साले के जीजा को गांद पेश करने की कहानी

ही दोस्तों, मेरा नाम अनुज है, और मैं एंपी का रहने वाला हू. मैं 20 साल का हू, और कॉलेज में पढ़ता हू. मेरी हाइट 5’4″ है, और रंग गोरा है. मेरी बॉडी लड़कियों जैसी है, और गांद बाहर की तरफ है. मेरे शरीर पर बाल बहुत कम है.

सीधे-सीधे बोलू तो मैं एक गे हू. मुझे लड़कियाँ नही लड़के पसंद है. काफ़ी टाइम पहले ही मुझे ये पता चल गया था, की मैं एक गे हू. जब लड़के लड़कियों के बारे में सोच कर मूठ मारते थे, तब मैं उनको देख कर उत्तेजित होता था. फिर एक दिन मुझे अपने ही जीजू से गांद छुड़वाने का मौका मिला. तो चलिया बताता हू सब कैसे हुआ.

मेरे घर में मेरे अलावा मम्मी-डॅडी और एक बड़ी बेहन है. मेरी बड़ी बेहन मुझसे 5 साल बड़ी है. उसकी शादी 6 महीने पहले ही हुई है. पिछले महीने मैं अपनी दीदी के घर गया.

वो लोग मेरे वाहा जाने पर बहुत खुश थे. फिर हमने खाना खाया, और काफ़ी बातें की. मुझे दीदी कुछ उखड़ी-उखड़ी लग रही थी. मैने उनसे पूछा भी लेकिन उन्होने कुछ नही बताया. मुझे लगा की दीदी और जीजू का कोई झगड़ा हुआ था.

फिर रात हो गयी, और सब सोने चले गये. मुझे दीदी की फिकर हो रही थी, और इसी वजह से मुझे नींद नही आ रही थी. फिर मैने सोचा की जीजू से जाके बात करता हू. ये सोच कर मैं दीदी-जीजू के रूम की तरफ गया.

जब मैं रूम के बाहर पहुँचा, तो मुझे रूम में से कुछ आवाज़े आ रही थी. रूम का दरवाज़ा तोड़ा खुला था, तो मैं अंदर झाँक कर देखने लगा. मैने देखा की दीदी और जीजू दोनो नंगे थे, और जीजू दीदी को मिशनरी पोज़िशन में छोड़ रहे थे.

वो दोनो किस कर रहे थे, और जीजू लंड अंदर बाहर करके दीदी की छूट छोड़ रहे थे. ये देख कर मैं उत्तेजित हो गया. जीजू का लंड अछा-ख़ासा तगड़ा था. कम से कम 7 इंच का लंड था जीजू का. कुछ देर वो दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे.

फिर जीजू ने दीदी को घोड़ी बनने को कहा. दीदी जल्दी से अपने घुटनो पर आई, और गांद बाहर निकाल कर घोड़ी बन गयी. जीजू ने पीछे से दीदी की छूट पर अपना लंड रगड़ा, और रगड़ते हुए एक ही झटके में अंदर डाल दिया. दीदी की आहह निकली, और जीजू ने दीदी को छोड़ना शुरू कर दिया.

मैं लगातार जीजू का लंड देख रहा था, और उत्तेजित हो रहा था. मेरा लंड जो सिर्फ़ 3 इंच का है, खड़ा हो गया था. फिर मैने भी अपना लंड सहलाना शुरू कर दिया. जीजू लगभग 15 मिनिट दीदी को पीछे से छोड़ते रहे.

उन्होने थप्पड़ मार-मार कर दीदी की गांद लाल कर दी थी. फिर अचानक से उन्होने अपना लंड दीदी की छूट से बाहर निकाला, और उनकी गांद में डालने की कोशिश करने लगे. जैसे ही उन्होने लंड गांद के च्छेद पर रख कर धक्का दिया, दीदी चिल्ला उठी, और सीधी हो गयी. फिर वो बोली-

दीदी: मैने बोला था ना आपको की मैं गांद नही मरवा सकती.

जीजू: मैने भी कहा था ना की तेरी गांद की सील तोड़नी है मुझे.

दीदी: नही, ऐसा नही करोगे आप. मैं इतना दर्द नही सहन कर सकती.

जीजू: बेबी शुरू में दर्द होगा, लेकिन बाद में मज़ा आएगा.

