मालकिन अंधेरे में नौकर से चुद गयी

मेरा नाम किरण है, और मैं एक हाउसवाइफ हू. मेरी उमर 35 साल है. मेरे पति का नाम रवि है, और वो एक बिज़्नेसमॅन है. मेरी एक बेटी है, जो हॉस्टिल में पढ़ती है. मेरे घर में मेरे अलावा मेरे सास-ससुर, और मेरे पति रहते है.

मेरा फिगर 38″30″40″ है. फिगर साइज़ से तो आपको पता चल ही गया होगा, की मेरा समान काफ़ी बड़ा है. बिज़्नेस में बिज़ी होने के कारण मेरे पति और मेरे बीच ज़्यादा सेक्स नही होता है. फिर भी मैं खुश थी. लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिससे मेरी सेक्स लाइफ आक्टिव हो गयी.

हमारे घर में एक नौकर है, जिसका नाम शामलल है. हम लोग उनको काका कह कर बुलाते है. उनकी आगे 50 के आस-पास होगी, और वो मेरे इस घर में आने से पहले से यहा थे.

वो मेरे ससुर के बहुत ख़ास है, और ससुर जी उन पर बहुत भरोसा करते है. काका ने मुझे कभी भी वैसी नज़र से नही देखा था. मुझे तो अंदाज़ा ही नही था, की वो मेरे बारे में कुछ ग़लत भी सोच सकते थे. लेकिन ऐसा हुआ, और उन्होने मेरी ताबाद-तोड़ चुदाई की.

तो बात है मेरी पिछली आनिवर्सयरी की है. रवि किसी मीटिंग पर आउट ऑफ स्टेशन गये हुए थे, और शाम तक आने वाले थे. मैने पूरा घर सजाया था, और सब बहुत खुश थे. मैने डिन्नर में सारी उनकी पसंद की डिशस बनाई थी.

फिर मैं रेड कलर का सूट पहन कर तैयार हो गयी. मैने लेगैंग्स पहनी थी, तो मेरी जांघे उसमे बहुत सेक्सी लग रही थी. 9 बजे, फिर 10 बजे, और फिर 11. लेकिन रवि का कोई पता नही था. फिर उनका फोन आ गया, की वो नही आ सकेंगे.

उनकी ये बात सुन कर मेरा दिल टूट गया. फिर हम सब ने खाना खाया, और हम सोने चले गये. मैने 12 बजे अपने रूम में चली गयी, और उसी लाल सूट में बेड पर लेट गयी. मैं लाइट बंद कर चुकी थी.

थोड़े टाइम बाद मुझे रूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. कमरे में अंधेरा था, तो मुझे कुछ दिख नही रहा था. मुझे लगा रवि ही होंगे. फिर वो मेरे पास आके लेट गये. मैं उनसे नाराज़ थी, तो मैने उनसे बात नही की.

मैं एक साइड मूह करके लेती हुई थी. तभी पीछे से उनका हाथ मेरे पेट पर आ गया. वो मेरे बिल्कुल करीब आ गये, और उनका खड़ा हुआ लंड मुझे अपनी गांद पर फील हो रहा था. हमने काफ़ी दीनो से सेक्स नही किया था, तो उनके छूटे ही मेरा सारा गुस्सा पिघल गया.

फिर वो अपने हाथ मेरे बूब्स पर ले गये, और उनको दबाने लगे. मैं बड़ी जल्दी गरम हो गयी थी. वो मेरे पीठ पर किस करने लगे, और ज़ोर-ज़ोर से मेरे बूब्स दबाने लगे. अब मैं आहह आह कर रही थी.

2-3 मिनिट बूब्स दबाने के बाद वो अपना हाथ मेरी जाँघो पर फेरने लगे. मुझे और गर्मी चढ़ने लग गयी. जैसे ही उन्होने अपना हाथ मेरी छूट पर रखा, तो मेरी सिसकी निकल गयी. फिर वो हल्के हाथो से मेरी छूट रगड़ने लग गये.

अब मैं चूड़ना चाहती थी. मैं अपना हाथ पीछे ले गयी, और मैने उनका लंड पकड़ लिया. उनका लंड मुझे पहले से बड़ा लग रहा था, लेकिन मैने ध्यान नही दिया. फिर उन्होने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया, और हम दोनो किस करने लगे.

