मेरी चुदकड़ चूत को नया लंड मिल गया

ही फ्रेंड्स, मई 36 साल की अनमॅरीड और काम-काजी महिला हू. मेरा काम के सिलसिले मे अक्सर ही अलग-अलग शहरो मे जाना होता है. मई भरे बदन की, लंबी, गोरी और आकर्षक काया की मल्लिका हू. 36″ साइज़ की मेरी चूचिया मादकता से लबालब भारी हुई है.

मेरी उभरी गांद को पाने की तमन्ना तो हर उमर के मर्द रखते है. इसलिए तो आते-जाते मुझे ये बाते सुन्नी पड़ती है-
“हाए-हाए क्या मस्त माल है”

कोई मुझे कहता है, “क्या चाल है तेरी”. मई भी इन बातो का घुट-घुट कर मज़े लेती हू और इतरा-इतरा के चलती हू. मई गर्व करती हू अपनी मादक काया पर. जवानी के दस्तक देने के साथ ही मेरी मस्त छूट चूड़ने के लिए तड़पने लगी थी.

और मई भी किसी ना किसी तरह, आज 18 बरसो से अलग-अलग लंड से चुड़वाती चली आ रही हू. मैने कभी अपनी छूट को निराश नही होने दिया. अब मई इस कहानी पर आती हू. मई काम के सिलसिले मे देल्ही आई हुई थी. देल्ही मे मेरा टीन दीनो का प्रोग्राम था.

अब मई ये प्लान कर रही थी, की इन टीन दीनो मे दिन भर तो काम किया जाए, और रात भर मस्ती से चुडवाया जाए.

मई ऐसे होटेल को तलाश रही थी, जहा मेरा मकसद पूरा हो सके. मैने अपनी फ्रेंड रूचि से बात की, जो मेरे ही उमर की मस्त कूदी है. मई रूचि से बोली-

मई: यार मेरी जवानी की रात बिना चुडवाए काट-ती नही है. तुझे अगर देल्ही का आइडिया है, तो बताओ.

रूचि चहक कर बोली: अर्रे नंदू, (प्यार से मुझे रूचि नंदू ही पुकारती थी. वैसे मेरा नाम तो नंदनी है) तुम्हारे जैसी कामुक काया पर तो सौ-सौ न्योछावर हो जाएँगे. तू इसकी चिंता मत कर, और मेरे साथ ही रह ले. मई सारा कुछ मॅनेज कर दूँगी. तुम जिस होटेल मे हो वाहा कोई प्राब्लम नही है. और कस्टमर भी मोटी रकम वाले मिल जाते है.

मई बोली: हा फिर ठीक है.

फिर मई रूचि के साथ हो ली. रात के 8 बजे हम लोग होटेल मे आ गये. रूचि इधर-उधर फोन कर रही थी. आख़िर-कार मुझे एक लड़के से अपायंटमेंट मिल गयी. फिर एक घंटे मे वो लड़का आ गया. रूचि ने मुझे उस लड़के के साथ एंगेज कर दिया.

उस लड़के का नाम संतोष था. संतोष करीबन 24 साल का लंबा चौड़ा और स्पोर्टी जवान लग रहा था. मई लगातार संतोष को ही देख रही थी. संतोष भी मुझे ही निहार रहा था. फिर उसने बताया, की वो अनमॅरीड बिज़्नेसमॅन था. संतोष ने बातो का सिलसिला शुरू करते हुए मुझे पूछा-

संतोष: तुम कहा से हो? और देल्ही कब आई?

मैने उसको जवाब दिया: मई पटना से हू. आज ही देल्ही आई हू.

संतोष: चलो मेरी किस्मत ठीक है, जो तेरे जैसी लड़की मिली मुझे. तुम बहुत ही मस्त और कामुक हो. भरपूर मज़ा मिलेगा तुम्हारे साथ.

फिर बाते करते-करते हम लोग संतोष के घर पहुँच गये. संतोष घर मे अकेला था. घर पहुँचते ही संतोष ने मुझे अपनी आगोश मे ले लिया और चूमने लगा. मई खुद भी तो छुड़वाने के लिए तड़प रही थी.

मेरी जवानी की आग धधक रही थी. मई भी संतोष को पूरी गरम-जोशी से चूम चाट रही थी. चूमते चाट-ते संतोष मेरे नशीले रस्स से भरे होंठो को चूसने लगा. मेरे होंठो के नशीले रस्स को पी कर संतोष माधमस्त होता गया.

मैने संतोष की पंत उतार कर अपने प्यारे लंड महाराज का मुआएना किया. लंड पुर 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा था. उसका मस्त लंड फुकारने लगा था. खुली हवा मे लंबा मोटा लोड्‍ा फिंग रहा था. मस्त लंड को देखते ही मई मस्ती से भर उठी और बड़े ही प्यार से मई लंड को सहला रही थी.

मेरे नाज़ुक हाथो की नर्मी पकड़ कर उसका लोड्‍ा उछालने लग गया. ये देख कर मेरी छूट कसमसाने लग गयी. मेरे होंठो को पीते हुए संतोष मेरी चूचियो पर आ गया. जब संतोष ने मेरी बड़ी-बड़ी चूचियो को हाथ लगाया, तो मुझे तो जैसे 440 वॉल्ट का करेंट सा लगा.

संतोष मेरी चूचियो को मसल रहा था और उधर मेरी छूट पासीज कर गीली होती जेया रही थी. छूट के टपकते पानी को देख कर संतोष के मूह से निकला-

संतोष: आहह महारानी जी, क्यू बर्बाद कर रही हो इस मदिरा को.

