भोपाल की सुपरणा की चुदाई स्टोरी

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम कमाल है. मैं भोपाल का रहने वाला हू. उमर मेरी 21 साल है, और मैं कॉलेज में पढ़ता हू. मेरी हाइट 5’9″ है, और लंड मेरा 7 इंच का है.

मेरी फॅमिली में मैं, मम्मी, डॅडी, एक बड़ी बेहन, और दादा जी है. इसके अलावा हमारे घर में एक नौकरानी है, जिसका नाम सुपरणा है. वो 40 साल की है, और हमारे ही घर में रहती है. इस कहानी में मैं आपको बतौँगा की कैसे मैने सुपरणा आंटी को छोड़ा.

सबसे पहले मैं आपको उसके बारे में बता देता हू. 26 साल की उमर में उसकी शादी हुई थी. उसका हज़्बेंड बहुत पीटा था, और उसको रोज़ मारता था. इसलिए उसने अपने हज़्बेंड से डाइवोर्स ले लिया. उसके बाद से वो नौकरी करके ही अपना गुज़ारा कर रही है.

सुपरणा का रंग हल्का गोरा है, और फिगर बड़ा मस्त है. उसका साइज़ तकरीबन 36-32-40 होगा. वो सारी पहनती है, डीप नेक ब्लाउस वाली. उसकी सारी में उसकी गांद मस्त नज़र आती है. ब्लाउस में उसकी पीठ बहुत सेक्सी लगती है.

मैने सुपरणा के बारे में सोच कर बहुत मूठ मारी. लेकिन कभी कुछ करने की हिम्मत ही नही पड़ी. लेकिन कहते है ना, की किसी चीज़ को दिल से चाहो, तो वो कभी ना कभी आपको मिल ही जाती है. तो कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ. चलिए बताता हू क्या हुआ.

हमारी फॅमिली को 3 दिन के लिए किसी रिलेटिव के यहा फंक्षन पर जाना था. हम सब बहुत खुश थे, और वाहा पूरा एंजाय होने वाला था. फिर हम सब समान पॅक करके रेडी हो गये, और घर से निकल गये. सुपरणा आंटी घर पर ही थी, तो हमे कोई चिंता नही थी.

7 घंटे का रास्ता था, और दाद, मैं, और दादा जी थोड़ी-थोड़ी देर ड्राइव कर रहे थे. अभी हम आधे रास्ते ही पहुँचे थे, की तभी मुझे मेरे कॉलेज से फोन आया. कॉलेज में कोई गवर्नमेंट की टीम इनस्पेक्षन करने आने वाली थी अगले दिन, तो उन्होने सब स्टूडेंट्स को आने के लिए कहा था.

ये सुन कर मेरा सारा मूड खराब हो गया. जब मैने पापा को बताया तो पापा ने मुझे वही उतार कर बस पकड़ने को कहा. फिर उन्होने मुझे पास के बस स्टॅंड पर ड्रॉप कर दिया, और फिर चले गये. फिर मैने वापसी की बस पकड़ी, और घर के लिए निकल पड़ा.

कुछ घंटो में मैं घर पहुँच गया. टाइम देखा तो रात के 10 बाज रहे थे. मैने सोचा इस वक़्त सुपरणा आंटी सो रही होंगी, तो उनको डिस्टर्ब करना ठीक नही रहेगा. इसलिए मैने अपने बाग से घर की चाबी निकली, और अंदर दाखिल हो गया. मैं अपने रूम में जेया ही रहा था, की मुझे किसी के चीखने की आवाज़ आई.

वो आवाज़ सुन कर मैं हैरान हो गया, और वही रुक कर सुनने लगा की आवाज़ कहा से आ रही थी. कुछ सेकेंड्स तक आवाज़ नही आई. लेकिन फिर कुछ सेकेंड्स बाद ज़ोर की आ की आवाज़ आई. वो आवाज़े सुपरणा आंटी के रूम से आ रही थी.

