देसी पड़ोसन भाभी की चूत चुदाई स्टोरी

तो बातो मे टाइम वेस्ट ना करते हुए सीधा स्टोरी पे आते है. ये स्टोरी अभी कुछ टाइम पहले की ही है. मेरी भाभी का नाम तन्नू है, और वो एक कमाल की औरत है. एक-दूं गोरा रंग है उनका, बिल्कुल दूध जैसा, और उनके मम्मो का साइज़ 36″ है.

उनकी बाकी बॉडी का साइज़ तो मैने कभी लिया नही. लेकिन जो साइज़ किसी के भी लंड मे आग लगा दे, कुछ ऐसा ही था उनका साइज़. तो अब आप खुद ही अंदाज़ा लगा लो, की क्या साइज़ होगा मेरी भाभी का, और कितनी हॉट होंगी वो.

मेरे भैया-भाभी शादी को 2 साल हो चुके है. ये बात कुछ टाइम पहले की है. मेरा किसी वजह से अपनी गर्लफ्रेंड से ब्रेकप हो गया था. ब्रेकप होने के बाद, अब मुझे छूट नही मिल रही थी.

मुझे छूट की बड़ी प्यास लगी थी, और मई अब छूट के लिए कुछ भी कर सकता था. मैने काफ़ी ट्राइ किया, लेकिन कही कोई जुगाड़ नही लग रहा था. अब मई हर औरत को हवस भारी निगाहो से देखने लगा था. मेरी हवस मेरे दिमाग़ मे चढ़ती जेया रही थी.

फिर एक दिन मेरी नज़र भाभी पे गयी. वो किचन मे काम कर रही थी. जब मैने उनकी मस्त गांद को देखा, तो मेरा लंड खड़ा हो गया. वो जब इधर-उधर हो रही थी, तो उनकी मटकती हुई गांद कमाल की लग रही थी.

मुझे फील हुआ, की मई अपनी प्यास अपनी भाभी के जिस्म से बुझा सकता था. तो क्यू ना भाभी पर ही ट्राइ किया जाए. फिर ये सोचते हुए, मई अपने काम पे लग गया.

मेरे घर मे मम्मी, पापा, मई, मेरी भाभी और भैया रहते है. मई अक्सर अपनी भाभी को मार्केट लेके जाया करता था. मई उनके हर काम मे उनकी हेल्प करता था. भैया काम मे बिज़ी रहते थे, तो मैने भाभी को सिड्यूस करना शुरू कर दिया.

जब वो मेरे साथ बिके पर होती थी, तो मई बार-बार ब्रेक लगाने लगा. इससे उनके बड़े-बड़े कोमल बूब्स मेरी पीठ पे डब जाते. मुझे बड़ा ही मज़ा आता था ऐसा करते हुए. मई बातरूम मे उनकी ब्रा और पनटी को सूंगता, और मूठ मार कर अपना माल उसी मे निकाल देता.

कभी-कभी तो मई भाभी के सामने जान-बूझ कर अपना लंड सहलाने लगता. मई भाभी को दिखना चाहता था, की मई कितना हॉर्नी था, और उनके साथ सेक्स करने के लिए तड़प रहा था..

लेकिन इस सब के बाद भी वो कुछ रिक्षन नही दे रही थी. एक दिन मैने लोवर पहना हुआ था. मई भाभी के रूम के बाहर से निकल रहा था, तो तभी मैने देखा, की भाभी मिरर के आयेज सूट मे खड़ी थी. उनके सूट की फिटिंग बड़ी ज़बरदस्त थी, और वो पीछे से एक-दूं मस्त माल लग रही थी.

भाभी को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. फिर मई उनके पीछे चुपके से गया, और उनकी आँखों पर हाथ रख कर बोला-

मई: पहचानो कों?

