मेरी मॉं गाओं मे मजबूरी मे चुदी

मई जब 18 साल का था, तो मई गाओं के स्कूल मे ही पढ़ाई करता था. मई और मेरी मा गाओं मे रहते थे और मेरे पापा बाहर काम करते थे. मेरी मा और मई घर मे बहुत खुश थे.

मई अपनी मा से बहुत प्यार करता था. मेरी मा बहुत खूबसूरत लगती थी और बहुत भोली थी. मुझे भी सेक्स के बारे मे कुछ नही पता था. गाओं के सारे मर्द मेरी मा के बारे मे बहुत कुछ बोलते थे, पर मुझे कुछ भी नही समझ मे आता था. गाओं का हर मर्द मेरी मा को छोड़ने के बारे मे बोलता था.

एक दिन मई और मेरी मा पड़ोस वाले अंकल की दुकान मे समान लेने गये थे. पड़ोस वाले अंकल ने समान देते हुए बोला-

पड़ोसी अंकल: भाभी इस समान के बदले पैसे नही चाहिए.

मेरी मा: पैसे नही, तो फ्री मे डेडॉ.

पड़ोसी अंकल: भाभी फ्री मे ले जाओ. मगर एक चीज़ देनी पड़ेगी.

मा: क्या?

पड़ोसी अंकल: आपके पति तो कब से बाहर काम करते है. आपकी छूट काफ़ी प्यासी होगी. आप कहो, तो आपकी छूट की प्यास बुझा डू.

मुझे कुछ समझ मे नही आया था. फिर मेरी मा गुस्सा होके बोली-

मेरी मा: मेरी छूट मे कुछ भी हो. तुम्हे इससे क्या मतलब? तेरे घर मे मा, बेहन नही है? उसकी छूट को शांत कर.

ये बोल कर मा पैसे देके घर चली आई. एक दिन मा को अचानक उनके माइके से कॉल आई. मेरी मा के पापा हॉस्पिटल मे थे और उनको कुछ पैसे चाहिए थे. हमारे पास पैसे नही थे और पापा की कमाई से तो सिर्फ़ घर ही चलता था.

फिर मेरी मा ने पापा को बताए बिना गाओं के ज़मीन-दार से उधार लिया और हम हॉस्पिटल मे चले गये. मेरी मा को लगा था, की मामू सारे पैसे वापस कर देंगे. और ये सोच कर मेरी मा ने सारे पैसे नाना जी के इलाज के लिए मामा जी को दे दिए.

कुछ दिन बाद नाना जी चल बसे. मेरे मामू और बाकी सब बहुत दुख मे थे, तो मा ने उनसे पैसो के बारे मे बात नही की. और हम वाहा से घर चले आए. फिर कुछ दिन बाद ज़मीन-दार घर चला आया और मा को बोला-

ज़मीन-दार अंकल: पैसे कब वापस करोगी?

मेरी मा बोली: अभी मेरे पास पैसे नही है. सारे पैसे हॉस्पिटल के खर्चे मे चले गये. आप पैसो के बदले मे कुछ और लेलो.

ज़मीन-दार अंकल: देखो बेहन, तुम्हारे पास कुछ है ही नही. ना ज़मीन है, ना घर है. तो क्या ले लू?

मा बोली: देखिए ज़मीन-दार जी, मई आपके पास काम पे आ जौंगी और एक साल मे आपका पैसा वापस कर दूँगी.

ज़मीन-दार अंकल: फिर एक साल का ब्याज जोड़ कर पैसा ज़्यादा हो जाएगा. देखो बेहन, मुझे एक महीने मे पैसो की ज़रूरत है. वरना मई तुम्हारे बच्चे को बेच दूँगा और तुम्हे जैल भेज दूँगा.

मेरी मा: फिर मई पैसे क्या करके लेके अओ ज़मीन-दार जी?

