गाओं मे मेरी और अम्मी की रास लीला-2

हेलो दोस्तो, मई आपका दोस्त असलम हू. कैसे हो आप सब? मई उमीद करता हू, की आप सब ठीक ही होंगे. आप सब ने मेरी पिछली कहानी “गाओं मे मेरी और अम्मी की रास-लीला” पढ़ी ही होगी.

अगर आपने मेरी पिछली कहानी नही पढ़ी है, तो वो पढ़ लीजिए. वो कहानी पढ़ने के बाद ही आप इस कहानी को समझ पाएँगे और अपना लंड खड़ा करके मूठ ज़रूर मारेंगे. अब ज़्यादा टाइम ना लेते हुए, मई सीधा कहानी पर आता हू.

दोस्तो पिछली कहानी मे मैने आप सब को बताया था, की मेरी मा ने चौधरी और मोतीलाल से अपनी चुदाई करवाई थी और मुझे गाओं से बाहर करवा दिया था.

गाओं से बाहर होने के बाद मई शहर आ गया. फिर कुछ दीनो बाद मुझे पता चला, की मोतीलाल की डेत हो गयी थी. मैने मा को फोन किया और मेरी और मा की ये बात हुई-

मई: हेलो मा, कैसी हो?

मा: हेलो असलम, मई ठीक हू. तुम कैसे हो?

मई: मई गाओं और घर से डोर रह कर कैसा हो सकता हू. मैने उस रात सब सुना था. मुझे गाओं से बाहर करवाने मे तू भी मिली हुई थी.

मा: मई क्या करती बेटा? तेरे पिता की डेत के बाद मुझे भी गाओं मे रहने के लिए कोई चाहिए था. और मई गाओं मे अकेली ही मुस्लिम थी. वैसे भी, तुझे कभी ना कभी तो ये पता चलना ही था.

मई: हा मा मुझे अब पता चल गया है. वैसे मई तुम्हारी प्राब्लम समझता हू. लेकिन अब मुझे गाओं मे आना है. शहर मे काम ठीक से नही चल रहा है. मुझे गाओं की याद भी बहुत आती है. तुझे जो करना है, वो तू कर सकती है. मई नही रोकुंगा तुझे. लेकिन मुझे अब गाओं आना ही है.

मा: ठीक है, अगर तू सब करने देगा, तो मई सरपंच से बात करती हू. बात करके मई तुझे फोन करूँगी.

मैने बोला: ठीक है.

और ये बोल कर मैने फोन रख दिया.
फिर टीन दिन बाद मा का फोन आया मुझे. मा बोली-

मा: मेरी बात हुई है सरपंच से और उसने तुझे मिलने के लिए बुलाया है.

ई मैने उसी दिन अपनी पॅकिंग की और मई गाओं के लिए निकल गया. शाम तक मई गाओं पहुँच गया है. फिर गाओं वालो के सामने सरपंच ने कहा-

सरपंच: 7 महीने तक असलम शहर मे रहा. और अब मोतीलाल भी नही रहा. यासमीन भी यहा अकेली है. अब असलम को माफ़ कर देना चाहिए. और अब मोतीलाल की पत्नी भी तो उसके जाने के बाद गाओं से अपने माइके चली गयी है.

फिर सब गाओं वालो ने सरपंच की बात मान ली और सब अपने-अपने घर जाने लगे. उसके बाद सरपंच ने मेरी मा को बुलाया और बोला-

सरपंच: अब खुश है तू?

मा बोली: हा.

सरपंच: चल रात मे मई तेरे घर आता हू.

फिर मई और मा वाहा से घर आ गये. घर आके मा मुझसे बोली-

मा: चल अब तू आराम कर ले. मई तब तक खाना बनाती हू. रात को सरपंच भी आने वाले है.

और मई चार-पाई पर लेट गया. फिर रात को ठीक 9 बजे सरपंच और सरपंच के साथ इकबाल सिंग भी आ गया. इकबाल सरकारी अधिकारी था और उसने सरपंच के बहुत सारे काम किए थे.

जब वो दोनो आए थे, तो मई खाना खा कर ही उठा था. सरपंच ने मा को बोला-

सरपंच: इसको बाहर जाने को बोल.

मा उसको बोली: जी ठीक है.

सरपंच ने मा को एक पॅकेट दिया और जल्दी अंदर आने को बोला. फिर मा ने मुझे बोला-

मा: असलम बाहर आँगन मे चला जेया.

मई: ठीक है.

फिर जैसे ही मई आँगन मे जाने लगा, तो मा मुझे बोली-

मा: अगर लेट हो गया, तो वही आँगन मे चार-पाई लगाना और सो जाना.

और ये बोल कर मा ने दरवाज़ा बंद कर लिया. लेकिन मुझे सोना नही था, मुझे तो चुदाई का पूरा प्रोग्राम देखना था. फिर मई जल्दी से आँगन के पीछे की तरफ भाग कर चला गया. वाहा से रूम के अंदर सब दिखता था और सारी आवाज़े भी आती थी.

