अंजलि और ढोंगी बाबा की चुदाई – क्षकशकश कहानी

नमस्ते दोस्तो, उमिद है आपको मेरी “तारक मेहता का ऊलतः चश्मः” चुदाई कहानी का पिच्छला पार्ट पसंद आया होगा. अब आयेज पढ़िए..

अब गोकुलधाम मे सुबा हो गयी थी. सुखी सोच रही थी, की आज जेता लाल तो दुकान पर था नही, तो घर पर ही रह लेना चाहिए. लेकिन फिर उसने सोचा, की वो घर पर भी क्या करेगी, इसलिए वो दुकान पर चली गयी.

तभी अंजलि अपने घर से बाबा जी को फोन करती है और कहती है-

अंजलि: आज मई अपने साथ एक और लड़की को लेके अवँगी.

तभी उधर से आवाज़ आती है: ठीक है, लेकिन दोनो की दोनो अपने बूब्स की लाइन को बड़ी करके आना. और जो लड़की सभी से चूड़ने वाली है उसको बोलना, की पिंक लिपस्टिक लगा कर आए. उसको ये भी बोलना, की वो सलवार ही डाले. वैसे तो उसको यहा पर नंगी ही होना है.

अंजलि उसकी बात को आचे से समझ गयी थी और फिर अंजलि ने जल्दी से अपने घर का काम ख़तम कर लिया. तारक आज जल्दी ऑफीस चला गया था. तभी अंजलि ने सोचा, की पहले वो तैयार हो जाए. लेकिन फिर उसने सोचा, की सुखी कभी भी आ सकती थी, इसलिए उसको पहले तैयार नही होना चाहिए और सुखी के पास जाना चाहिए.

फिर अंजलि जल्दी से सुखी के घर की तरफ जाने लगती है. वाहा जाके उसको सुखी कही जाती हुई दिखाई देती है. अंजलि तभी सुखी को रोक लेती है. अभी तक सुखी और अंजलि अची सहेलिया बन चुकी थी. फिर अंजलि सुखी से पूछती है-

अंजलि: कहा पर जेया रही है सुखी?

सुखी बोलती है: दुकान पर जेया रही हू.

फिर अंजलि बोलती है: नही तुझे आज मेरे साथ जाना होगा. मुझे कुछ काम है और कोई और दोस्त मेरे साथ जेया नही सकती.

सुखी पहले तो अंजलि को माना करती है और अंजलि को बोलती है-

सुखी: मई ऐसे कैसे चली जौ, बिना जेता जी को बताए?

तभी अंजलि जेता लाल को फोन करती है और बोलती है-

अंजलि: जेते लाल जी, आज सुखी दुकान पर नही आ सकती है.

इस्पे जेता लाल बोलता है: कोई बात नही, आप टेन्षन मत लो और ले जाओ इसको.

फिर अंजलि सुखी को बता देती है, की जेता लाल ने उसको पर्मिशन डेडी है. साथ मे अंजलि सुखी को लाल रंग का सूट डालने को बोलती है, क्यूकी वो जानती थी, की सुखी के पास काफ़ी सारे लाल सूट थे. फिर सुखी को कपड़े बदलने का बोल कर अंजलि फुर्र से अपने घर चली जाती है और कपड़े बदलने लगती है.

अब एक तरफ सुखी तैयार हो रही थी और दूसरी तरफ अंजलि तैयार हो रही होती है. तभी कारण घर से बाहर निकलता है और वो किसी काम के लिए बाहर जेया रहा होता है. तभी उसको लगता है, की उसको जेता लाल के घर जाना चाहिए, क्यूकी उसको एक नया फोन लेना था. लेकिन फिर वो अपना जेता लाल के घर जाने का प्लान कॅन्सल कर देता है और अपने काम की तरफ चल पड़ता है.

इधर दया की हालत खराब हुई पड़ी थी. उसको काफ़ी दर्द हो रहा था और साथ मे उसको गुस्सा भी आ रहा था. दया ने एक बात सोच ली थी, की उसको गोगी से बदला ज़रूर लेना है. फिर दया खड़ी हो गयी और नहा कर आराम करने लगी. थोड़ी देर आराम करने के बाद दया घर का काम करने लग जाती है और साथ ही साथ वो कुछ सोच भी रही थी.

उधर अंजलि अब तैयार हो चुकी थी. अंजलि एक-दूं मस्त बन कर तैयार हुई थी, क्यूकी उसको पता था, की उसको आज चूड़ना था. उसने लाल रंग का सूट पहना था और साथ मे टाइट पाज़ामी पहनी थी. उसकी लिपस्टिक भी लाल रंग की थी. और फिर अंजलि तैयार हो गयी और उसने कुछ पैसे भी ले लिए.

