होली पे खुल गयी मामी की चोली

हमारा नाम आकाश कुमार गुप्ता है, हम इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हा. हाल ही मैं हमारे एग्ज़ॅम ख़तम हुए थे और नेक्स्ट सेमेस्टर शुरू होंने वाला था और उससी बीच होली का फेस्टिवल भी आ गया. और हमारा गाओं जाने के पूरा मॅन भी था तब क्या हमने अपना बाग पॅक किया और अपने गाओं के लिए निकल पड़े.

धूलहांडी (छ्होटी होली) के दिन सुबा सुबा ही हम अपने मामा के घर पहुच गये, जाते ही हम पहले शोचयाले गये और उसके बाद नहाढोके मस्त एक दूं रेडी हो गये. मामी खाना लाई और सोनम (मामी की बेटी) पानी लाई.

वाहा लेकिन साला गजब हो गया दोनो खाना पंनी के लिए जब झुकी तो दोनो का चोली देखे के साला हमारा मॅन भौरा सा गया. साला कुछ समझ ही नाही आया की किसके चोली पे फोकस करे. तभी सोचे पहले खाने पे फोकस केरते है.

पेट-पूजा केरके मस्त होकर बाहर आए थी थे की उपर से सोनम ने गोबर वाला बाल्टी डालके बोली. “बुरा ना मानो होली है ” साला गोबर की महक से दिमाग़ तो पूरा घूम सा गया और हम सोनम के पीछे उपर भागे. वो भी हुमको देख के भागी और दोनो भाआगते भागते च्चत पे पहुच कर हम दोनो एक दूसरे एक आमने शमने आए.

ह्यूम देख सोनम लेफ्ट भागती तो हम उसको पकड़ने के लिए अपनी तरफ से रिघ्त जाते ठीक इसी तरह वो रिघ्त भागती तो हम लेफ्ट जाते.

लेकिन साला ये पकड़ पकडाई का खेल बंद केरते हुए हम उसपे सिड्डा ही खुद गये. और हमारा सारा का सारा सरीर सोनम के सरीर के उपर थे. साथ ही साथ उसके बड़े बड़े दूद्ध के गुबारे मे हमारे दोनो हंतो से बिल्कुल डाबे हुए थे. साथ ही साथ उसके उपर भी गोबर की कुछ निसान पढ़ गये.

सोनम हमारे नीचे से निकालने के लिए बहोट जाड़ा हंत पेर मरने लगी जिससे हम उसके दोनो पैरो के बीच आ गये लेकिन उसके चत्तपटाने कम नही हुआ. हम भी सोनम की चटपत्ता हट को शांत केरने के लिए अपनी तरफ से कोशिश केरने के लिए उसकी टॅंगो के बीच उपर नीचे हुए जेया रहे थे…

यही से साला हुमको कुछ गड़बड्ड लगने लगा. ध्यान से महसूस किया तो देख मेरा लॉडा खड़ा हो गया था और नीचे लेती सोनम आँखे बंद केरके आ आ अहहा अहहा वाली हल्की कामुक भारी अहतो से मेरे लॉड और मूड मे आग गया रही थी. लेकिन साला पता न्ही क्यू हुमको कुछ एतिकल अछा न्ही लगा और अधूरा करयकरम चोर कर नीचे आ गये.

अपना लॉडा को शांत केरने के लिए हम सिद्धा बातरूम मे गुश आए. लेकिन साला हमारी किस्मत को लकी कहो या कुछ भी कहो बातरूम मे भी पिक्चा कहा चॉर्ने वाली थी.

बातरूम मे मामी अपना एक पैर कामोढ़ पर रख कर अपनी छूट पे से हंत ले जाकर अपनी गंद तक लुकषकश साबुन मॅल जेया रही थी. मेरे अचानक अंदर गुश जाने से मामी भी दर के पिच्चे मुद्धि.

(सही बता रहे हा भाई साब वो पल हमारी ज़िंदगी के पहला पल था जब हम किसी के पहली बार नंगी साबुन से शनि छूट देखे होंगे)

एक हंत मेी साबुन पकड़ी हुए और दूसरे से अपनी चोली ना के बराबर छुपाते हुए मामी की चेहरे पे दर सॉफ सॉफ ही दिख रहा था. हम अपना अप्पा खो बैठे उससे पहले ही वाहा से झाट से भागे और कहा जाए कुछ स्मझ ही नही आया बस भागते गये.

(होली है….)

