सुहाना की गांद मिन्नी की गांद के मुक़ाबले ढीली थी. शायद उसने काई बार अपनी गांद की चुदाई करवाई थी. फिर मैने दूसरा झटका मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी गांद में उतार गया. अब सुहाना की चीख निकल गयी.
सुहाना: ह फाड़ दी मेरी गांद मेरे. यश निकालो इसे बाहर, मदारचोड़ फटत गयी मेरी गाअंड. श छ्चोढ़ दो, निकालो इसे बाहर हराम-ज़ादे. अपनी अम्मी की चुदाई कर सेयेल बेरहम जानवर. मैं मॅर जौंगी निकाल लो, नही छुड़वाना मुझे.
मिन्नी ने भी ये सुन कर सुहाना की तरफ देखा और वो भी हासणे लगी.
मिन्नी: उफफफ्फ़ मेरी जान तुझे तो गांद फदवाणी थी ना. अब क्या हुआ? अब आया मज़ा?
प्रिया भी मुस्कुरा रही थी, और मैने उसकी हर बात को इग्नोर किया और एक-दूं से तेज़-तेज़ झटके लगाने लगा. इसकी वजह से उसको ज़रा भी शांत होने का टाइम नही मिला, और उसका चिल्लाना चालू ही रहा.
सुहाना: आह यश, प्लीज़ छ्चोढ़ दो ना. गांद जाल रही है. अपनी मा की गांद में डाल सेयेल इसे.
फिर मैं उसकी गांद पे थप्पड़ लगते हुए ही झटके लगता रहा, और तेज़-तेज़ झटके देता रहा.
यश: साली रांड़, तेरे जैसी रांड़ के लिए ही तो है ये लंड. तुझे चूड़ना था ना साली? ले बेहन की लोदी. तेरी मा का भोंसड़ा फादू साली रांड़, मेरी रखैल है तू. मैं जब कहूँगा तब ही तुझे चूड़ना पड़ेगा साली छिनाल. जहा कहूँगा वाहा चूड़ना पड़ेगा. साली रखैल का यही काम होता है.
यश: बेहन की लोदी, अपने मालिक को गाली बकेगी, ले और ले बहनचोड़. अभी तो तुझे तेरे नमार्द पति के सामने भी छोड़ूँगा. बोल बेहन की लोदी चूड़ेगी ना असलम के सामने रांड़? बोल बेहन की लोदी.
सुहाना: हा मैं चुड़ूँगी. श, जहा कहोगे वाहा चुड़ूँगी. छोड़ लेना मेरी मा का भोंसड़ा भी श यश मेरे मालिक माफ़ कर दो. अपनी रखैल को जब चाहे जहा चाहे वाहा छोड़ना मलिक. श मेरा असलम तो नही छोड़ पाता. वो भी देखेगा मेरे मलिक मेरी चुदाई.
और वो भी अब मस्त हो गयी, और शांत हो कर अब वो और ज़्यादा चूड़ने की फरियाद करने लगी थी. इसी तरह 1 घंटा उसकी गांद फाड़ने के बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला, और सारा का सारा लंड रस्स सुहाना के मूह पे डाल दिया, जिसको सुहाना और प्रिया ने मिल के चाट लिया. लंड को भी उन दोनो ने चाट-चाट के सॉफ किया.
फिर सुहाना भी मिन्नी के साथ लेट गयी, और प्रिया एक बार फिरसे आइस ले आई और लगाने लगी सुहाना की गांद पे. सुहाना की गांद भी खुल गयी थी, और सूजन भी आ गयी थी. तो वो भी बिना हीले लेती रही. प्रिया फिरसे लंड चूसने लगी, और अपनी छूट उसने मेरे मूह पे रखी. मैं भी उसकी छूट चाटने लगा.
लेकिन वो भी अपने चरम पे थी तो वो भी झाड़ गयी, और मैने उसका भी छूट रस्स चाट लिया. प्रिया भी मेरे पास आ कर लेट गयी. मेरी भी आँखें बंद होने लगी थी, तो मैने देखा शाम के 7 बजे थे. फिर मैं भी कुछ देर के लिए सो गया, और प्रिया भी मुझसे चिपक कर सोने लगी थी.
बाहर तो जेया नही सकते थे, इसीलिए सो जाना ही ठीक था. जब मैं उठा तो देखा मिन्नी और सुहाना गहरी नींद में थे, और प्रिया मेरे पास नही थी. तो मैने भी उठ के पानी पिया, और वॉशरूम की तरफ गया. मैने देखा प्रिया वॉशरूम में ही थी, और नंगे बदन शवर ले रही थी.
शवर के नीचे उसके गीले बाल और उसके गोरे बदन पे से फिसलते पानी की बूंदे बहुत सुंदर लग रही थी. उसके निपल्स बिल्कुल टाइट हो कर तंन गये थे और आँखों में वासना और उसके काँपते गुलाबी होंठ ऐसे लग रहे थे, की बस लंड को लपक कर चूस लेना चाहते हो.
