हवस भरे देवर ने भाभी पर डाला हाथ

तो दोस्तों हाज़िर हू मैं आप सब के सामने अपनी रियल स्टोरी के साथ. दोस्तों ये मेरी पहली कहानी है, जो मैं लिख रहा हू, और आज मैं आप सब को बतौँगा कैसे मैने अपनी सग़ी भाभी को छोड़ा. अब ज़्यादा देर ना करते हुए सीधा कहानी पर आता हू. अपने लंड हाथ में ले लीजिए, और छूट में उंगली डाल लीजिए.

हेलो दोस्तों, मेरा नाम है राजेश और मैं एंपी का रहने वाला हू. मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरे मों-दाद और एक बड़े भैया है. भैया की शादी हो चुकी है, और इस कहानी की मैं हेरोयिन मेरी भाभी है. मेरी भाभी का नाम काजल है.

अब मैं आप सब को अपनी भाभी के बारे में बताता हू. वो थोड़ी सी मोटी है, बुत उनका फिगर एक-दूं मस्त है. उनकी गांद पीछे की और निकली हुई है. जब उनकी शादी हुई थी, तब मैं ज़्यादा बड़ा नही था. मुझे सेक्स के बारे में भी कोई ख़ास नालेज नही थी. लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया, मेरे कॉलेज के दोस्तों के साथ रह-रह कर मैं सब सीख गया.

वो लोग कॉलेज में सेक्स मॅगज़ीन लेकर आते थे, और मुझे पढ़ते था. पर तब मैं सेक्स को लेकर इतना जानकार नही था. फिर एक दिन मैं अपने दोस्त का लॅपटॉप लेकर आया, और घर पर चला रहा था. तभी उसमे मुझे पॉर्न वीडियोस मिल गयी, और मैं उन पॉर्न वीडियोस को देखने लगा. फिर उन वीडियोस को देख कर मैने पहली बार अपना लंड हिलाया.

अब मैं और मेरा दोस्त रोज़ पॉर्न वीडियोस देखने और मूठ मारने लगे. उन वीडियोस को देख कर मेरे अंदर इतनी वासना भर गयी थी, की अब मुझे सेक्स के लिए लड़की चाहिए थी. पर अब तक मेरी और मेरे दोस्त की कोई गफ़ नही थी. इस वजह से मैं परेशन होने लगा.

फिर अचानक एक दिन मैं अपने भैया का मोबाइल चला रहा था, और उसमे मुझे पॉर्न वीडियोस दिख गयी. मैं देखने लगा और सोचने लगा भैया तो भाभी के साथ करते होंगे ऐसे ही. और ये सोच कर मैं फिरसे लंड हिलने लगा.

फिर मैं धीरे-धीरे अपनी भाभी के बारे में सोचने लगा. मैं उनके साथ ज़्यादा रहने लगा, क्यूंकी भैया दिन में रहते नही थे घर पर. मैं सुबह कॉलेज जाता, और दिन में आ जाता, तो मैं भाभी के रूम में चला जाता. भाभी जब किचन में होती थी, तो मैं उनके साथ चिपक जाता. भाभी भी मुझे कुछ नही कहती, क्यूंकी मैं घर में सबसे छ्होटा और लाड़ला था.

अब मैं हर वक़्त भाभी से मज़े लेता. जब भी मौका मिलता उन्हे टच करता, और जब भी कुछ काम करती, मैं उनके बूब्स को देखने की कोशिश करता. फिर एक दिन हुआ क्या, वो नहाने जेया रही थी, और मैं पहुँच गया. जैसे ही वो बातरूम में घुसी, मैने गाते लगा दिया बाहर से, और उन्हे बंद कर दिया बातरूम में.

