भाई ने मौके का फ़ायदा लेके बहन को चोदा

ही फ्रेंड्स, मैं अनिकेत वापस आ गया हू अपनी कहानी का दूसरा और आखरी पार्ट लेके. उमीद है आप सब ने पिछला पार्ट पढ़ा होगा. अगर नही पढ़ा, तो प्लीज़ जाके पहले उसको पढ़े.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मेरे अंदर अपनी बेहन के लिए वासना भारी पड़ी थी. फिर किस्मत ने मुझे उस वासना को मिटाने का एक मौका दिया. मेरी बेहन के हाथो किसी आदमी का आक्सिडेंट हो गया, और मैने उसको पोलीस स्टेशन से च्चूदवाने के लिए पैसे दिए.

फिर मैने उसको पैसे वापस करने के लिए 2 दिन का टाइम दिया. 2 दिन बाद उसने कहा की उसके पास पैसे नही है, तो मैने उसको पापा को सब बताने की बात कही. फिर जब उसने मुझे गले लगाया तो मैने उसका चूतड़ दबा दिया.

वो मेरी नीयत भाँप गयी. उसके बाद मैने उसके सामने 2 रास्ते रखे, की या तो वो पैसे वापस दे, नही तो मैं पापा को बता दूँगा. या वो मुझे उसके साथ सेक्स करने दे. अब आयेज बढ़ते है.

मैं 2 रास्ते रजनी (मेरी बेहन) के सामने रख चुका था. उसके चेहरे पर परेशानी थी, और वो सोच रही थी की वो क्या करे. वो मुझसे चूड़ना नही चाहती थी. लेकिन वो ये भी नही चाहती थी की पापा को पता चल जाए.

मैने फिर ज़्यादा वेट नही की. उसकी खामोशी को मैने हा समझा, और उसको अपनी बाहों में भर कर अपने होंठ उसके होंठो से मिला दिए. अब मैं उसके होंठ चूसने लगा, और वो मुझे खुद से डोर करने की कोशिश करने लगी. मेरी पकड़ उसके जिस्म पर मज़बूत थी, इसलिए वो मुझे डोर नही कर पाई.

किस करते हुए मैने उसकी गांद भी दबानी शुरू कर दी. लगातार 5 मिनिट मैने उसके होंठ चूज़, और फिर हमारी किस टूटी. किस इतनी ज़बरदस्त थी, की हम दोनो हाँफ रहे थे. तभी वो बोली-

रजनी: भैया आप ग़लत कर रहे हो. मैं आपकी बहन हू.

मैं: तुम ऐसा क्यूँ सोच रही हो? इस वक़्त तुम एक औरत हो, और मैं मर्द. तो चलो वही करते है जो औरत और मर्द करते है.

रजनी: नही भैया…

इससे पहले वो आयेज कुछ बोलती, मैने अपने होंठ फिरसे उसके होंठो पर लगा दिए. अपनी बेहन के होंठो को चूस कर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. कितना रस्स भरा पड़ा था उसके होंठो में ये मैं ही जानता हू, जिसने होंठ चूज़ थे.

फिर मैने होंठ चूस्टे हुए ही उसको अपनी बाहों में उठा लिया, और बेड पर ले गया. मैने उसको बेड पर पटक दिया, और उसके उपर आके उसकी गर्दन पर किस करने लगा. रजनी आ आ कर रही थी, और उसने अब रेज़िस्ट करना बंद कर दिया था. शायद वो गरम हो चुकी थी.

फिर मैं किस करते हुए उसके पेट पर आया, और उसका टॉप उठा कर उपर से निकाल दिया. अब रजनी मेरे सामने जीन्स और ब्लॅक ब्रा में थी. क्या मस्त सेक्सी बदन था उसका. मैने उसकी ब्रा भी निकाल दी, और अब उसके सेक्सी रस्स के प्याले मेरे सामने थे.

उसके बूब्स को देखते ही मैं उन पर झपट पड़ा. मैं पागलों की तरह उसके बूब्स चूसने और निपल्स काटने लगा. वो बस आहह आ करे जेया रही थी मूह साइड में करके. कुछ देर बूब्स चूसने के बाद मैं नीचे चल पड़ा.