मैं जल्दी से आंटी के रूम की तरफ गया, ये सोच कर की वो मुसीबत में होंगी. लेकिन वाहा तो कुछ और ही सीन चल रहा था. आंटी के रूम का दरवाज़ा खुला था, और आंटी पूरी नंगी किसी आदमी से घोड़ी बन कर चुड रही थी. वो आदमी ज़ोर-ज़ोर से उनकी छूट मार रहा था, और उसकी वजह से आंटी आ आ की आवाज़े निकाल रही थी.

तभी आंटी की नज़र मुझ पर पड़ी, और वो घबरा कर सीधी हो गयी. वो अपने बदन को ढकने की कोशिश करने लगी. मैं तभी नीचे आ गया, और सोफा पर बैठ गया. मैं बहुत गुस्से में था, की वो हमारे पीछे किसी को भी घर में बुला कर अपना बिस्तर गरम कर रही थी.

कुछ मिनिट बाद वो आदमी नीचे आया, और मूह च्छूपा कर बाहर निकल गया. फिर सुपरणा आंटी नीचे आई. वो सारी पहन कर, अपने आप को ठीक करके आई थी. मैं सोफा पर बैठा था, और वो मेरे पास आके ज़मीन पर बैठ गयी. उसने मेरे घुटने पर हाथ रखा, और बोलने लगी. इससे पहले वो कुछ बोलती, मैने उसका हाथ हटाया और खड़ा हो गया. मैने कहा-

मैं: बहुत शौंक है ना तुझे चुदाई करने का. अब इसको मूह में ले.

ये बोल कर मैने अपनी पंत और अंडरवेर उतार दिए, और अपना आधा खड़ा लंड उसके मूह के सामने कर दिया. वो मूह हटाने लगी, लेकिन मैने उसके बाल खींच कर लंड उसके मूह में डाल दिया. अब मैं उसके मूह में धक्के देने लगा, और मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया.

खड़ा होके मेरा लंड उसके गले की दीवार से लगने लगा, और उसकी साँस रुकने लगी. मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारता गया, और उसका मूह छोड़ता रहा. जब लंड पूरा गीला हो गया, तब मैने उसके मूह से बाहर निकाल लिया. फिर मैने उससे कहा-

मैं: चल नंगी हो जेया.

सुपरणा: बेटा, ऐसा मत करो. तुम मेरे बेटे जैसे हो.

मैं: लेकिन तुम एक रंडी हो. अब या तो जो मैं कहता हू करो, या इस घर से निकालने की तैयारी कर लो. जैसे ही घर वाले आएँगे, मैं उनको सब बता दूँगा.

सुपरणा: ऐसा मत करना.

मैं: फिर वही करो जो बोला है.

फिर सुपरणा आंटी अपने कपड़े उतारने लगी, और नंगी हो गयी. आज तक जिस जिस्म के बारे में सोच कर मैने लंड हिलाया था, आज वो मेरे सामने नंगा था. मैने आंटी के हाथ सोफा पर रख कर उनको घोड़ी बनाया, और पीछे से लंड उनकी छूट में पेल दिया. उनकी चीख निकल गयी. अब मैं उनको ढाका-धक छोड़ने लग गया. साथ-साथ मैं बोल रहा था-

मैं: तू सिर्फ़ मेरी रंडी है. सिर्फ़ मेरे सामने घोड़ी बनेगी. मैं जैसे बोलूँगा वैसे चूड़ेगी मेरे से.

वो बस आहह आ कर रही थी. 15 मिनिट मैने उसको इसी पोज़िशन में छोड़ा. इस बीच मैने थप्पड़ मार-मार कर उसकी गांद लाल कर दी. फिर मैने आंटी को सोफा पर लिटाया, और मिशनरी पोज़िशन में उसको छोड़ने लगा.

मैं उसके बूब्स चूस्टे हुए उसको छोड़ रहा था. 10 मिनिट छोड़ने के बाद मेरा निकालने वाला था. मैने अपना सारा माल उसकी छूट में ही हल्का कर दिया. उस दिन के बाद से मैं जब चाहु उसको छोड़ता हू.

दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको शेर ज़रूर करे.