भाई से पहली चुदाई का मज़ा लेने की कहानी

हेलो मेरा नाम अंजलि है. आज मैं आपको अपनी एक स्टोरी बता रही हू. मेरी उमर 25 साल की है, और मेरा फिगर 37-26-36 है. मेरी शादी दो साल पहले एक सिविल इंजिनियर से हुई थी. मेरे पति मुझे बहुत खुश रखते है. मगर अभी वो 6 महीने से अमेरिका में है, और मैं नॉइदा में हू.

नासिक मेरा माएका है और मैं उधर ही पाली बढ़ी हू. मेरे साथ छ्होटी उमर में ही कुछ घटनाए हुई थी, जिनके बारे में उस वक़्त पता नही था. उस वक़्त मुझे लगता था ये सब केवल एक खेल का हिस्सा था.

फिर जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गयी, तो मेरे जीवन में हर बार अलग-अलग सेक्स पार्ट्नर आए. जब मैं 19 साल की थी तो मैं सेक्स के बारे में ज़्यादा कुछ नही जानती थी. यही वो साल है जब मेरी लाइफ में पहला आदमी आया था.

वो लड़का मेरा भाई था. उस वक़्त मेरे भाई की उमर 22 साल थी. उस वक़्त मेरे फर्स्ट एअर के एग्ज़ॅम ख़तम हुए थे. मैं अपने घर आ गयी थी.

मेरी मा काम में लगी रहती थी. पापा भी काम पर चले जाते थे. भैया घर में टीवी देख कर टीमेपस्स करते रहते थे. घर आने के बाद मैने मा से एक दिन बोला-

मैं: मुझे बाहर घूमने जाना है.

वो बोली: क्यूँ, अभी 2 दिन पहले तो आई है तू.

मैं बोली: पढ़ाई करके तक गयी हू. अभी तो एग्ज़ॅम ख़तम हुए है. मैं एक महीने कही भी बाहर नही गयी हू.

मा बोली: तो फिर एक काम करो, की अपने भाई के साथ पास के तालाब तक चली जाओ.

उनकी बात सुन कर मैं खुश हो गयी. मैने दौड़ कर नहाने के लिए कपड़े ले लिए, और भैया के साथ बिके पर पर बैठ कर चल दी. तालाब हमारे घर से डेढ़ घंटा की दूरी पर था. मगर भैया ने शॉर्टकट ले लिया.

रास्ता काफ़ी पथरीला था. एक बार तो रास्ते हमारी बिके एक बड़े से गड्ढे में घुस गयी. भैया ने मुझे झट से पकड़ लिया. उनके हाथ मेरे सीने पर थे. मैं दर्र गयी लेकिन भैया ने संभाल लिया, और बिके निकाल ली. मगर उनका हाथ अभी तक मेरे सीने पर ही था. वो धीरे-धीरे मेरे बूब्स दबा रहे थे.

उस वक़्त मेरे बूब्स का साइज़ 31″ का था. उस घटना के दौरान मुझे ऐसा लगा की वो भैया नही बल्कि कोई और मर्द था. मैने भैया को अपने बूब्स पर से अपना हाथ हटाने को कहा. हम फिर आयेज चल दिए.

इस तरह से हम शॉर्टकट के कारण आधे घंटे में ही तालाब पर पहुँच गये. वाहा पर जेया कर हमने खूब मस्ती करी, और भैया के साथ मैने वाहा के नज़ारे देखे. उसके बाद हमने तालाब में जाने का फैंसला किया.

दोपहर का वक़्त हो चला था. लगभग एक बजने वाला था, और हमने पहले कुछ खाने के बारे में सोचा. हल्का-फूलका खाने के बाद हम तालाब में गये. अंदर जाने से पहले मुझे याद आया की मैं स्विम्मिंग सूट तो लाई ही नही थी.

मेरा दिमाग़ खराब हो गया और मैं अपने आप पर गुस्सा हो कर बैठ गयी. भैया अपनी शर्ट पंत निकाल कर निक्कर पहने हुए तालाब में चला गया था. वो अंदर जेया कर मुझे भी आने के लिए कहने लगा. मैने उसको सारी बात बताई.

वो बोला: कोई बात नही, तुमने अंदर ब्रा पनटी तो पहनी ही होगी?

मैं बोली: हा भैया.

वो बोला: तो फिर तुम टोलिए से भी काम चला सकती हो. चलो जल्दी से अब अंदर आओ.

मैं बोली: लेकिन भैया, मुझे शरम आ रही है.

वो बोला: शरम कैसी, यहा पर हम दोनो ही तो है, और मौसम भी कितना अछा हो रहा है.

मैने सोचा मैं किसी मर्द के सामने इस तरह से कैसे आधी नंगी हो सकती थी. फिर सोचने लगी ये तो मेरे भैया ही थे. इनके सामने क्या शरमाना. इसलिए फिर मैं अपनी ब्रा और निक्कर में नहाने के लिए तालाब के अंदर चली गयी.

अंदर जेया कर मैने भैया के साथ पानी में खूब मस्ती करी. नहाने के बाद जब मैं पानी के बाहर आने लगी, तो मेरी ब्रा निकल गयी और बह कर पानी में अंदर चली गयी. मैं अपनी चूचियाँ च्छूपा कर वही पानी में बैठ गयी.

भैया बोले: चल खेलते है, मैं तुझे पाकडूँगा.

जब वो मेरे पास आए तो मैं बैठी हुई थी.