वैसे इस बार मई शहर से कॅमरा लेके आया था. जब मा खाना बना रही थी, तब मैने कमेरे रूम मे फिट कर दिया था. उस कॅमरा की रेकॉर्डिंग मेरे मोबाइल फोन पर हो रही थी.

अब मई रूम मे देखने लगा. मा दरवाज़ा बंद करते ही बातरूम मे चली गयी. मा के हाथ मे वो पॅकेट भी था, जो सरपंच ने उसको दिया था. फिर मा 10 मिनिट बाद बातरूम से बाहर आई. मा ने अब ब्लू जीन्स और ब्लॅक टॉप पहनी हुई थी.

मैने पहली बार मा का ये रूप देखा था. जीन्स मे मा की गांद क्या कमाल की टाइट लग रही थी. फिर मा रूम मे गयी और अपने होंठो पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाई. उसके बाद मा अंदर गयी, जहा चौधरी और इकबाल थे. फिर चौधरी बोला-

चौधरी: ये ले इकबाल, तेरे लिए बहुत बढ़िया माल है.

ये बोल कर चौधरी ने मा की गांद पर अपना हाथ रखा और गोल-गोल घुमाने लगा. फिर कहूधारी ने मा की गांद पर 3-4 थप्पड़ मारे. तभी इकबाल चौधरी से बोला-

इकबाल: चौधरी जी, मई इसको अकेले ही खाना चाहता हू.

ये सुन कर चौधरी बोला: ख़ाले-ख़ाले इसको अकेला. मई तो इसको बहुत बार चख चुका हू.

और ये बोल कर चौधरी चला गया. लेकिन मई कुछ समझ नही पाया, की इकबाल ने ऐसा क्यू किया था. चौधरी के जाने के बाद मा बोली-

मा: ऐसा क्यू किया इकबाल? चौधरी को भगा क्यू दिया?

इकबाल चुप था और उसने मा की बात का जवाब नही दिया. फिर इकबाल खड़ा हो गया और खिड़की के पास आ गया. उसने खिड़की खोली और मई सामने खड़ा था. फिर इकबाल ने मुझसे कहा-

इकबाल: अंदर आ.

फिर जब मई डरते-डरते अंदर गया, तो इकबाल बोला-

इकबाल: मई सरकारी अधिकारी हू और मैने तुझे च्छुपते हुए देख लिया था. तू इसके साथ करना चाहता है ना?

ये सुन कर मैने ज़रा भी देर नही की और उसको हा बोल दी. तभी मेरी मा बोली-

मा: इकबाल जी ये आप क्या बोल रहे हो? ऐसा नही हो सकता. ये बेटा है मेरा.

तभी इकबाल मा की बात काट-ते हुए बोला-

इकबाल: यासमीन रंडी! मई जानता हू, की ये तेरा बेटा है. लेकिन जब इसको गाओं के बाहर कर दिया गया था, तब मा कहा थी? तेरी गांद मे? आज हम दोनो तेरे मज़े लेंगे. तू रंडी है आज हमारे लिए.

और ये बोल कर इकबाल मा के आयेज गया और मई मा के पीछे आ गया. फिर हम दोनो मा को किस करने लग गये.

मई: उम्म.. उम्म.. उम्म्म..

लगभग 15 से 20 मिनिट हमने मा के साथ किस्सिंग की. फिर इकबाल ने आयेज से मा के बूब्स दबाए और मैने पीछे से दबाए. क्या बतौ मई दोस्तो, की मेरी मा के बूब्स कितने सॉफ्ट थे.

अब मेरा लंड खड़ा हो चुका था और मा की गांद से टच हो रहा था. फिर इकबाल ने मा की टॉप उतार कर फेंक दी. मैने मा की जीन्स उतार दी और अब मा सिर्फ़ ब्रा और पनटी मे थी. फिर हमने मा को चार-पाई पर लिया दिया.

मा की एक साइड पर मई था और दूसरी साइड पर इकबाल था और हम दोनो मा के बूब्स दबा रहे थे. फिर मई और इकबाल ने मा की पनटी मे हाथ डाल लिया और मा की छूट मे उंगली करने लग गये. मा आ आहह की मस्त सिसकारिया ले रही थी.

मा की सिसकारिया पुर रूम मे गूँज रही थी. थोड़ी देर उंगली करने के बाद, हमने मा की ब्रा और पनटी उतार दी. मा एक बार झाड़ चुकी थी. फिर मा ने मेरे और इकबाल के कपड़े उतार दिए. कपड़े उतरते ही मेरा और इकबाल दोनो का खड़ा हुआ लंड बाहर आ गया.

हमारे लंड अब मा की छूट को सलामी दे रहे थे. फिर मा को हमने घुटनो के बाल बिता दिया और मा से अपने लंड चुसवाने लग गये. मई तो अपना पूरा लंड मा के गले तक डाल रहा था.

इकबाल बोल रहा था: आचे से ले लंड मूह मे साली रांड़.

