मेरा नाम नवीन है. मेरी उमर 26 साल, रंग सावला, और मेरा लंड 8 इंच का है. मेरे घर में 4 लोग है, मैं, मेरी छ्होटी बेहन, मम्मी, और पापा. हम गाओं में रहते है, और हमारे सारे रिश्तेदार हमारे घर के आस-पास ही रहते है.
हमारे बिल्कुल साथ वाला घर मेरे बड़े पापा का है. उनकी 2 बेटियाँ है, जो मुझसे बड़ी है. एक का नाम है दीपा, और दूसरी का नाम प्रिया. ये कहानी मेरी और प्रिया दीदी की चुदाई की है. तो चलिए मैं कहानी शुरू करता हू.
बात कुछ महीनो पहले की है. हमारे घर में एक ही टाय्लेट है, और काई बार जब एमर्जेन्सी होती है, तो हम बाहर खेतों में टाय्लेट करने चले जाते है. उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ. मैं जब टाय्लेट जाने लगा, तो पापा ऑलरेडी वही पर थे. फिर मैं खेतों की तरफ चल पड़ा.
जब मैं काफ़ी आयेज पहुँचा, तो वाहा पर मुझे किसी के बात करने की आवाज़ आ रही थी. ये आवाज़ 2 लड़कियों की थी, और जानी-पहचानी लग रही थी. मैने सोचा क्यूँ ना सुबा-सुबा नंगी लड़कियों के दर्शन कर लिए जाए.
ये सोच कर मैं चुपके से आयेज बढ़ा. तोड़ा आयेज जाके देखा, तो वो लड़कियाँ और कोई नही, बल्कि प्रिया और दीपा थी. जैसे ही मेरी नज़र प्रिया पर पड़ी, मेरा लंड उसको देखते ही खड़ा हो गया. वो नीचे टट्टी करने बैठी हुई थी. उसकी गांद एक-दूं गोरी थी, और नीचे बैठ कर काफ़ी बड़ी लग रही थी.
उसकी टट्टी उसकी गांद में से बाहर निकल रही थी. गांद देख कर दिल कर रहा था जाके उसको चाट लू, और टट्टी खा जौ. दीपा प्रिया के पीछे थी, तो वो दिखाई नही दे रही थी. फिर मैने उनकी कुछ बातें सुनी.
प्रिया: दीदी उस दिन अंजलि को उसके यार ने यही पर छोड़ा था.
दीपा: अछा.
प्रिया: हा. कह रही थी बहुत मज़ा आया उसको. पता नही हमे कब कोई छोड़ेगा.
दीपा: हा यार, लाइफ बोरिंग हो गयी है.
प्रिया: मुझे तो किसी का भी लंड मिल जाए, मैं ले लूँगी. बस मिल जाए. छूट में आज-कल बहुत खुजली होती है.
दीपा: फिलहाल तो तुझे तेरी उंगली का सहारा ही लेना पड़ेगा. चल मेरा हो गया, मैं चलती हू.
प्रिया: मैं आती हू थोड़ी देर में. सोच रही हू उंगली कर ही लू.
दीपा: चल मज़ा करियो आचे से. बाइ.
ये बोल कर दीपा चली गयी. फिर प्रिया वाहा से गांद सॉफ करके उठी, और तोड़ा आयेज चली गयी खेतों में. मैं भी उसके पीछे-पीछे चला गया. वाहा जाके वो नीचे ज़मीन पर सीधी लेट गयी, और अपनी सलवार (उसने सलवार सूट पहना हुआ था) में हाथ डाल कर अपनी छूट सहलाने लगी.
कुछ ही सेकेंड्स में वो आ आ करने लगी. फिर उसने अपनी सलवार और पनटी दोनो नीचे घुटनो तक कर दी, और अपनी नंगी छूट सहलाने लगी. मैं अपनी बेहन की नंगी छूट को सॉफ देख पा रहा था. मेरा लंड लोहे की रोड बन चुका था.