ये बोलते हुए मैने अपना खड़ा हुआ लंड भाभी की गांद के साथ चिपका दिया. मेरा लंड ठीक भाभी की गांद की दरार मे फ़ासस रहा था. जैसे ही भाभी ने अपनी गांद मे मेरे लंड का स्पर्श महसूस किया, तो वो तिलमिला गयी. उन्होने उसी वक़्त मुझे पीछे धक्का दे दिया.

क्यूकी मई भाभी से अक्सर मज़ाक करता रहता था, तो उन्होने इस बात को नज़र-अंदाज़ कर दिया. फिर वो मुझे बोली-

तन्नू भाभी: अर्रे पागल! तूने तो मुझे दर्रा ही दिया.

फिर कुछ दिन ऐसे ही निकल गये. मई दिन मे भाभी के जिस्म को अपनी आँखों से पीटा रहता, और रात मे उनका नाम लेकर अपने लंड की गर्मी निकाल देता. अब भाभी ने अपनी ब्रा और पनटी बातरूम मे रखनी बंद कर दी थी.

कुछ ख़ास नही हो रहा था, तो मैने सोचा की अब मई भाभी पर सीधा ट्राइ करता हू. अब मई मौके की तलाश मे था, क्यूकी घर वालो के होते हुए भाभी से बात नही की जेया सकती थी. फिर एक दिन मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया, और मुझे भाभी के साथ अकेले मे बात करने का मौका मिल गया.

मई अपने दोस्त के घर गया हुआ था. जब मई घर आया, तो मैने देखा की घर पर भाभी के अलावा कोई नही था. ये देख कर मैने भाभी से पूछा-

मई: भाभी सब लोग कहा गये है?

तन्नू भाभी: तुम्हारे भैया तो काम पर ही है. मम्मी-पापा किसी जान-पहचान वाले के यहा कुछ काम से गये है.

ये सुन कर मई एग्ज़ाइटेड हो गया, और मैने भाभी को बोला-

मई: ऐसा करो भाभी, आप भी तैयार हो जाओ. हम भी माल मे चलते है. आप रेडी हो जाओ.

भाभी: ठीक है.

फिर भाभी रेडी होने के लिए अंदर चली गयी. मई भी भाभी के पीछे गया, और उनके रूम की विंडो से उनको कपड़े बदलते हुए देखने लगा. भाभी ने अपने कपड़े उतारे, और अब वो रेड कलर की बिकिनी मे थी.

क्या कमाल की लग रही थी भाभी. एक तो उनका गोरा रंग और टाइट बॉडी, उस पर से उसके उपर रेड बिकिनी. ऐसी खूबसूरत औरत को इस हालत मे देख कर कोई भी मर्द अपने आप को कंट्रोल नही कर सकता. ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ.

मई आउट ऑफ कंट्रोल हो गया. मैने हल्के से भाभी के रूम का दरवाज़ा खोला, और अंदर चला गया. भाभी सलवार उठाने के लिए नीचे झुकी, और उनकी सेक्सी गांद मेरे सामने आ गयी. मैने अपने लंड को भाभी की गांद पे लगाया, और ज़ोर का धक्का मारा.

झटके से भाभी सामने बेड पर गिर गयी. वो हैरान हो गयी, और एक-दूं से सीधी हो गयी. तभी मई भाभी पर कूद पड़ा. मैने भाभी के होंठो के साथ अपने होंठ चिपका दिए और उनको चूसना शुरू कर दिया. साथ-साथ मई अपने हाथ भाभी के बूब्स पर ले गया, और उनको दबाने लगा.

तन्नू भाभी: आह.. आहह.. ये क्या कर रहे हो. पीछे हटो! तुम मेरे साथ ऐसा नही कर सकते. ये सब ग़लत है.

लेकिन मई भाभी की कहा सुनने वाला था. मई अपना हाथ उनकी कच्ची मे ले गया, और उसको नीचे करके उतारने लगा. तभी भाभी बोली-

भाभी: रॉनित ये ग़लत है. मई तुम्हारी भाभी हू. तुम क्या कर रहे हो ये?