ज़मीन-दार: एक तरीका है, जिससे तुम एक महीने मे डबल पैसे कमा सकती हो.

मेरी मा: क्या करना होगा मुझे उसके लिए?

ज़मीन-दार अंकल: देखो बेहन, तुम बहुत खूबसूरत हो. और गाओं के सारे मर्द तुम्हे छोड़ने के बारे मे सोचते है. दिन मे एक-दो मर्दो से छुड़वा कर, तुम बहुत सारे पैसे कमा सकती हो.

ज़मीन-दार अंकल: मई तुम्हे जब भी फोन करूँगा, तुम्हे एक जगह बतौँगा. तुम उस जगह पर चली जाना और वाहा एक-दो मर्दो से चुड जाना. एक महीने के लिए तुम रंडी बन जाओ. जो प्यासा मर्द मेरे पास आएगा, मई उसको तुम्हारे पास भेज दूँगा. सिर्फ़ एक महीने के लिए तुम रंडी बन जाओ.

मा सोचते हुए बोली: नही, मई ये नही कर सकती.

ज़मीन-दार अंकल: फिर तेरे बेटे को ले जौ?

मेरी मा बच्चे का नाम सुन कर मान गयी.

ज़मीन-दार अंकल: आज से तू मेरी रंडी है. आज से एक महीना, जो मई कहूँगा, तू वो मानेगी.

मई उस टाइम रंडी का मतलब नही जानता था, इसलिए कुछ समझ मे नही आया, की वो क्या कह रहे थे. फिर ज़मीन-दार अंकल मेरी तरफ देख कर बोले-

ज़मीन-दार अंकल: बेटा बाहर जाके आइस-क्रीम खा कर आओ. मई तुम्हारी मा की छूट की मक्खन आइस-क्रीम खाने वाला हू.

मई बोला: मेरी मा की छूट मे मक्खन आइस-क्रीम है?

ज़मीन-दार अंकल: हा बेटा, तुम्हारी मा की छूट मे मक्खन आइस-क्रीम है. कभी खिलाई नही इसने तुझे? जब तू छ्होटा था, तब तेरी मा ने तुझे दूध पिलाया है के नही?

मई: हा अंकल, मेरी मा ने दूध तो मुझे पिलाया है. लेकिन कभी छूट की मक्खन आइस-क्रीम नही खिलाई.

फिर मैने अपनी मा को बोला: मा मुझे अपनी छूट की मक्खन आइस-क्रीम दो ना.

फिर ज़मीन-दार बोला: बेटा आज से एक महीने तक तेरी मा मेरी रंडी है और तेरी मा नही है. अगले एक महीने तक जो मई बोलूँगा, वो ये करेगी.

मेरी मा बोली: ज़मीन-दार साहब, मेरे बेटे को बीच मे मॅट लाओ.

मई बोला: अंकल मक्खन आइस-क्रीम दिला दो ना.

ज़मीन-दार अंकल: ठीक है बेटा. अब देख बोल कर.

फिर उसने मेरी मा को सारी उपर करने को बोला. इस्पे मेरी मा बोली-

मा: मई अपने बेटे के सामने ये नही कर सकती.

ज़मीन-दार बोला: आज से मई जो बोलूँगा, तू वही करेगी. वरना पता है ना, की मई क्या कर सकता हू?

मेरी मा बोली: ठीक है.

फिर मा ने अपनी सारी उपर की. उस दिन मैने पहली बार अपनी मा की गोरी-गोरी छूट देखी थी. फिर ज़मीन-दार अंकल बोले-

ज़मीन-दार अंकल: ये रही तुम्हारी मा की छूट. अब हम इसमे से मक्खन निकालते है.

ये बोल कर वो मेरी मा की गांद मेरे सामने कर देता है और मेरी मा अपना चेहरा च्छूपा लेती है. मई अपनी मा की गांद देख कर मज़ा ले रहा था. फिर ज़मीन-दार मा को बोला-

ज़मीन-दार अंकल: चल रंडी, अब झुक जेया.

