कहानी मा बेटे की गरमा-गरम चुदाई की

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम मानव है. मैं आपके सामने अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. पिछले पार्ट्स को आपने बहुत प्यार किया, उसके लिए मैं आपका दिल से शूकर-गुज़र हू. जिन रीडर्स ने पिछले पार्ट्स नही पढ़े है, वो पहले जाके वो पार्ट्स ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की मैं और मा एक रूम में आ चुके थे, और हमारी चुदाई का सिलसिला शुरू हो चुका था. मा अब सिर्फ़ रेड पनटी में थी, और मैं उनके पीछे उनकी गांद चूम रहा था. अब आयेज बढ़ते है.

मा की गांद इतनी सेक्सी थी, की मैं उसको मूह में भर कर चूस रहा था, और काट रहा था. मा आ आ की आवाज़े निकाल रही थी. फिर मैने मा की पनटी को पकड़ा, और उसको नीचे खींच कर पैरों पर ला दिया.

मा ने पैर उठा कर पनटी से निकाल लिए, और उसको पैर से ही साइड कर लिया. फिर मैने मा के चूतड़ पकड़ कर खोले. मा की गांद के चियर में मधुर खुश्बू आ रही थी (वैसे तो वो बदबू होती है, लेकिन उस वक़्त जब दिमाग़ में वासना चढ़ि होती है, तब वो खुश्बू ही लगती है).

मैने अपना मूह आयेज बढ़ाया, और मा की गांद के चियर में डाल लिया. अब मैं अपनी जीभ से मा की गांद का चियर चाट रहा था. मा भी इसका मज़ा ले रही थी. उन्होने अपने हाथ आयेज की दीवार पर रख लिए, और गांद बाहर को निकाल ली, ताकि मैं आचे से चाट पौ.

मैने फिर उनकी छूट पर भी अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी. बड़ा मज़ा आता है, जब सॉफ्ट-सॉफ्ट छूतदों में आप अपना मूह घुसते हो, और किसी की छूट पर जीभ फेरते हो. स्पेशली जब वो छूट आपकी अपनी मा की हो. मा बस आ आ कर रही थी.

फिर मा ने अपना एक हाथ पीछे किया, और मेरे सर पर रख कर अपने छूतदों में दबाने लगी. वो इतनी ज़ोर से मेरे सर को अपने छूतदों में दबा रही थी, की मेरी साँस रुकने लगी थी. लेकिन मैं भी रुका नही, और मा को छूट और गांद चुसाई का भरपूर मज़ा दिया.

अब मा मुझे रुकने के लिए कहने लगी, और गांद हिला कर मेरा मूह हटाने की कोशिश कर रही थी. लेकिन मैं कहा रुकने वाला था. मैने अपना काम जारी रखा, क्यूंकी मुझे अपनी मा की छूट का पानी पीना था. मैं और ज़ोर-ज़ोर से मा की छूट के उपर और अंदर जीभ मारने लगा.

अब मा ज़ोर-ज़ोर से आ आ करने लगी, और उनकी छूट से गरम-गरम पानी की पिचकारी निकली. मैने मा का सारा माल पी लिया, और छूट भी चाट-चाट कर सॉफ कर दी. तभी मा बोली-

मा: आज जो तूने मुझे मज़ा दिया है, वैसा कभी किसी ने नही दिया.

फिर मा मेरी तरफ मूडी, और मुझे धक्का देते हुए बेड पर लिटा दिया. उन्होने मेरे लिप्स पे किस किया, और फिर मेरी गर्दन चूमते हुए नीचे आ गयी. उन्होने मेरा पाजामा नीचे किया, और अंडरवेर भी नीचे करते हुए मेरा लंड बाहर निकाल लिया. फिर मा मेरे लंड को देखते हुए बोली-

मा: मुझे इससे प्यार है मानव.

मैं: ये भी आप से बहुत प्यार करता है मा.

मा ने फिर लंड अपने हाथ में लिया, और उस पर जीभ फिरने लगी. जीभ फिरते हुए मा ने लंड मूह में डाल लिया, और उसको चूसना शुरू कर दिया. मा के मूह को गर्मी का अलग ही मज़ा होता है दोस्तों. मा ज़ोर-ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थी, और उसकी थूक से मेरा लंड चिकना हो चुका था.

