भाई ने अपनी दीदी की तड़प शांत की

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम रजत है, और मैं देल्ही से हू. मेरी उमर 21 साल है, और मैं कॉलेज में पढ़ता हू. मेरी हाइट 5’10” है, और लंड मेरा 7 इंच का है. ये जो कहानी मैं आप सब को बताने जेया रहा हू, ये कुछ दिन पहले की ही कहानी है. तो चलिए शुरू करते है.

मेरे घर में मेरे अलावा मेरी मम्मी, पापा, और एक बड़ी बेहन है. मेरी बड़ी बेहन की शादी 5 महीने पहले हुई थी. उनकी अरेंज मॅरेज थी. मेरी दीदी के बारे में मैं आपको क्या बतौ. हर लड़का जिस किस्म की लड़की के ख्वाब देखता है वैसी ही है मेरी दीदी.

मेरी दीदी की आगे 25 साल है. रंग दूध जैसा गोरा है, और 36-29-36 का ज़बरदस्त फिगर है. शादी के दिन भी सब मेरे जीजू को लकी बोल रहे थे, क्यूंकी उनको इतनी सुंदर दुल्हन मिली थी.

मैने अपनी दीदी को कभी गंदी नज़र से नही देखा था, लेकिन एक लड़का होने के नाते मैं ये तो जानता था की मेरी बेहन पूरा तोता थी. फिर वो दिन आया, जिस दिन मैने अपनी बेहन के बारे में गंदा सोचा भी, और उसके साथ गंदा किया भी.

हुआ यू, की दीदी और जीजू घर पर रहने आए हुए थे. वो दो दिन हमारे घर में ही रहने वाले थे. वो दोनो दीदी के रूम में ही थे. रात को डिन्नर करते वक़्त सब में काफ़ी बातें हुई, और फिर सब सोने चले गये. मैने कुछ ज़्यादा ही खा लिया था, तो मेरा पेट भारी सा हो गया था.

मैं सो तो गया, लेकिन आधी रात में मुझे प्रेशर पद गया. इसलिए मुझे टाय्लेट जाना ही पड़ना था. टाय्लेट का रास्ता दीदी के कमरे के आयेज से होके जाता है. जब मैं टाय्लेट जाते हुए दीदी के रूम के बाहर से निकला, तो मुझे अंदर से आ आ की आवाज़े आने लगी.

आवाज़े सुनते ही मैं समझ गया की अंदर क्या चल रहा था. लेकिन मैं इग्नोर करके टाय्लेट चला गया. जब मैं टाय्लेट सीट पर बैठा तो मुझे दीदी-जीजू का ध्यान आने लगा की वो अंदर क्या कर रहे होंगे. पहले मैने सोचा की मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए. फिर मैने सोचा की सिर्फ़ देखने में क्या हर्ज है.

फिर मैं टाय्लेट करके बाहर आया, और दीदी के रूम के बाहर जाके खड़ा हो गया. रूम का दरवाज़ा अंदर से लॉक नही था, तो मैने तोड़ा दरवाज़ा खोल कर अंदर झाँकना शुरू कर दिया. अंदर देखते ही मेरी आँखें पूरी खुल गयी, और लंड एक-दूं तंन गया.

मेरी दीदी जीजू के उपर बैठी थी, और उनके लंड पर उछाल रही थी. मुझे दीदी की पीठ नज़र आ रही थी. क्या सेक्सी सीन था यार मैं बता नही सकता. जीजू के हाथ दीदी के छूतदों पर थे, और जीजू दीदी के नरम छूतदों को दबा कर अपने लंड पर उछाल रहे थे.

जीजू का लंड दीदी की छूट के अंदर-बाहर होता देख मैं पागल हो गया. मेरा भी दिल करने लगा की मैं भी दीदी की छूट में लंड डालु. लेकिन ऐसा मुमकिन नही था. दीदी आ आ कर रही थी. तभी जीजू ज़ोर की आहें भरने लगे, और दीदी बोलने लगी-

दीदी: अर्रे रूको, अभी नही.

और तभी जीजू आहें भरते हुए झाड़ गये. फिर दीदी जीजू के लंड से उतार गयी, और उनके साथ लेट गयी. दीदी के चेहरे पर असंतुष्टि के एक्सप्रेशन्स थे. तभी जीजू बोले-

जीजू: सॉरी जान, काम का इतना स्ट्रेस है, की बेड में पर्फॉर्म नही कर पाता.