फिर मेरी मा झुक जाती है और अंकल मेरी मा की छूट के होल मे हाथ डाल कर अंदर-बाहर करने लगते है. मेरी मा आहह आहह करके चिल्लाने लगती है और अंकल को मज़ा आ रहा होता है.

फिर कुछ देर बाद मा की छूट से वाइट-वाइट सा कुछ निकालने लगता है और अंकल मा की छूट को मूह लगा कर उसको चाटने लगते है. फिर अंकल ने अपने हाथ मे वो वाइट-वाइट पानी लिया और हाथ मेरे मूह के आयेज कर दिया.

उन्होने मुझे वो चाटने को बोला और मई उस वाइट-वाइट क्रीम को चाट गया. मुझे वो क्रीम बहुत मीठी लग रही थी. फिर अंकल ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी मा की छूट मे डाल दिया. अंकल अपना लंड मा की छूट के अंदर-बाहर करने लगे.

मेरी मा ज़ोर-ज़ोर से आहें भर रही थी. अंकल की एनर्जी कम थी, इसलिए जल्दी ख़तम हो गयी और अंकल ने अपना लंड बाहर निकाल लिया. फिर अंकल मुझे बोले-

ज़मीन-दार अंकल: बेटा जब तू बड़ा हो जाएगा, तो ऐसे ही अपना लंड अपनी मा की छूट मे डालना.

और ये बोल कर अंकल वापस चले गये. मेरी मा ने अपनी सारी ठीक की और बोली-

मा: बेटा, अपने पापा को इसके बारे मे कुछ नही बताना.

मई बोला: मा तुम्हारी छूट का मक्खन बहुत टेस्टी है. मई पापा को कुछ नही बतौँगा. लेकिन अगर कभी मेरा दिल किया, तो मुझे मक्खन निकाल कर देना. वरना मई पापा को सब बता दूँगा. और जब मई बड़ा हो जौंगा, तब मई भी अंकल के जैसे तेरी छूट मे लंड डालूँगा.

मा बोली: ठीक है बेटा, लेकिन अपने पापा को इस बारे मे मॅट बताना.

मई: ठीक है मा.

अगले दिन सुबा हुई और मई और मेरी मा उठ गये. फिर मा हॅगने के लिए लोटा लेके जंगल मे जाने लगी. तभी मैने मा को बोला-

मई: मा भी आज तुम्हारे साथ हॅगने चलूँगा.

मा बोली: चलो बेटा, अब तो तुमने मेरी छूट का रस्स चाट ही लिया है. अब मेरी टट्टी भी खा लो.

मा के ये बोलने के बाद हम दोनो चलने लगे. जब मेरी मा अपनी सारी को उपर करके हॅगने लगी, तो मई मा की छूट को ही देख रहा था. फिर मई बोला-

मई: मा अपनी गांद को भी चाटने दो ना.

ये बोल कर मैने अपना मूह अपनी मा की गांद के सामने कर दिया. मैने मा की गांद पर लगी टट्टी को चाट कर सॉफ किया, जिसमे मुझे बहुत मज़ा आया. उसके बाद मई भी हॅगने लग गया.

फिर हम दोनो घर आ गये और खाना बना कर खाने लगे. कुछ देर बाद ज़मीन-दार अंकल आए और मा को बोले-

ज़मीन-दार अंकल: चल रंडी, आज तुझे गाओं के 10 मर्दो से चूड़ना है.

ये सुन कर मा बोली: मई एक साथ 10 मर्दो से नही चड़वौनगी.

ज़मीन-दार बोला: एक-एक करके छोड़ेंगे वो. 2 घंटे की बात हुई है उनके साथ.

मा बोली: फिर ठीक है.

ज़मीन-दार बोला: गाओं के जंगल बीच मे एक खेत है. उस खेत के बीच मे जाना है.