और ये बोल कर संतोष ने मेरी बर पर मूह लगा दिया. बिल्कुल नदी की तरह बर से रस्स टपकता रहा. संतोष मेरे रस्स का स्वाद बड़े ही आनंद से ले रहा था. मेरी तो जैसे छूट मे आग सी लग गयी थी. उस आग की गर्मी को बर्दाश्त करना अब मेरे बस मे नही रहा. फिर मई संतोष को झिड़कते हुए बोली-

मई: अर्रे बहनचोड़ बुरछट्‍टे! सिर्फ़ बर ही चाट-ता रहेगा, या छोड़ेगा भी? अब जल्दी से मेरी बर मे अपना लोड्‍ा डाल और छोड़ ढाका-धक. मेरी बर की आग को एक बार ठंडा कर दे. फिर तो सारी रात तेरी है, जितना जी चाहे चाट-ते रहना.

संतोष हरकत मे आ गया और उसने मेरे नंगे जिस्म को अपनी बाहो मे उठा लिया. फिर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया. उसने मेरी गांद को बेड के किनारे रखा हुआ था. मेरी टाँगो को उसने अपने कंधे पर लिया, तो मेरी छूट का मूह एक-दूं संतोष के लंड के सामने था.

फिर उसने अपना मूह मेरे होंठो पर लगाया और अपनी दोनो हथेलियो से मेरी चूचियो को पकड़ा. उसके बाद उसने मेरी बर पर अपने लोड को फिट किया और कस्स के दबाया. उसका मोटा और लंबा लोड्‍ा सरकता हुआ अंदर जेया रहा था. क्या मस्त अनुभूति थी वो.

मई मस्ती से भर कर और गांद को उछाल कर लोड्‍ा बर मे लेने की ट्राइ कर रही थी. लोड सूपड़ा बर के अंदर घुस चुका था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरे मूह से निकल रही थी-

मई: हाए मोरे राजा, दे दे पूरा मज़ा. धकेल दे अपने मस्ताने लंड को मेरी मस्तानी बर मे. और बुझा दे मेरे जिगर की आग को.

संतोष को ताव आ गया उसने अपनी पूरी ताक़त से लोड को बर के अंदर धकेला. उसका लोड्‍ा बर को चीरता हुआ अंदर समा गया. मई चहक उठी और मुझे लगा, जैसे लंड मेरे पेट मे समा गया है. अभी कुछ और होता तब तक संतोष ने लोड्‍ा बाहर खींच लिया.

मैने अपनी बर को उपर की तरफ उछाला, ताकि लंड को पकड़ साकु. मुझे लंड का बाहर जाना मंज़ूर नही था. तभी संतोष ने घाप से अपने लोड को बर मे डाल दिया. मई आ आ कर बैठी और संतोष मस्ती से मुझे छोड़ने लगा.

मई गांद उछाल-उछाल कर छुड़वाने लगी. चुड़वाते-चुड़वाते मेरी छूट बरबस पासीजे जेया रही थी. मेरी बर मे पानी भरता जेया रहा था और चुदाई का मधुर संगीत बजने लगा था. फॅक-फॅक की आवाज़ से पूरा घर गूँज उठा था.

मई गांद उछाल-उछाल कर ढाका-धक छुड़वा रही थी और संतोष फ़चा-फॅक मुझे छोड़ रहा था. फिर संतोष ने पटट्री बदलने की इच्छा ज़ाहिर की, और उसने मुझे कुटिया बना दिया. वो खुद कुत्ता बन गया था.

अब वो मेरी छूट मे लोड्‍ा ठोकते हुए ज़ोर-ज़ोर से छोड़ता जेया रहा था. चुड़वाते-चुड़वाते मेरी आँखें चढ़नी शुरू हो गयी थी. मेरे पुर जिस्म मे चुदाई की आग जल रही थी. अब सारा माजरा संतोष पर टीका था, की सो छुड़वाने का भरपूर मज़ा दे पाता, या लोड्‍ा झाड़ के खड़ा हो जाता.

उसका लंड गरम रोड की तरह मेरी बर को थोक रहा था. फिर चुड़वाते हुए मेरा जिस्म अकड़ने लगा और मेरी छूट की पकड़ मज़बूत हो गयी. मई संतोष को अपने बदन से जकड़े-जकड़े आ-आ, हाए-हाए, मोरे राजा, मई गयी, मई गयी कर रही थी.

फिर ये कहते-कहते मई पस्त हो गयी. लेकिन ज़ुल्मी संतोष अब भी मुझे छोड़ ही रहा था. अब मुझसे ज़रा भी बर्दाश्त नही हो रहा था. मैने संतोष को धक्का दे दिया, और संतोष आ आ करता हुआ मुझसे अलग हो गया.

फिर मैने झट से संतोष के लंड को अपनी नाज़ुक कलाई मे लिया और संतोष को लोड्‍ा हिला-हिला कर मज़ा देने लगी. आख़िर-कार लंड से मदन रस्स की फुहार उड़ने लगी. लोड्‍ा झड़ने के साथ ही संतोष शांत हो गया और एक तरफ लूड़क गया.

करीबन आधे घंटे बाद संतोष उठा, और उसने मेरी चूची को हाथ लगाया. मई पूरी तरह गड़-गड़ हो गयी थी और मैने इस चुदाई का भरपूर मज़ा लिया था. संतोष पूरी रात मुझे मस्त लंड से छोड़ता रहा और मई चुड़वाती रही. बस दोस्तो, आज के लिए बस इतना ही. थॅंक्स

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