ये कह कर जीजू चादर तां कर सो गये. दीदी सीधी लेती थी, और उपर देख रही थी. मुझे अपनी नंगी दीदी को देख कर मज़ा आ रहा था, इसलिए मैं वही खड़ा था. तभी दीदी ने जीजू की तताफ देखा, और बेड से खड़ी होके अपना नाइट गाउन पहन लिया. उनका गाउन आयेज से बंद होने वाला था.

फिर वो बाहर आने लगी. मैं जल्दी से पीछे हो गया. दीदी बाहर आई, और मेरे रूम की तरफ जाने लगी. मैने सोचा की कही वो देख ना ले, की मैं बाहर था. लेकिन दीदी रूम से आयेज बढ़ गयी. मैं सोचने लगा की वो कहा जेया रही थी.

दीदी सीडीयों से नीचे गयी, और नीचे वाले स्टोररूम में चली गयी. मैं भी नीचे उनके पीछे चला गया, और स्टोररूम के बाहर खड़ा हो गया. फिर जो मैने देखा, वो हैरान करने वाला था. हमारे स्टोररूम में एक छ्होटा बेड है. दीदी उस पर लेट गयी. फिर उन्होने साइड वाला ड्रॉयर खोला, और उसमे से एक बड़ा सा डिल्डो निकाल लिया.

उसके बाद दीदी वो डिल्डो अपनी छूट में लेने लगी. वो डिल्डो मेरी आँखों के सामने दीदी की छूट के अंदर-बाहर हो रहा था. उनकी आँखें बंद थी, और वो छूट चुदाई का मज़ा ले रही थी. अब मेरा लंड फटने को था. मुझसे रहा नही जेया रहा था. मेरा दिमाग़ मुझसे बोल रहा था की मुझे ऐसा मौका दोबारा नही मिलेगा.

फिर मैने हिम्मत की, और जल्दी से कपड़े उतार कर दीदी के उपर चढ़ गया. इससे पहले वो आँखें खोल कर कुछ समझ पाती, मैने अपना लंड दीदी की छूट में डाल दिया. बड़ी टाइट और गरम छूट थी दीदी की. लंड अंदर जाते ही दीदी ने आँखें खोली और हैरान होके बोली-

दीदी: रजत ये तू क्या कर रहा है?

मैं: दीदी जो सुख जीजू तुझे नही दे पाए, मैं वो दे रहा हू.

दीदी: हॅट पीछे हरंखोर!

मैं: दीदी अब इस लंड के शांत होने से पहले मैं नही हॅट सकता.

और ये बोल कर मैं धक्के लगाने लगा. दीदी कुछ नही बोल रही थी. शायद उन्होने भी सोचा होगा की चुदाई का मज़ा ले ही लू. जैसे-जैसे मेरे धक्के लगते गये, दीदी की आहें निकलनी शुरू हो गयी. दीदी ने अपनी टांगे मेरी कमर पर लपेट ली, और आँखें बंद कर ली.

मैं समझ गया था की दीदी को मेरा लंड पसंद आ गया था. मैने ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. फिर मैने उनकी निघट्य खोल कर उनके बूब्स भी चूसने शुरू कर दिए. दीदी अब मज़े से पागल हो रही थी, और मेरी गांद पर हाथ रख कर अपनी तरफ दबा रही थी.

फिर मैने अपने होंठ उनके होंठो से लगा दिए, और हम दोनो वाइल्ड किस करने लगे. नीचे से मेरे धक्के लगातार चलते जेया रहे थे. फिर जब किस टूटी तो दीदी बोली-

दीदी: अब अपनी दीदी को तुम्हे बार-बार खुश करना पड़ेगा.

मैं: दीदी आप जब चाहोगी मैं तब आपको खुश करूँगा.

15 मिनिट मैने दीदी को और छोड़ा, और फिर उनकी पर्मिशन से अपना माल उनकी छूट में ही छ्चोढ़ दिया. उस दिन से दीदी ने अपनी छूट को संतुष्ट करने की ज़िम्मेदारी मुझे दे दी.

तो दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी कहानी. अगर अची लगी हो, तो इसको ज़्यादा से ज़्यादा शेर करे.