जेठ जी को मजेदार सुख दिया

हेलो दोस्तो मैं स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.

मैं जानती हू यह स्टोरी कुछ ज़्यादा लंबी चल रही है लेकिन आप सभी प्लीज़ आगे पढ़ते रहिए की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.

इश्स स्टोरी का 26त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े ले ही लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का भी ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए.

तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी को शुरू करते है.

अब आयेज…

साहिबा:- अब और हिम्मत नही है लेकिन मान नही भरा है तो एक बार और मुझे वो सब दे दो और अपने दूध से मुझे भीगा दो.

भाईजान ने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा-

फ़रदीन:- अब इसका खड़ा होना भौत मुश्किल है…. आज शाम से काफ़ी ज़्यादा काम करना पड़ा है ना इसलिए बेचारा अब मुरझा गया है.

साहिबा:- अरे आप चिंता क्यूँ कर रहे हो मैं बैठी हू ना उसके लिए. अभी देखती हू कैसे यह नही खड़ा होता मैं अभी उसको जल्दी खड़ा करती हू.

बोलते ही मैने उनके लंड हाथ मे ज़ोर से पकड़ कर सहलाने लगी थी. कुछ देर तक सहलाने के बाद भी कोई ख़ास्स असर नही पड़ा तो मैने उनको चिट करके लेता दिया और उनके लंड को अपने दोनो बूब्स के बीच लेकर उससे अपने बूब्स से सहलाने लगी.

इश्स वजह से उनके लंड मे हल्कसा तनाव आ रहा था लेकिन वो भी कुछ ही पल मे वापस चला जाता था.

तो फिर मैने कुछ सोच कर उनके निपल्स को अपने दाटो से ढेरे ढेरे शुरू किया तो उनके जिस्म मे उत्तेजना बढ़ने लगी लेकिन अभी तक लंड अपनी पूरी जवानी पर नही आया था.

आख़िरकार सब ट्राइ करने के बाद मैने उनके लंड को अपने मूह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया. अपनी जीब निकल कर उनके लंड को और नीचे के दोनो बॉल्स को चाटने लगी. बीच बीच मे हल्के से उनके लंड पर अपने दाँत भी गाड़ा देती थी.

अब मेरे जेठ जी का लंड पूरा तंन गया था. मैं उसको चूसने के साथ साथ हाथो से सहला भी रही थी. इश्स बार उनकी टाँगो को मोड़ कर फैलने की बारी मेरी थी. इसलिए मैने उनकी टाँगो को फैला दिया और उनकी दोनो टाँगो के बीच उनके बॉल्स के नीचे अपनी जीब घूमने लगी थी.

दोनो बॉल्स के नीचे जहा दोनो टांगे का जॉइंट होता है. वो पार्ट भौत ही ज़्यादा सेन्सिटिव था. तो वाहा जीब घूमते ही उनका लंड एकद्ूम से पूरा का पूरा तंन कर खड़ा हो गया था.

मैने अपने सिर को उठाकर इतराते हुए उनकी आखो मे देखा और मुस्कुराते हुए कहा-

साहिबा:- देखा ?? अब जीत किसकी हुई?? औरतो का बस चले तो मर्डू के लंड भी खड़े कर के देखा दे.

फ़रदीन:- मान गये तुमको तुम तो वियाग्रा से भी ज़्यादा पवरफुल हो.

साहिबा:- अब आप यहा चुपचाप पड़े रहो अब मैं आपको छोड़ूँगी.. मेरे इश्स आशिक़ुए को खुश करने की बारी अब मेरी है.

यह सब बोलने के बाद मैं खुद अपनी ज़ुबान से निकल रहे लबज़ो पर खुद हैरान रह गयी थी. पहली बार इश्स तरह के वर्ड्स मैने किसी गैर मर्द से कहे थे.

साहिबा:- आपके इश्स गढ़े जैसे लंड का आज मैं सारा रास निचोढ़ लूँगी. मुस्कान भाभिजान को अब अगले एक वीक तब बीना लंड रास के ही काम चलना पड़ेगा.

यह कहते ही मैं उनके उपेर चढ़ गयी. और अपने हाथो से उनके तगड़े लंड को अपनी छूट पर सेट कर के अपना वेट उनके लंड पर दल दिया था. जिससे उनका लंड वापस मेरी छूट की दीवारो को रगड़ता हुआ अंदर घुस गया.