फिर मा ने मेरी तरफ देखा और बोली: बेटा तुम घर पर ही रहो. मई थोड़ी देर मे जाके आती हू.

ये बोल कर मा चली गयी. कुछ देर बाद मई घर से बाहर आया और देखा, की मेरी मा और ज़मीन-दार जंगल की तरफ जाने लगे थे.

तभी पड़ोसी अंकल दुकान बंद करके मेरे पास आए और बोले-

पड़ोसी अंकल: बेटा, तुम्हारी मम्मी जंगल मे गयी है?

मई बोला: हा अंकल.

पड़ोसी अंकल: फिर तो आज मई तेरी मा की छूट छोड़ने वाला हू बेटा.

ये बोल कर अंकल ने अपना लंड पकड़ लिया और मसालने लगे. फिर मैने भी सोचा, की मेरी मा की चुदाई देखने मे काफ़ी मज़ा आएगा. मेरी मा 10 मर्दो के साथ चूड़ने वाली थी. और ये सोच कर मई भी चुपके-चुपके उन लोगो के पीछे चला गया.

जब मई जंगल मे खेतो के पास पहुँचा, तो वाहा मेरी मा, ज़मीन-दार और 10 मर्द और खड़े हुए थे. मेरी मा अपना चेहरा च्छूपा कर बैठी थी. फिर मेरे पड़ोस वाले अंकल मा के पास गये और बोले-

पड़ोसी अंकल: अब कहा जाओगी मेरी जान?

ये बोल कर पड़ोसी अंकल मा को खड़ा करते है और उनकी सारी को उपर कर देते है. फिर वो खड़े-खड़े मेरी मा को छोड़ने लगते है. उसके बाद वो मा को कुटिया बना कर छोड़ने लगते है.

कुछ ही देर मे सारे मर्द एक-एक करके मेरी मा को छोड़ने लगते है. मेरी मा बस आहह.. श.. अफ.. की आवाज़े कर रही होती है. मुझे ये सारा नज़ारा देख कर बहुत मज़ा आता है. फिर सब मर्द मा को कुटिया की तरह छोड़ कर चले जाते है.

ज़मीन-दार अंकल 2 घंटे बाद मा को घर पर छोढ़ने के लिए आते है. उस दिन जब मा घर पहुँची, तब वो बहुत ताकि हुई थी. एक ही हफ्ते मे गाओं के सारे मर्दो ने मेरी मा को छोड़ लिया था और सब ने मा से अपनी प्यास बुझा ली थी.

गाओं के सारे मर्दो के बाद ज़मीन-दार ने दूसरे गाओं से मर्दो को बुलाना शुरू कर दिया था. इसी तरह ज़मीन-दार पुर एक महीने तक मेरी मा को चुड़वता रहा और उसने खुद भी बहुत बार मेरी मा को छोड़ा.

ज़मीन-दार का कर्ज़ा मा ने चुका दिया था और अब हम आराम से रहने लगे थे. फिर एक रात काफ़ी सारे मर्द हमारे घर आए और मा को बोले-

मर्द लोग: हमारे साथ चलो, वरना मार देंगे.

मेरी मा चुप-छाप उनके साथ चली गयी. वो लोग मेरी मा को खेतो मे ले गये और वाहा उसको कुटिया बना लिया. उसके बाद हर एक मर्द ने मेरी मा को छोड़ा और सुबा तक मेरी मा की चुदाई चलती रही.

अगले दिन मेरी मा गाओं वालो के दर्र से च्छूप कर गाओं से भाग गयी. किसी को पता ना चले, इसलिए मा किसी दूसरे गाओं मे जाके रहने लगी. मेरे पापा को इस बारे मे कुछ भी नही पता था. कभी-कभी मई भी मा की छूट का मक्खन खा लेता था.

अब मई हॉस्टिल मे हू और घर जाके मा को छोड़ने के बारे मे सोच रहा हू.
[email protected]