हम दोनो ने 30 से 40 मिनिट मा के मूह की चुदाई की और फिर अपने पानी मा के मूह मे ही निकाल दिया. फिर मई सीधा चार-पाई पर लेट गया और बोला-

मई: आजा, और अपनी छूट मेरे मूह पर लगा दे.

मा मेरे मूह पर आ गयी और मई उसकी छूट को चाटने लग गया. इकबाल ने आयेज से मा के मूह मे अपना लंड डाल दिया और मा का मूह पकड़ कर उसकी चुदाई करने लगा. लगभग 20 से 25 मिनिट मैने मा की छूट को चाटने का मज़ा लिया. फिर मा दूसरी बार झाड़ गयी और मैने मा का पानी पी लिया.

मा के पानी का स्वाद नमकीन सा था. उधर इकबाल भी मा के मूह मे झाड़ गया. मई अभी भी सीधा ही लेता हुआ था और मैने मा से कहा-

मई: चल अब अपनी छूट मेरे लंड पर लगा.

मा उल्टी घूमी और मा ने अपनी दोनो टांगे चौड़ी की. फिर मा ने मेरे लंड को अपनी छूट पर सेट किया और लंड अंदर ले लिया. वाउ! क्या गर्मी थी मा की छूट मे. फिर मा मेरे लंड पे उपर-नीचे होने लग गयी.

मा के हाथ मे इकबाल का लंड था, जो मा हिला रही थी. मेरा लंड मा की छूट मे बिल्कुल सेट हो गया था और पूरा अंदर जेया रहा था. मा भी लंड पर मज़े से उछाल रही थी. तभी इकबाल मा के पीछे आ गया और उसने अपना लंड मा की गांद मे डाल दिया.

अब मा दो मर्दो से एक साथ चुड रही थी और हम दोनो मा के कड़क जिस्म का मज़ा ले रहे थे.

मा: आ.. आहह.. आहह.. हा…

हम दोनो तेज़ी से मा की चुदाई कर रहे थे. मई आयेज से कभी मा के बूब्स दबाता और कभी मा के गालो पर थप्पड़ मारता. इकबाल मा के बाल खींच रहा था और तेज़ी से मा की गांद मार रहा था.

फिर 30 से 40 मिनिट मा की चुदाई करने के बाद, मैने मा की छूट मे और इकबाल ने मा की गांद मे अपना पानी छोढ़ दिया. तभी मा बोली-

मा: सेयेल हरामी! पानी अंदर क्यू निकाल दिया मादरचोड़?

तभी मई बोला: साली 7 महीने कितनो के लेती रही है.

उधर इकबाल बोला: साली जो चौधरी का बच्चा गिराया था तूने, उसका क्या? अब ज़्यादा शरीफ बन रही है, साली गस्ति!

फिर हमने पोज़िशन बदली. इकबाल नीचे लेट गया और मैने पीछे जेया कर मा की गांद मारनी शुरू कर दी. अब मा इकबाल के लंड पर बैठ कर अपनी छूट मरवा रही थी और मेरे लंड को अपनी गांद मे ले रही थी.

काफ़ी देर तक मैने मा की गांद मारी और इकबाल ने मा की छूट मारी. फिर मैने अपना पानी मा की गांद मे निकाल दिया और इकबाल ने अपना पानी मा की छूट मे निकाल दिया.

मैने मा की गांद मे और इकबाल ने मा की छूट मे 2 रौंद और किए. फिर इकबाल जाने लगा और जाते हुए मुझसे बोला-

इकबाल: बेटा छोड़ता रह अब मज़े अपनी मा को.

फिर मैने मा के साथ 5 से 6 रौंद और किए. अब कभी चौधरी और मई और कभी इकबाल और मई मा को छोड़ते थे. फिर धीरे-धीरे गाओं के दूसरे मर्द भी मा को छोड़ने आने लगे. मा उनसे पैसे लेके अपनी चुदाई करवाती थी.

काई बार इकबाल शहर से लड़की लेके आता था और हम साथ मिल कर मज़े करते थे. कुछ वक़्त बाद मा ने हमारा मकान तुद्वा कर नया मकान बनवाया. उसमे 15 से 20 रूम थे और मा उसमे धंधा चलाने लगी.

अब हमारे मकान मे गाओं और शहर की लड़किया आती थी और हमारा पूरा गाओं रंडी-खाना बन गया था. हमारा घर अब रंडी-खाने के नाम से फेमस हो गया था. बहुत से लोग वाहा आते थे. कुछ लोग अपने पार्ट्नर्स के साथ आते थे और कुछ किसी और के साथ. सब लोग बहुत मज़ा करते थे.

तो दोस्तो ये थी मेरी कहानी. आप सब को कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताना. कोई भी भाभी मुझसे चूड़ना चाहती हो, या बच्चा चाहती हो, तो मुझे मैल करे. अगर कोई कुवारि लड़की शादी से पहले मेरे साथ मज़ा करना चाहती है, तो वो भी मैल करे.

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