भाभी के कपड़े बाहर रह गये थे, पर उन्होने इस पर ध्यान नही दिया. उन्होने सोचा जल्दी से पहले नहा लेती हू. इस जल्दबाज़ी में वो अंदर से गाते लगाना भूल गयी और नहाने लगी. और गाते मैने बाहर से बंद कर दिया. थोड़ी देर बाद मैं जाने लगा तो मैने सोचा गाते खोल जाता हू, नही तो ये आवाज़ देके बुलाएगी. फिर उसके बाद जो हुआ दोस्तों, मैं तो पागल ही हो गया.

जैसे ही मैने बाहर से लॉक खोला, तो गाते पूरा खुल गया. अब भाभी मेरे सामने सिर्फ़ पनटी में खड़ी थी, और उन्हे मैं देखता ही रह गया. भाभी ने ब्रा नही पहनी थी, और वो अपने हाथो से अपने चुचे च्छूपा रही थी. फिर उन्होने गाते लगा लिया, और मैं जल्दी से बाहर आ गया.

पर मेरी आँखों के आयेज बार-बार भाभी का नंगा बदन आ रहा था. उस दिन मैने दो बार भाभी को सोच-सोच कर मूठ मारी. अब मैने सोच लिया था, की अब तो मुझे कैसे भी भाभी की छोड़ना था. पर कैसे छोड़ूँगा, ये समझ नही आ रहा था. क्यूंकी भैया उस टाइम घर पर ही रहते थे. फिर ऐसे ही दिन गुज़रने लगे.

एक दिन मेरे बगल के चाचा जी का आक्सिडेंट हो गया, तो बड़े चाचा और मेरे भाई और कुछ लोग हॉस्पिटल चले गये. तो भाभी ने मुझसे कहा तुम मेरे रूम में सो जाना. मैं अंदर से बहुत खुश हो गया की आज तो कुछ करके रहूँगा. और फिर रात को खा पी कर मैं भाभी के रूम में उनके साथ सोने चला गया.

सर्दी का टाइम था, तो मैं लोवर और बनियान में था, और भाभी ने पेटिकोट और ब्लाउस पहना हुआ था. वो मेरे साथ एक ही रज़ाई में सो रही थी. पर मुझे नींद नही आ रही थी. कुछ देर बाद मैने देखा वो सो गयी थी, और उनके पैर मुझसे चिपके हुए थे. उनके पैर मुझे गरम कर रहे थे.

मुझसे रहा नही गया. मैने भी धीरे-धीरे उनके पेटिकोट को और उपर करना शुरू कर दिया, और अपने पैरों को उनके पैरों से रगड़ने लगा. वो नींद में मज़े ले रही थी. शायद उनको लग रहा होगा की भैया थे उनके साथ. क्यूंकी वो रोज़ साथ ही सोते थे.

पर मैने सोचा अब मौका था, तो आज चान्स ले ही लू. फिर मैने अपना हाथ उनके पेटिकोट में डाल दिया, और उनकी पनटी तक पहुँच गया. मेरा लंड एक-दूं सख़्त हो गया था. मैं दर्र भी रहा था की अगर भाभी जाग गयी तो क्या होगा. पर मुझे सेक्स की हवस थी, तो मैं उनकी पनटी के उपर से ही उनकी छूट को टच करने लगा.

साथ-साथ मैं अपने लंड को हिलने लगा. तभी भाभी एक-दूं से सीधी हुई, तो मैने अपना हाथ हटा लिया, और सोने की आक्टिंग करने लगा. फिर भाभी ने अपने कपड़े ठीक किए. मेरी गांद फटत रही थी, की अब ये क्या बोलेगी. पर उन्होने कुछ नही बोला और मैं सो गया.

फिर जब सुबह भी भाभी ने मुझसे कुछ नही कहा, तो मेरी जान में जान आई. अब मैने सोच लिया था, की शायद मुझे ट्राइ करना चाहिए, और भाभी मेरे साथ से कर लेंगी.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगा. अगर आपको यहा तक की कहानी पसनद आई हो, तो इसको आयेज भी शेर करे. और कॉमेंट करके अपनी फीडबॅक भी ज़रूर दे. कहानी पढ़ने के लिए आप सब का धन्यवाद.