पहले मैने उसके पेट को छाता और चूमा. फिर उसकी नाभि में मैने जीभ डाल कर उसको चूसा. जब भी मैं उसकी नाभि में जीभ डालता, तो वो अपना पेट आकड़ा लेती. वो चाहती तो नही थी, लेकिन जो भी हो रहा था, उसको उसका मज़ा ज़रूर आ रहा था. ये बात तब भी साबित हो गयी जब मैने उसकी जीन्स उतरी.

नाभि चूसने के बाद मैने उसकी जीन्स का बटन और ज़िप खोली, और खींच कर निकाल दिया. उसने स्काइ-ब्लू रंग की पनटी पहनी थी, और पनटी छूट वाली जगह से गीली हुई पड़ी थी. ये प्रूफ था, की उसको भी गर्मी चढ़ चुकी थी, बस अब उसके खुद से हा बोलने की देर थी.

फिर मैने उसकी पनटी नीचे की, और अब उसकी क्लीन-शेव्ड सेक्सी छूट मेरे सामने थी. मैने छूट देखते ही उस पर अपना मूह लगा लिया, और उस पर उपर-नीचे करके अपनी जीभ फेरने लगा. मेरे ऐसा करने से वो तड़प उठी, और आ आ करने लगी. फिर मैने अपनी स्पीड बधाई, और ज़ोर-ज़ोर से उसकी छूट चाटने-चूसने लगा.

अब उससे रहा नही रहा था. उसने अपना हाथ मेरे सर पर रखा, और उसको अपनी छूट में दबाने लग गयी. बड़ी स्वाद होती है बेहन की छूट दोस्तों. कभी अपनी बेहन की छूट चाट कर देखना. इसमे फीलिंग ही अलग आती है. अब मेरी बेहन चूड़ने के लिए बिल्कुल रेडी थी.

फिर मैं बेड से नीचे उतरा, और अपने कपड़े उतारने लगा. जैसे ही मेरा लंड कपड़ों से बाहर निकला, तो मेरा लंबा और मोटा लंड देख कर रजनी घबरा गयी. वो फिरसे माना करने लगी, लेकिन मैं कहा सुनने वाला था. मैं उसके उपर आके लंड उसके मूह के पास लेके आया, और उसके मूह में लंड घुसा दिया.

फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह को छोड़ने लगा. वो साँस नही ले पा रही थी, और मुझे इसमे मज़ा आ रहा था. कुछ देर उसका मूह छोड़ने के बाद मैं नीचे उसकी टाँगो के बीच आया, और उसकी चूत पर लंड सेट किया. उसकी छूट अभी सील बंद थी, तो मैने ज़ोर का धक्का मार कर आधा लंड अंदर घुसा दिया.

छूट की सील टूट गयी, और खून निकालने लगा. लेकिन मैने बिना परवाह किए 5-6 धक्के और दिए, और पूरा लंड उसके अंदर घुसा दिया. फिर मैं रुक गया, और उसके होंठ चूसने लगा, ताकि वो चीखे नही. कुछ देर में जब वो नॉर्मल हुई, तो मैने लंड उसकी छूट में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.

पहले-पहले तो उसको दर्द हो रहा था. लेकिन फिर उसको मज़ा आने लगा. वो आ आ करके मज़े से चुड रही थी, और किस में भी पूरा साथ दे रही थी. मैने 15 मिनिट अपनी बेहन को उसी पोज़िशन में छोड़ा. इस बीच उसका 2 बार पानी निकल आया. फिर मैने अपना लंड उसकी छूट से बाहर निकाला, और उसको हिलाते हुए माल की पिचकारी अपनी बेहन के पेट पर निकाल दी. उस दिन के बाद से मेरी बेहन मेरे लंड की मुरीद हो गयी. अब मैं जब चाहे उसको छोड़ता हू.

दोस्तों ये कहानी यहा ख़तम होती है. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने दोस्तों के साथ भी शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.