड उसके मूह से ना निकल जाए, इसलिए मैने अपना हाथ उसके सर के पीछे रख लिया. उसने स्ट्रॅप्स बाजू से निकाल कर फ्रॉक को अपने बूब्स से हटता दिया.
क्या मस्त नज़ारा था. खुशी ने ब्रा नही पहनी थी, तो अब उसके पिंक निपल्स वाले तनने हुए बूब्स मेरे सामने थे. उसके बूब्स को देख कर मैं और उत्तेजित हो गया, और उसके मूह में तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा. मैने उसके बाल कस्स के पकड़ लिए, और किसी सस्ती रंडी की तरह उसके मूह को ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा.
राधिका आंटी ये सब पास खड़ी देख रही थी. उनका हाथ उनकी चूत पर था, और वो अपनी छूट मसल रही थी. फिर वो मेरे पास आई, और अपने होंठो को मेरे होंठो से मिला दिया. क्या किस्मत पाई है मैने. जितनी सेक्सी मा, और उतनी ही सेक्सी बेटी, और दोनो के साथ मैं मज़ा कर रहा था.
मेरे ज़ोर-ज़ोर से खुशी के मूह को छोड़ने से उसकी साँस ब्लॉक हो रही थी, और मूह से बहुत सारी थूक बाहर आ रही थी. उधर आंटी के होंठो का रस्स मुझे और वासना चढ़ा रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में था.
फिर मैने खुशी के मूह से लंड निकाला, और वो खड़ी हो गयी. अब मेरी रिघ्त बाजू में खुशी थी और लेफ्ट में उसकी मम्मी. मैं राधिका आंटी के होंठ चूस रहा था, और खुशी मेरी गर्दन चूम रही थी. फिर खुशी ने मेरे फेस पर हाथ रख कर मेरे होंठो को राधिका आंटी के होंठो से अलग किया, और अपने होंठो से चिपका लिया.
तभी राधिका आंटी खुशी के पीछे गयी, और उसकी फ्रॉक निकाल दी. अब खुशी सिर्फ़ पनटी में थी. मैने अपना हाथ उसके चूतड़ पर रखा, और उसको किस करते हुए दबाने लग गया. मैने खुशी को अपनी बाहों में भर लिया, और हम दोनो वाइल्ड किस करने लगे.
मैं साथ-साथ उसकी गांद भी रहा था, जिससे वो और उत्तेजित हो रही थी. उपर से हमारे नंगे बदन आपस में रग़ाद खा कर और गर्मी पैदा कर रहे थे. जवान लड़की जब वाइल्ड हो जाए, तो उसको चूसने में जो मज़ा आता है, वो मज़ा कोई और नही दे सकता.
लगातार 10 मिनिट हम दोनो एक-दूसरे के होंठ चूस्टे रहे. इस बीच मैने उसके बूब्स भी दबाए, और गांद भी. फिर हमने किस तोड़ी, और मैं उसको बाहों में भर कर बेड पर ले गया. मैने उसको बेड पर उल्टा लिटाया, और घोड़ी बनने को कहा. वो जल्दी से घुटनो के बाल हुई, और गांद बाहर निकाल कर, और हाथ आयेज करके घोड़ी बन गयी.
फिर मैने उसकी पनटी निकाल दी. अब उसकी खूबसूरत गांद नंगी मेरे सामने थी. मैने देखते ही उसकी गांद में मूह डाल लिया, और उसकी छूट पर जीभ मारने लगा. वो आ आ करने लगी, और गांद हिला-हिला कर छूट और गांद चटाई का मज़ा लेने लगी.
तभी राधिका आंटी नीचे बैठ गयी, और मेरे लंड को हाथ में लेके सहलाने लगी. इतना मज़ा आ रहा था, की मैं उसको एक्सप्लेन नही कर पा रहा हू. आपको कहानी बताते हुए भी मेरा लंड लीक कर रहा है.
फिर कुछ देर ऐसे ही चलता रहा. अब मुझे खुशी को छोड़ना था. मैने राधिका आंटी के मूह से लंड बाहर निकाला, और उसको खुशी की छूट पाट सेट किया. मुझे खुशी की चीख सुन्नी थी, तो मैने ज़ोर का झटका मार कर पूरा लंड एक ही बार में उसकी छूट में घुसा दिया.
खुशी ने ज़ोर से चीख मारी, और उसकी चीख सुन कर मेरे कानो में रस्स घुल गया. मैने लंड बाहर निकाला, और फिरसे पूरा लंड ज़ोर से अंदर डाला. खुशी की फिरसे चीख निकली, और मुझे फिरसे बहुत मज़ा आया.
तभी आंटी जल्दी से खुशी के सामने टांगे खोल कर बैठ गयी, और खुशी के सर पर हाथ रख कर, उसके मूह को अपनी छूट में दबा लिया. इससे खुशी की चीखें बंद हो गयी. फिर आंटी बोली-
आंटी: छोड़ मेरे शेर, इसको बहुत आग लगी है. साली मा के यार से चूड़ेगी.
आंटी की ये बात सुन कर मैं तेज़ी से खुशी की चूत छोड़ने लगा. गांद और जांघों के टकराने से ठप-ठप की आवाज़ आ रही थी. मैं उसके चूतड़ पकड़ कर तबाद-तोड़ उसकी छूट पेले जेया रहा था. फिर खुशी काँपने लगी, और मुझे अपने लंड पर उसकी छूट का गरम-गरम पानी महसूस होने लगा. तभी मैने लंड उसकी छूट से बाहर निकाल लिया.
जैसे ही लंड बाहर निकला, उसकी छूट से माल की पिचकारी बाहर निकली. वो तक चुकी थी, और वो अपनी मा पर ही गिर गयी. फिर उसकी मा ने उसको अपने उपर से हटा कर साइड में किया, और मेरी तरफ देख कर बोली-
आंटी: आजा मेरे शेर, तेरे लंड की प्यास तेरी ये आंटी ही बुझा सकती है. आजा चढ़ जेया मुझ पर.
आंटी ने जैसे ही ये बोला, मैं लपक कर उनके उपर चढ़ गया. फिर मैने अपना लंड उनकी छूट पर रगड़ते हुए अंदर घुसाया, और उनकी चुदाई शुरू कर दी. मैने अपने होंठ उनके होंठो में डाल दिए, और तेज़ी से उनकी छूट में लंड अंदर-बाहर करने लगे. छूट मसालने से और चटवाने से काफ़ी गीली थी. जब लंड अंदर-बाहर हो रहा था, तो छाप-छाप की आवाज़ आ रही थी.
कुछ देर वैसे ही छोड़ने के बाद मैने आंटी को घोड़ी बनाया, और लंड उनकी गांद में डाल दिया. अब मैं ज़ोर-ज़ोर से उनकी गांद छोड़ने लगा. लगभग 20 मिनिट और उनको छोड़ कर मेरा पानी निकल गया. फिर मैं और आंटी भी बेड पर गिर गये. उस दिन से आज तक आंटी और उनकी बेटी मेरी रंडियन है.
दोस्तों ये थी मेरी कहानी, जिसमे मैने पड़ोस में रहने वाली आंटी और उनकी बेटी को अपनी रंडियन बना लिया. अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी ज़रूर शेर करे. इसका मज़ा अकेले-अकेले ना ले. मज़ा जितना बाँटो उतना बढ़ता है.