ये बोल कर भाभी अपने आप को मुझसे चुधवाने की कोशिश करने लगी. मई नीचे गया, और भाभी की छूट मे मूह मारने लगा. मई उनकी क्लितोरिएस को सहलाने लगा, जिससे भाभी की ज़ोर की आहें निकलनी शुरू गयी.

अभी भी भाभी अपने आप को चुधवाने के लिए हाथ पैर मार रही थी. फिर मैने पास पड़ा हुआ उनका दुपट्टा पकड़ा, और उस दुपट्टे से उनके हाथ बेड के कोनो से बांड दिए. फिर मैं उनकी टांगे फैलाई, और उनकी छूट चाटने लग गया. मुझे पता था, की अगर वो चिल्लाटी तो मेरे साथ-साथ उनकी भी बदनामी होती. इसलिए वो नही चिल्लाएँगी.

और हुआ भी ऐसा ही. वो मुझे बोलने लगी-

तन्नू भाभी: रॉनी प्लीज़ आहह.. प्लीज़ ऐसा मत करो. मई तुम्हारी भाभी हू. और मेरा ये जिस्म सिर्फ़ तुम्हारे भैया का है.

लेकिन मई कहा मान-ने वाला था. मुझे तो मौके का पूरा फ़ायदा उठना था. मई लगातार अपनी भाभी की फूलो जैसी कोमल छूट छाते जेया रहा था. फिर थोड़ी देर मे उनका पानी निकल गया. उनका सफेद पानी उनकी छूट से बहने लग गया. पानी निकालने का मतलब ये था, की उनको भी मज़ा आ रहा था.

फिर मैने अपना लंड बाहर निकाला. मेरा बड़ा सा लंड देख कर वो दर्र गयी, और बोलने लगी-

तन्नू भाभी: प्लीज़ रॉनित नही. मई तुम्हारी भाभी हू रॉनित.

वो माना तो कर रही थी. लेकिन उनके माना करने मे पहले जैसी बात नही रही थी. अब वो सिर्फ़ फॉरमॅलिटी करने के लिए माना कर रही थी.

मैने एक सेकेंड की भी देर नही की, और अपना लंड उनकी छूट पर रगड़ने लगा. वो ज़ोर-ज़ोर की सिसकिया ले रही थी. अब भाभी ने माना करना भी बंद कर दिया था, और चुप-छाप अपनी छूट पर लंड रगडवा रही थी.

वो खुद भी थोड़ी-थोड़ी गांद हिला रही थी. इससे पता चल रहा था, की वो भी अब लंड को छूट मे लेना चाहती थी. फिर मैने भाभी की छूट मे एक ज़ोर का धक्का मारा. धक्का लगते ही मेरा आधा लंड भाभी की छूट मे चला गया. भाभी की आहह निकल गयी, और वो बोली-

तन्नू भाभी: इतना बड़ा नही जाएगा. मुझे बहुत दर्द होगा.

मई बोला: तोड़ा ही दर्द होगा भाभी. उसके बाद बहुत मज़ा आएगा.

तन्नू भाभी: हमे ये नही करना चाहिए.

मई: जो होता है हो जाने दो मेरी सेक्सी भाभी.

ये बोल कर मैने एक और धक्का लगाया, जिससे मेरा तोड़ा और लंड भाभी की छूट मे चला गया. मई अपने लंड पर प्रेशर बढ़ता गया, जिससे लंड पूरा अंदर चला गया. भाभी ज़ोर-ज़ोर से सिसकिया ले रही थी, और उनको काफ़ी दर्द हो रहा था.

फिर पूरा लंड डाल कर मई वही रुक गया. मैने भाभी के होंठो को चूसना शुरू कर दिया. इस बार भाभी भी मेरा साथ देने लग गयी. वो दर्द मे थी, तो मेरे होंठो को चूसने के साथ काट भी रही थी.