फिर मा ने लंड मूह से निकाला, और मेरे उपर आ गयी. उन्होने लंड छूट पर सेट किया, और आँखें बंद करके आ आ करते हुए लंड पर बैठ गयी. आह! क्या गर्मी होती है हर मा की छूट में, इसका अंदाज़ा सिर्फ़ उन्ही बिटो को होता है, जिन्होने अपनी मा को छोड़ा हो.

अब मेरा लंड पूरा मा की छूट में था. मा भी आ आ कर रही थी. फिर उन्होने अपने हाथ मेरी चेस्ट पर रखे, और उपर नीचे होने लगी. मेरा लंड मा की छूट के अंदर-बाहर होने लगा. दोस्तों मुझे इतना मज़ा आ रहा था, की मैं बता नही सकता.

मैने अपने हाथ मा के छूतदों पर रखे, और उनको उपर-नीचे होने में हेल्प करने लगा. मा के चूतड़ जब भी मेरी जांघों पर लगते, और लंड पूरा अंदर जाता, तब इतना मज़ा आता था, जिसकी तुलना किसी और मज़े से नही की जेया सकती.

फिर मैने अपनी स्पीड बधाई. मैने मा को रुकने को कहा, और मा एक जगह चूतड़ टीका कर रुक गयी. फिर मैने अपना काम शुरू किया. मैने नीचे से मा की छूट में तेज़ी से धक्के लगाने शुरू कर दिए. अब ठप-ठप की आवाज़े आनी शुरू हो गयी थी. कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैने मा को लिटाया, और हम मिशनरी पोज़िशन में आ गये.

मैने मा की छूट में लंड डाला, और ज़ोर-ज़ोर से उसको छोड़ने लगा. साथ में मैं मा के होंठ और बूब्स भी चूस रहा था. अब मा आ आ करने लगी, और मुझे अपने लंड पर उनका गरम पानी महसूस होने लगा. अब मा झाड़ चुकी थी, और उनकी छूट बहुत गीली हो चुकी थी.

फिर मैने मा की छूट सॉफ की, और मा को घोड़ी बनने को कहा. जब वो घोड़ी बनी, तो उनकी गांद बड़ी सेक्सी लग रही थी. मा की गांद देख कर मेरा उनकी गांद में डालने का मॅन हो गया. फिर मैने मा की गांद के च्छेद पर थूका, और अपना लंड उस पर सेट किया. मेरा लंड तो पहले से चिकना था ही.

फिर इससे पहले मा कुछ सोचे या समझे मैने ज़ोर का धक्का मार कर अपना आधा लंड मा की गांद में घुसा दिया. मा चीखें मारने लगी. भगवान का शूकर है दरवाज़ा साउंड प्रूफ था. मा मुझे निकालने के लिए बोलने लगी, लेकिन मैं धक्के देता गया. मुझसे अलग होने की कोशिश में मा बेड पर लेट गयी. लेकिन मैने लंड नही निकाला.

मैं भी मा के साथ ही उनके उपर लेट गया, और गांद में धक्के मार-मार कर पूरा लंड निकाल दिया. मा बोलने लगी-

मा: मानव बाहर निकालो इसको प्लीज़. दर्द हो रहा है.

मैं: मा आज तो आपको तोड़ा दर्द सहना पड़ेगा. आयेज से दर्द नही होगा आपको.

और मैने लंड अंदर-बाहर करना जारी रखा. कुछ ही मिंटो में मा की गांद खुल गयी, और लंड आराम से अंदर-बाहर होने लगा. मा की चीखें आहों में बदल गयी. फिर मैने कुछ देर मा की गांद को मज़े से छोड़ा, और फिर अपने गरम-गरम माल से उनकी गांद भर दी. अब हम दोनो शांत हो गये थे, और हम दोनो शांत हो चुके थे, और मैं मा के उपर ही लेते हुए सो गया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ शेर ज़रूर करे. मज़ा लेने का सब को पूरा अधिकार है.