कल की हरकट्तो के बारे मे सोचते तो हमारा मूड बॅन भी जाता और करभ भी हो जाता. साला कॉलेज मे एक लड़की नही पट्टी और देखो एक दिन मे दो दो साला इससे क्या समझे हम कुछ समझ ही न्ही आ रहा था. तभी सोनम आई ( होली के सुबा हम कुछ ब्यूटिफुल सा कुछ देखे तो वो सोनम ही थी साची साला वो प्यारी सी मुश्कं. वाइट त-शर्ट जिससे सॉफ सॉफ दिख रहा था की उसने अंदर ग्रीन कलर का ब्रा पहना हुआ हा. और उसकी शॉर्ट्स बिल्कुल गंद से चिपकी हुए)

सोनम – हॅपी होली भैया.

मैं – ई लोवे योउ टू सोनम.

सोनम – क्या??

मैं – हाँ, क्या सेक्सी पातोला लग रही हा तू सोनम.

(ये साला हम क्या बोले जा रहे थे हुनको कुछ भी खुद समझ न्ही आ रहा था. तभी सोनम हुंपे रंग मारी तब साला जाके भूदी ठिकाने पे आई लेकिन तब तक हम हग चुके थे)

सोनम – तुम साले आधमी होतते ही बहनचोड़ हो
कहकर सोनम वाहा से भाग तो गयी लेकिन कह के सही बात गयइ. फिर क्या था जिसकी सुबा की शुरआत हुगने से शुरू हुए तो उसके शमने तो अभी पूरा दिन बाकी है

थोड़ी देर बात मामा भी भुलाने आए और होली खेलने लेकिन मैं ने जाने से माना कर दिया और भी मामा भी अपने दोस्त लोगो के साथ खेलने चले गये. उनके जाने के बाद मैं बाहर आया तो देख घर मेी बस मैं. मामी और सोनम हम 3 लोग थी थे. मामी ने मुझे देखा और मुझे अपने पास बुलाया. मैं भी कल की हरकत याद केरते केरते नज़ारे झुकते हुए उनके पास पहुच ही गया

मामी – उदास क्यू है, मेरी छूट के दर्शन सही से न्ही हो पाए क्या

मैं – क्या मामी

सोनम – देखो तो मम्मी कितना भोला बन रहा था, थोड़ी देर पहले मुझे प्रपोज़ कर रहा था

मामी – क्यू आकाश मेरी छूट पसंद न्ही आई

साला मेरे दिमाग़ मेी बस सही घूम रहा था ये सब हो क्यू रहा हा. हो भी रहा हा तो कही ये सपना तो नही, तभी उस सपने को हक्कइकात मेी बदलते हुए. मामी और सोनम दोनो मेरे शमने आई और दोनो ने अपने कपड़े उतारने चालू कर दिए

कसम से सुबा की हरकटो से लगा था की दिन अछा न्ही जाए लेकिन एसा जाएगा सोचा न्ही थे यार. फिर दोनो की चोली और बर हमारे शमने बिल्कुल छप्पन भोग की तरह रखी की (आओ लुत्टो और जाओ). हम दोनो की छूट की तरह अपने हंत बढ़ते हुए आयेज बड्ढे तभी

सोनम – अगर मेरी छूट चाहिए तो प्रीमियम भरना पड़ेगा.

मैं – अब ये साला प्रीमियम केसे भरा जाए.

मामी – मेरे छेड़ो मे अपना माल भरके.

मैं – ठीक है, ना फिर थ्रीसम कर लेते है.

सोनम – प्रीमियम के बाद.

मैं – मतलब.

मामी – मेरी चुदाई करो केरके मुझे कुश करो. और मुझे प्रेग्नेंट करो उससे लड़का हुआ तो समझो प्रीमियम कंप्लीट हुआ.

सोनम – उसके बाद तुम छाए तो हमारे साथ थ्रीसम करो या अकेले अकेले हमारी चुदाई करो, तुम्हारी मर्ज़ी.

दोनो की बाते सुनकर साला दिमाग़ और घूम गया लेकिन साला ये प्रीमियम वाला चाकर पल्ले अभी भी नही पद्धा. फिर साला सोचा ये सब चोरो कुछ तो मिल रहा हा उससी पे फोकस केरो. अपनी पंत उतार लॉडा खड़ा किया और हंतो मे थमते हुए मामी की छूट की तरफ भड़ता चला गया.

मामी भी वही टेबल पे बैठ के अपने दोनो पेर खोल कर रंडी वाली पोज़ मे खड़ी होककर लपलपाति हुए जीब से मुझे आने के लिए कहे जेया रही थी. ये सब मामी की हरकते मुझे और उकसाए जा रही थी.
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