साहिबा:- उउउफ़फ्फ़ अहहाः अहहः हर बार मुझे लगता है की आपका यह लंबा मोटा लंड मेरे गले तक घुस जाएगा. अहहहा भाभिजान कैसे झेलती है आपके इश्स लंड को???

ऐसा लग रहा था की सयद उनके लंड ने पेल पेल कर अंदर की चाँदी उधेड़ दी हो. मेरी छूट भी इश्स बार तो दर्द से जाती जेया रही थी. मैने अपने निचले होत को दाटो से सख्ती से दबा कर किसी भी तरह की आवाज़ को मूह से निकल ने से रोक लिया था.

फ़रदीन:- तुम्हारी भाभिजान इसको झेल नही पति है तभी सयद इधेर उधेर मूह मारती फिरती है.

साहिबा:- फिर तो उन्हे वो मज़ा मिल नही पता होगा जो इश्स वक़्त मुझे आ रहा है.

बोलते बोलते मैने उनके सीने पर उगे बालो को अपनी मुति मे भर कर खिच तो वो भी सिसकारियाँ ले उठे.

फ़रदीन:- उूफुफुफ अहहा क्या कर रही हो?? मुझे दर्द हो रहा है.

साहिबा:- कुछ दर्द तो आपको भी होना चाहिए ना.

उसके बाद मैं उनके लंड पे ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर को उपेर नीचे करने लगी थी. वो भी मेरे दोनो बूब्स को अपने हाथो मे लेकर बुरी तरह मसल रहे थे. मैं अपने दोनो घुटनो को मोड़ कर उनके लंड पर बैठी हुई थी.

इश्स ही तरह पता नही कब तक हम दोनो की चुदाई चलती रही. हिं दोनो ने ही आखे बंद कर रखी थी और बस एक दूसरे के साथ चुदाई का मज़ा ले रहे थे.

मैं उनके उपेर झुक कर अपने लंबे बालो को उनके सीने पर घुमा रही थी जिसे उनकी उत्तेजना बढ़ रही थी. साथ ही मैने अपनी छूट के भी मसल्स से उनके लंड को बुरी तरह से जाकड़ रखा था. पर कुछ देर बाद ही मेरे जिस्म मे वापस सिहरन होने लगी तो मैं साँझ गयी की मेरा अब फिर से निकल ने वाला है.

तब मैने फ़रदीन भाईजान के उपेर लेट करपने दाँत उनके सीने में गाड़ा दिए और मेरे नाख़ून उनके कंधे मे घुस गये और मूह खुलते ही एक सुकून भारी अहहहहहहहहः वाली सिसकारी निकली और मैं एक बार फिर खलास हो कर उनके उपेर फैल गयी.

पर भाईजान का अब तक रास नही निकला था इसलिए अभी वो मुझे चोरना नही चाहते थे. लेकिन मैं भौत ज़्यादा तक कर चूर हो गयी थी. इश्स एक रात मे ना जाने कितनी बार मैने छूट के रास की बोचार उनके लंड पर की थी. मेरा जिस्म इतना तक चुका था की अब हाथ पैर हिलने मे भी ज़ोर आ रहा था लेकिन मान था की मान ही नही रहा था.

भाईजान ने मुझे अपने उपेर से उठाया और बेड पर घोड़ी बना कर झुका दिया था. मेरे हाथ झुक गये थे और मूह पूरा पिल्लो मे घुस चुका था.

उन्होने मेरी कमर को बेड के कॉर्नर पे घुमाया और बेड के नीचे खुद जेया कर खड़े हो गये. इश्स हालत मे मैं अपनी कमर उनकी तरफ उठाकर बेड मे घुसी हुई थी.

भाईजान बेड से उतार कर नीचे खड़े हो गये और पीछे से मेरी छूट पर अपने लंड को सेट कर के धक्का दे दिया. मेरी छूट एक बार फिर दर्द से काँप गयी. मेरा मूह पिल्लो मे धासा होने के कारण सिर्फ़ कुछ उऊहह उऊहह… जैसी आवाज़ निकली और मेरी छूट पर उनका वार चालू हो गया था.

इश्स पोज़िशन के कारण मैं अपने जिस्म को उठाए हुए नही रख पा रही थी. नशे मे मेरा जिस्म उनके धक्को से बार बार इधेर उधेर लुढ़कने लगता. और इश्स ही लिए उन्हे अपने हाथो से छूट को सामने की तरफ रखना पद रहा था.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.