ये देख के मेरा लंड भी टाइट हो गया था, और मैं पेशाब करने लगा था. तभी प्रिया ने लंड पकड़ा और घुटनो पे बैठ के मेरे पेशाब से शवर लेने लगी. उसके मूह से होते हुए पेशाब उसकी गर्दन से हो कर उसकी चुचि और फिर उसके पुर बदन पे जाने लगा. वो बिल्कुल आराम से बैठ के मेरा पेशाब पी रही थी.
फिर जैसे ही मेरा पेशाब निकलना बंद हुआ, उसने लंड अपने मूह में भर लिया और चूसने लगी. प्रिया लंड को बहुत आचे से चूसना जानती थी, तो उसके मूह में लंड जाते ही मैं जन्नत में पहुँच गया. ऐसा लगता था की वो रोज़ाना ही लंड चूस्टी थी.
यश: श प्रिया भाभी, और अंदर लो मेरी रांड़ भाभी. आह मज़ा आ गया, और अंदर लो. ले जाओ इसे हलाक तक भाभी. साली कुटिया चूस.
और वो मज़े से लंड चूस्टी जेया रही थी. शवर से गिरता पानी उसके बदन पे अभी भी बह रहा था. उसके मूह से बस लंड चूसने की ही आवाज़े आ रही थी. अब मैने भी उसका सर पकड़ा, और उसके मूह में झटके लगाने लगा. मैने उसकी हलाक में गहराई तक लंड उतार दिया. उसकी आँखें खुली की खुली थी, और मैं उसकी हलाक तक लंड उतार रहा था.
फिर मैने प्रिया के गाल पे थप्पड़ भी लगा दिए, और लंड बाहर निकाल कर लंड से ही उसके गालों पे थपकीया लगाने लगा.
प्रिया: यश प्लीज़ यार, अब छोड़ दो मुझे. सुबा से लंड के लिए तड़प रही हू. देखो ना छूट बहती जेया रही है, रुक ही नही रही है. सुहाना और मंदाकिनी की चुदाई देख के तो मेरा सारा बदन जल रहा है. ठंडे पानी से भी ठंडा नही हो रहा है. तुम्हारा मूट भी पी लिया. अब तक खुश नही हुए क्या तुम?अपनी इस रांड़ भाभी को छोड़ दो, और इंतेज़ार ना काराव.
मैने भी अब प्रिया को बाल पकड़ के खड़ा किया, और उसको किस करते हुए 2 उंगलियाँ उसकी छूट में ज़ोर-ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा. वो खड़ी-खड़ी ही काँपने लगी, जैसे उसकी टाँगो में जान ही नही थी. लंड उसके और मेरे बीच में फ़ससा हुआ था. उसके चुचे मेरी छ्चाटी से चिपक गये थे, और उंगलियाँ छूट में अंदर बाहर हो रही थी.
प्रिया: श यश, मेरी जान. मत तडपा अपनी रांड़ भाभी को आह यश. लंड डालो ना छूट में. ऑश, छोड़ दो मुझे.
लेकिन मुझे तो उसकी ये तड़प देख के मज़ा आ रहा था. फिर मैने भी उसको शवर के नीचे दीवार से चिपका दिया. अब उसके चुचे दीवार से चिपक गये और उसकी गांद मेरी तरफ थी. तो मैने भी नीचे बैठ उसकी टाँगो के बीच में जेया कर उसकी छूट को चाटना शुरू कर दिया.
उसकी छूट के होंठो पे जैसे ही मैने अपने होंठो में रख कर चूसा, वैसे ही उसकी छूट से चिपचिपा सा माल बहने लगा, और मैं उसकी छूट को चाटने में लगा रहा. उसकी छूट के दाने को होंठो के बीच रख के चूस भी लेता था.
प्रिया: श यश, छातो, और छातो. मेरा राजा, लंड डालो ना. अब नही सहा जाता मुझसे यश.
और इसी तरह अलाप करते हुए ही उसने अपना छूट रास भी बहा दिया. मैने भी उसकी छूट को चाट के सॉफ किया, और खड़ा हो गया उसके पीछे ही.
यश: भाभी जी याद है ना पिछली चुदाई? आप तैयार हो ना? चिल्लाओगी तो नही ना छूट फटने पे?
प्रिया: यश बातें मत करो, डाल दो जल्दी. फटत जाने दो मेरी छूट. तुम बस घुसा दो जैसे तुम्हे अछा लगा.
फिर मैने भी पीछे से लंड उसकी छूट पे सेट किया. टोपे को छूट में घुसा दिया, और एक ज़ोर का झटका मारा और लंड सरकता हुआ एक ही बार में अंदर गया. प्रिया की चीख निकल गयी. वो दीवार के सहारे खड़ी हुई ही, काँपते हुए ही उसने मेरी तरफ देखा, और स्माइल करने लगी.
उसकी आँखों में उसका दर्द और खुशी दोनो ही नज़र आ रहे थे, और मैं अभी लंड अंदर करके बस खड़ा हुआ था.
प्रिया: यश थॅंक योउ मेरी जान ये लंड अंदर डालने के लिए. श मेरी तो जान ही निकल गयी थी, कब से इंतेज़ार किया अकेले में चूड़ने का मैने. अब छोड़ो, लगाओ झटके मेरी छूट में यश.