आज उनकी किस में एक अजीब सी कशिश थी. हम दोनो पागलो की तरह किस कर रहे थे. फिर उन्होने मेरा शर्ट उतार दिया, और मेरी ब्रा भी निकाल दी. मेरे बूब्स उछाल कर बाहर गये, और वो मेरे निपल्स चूसने लगे.

इससे मुझे और सेक्स चढ़ने लगा. मैं उनके सिर को सहला रही थी, और उनको उत्तेजित कर रही थी. मुझे चूमते हुए कब उन्होने मेरी लेगैंग्स और पनटी उतार दी, मुझे पता ही नही चला. आज बहुत देर बाद वो इतना पॅशनेट सेक्स कर रहे थे.

फिर उन्होने अपने भी कपड़े उतार दिए. मेरी छूट गीली हो चुकी थी. फिर उन्होने मुझे उल्टा घुमाया, और घोड़ी बना लिया. आज दूसरी बार मैं लाइफ में घोड़ी बन रही थी. वो नीचे गये, और मेरी छूट चूसने लगे. मेरी तो मानो मज़े से जान ही निकल रही थी.

उसके बाद उन्होने अपना लंड मेरी छूट पर पीछे से सेट किया, और एक ज़ोर का धक्का मारा. उन्होने एक ही धक्के में अपना पूरा लंड मेरी छूट में डाल दिया. मेरी चीख निकल गयी, लेकिन मुझे मज़ा भी बहुत आया.

उन्होने मेरी गांद को कस्स के पकड़ा, और तेज़ी से धक्के मारने लगे. मेरी छूट को बड़ा सुकून मिल रहा था, और वो धड़ा-धड़ पानी छोढ़ रही थी. रूम में ठप-ठप की आवाज़े आ रही थी. वो पागलो की तरह मुझे छोड़ रहे थे.

इतना मज़ा आ रहा था, जितना सुहाग-रात पर भी नही आया था. 15 मिनिट उन्होने मुझे उसी पोज़िशन में छोड़ा. इस बीच मैं एक बार झाड़ भी गयी.

फिर उन्होने पोज़िशन चेंज की, और मेरी जाँघो के बीच आ गये. उन्होने मेरी टांगे उपर उठाई, और लंड मेरी छूट में डाल दिया. अब मेरी चुदाई फिरसे शुरू हो गयी. तभी मेरा फोन बजा.

फोन बेड के पास ही पड़ा था, तो मैने उठा लिया. जब फोन देखा, तो वो रवि की कॉल थी. फोन पर रवि का नाम देख कर मेरी गांद फटत गयी. मैने सोचा, की अगर रवि का फोन था, तो मेरी चुदाई कों कर रहा था.

मैने फोन की लाइट जब मारी, तो वो आदमी रवि नही था, बल्कि काका थे. ऑम्ग! काका मुझे इतनी देर से छोड़ रहे थे. फिर मैं उनको बोली-

मैं: काका ये आप क्या कर रहे हो?

काका: बेटा तू बहुत मस्त है, और रवि तुझे प्यार नही करता. इतनी मस्त औरत चुदाई के लिए तड़प रही थी, ये मुझसे देखा नही गया.

मैं: लेकिन ये ग़लत है काका.

काका: तुझे मज़ा आ रहा है ना.

मैं: हा.

काका: फिर कुछ ग़लत नही है.

ये बोल कर वो और तेज़ हो गये. मुझे इतना मज़ा आ रहा था, की मैं उनको माना नही कर पाई. फिर 10 मिनिट काका ने मुझे और छोड़ा, और फिर उन्होने अपना लंड मेरी छूट से बाहर निकाल लिया.

वो मेरे मूह के पास आए, और मेरा मूह खोल कर लंड मूह में घुसा दिया. 5 मिनिट लंड चुसवाने के बाद उन्होने अपने माल से मेरा मूह भर दिया. फिर उन्होने खड़े होके अपने कपड़े पहने और चले गये.

उस दिन से मैं काका की रंडी बन गयी, क्यूकी उनके लंड में रवि के लंड से ज़्यादा दूं था. अब वो मुझे कही भी छोड़ने लग जाते थे, जिसमे मुझे बहुत मज़ा आता था.

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