हेलो दोस्तों, मैं कारण आ गया हू अनोखी कहानी को आयेज बढ़ने के लिए. तो जैसा की आप जानते है की राज और नेहा के सब के मज़ाक बनाना पर, रघुवीर गुस्सा हो कर चला गया. फिर राज गया राघवीर से बात करने. करीब एक घंटे के बाद रघुवीर टेंट में आया, और राज से चिपक गया. अब आयेज-
राज: अब आ रहे हो वीर!
रघुवीर: सॉरी यार, मेरी बात के लिए.
राज: मैने कभी तुम्हारी बात का ग़लत नही माना है.
रघुवीर: पता नही यार तुम्हे किसी और के साथ क्लोज़ देख कर पता नही मुझे क्या हो जाता है.
राज: तुम्हारा दोस्ती बाँट जाएगा ये सोच कर तुम दर्र रहे हो. इसीलिए तुम्हे ऐसा लग रहा है.
रघुवीर: शायद ऐसा ही है.
राज: हमारी दोस्ती के बीच कोई नही आएगा.
रघुवीर: मैं आने भी नही दूँगा.
राज: चलो अब सो भी जाओ, रात बहुत हो गयी है.
फिर दोनो कब सो गये पता ही नही चला. अगली सुबह जब आवाज़ दी, तब जेया कर दोनो उठे, और सभी दोस्त साथ मिल कर तालाब में नहाने के लिए गये. लेकिन राज को तैरना नही आता है, इसलिए उसने माना कर दिया. फिर रघुवीर के हिम्मत देने से वो तालाब में उतरा.
रघुवीर ने तालाब में राज का हाथ नही छ्चोढा, लेकिन जब मलांग, समर और रोहित उसे तैरने के लिए बुलाने लगे, तब उसने माना किया. मगर राज बोला की वो किनारे के पास ही रहेगा. तब रघुवीर चला गया. उस वक़्त राज अकेला था. जब वो धीरे-धीरे किनारे की तरफ जेया रहा था, तब उसका पैर पत्थर से टकरा गया, और वो पानी में डूबने लगा.
जब नेहा, नीषा, प्रिया सब चिल्लाने लगे, तब रघुवीर जल्दी से राज के पास आ गया और राज को अपने कंधे पर उठा कर बाहर ले गया. राज के पेट में बहुत पानी चला गया था, और वो बेहोश हो गया था. तब रघुवीर ने बिना कुछ सोचे ही राज के लिप्स से अपने लिप्स लगा दिए, और उसको साँस देने लगा. तब जेया कर राज को होश आया, और उसके पेट में से सारा पानी बाहर निकला.
रघुवीर राज को अपनी बाहों पे उठा कर टेंट पे ले गया, और उसके सारे कपड़े उतारने लगा.
राज: वीर मैं कर लूँगा, तुम जाओ बहार.
रघुवीर: तुम चुप करो. मुझे क्यूँ जाने के लिए बोला?
राज: यार पैर फिसल गया था.
तभी रघुवीर ने उसे कस्स के हग किया और बोला-
रघुवीर: अगली बार ऐसी हरकत कभी मत करना.
फिर राज कपड़े पहन कर बाहर आया, और सब तुरंत ही जंगल छ्चोढ़ कर घर आ गये. पुर रास्ते रघुवीर ने राज का साथ नही छ्चोढा.
अब ऐसे ही कुछ महीने बीट गया. मगर उसी बीच नेहा राज के साथ पूरी क्लास में रहती, और नीषा रघुवीर के साथ. रघुवीर और राज दोनो एक-दूसरे को देखते रहते, मगर अब वो अपनी दोस्ती में किसी तीसरे के बारे में नही सोच रहे थे.
एक दिन राज अपना फोन भूल कर जल्दी क्लास आ गया था, और रघुवीर लाते आने वाला था. इसलिए राज ने नीषा को बोला-
राज: नीषा, क्या तुम रघुवीर को कॉल करके बता डोगी की मेरा फोन भी ले आए घर से.
नीषा: ऑफ कोर्स राज.
जब नीषा कॉल करने लगी, तब राज ने देखा की नीषा ने रघुवीर का नंबर “वीर डार्लिंग” के नाम पे सवे किया था. राज को ये देख कर अछा नही लगा, इसलिए उसने नीषा से पूच लिया-
राज: तुम दोनो का कुछ चल रहा है?
नीषा: मैं तो चलना चाहती हू. लेकिन वो तो कुछ समझता ही नही.
राज: अगर तुम चाहो तो मैं मदद कर सकता हू.
नीषा ( खुशी से): सच में?
राज: हा, पहले मैं उससे बात करता हू.
फिर राज अपनी क्लास में चला गया. कुछ देर बाद रघुवीर आ गया, और उसे फोन दिया.
राज: सुनो, एक बात का जवाब दोगे?
रघुवीर: हा पूछो.
राज: क्या तुम नीषा को पसंद करते हो?