मुझे लगा यही सही मौका था. मैं आयेज बेहन के पास चला गया धीरे-धीरे. उसकी आँखें बंद थी, और वो मदहोश थी पूरी तरह से. मैं धीरे से उसकी टाँगो के पास जाके बैठ गया, और अपना मूह उसकी छूट पर लगा लिया. मेरे ऐसा करने से वो चौंक गयी और बोली-
प्रिया: नवीन तुम! तुम यहा क्या कर रहे हो? और ये क्या बदतमीज़ी है?
मैं: दीदी आप कब तक ऐसे फिंगरिंग करके अपनी छूट शांत करोगी? इससे अछा मैं आपको संतुष्ट कर देता हू.
प्रिया: बेशरम! अपनी बेहन से ऐसी बात करते तुझे शरम नही आती?
मैं: अभी आप ही तो कह रही थी की किसी का भी लंड चलेगा आपको. ये देखो मेरा लंड.
ये बोल कर मैं खड़ा हो गया, और अपना लंड निकाल कर दीदी के सामने कर दिया. मेरा 8 इंच का लंड देख कर वो चरमरा गयी. फिर मैने उनको कहा-
मैं: दीदी मैं विश्वास दिलाता हू, की किसी को कभी कुछ पता नही चलेगा. जब तक आपकी शादी नही होती, तब तक मुझे छोड़ने दो ना अपनी छूट.
दीदी मेरा लंड देखे जेया रही थी, और होंठ काट-ते हुए कुछ सोच रही थी. मैं समझ गया था की उनका भी मॅन था, बस वो कहने से कटरा रही थी. फिर मैं आयेज बढ़ा, और मैने दीदी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
लंड हाथ में लेते ही दीदी मुस्कुरा दी. फिर मैने दीदी को लंड चूसने का इशारा किया. वो घुटनो पर आ गयी, और मेरी तरफ देखते-देखते ही उन्होने लंड अपने मूह में डाल लिया. अब मेरी बेहन मेरा लंड चूस रही थी. वो बिल्कुल एक भूखी रंडी की तरह लंड चूस रही थी.
मैने भी दीदी के मूह में धक्के देने शुरू कर दिए. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैने लंड दीदी के मूह से बाहर निकाला, और उसको फिरसे लिटा लिया. मैने दीदी को नीचे से नंगा किया, और उसकी छूट पर अपना मूह लगा लिया.
मेरे ऐसा करते ही वो तड़पने लगी. मैं दीदी की छूट चूसने लगा, और वो अपने उपर के कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी. कुछ देर छूट चूसने के बाद मैं भी पूरा नंगा हो गया. फिर मैं दीदी के उपर आया, और उनकी छूट पर लंड रगड़ने लगा. वो आ आ कर रही थी.
इधर मैने अपने होंठ दीदी के होंठो से चिपकाए, और उधर धक्का मार कर पूरा लंड उनकी छूट में घुसा दिया. दीदी दर्द से झटपटाने लगी, लेकिन मैने छूट में धक्के देके उनको छोड़ना शुरू कर दिया.
कुछ देर बार उनका झटपटाना बंद हुआ, और वो ह्म ह्म करने लगी. फिर मैने उनके होंठ छ्चोढे, और उनके बूब्स चूस्टे हुए उनको छोड़ने लगा. अब दीदी मुझे ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने को बोल रही थी.
फिर मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और दीदी ने अपनी टांगे मेरी कमर पर लपेट ली. अब वो भी गांद उठा-उठा कर चुदाई में साथ दे रही थी. 15 मिनिट तक मैने दीदी की छूट को फुल स्पीड में छोड़ा. फिर मैने अपना लंड बाहर निकाला, तो देखा लंड दीदी की छूट के खून से साना था.
दीदी आज से कुवारि नही थी, क्यूंकी मैने उनकी सील तोड़ दी थी. फिर मैने अपने लंड का पानी उनकी नाभि पर निकाल दिया. उस दिन के बाद से जब भी उनकी छूट में खुजली मचती, तो वो मेरे पास आ जाती.
दोस्तों कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी ज़रूर शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.