जब भाभी का दर्द तोड़ा कम हुआ, तो उन्होने अपने आप गांद हिलानी शुरू की. ये उनकी तरफ से एक इशारा था मुझे. फिर मैने उनकी छूट मे धक्के देने शुरू कर दिए. क्या मज़ा आ रहा था भाभी की गरम छूट छोड़ने मे.

धक्को के साथ हमारी किस चलती जेया रही थी. मैने भाभी के हाथ खोल दिए, और भाभी मेरे सिर पर अपना हाथ रख कर मेरे होंठ चूस रही थी. अब भाभी माना करने की बजाए बोल रही थी-

भाभी: आहह.. हा ऐसे ही करो रॉनित आहह.. ज़ोर से करो मेरी जान. तुम्हारे भैया ने मुझे आज तक इतना मज़ा नही दिया है. आज से पहले मुझे पता भी नही था, की छूट मे लंड इतना मज़ा दे सकता है. कम ओं मेरी जान आहह..

अब भाभी पूरी तरह से मेरी काबू मे थी. मई अपनी इतने दीनो की पूरी हवस मिटा सकता था. फिर मई ऐसे ही धक्के देता रहा और भाभी के होंठ और बूब्स चूस्टा रहा. मेरी जाँघो के उनकी जाँघो के साथ टकराने से पुर कमरे मे ठप-ठप की आवाज़े आ रही थी.

15 मिनिट की चुदाई के बाद भाभी झाड़ गयी. उनकी छूट का गरम-गरम अमृत मुझे अपने लंड पर फील हो रहा था. लेकिन मई इतनी जल्दी नही झड़ने वाला था. मैने अपना लंड उनकी छूट से निकाला और उनको घोड़ी बना लिया.

फिर मैने अपना लंड भाभी के मूह मे डाल दिया. अब भाभी कुटिया की तरह मेरा लंड चूस रही थी. मई अपने एक हाथ से भाभी की गांद दबा रहा था, और उसके छेड़ मे उंगलिया भी डाल रहा था. भाभी की गांद भी बहुत मस्त और क़ास्सी हुई थी.

उनकी गांद देख कर पता चल रहा था, की भैया ने अभी तक उनकी गांद का मुहूरत नही किया था. मई भाभी के मूह मे धक्के देता गया, और भाभी मेरा लंड चूस्टी गयी. थोड़ी देर लंड चूसने के बाद भाभी फिरसे गरम हो गयी, और उन्होने मुझे उनकी छूट छोड़ने को कहा.

मैने भाभी की गांद को अपनी तरफ किया और उसी घोड़ी की पोज़िशन मे भाभी की छूट छोड़ने लगा. लगभग 30 मिनिट की चुदाई के बाद भाभी की छूट मे कसाव आने लगा, और मेरा लंड भी अपने चरम पर था. मैने धक्को की स्पीड बढ़ा दी, और भाभी की गांद को कस्स कर पकड़ लिया.
मेरा माल बस निकालने वाला था. मई धक्के मारता जेया रहा था. मैने भाभी के बाल खींच लिए थे, जिससे भाभी की आहें तेज़ हो गयी. फिर मैने उन्ही धक्को के साथ अपना पानी भाभी की छूट मे ही निकाल दिया. जैसे ही पानी उनकी छूट मे निकला, तो भाभी बोली-

भाभी: अर्रे ये क्या किया तुमने? अपना पानी मेरी छूट मे क्यू निकाला?

मैने भाभी की इस बात का जवाब नही दिया, और उनको किस करना शुरू कर दिया. फिर भाभी उठी और बातरूम मे जाने लगी. बातरूम की तरफ जाते हुए उनकी मटकती गांद कमाल की लग रही थी. अब मुझे भाभी की गांद की चुदाई भी करनी थी. और उसके बारे मे मई आपको अगले पार्ट मे बतौँगा.

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