फिर अंजलि अपने घर का दरवाज़ा लॉक कर देती है और सुखी की वेट करने लगती है. अंजलि ने सुखी को ये नही बताया था, की वो उसको किसी बाबा के पास लेके जेया रही थी. उसने सुखी को सिर्फ़ ये बोला था, की वो उसको किसी काम के लिए लेके जेया रही थी.

सुखी भी बढ़िया तरीके से लाल सूट मे तैयार होकर आई थी. उसके सूट मे से उसके बूब्स की लाइन आसानी से दिख रही थी. अंजलि जब सुखी को देखती है, तो उसको अछा लगता है. क्यूकी आज सुखी की अंजलि से ज़्यादा बुरी हालत होने वाली थी

आज सुखी का गंगबांग होने वाला था, लेकिन सुखी इस बात से अंजान थी. उसको पता भी नही था, की उसके साथ क्या होने वाला था और वो तो सिर्फ़ काम के लिए तैयार हो रही थी. फिर जब सुखी अंजलि के पास गयी, तो अंजलि बोली-

अंजलि: क्या बात है सुखी. आज आप बहुत अची लग रही हो?

सुखी: अर्रे आप भी मज़ाक मत करो और ये बताओ, की शॉपिंग करने जाना कहा है?

अंजलि ने पहले तो सोचा, की सुखी को झूठ बोल देना चाहिए. लेकिन फिर उसने सोचा, की उसको सच बता देना चाहिए. अब अंजलि ने सुखी को सच बताने का सोचा, की जहा वो जेया रहे थे, वाहा सुखी की सलवार खुलने वाली थी.

अंजलि: सुखी मई तुम्हे बता रही हू, की हम कहा जेया रहे है. हम एक बाबा के पास जेया रहे है. उसके पास एक इलाज है, जिससे बच्चा होता है, इसलिए हम वाहा जेया रहे है.

सुखी बोलती है: अछा ऐसी बात है क्या? लेकिन मेरा उस बाबा के पास क्या काम?

इस्पे अंजलि ने कहा: तेरा ही काम है वाहा. क्यूकी तुझे ही सब कुछ करना है.

ये बात अंजलि के मूह से ग़लती से निकल गयी थी. तभी सुखी ने अंजलि से कहा-

सुखी: क्या मतलब सब कुछ मुझे ही करना है? मई कुछ समझी नही.

अंजलि बोली: मतलब तुझे वाहा मेरे साथ जाना होगा और पूजा-पाठ मे मेरा साथ देना होगा.

अब सुखी और अंजलि ऐसे ही बाते कर रही थी और फिर तभी वाहा पर एक रिक्कशे आ गयी. अंजलि और सुखी रिक्कशे मे बैठ गयी. तभी अंजलि ने देखा, की रिक्कशे-वाला बार-बार सुखी के बूब्स की लाइन देख रहा था. ये देख कर अंजलि को पता चल गया था, की वो सही औरत को अपने साथ लेके जेया रही थी.

तभी सुखी ने अंजलि से कहा-

सुखी: अगर वाहा किसी औरत का काम है, तो तुम किसी और को ले-जाती.

इस्पे अंजलि ने कहा: नही, कोई और औरत मेरे साथ जाने को तैयार नही होती, इसलिए तुम्हे लेके जेया रही हू.

तभी रिक्कशे वाले ने पूछा: मेडम जी, कहा जाना है?

अंजलि ने उसको बोला: हमे रंगीला बाबा के यहा जाना है.

तभी अंजलि की इस बात पर सुखी को हस्सी आ गयी और वो बोली-

सुखी: हहा रंगीला बाबा!

तभी रिक्कशे वाले ने कहा: अछा मतलब अब आप दोनो की छूट भोंसड़ा बनने वाली है.

ये सुन कर सुखी ने बोला: क्या भैया, आप क्या बोल रहे हो?

तो अंजलि ने कहा: अर्रे कुछ नही, हम वाहा तक जाएँगे ना, इसलिए बोल रहा है.

फिर अंजलि ने रिक्कशे-वाले से कहा: अब आप चुप-छाप अपनी रिक्कशे चलाओ. और तुम्हे हुमको वापस भी लेके आना है.

तभी रिक्कशे-वाले ने कहा: ठीक है मेडम.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको नेक्स्ट पार्ट मे पता चलेगा. आप अपनी फीडबॅक देने के लिए और कोई आइडिया देने के लिए मुझे मैल कर सकते है.