दीदी: नही.

फिर कुछ देर दोनो की बहस होती रही, और दोनो लड़ कर सो गये. अब मुझे समझ आया, की दोनो की लड़ाई का रीज़न क्या था, और दीदी क्यूँ उखड़ी-उखड़ी रह रही थी. लेकिन मुझे ये सब में अपने लिए एक मौका नज़र आया.

अगले दिन हम सब एक वॉटर पार्क में गये. मैं ये सोच रहा था, की जीजू को गांद का मज़ा लेना था, और दीदी को गांद मर्वानी नही थी. तो क्यूँ ना मैं अपने जीजू को अपनी गांद पेश कर डू. इससे मेरी भी गांद की खुजली मिट जाएगी. ये सोच कर मैं जीजू को अपनी तरफ आकर्षित करने लगा.

वॉटर पार्क में वेट सूट बहुत ही टाइट होते है. मैने ऐसे ही एक टाइट सूट पहना, और बार-बार जीजू के आयेज झुक कर उनको अपनी गांद दिखाने लगा. कुछ टाइम में जीजू भी मेरी मोटी गांद नोटीस करने लगे. फिर मैं जीजू के साथ पार्क के ही एक रेस्टौरेंट गया. दीदी और बाकी सब अभी भी पार्ट में ही थे.

वाहा मैने जीजू को डाइरेक्ट ही बोला: जीजू दीदी उखड़ी हुई सी है. आप दोनो में झगड़ा हुआ है क्या?

जीजू: हा तोड़ा झगड़ा हुआ है.

मैं: क्या हो गया?

जीजू: देख तुझसे क्या च्छुपाना. तू मेरे भाई जैसा है. शादी जो होती है, वो इसलिए होती है की ज़िंदगी का सुख मिले. चाहे वो मेंटल सुख हो, या फिज़िकल सुख.

मैं: तो क्या आपको फिज़िकल और मेंटल सुख नही मिल रहा.

जीजू: देख बिहेवियर में तो वो बहुत अची है. समझदार भी है, और काम में भी अची है. लेकिन…

मैं: लेकिन क्या जीजू? बोलिए ना.

जीजू: यार तेरी बेहन है, उसके बारे में मैं ऐसी बातें तेरे साथ कैसे करू?

मैं: आप भूल जाओ की मैं उसका भाई हू. और बिंदास होके बोलो.

जीजू: चल ठीक है, जैसा तू चाहे. हम दोनो की सेक्स लाइफ में प्राब्लम है.

मैं: कैसी प्राब्लम? दीदी देती नही है आपको?

जीजू: देती तो है, लेकिन वो नही देती जो मैं उससे चाहता हू.

मैं: देती है, लेकिन वो नही देती. अब इसका क्या मतलब जीजू? आप सीधे-सीधे क्यूँ नही बताते.

जीजू: चल ठीक है, मैं सीधा बोलता हू. तेरी दीदी छूट तो देती है, लेकिन गांद नही मारने देती. अब मैं गांद मारने के लिए कहा जौ? बंदा शादी करता है, हर तरह के सेक्स का मज़ा लेने के लिए. पर ये मानती नही है. और इसी बात पर हमारा झगड़ा हो जाता है.

मैं: अछा, इतनी सी बात.

जीजू: ये इतनी सी बात है?

मैं: इतनी सी ही तो बात है जीजू.

आपको गांद मारनी है बस. अगर दीदी नही मरवती, तो किसी और की मार लो.

जीजू: तू तो ऐसे बोल रहा है, जैसे सब को राह चलते हुए गांद मारने को मिल जाती है.

मैं: सब का तो मुझे पता नही जीजू. लेकिन आपको तो मिल सकती है.

जीजू: अब तू सीधी बात करेगा?

तभी मैं खड़ा हुआ, वो अपनी गांद जीजू की तरफ कर दी. फिर मैं बोला-

मैं: जीजू इस गांद के बारे में क्या ख़याल है?

ये सुन कर जीजू मेरी गांद की तरफ हैरानी से देखने लगे. इसके आयेज क्या हुआ, और उन्होने क्या जवाब दिया. वो सब आपको कहानी के अगले भाग में पता चलेगा. अगर मज़ा आया हो कहानी का, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.