रघुवीर: मतलब?
राज: नीषा तुम्हे पसंद करती है. लेकिन क्या तुम उसे पसंद करते हो?
रघुवीर: मैं उसे सिर्फ़ दोस्त के हिसाब से देखता हू, समझे?
राज: अछा ठीक है.
रघुवीर: क्या तुम नेहा को पसंद करते हो?
राज: तुम फिरसे शुरू हो गये?
रघुवीर: तुम ही शुरू किए.
राज: मैं भी उसे सिर्फ़ दोस्त के हिसाब से देखता हू.
और फिर रघुवीर चला गया, और राज अपना क्लास ख़तम करके घर चला गया. रात को नीषा का कॉल आया.
राज: हा बोलो नीषा?
नीषा: रघुवीर से बात हुई क्या?
राज: हा मैने पूछा, मगर वो तुम्हे दोस्त के हिसाब से ही देखता है बोला.
नीषा: लेकिन मैं तो उससे प्यार करता हू यार.
राज: ठीक है, मैं कुछ करता हू.
अब राज रात भर सोचने लगा की वो सही तो कर रहा था ना. फिर उसने अपने आप को ही जवाब दिया की, मैं वीर का दोस्त हू, और नीषा सही लड़की है उसके लिए. ये सब राज सोच तो रहा था, मगर उसकी आँखों से आँसू आ रहे थे.
फिर अगले दिन वो कॉलेज गया और सभी दोस्तो को अपने पेरेंट्स की आनिवर्सयरी पे बुलाया. उसने स्पेशल नीषा को बोल दिया की-
राज: नीषा, मैं सब सेट कर दूँगा. सिर्फ़ तुम उसके पास जेया कर अपने दिल की बात बोल देना.
नीषा: ओक, थॅंक्स यार इतना करने के लिए.
फिर राज अपने घर चला गया आनिवर्सयरी पार्टी की टायारी करने के लिए. अगले दिन शाम को सब दोस्तो और रिश्तेदार आने लगे. उस दिन राज ब्लू कलर की शर्ट और वाइट पंत पहना था. रघुवीर एक नेट ब्लॅक शर्ट और ब्लॅक जीन्स पहना था. जब सब दोस्त आ गये, तब रघुवीर, समर, मलांग और रोहित सब बियर पी रहे थे, और उधर लड़कियाँ की गॉसिप कर रही थी.
राज ने नीषा को कुछ मेसेज किया था. राज ने देखा की रघुवीर को बियर का नशा धीरे-धीरे चढ़ने लगा था. उसी का फ़ायदा उठा कर उसने रघुवीर को अपने पास बुलाया.
रघुवीर: क्या हुआ राज?
राज: ज़रा अपना घर में जाओ, और एक बॉक्स पड़ा है जाओ लेकर आओ.
रघुवीर: मेरे घर में तुम अपना समान क्यूँ रखे हो?
राज: अर्रे वो सर्प्राइज़ है, मम्मी पापा के लिए.
उसी वक़्त नीषा राज के पास आ कर बोली-
नीषा (प्लान के हिसाब से): राज मुझे वॉशरूम जाना है.
राज: अर्रे यहा तो सब भीड़ है, तुम वीर के घर चली जाओ.
रघुवीर: क्या मेरे घर!
राज: हा, कोई प्राब्लम है?
रघुवीर: नही ऐसा नही है. ओक चलो नीषा.
फिर नीषा और रघुवीर उसके घर गये और रघुवीर नीषा को वॉशरूम दिखा कर बॉक्स ढूँढने लगा. तभी नीषा ने रघुवीर को बोला-
नीषा: मैं एक बात बोलना चाहती हू रघुवीर.
रघुवीर: बोलो.
नीषा: ई लोवे योउ वीर!
रघुवीर: क्या?
नीषा: मैं तुमसे प्यार करता हू वीर.
रघुवीर ( गुस्से से): मैं पिया हू, लेकिन तुम्हे नशा चढ़ा है क्या?
नीषा: हा तुम्हारे प्यार का नशा.
रघुवीर: लेकिन मैं तुमसे प्यार नही करता हू.
नीषा: लेकिन क्यूँ?
रघुवीर: अर्रे, बस नही करता, और मुझे वीर मत बुलाओ. ये हक मैं तुम्हे नही दिया हू.
ये बोल कर रघुवीर वापस आ गया, और नीषा तोड़ा उदास हो कर आई. रघुवीर आ कर फिरसे अपने दोस्तों के साथ बैठ गया. तभी उसने देखा की राज नीषा को लेकर अपने रूम जाता है.
जब रघुवीर राज के बेडरूम के पास गया, तब उसने सुना की.
क्या सुना वो अगले पार्ट में जाँएंगे. अगर आपको ये कहानी पसंद आ रही है तो अपना कॉमेंट मेरे मैल ईद महरकरण64@गमाल.कॉम पर भेजे. धन्यवाद.