वो बोला: क्या हुआ?

नीचे गर्दन किए हुए मैने कहा: मेरी ब्रा पानी में चली गयी है.

वो बोले: तो क्या हुआ?

मैने बोला: मैं पूरी नंगी हू भैया.

वो बोले: हा, तो क्या हो गया? कुछ नही होता. चल खेलते है.

भैया ने कहा: ऐसा करते है की मैं भी अपनी निक्कर उतार देता हू और तू भी अपनी निक्कर उतार ले. फिर तुम भी पूरी नंगी हो जाओगी, और मैं भी. फिर तुमको शरम नही आएगी.

मैं भैया की बात मान गयी. पहले भैया ने अपनी निक्कर पानी के अंदर ही अंदर उतार दी और टायर कर किनारे पर डाल दी. फिर मैने भी अपनी निक्कर उतार दी.

भैया बोले: अब मैं भागता हू, तू मुझे पकड़.

इस तरह हम पानी के अंदर खेलने लगे. फिर भैया बाहर की तरफ भागने लगे. मैं भी उनके पीछे दौड़ने लगी. लेकिन ये भूल गयी थी, की मैं पूरी नंगी थी.

बाहर निकल कर मुझे ध्यान आया की मैं पूरी नंगी थी. मैं वही पर अपनी चूचियाँ और छूट च्छुपाने लगी. इतने में भैया ने मुझे देख लिया, और वो मेरी तरफ आने लगे. भैया की टाँगो के बीच में कुछ लंबा सा लटक रहा था.

मैने उनसे कहा: भैया ये क्या हेल अंबा सा?

उस वक़्त भैया मेरा पूरा शरीर ध्यान से देख रहे थे. मैं पूरी नंगी थी, और भैया मुझे घूर रहे थे. भैया की जांघों के बीच में वो लंबा सा लटकता हुआ अंग अब आकार में बड़ा हो रहा था.

भैया बोले: ये जो लंबा सा लटक रहा है, इसे लंड या जादुई च्छड़ी बोलते है.

मैने कहा: क्या? जादुई च्छड़ी!

वो बोले: हा, अगर तुम्हे यकीन ना हो तो इसको अपने हाथ में लेकर मसल कर देखो.

उनके कहने पर मैने उसको हाथ में ले लिया, और वैसा ही हुआ. देखते-देखते उनका वो लटकता हुआ हिस्सा मेरे हाथ से बाहर जाने लगा. वो अपना आकार बढ़ा रहा था. फिर कुछ ही पल में लोहे के जैसा सख़्त हो गया.

मैने पूछा: भैया इससे क्या करते है?

वो मेरी छूट पर हाथ लगा कर बोले: इसको यहा पर अंदर डालते है. मूह में भी डालते है, और पीछे वाले च्छेद में भी डालते है.

मैं शर्मा कर जाने लगी तो भैया बोले: किधर जेया रही हो?

मैने कहा: कपड़े पहनने के लियम

वो बोले: खाना ऐसे अधूरा नही छ्चोढा जाता.

मैने कहा: खाना कहा है?

वो बोले: ये जो तुमने अभी गरम किया है, इसकी बात कर रहा हू. एक बार ये गरम हो जाता है तो फिर इसको ठंडा करना होता है.

तभी भैया मेरे पास आए और मुझे पकड़ कर मेरे होंठो पर किस करने लगे, मेरे बूब्स दबाने लगे. मुझे तोड़ा अछा लगने लगा. इससे पहले किसी ने मेरे बूब्स को ऐसे नही च्चेड़ा था.

फिर भैया ने कहा: घूम कर झुक जाओ.

मैने कहा: क्यूँ भैया?

वो बोले: तुम्हारे च्छेद में डालना है इसको. तभी ये शांत होगा.

मैं बोली: नही भैया, मुझे दर्र लग रहा है.

वो बोले: कुछ नही होगा, तुम चुप-छाप सेक्स का मज़ा लो. मैं दो साल से इसी दिन का इंतेज़ार कर रहा था.

इतना बोल कर भैया ने मुझे पलटा दिया, और मेरी पीठ को झुका कर मेरी गांद के बीच लंड रगड़ने लगे.

फिर वो मेरी छूट पर लंड को रगड़ने लगे. मेरी छूट के हिसाब से भैया का लंड काफ़ी बड़ा था.

मैं बोली: नही जाएगा भैया.

वो बोले: चुप रह साली रंडी, अब तू मुझे ये समझाएगी की क्या छ्होटा है और क्या बड़ा है?

ऐसा बोल कर उन्होने आहिस्ता-आहिस्ता से मेरे च्छेद में लंड डालना शुरू किया. भैया ने ज़ोर लगाया तो छूट में आधा लंड घुस गया. मैं च्चूधने लगी तो भैया ने मुझे पकड़ लिया, और मेरी चूचियाँ मसालने लगे.

मैं बोली: भैया दुख रहा है.

वो बोले: कुछ नही होगा. एक बार दर्द होता है फिर बहुत मज़ा आता है.

उसके बाद भैया ने रुक कर एक बार फिरसे ज़ोर लगाया और पूरा 9 इंच का लंड मेरी छूट में घुसा दिया. दर्द से चिल्लाने लगी मैं. मुझसे दर्द सहन नही हो रहा था. धीरे-धीरे भैया ने मेरी छूट में लंड चलना शुरू किया. पहले मुझे दर्द होता रहा, लेकिन फिर मुझे मज़ा आने लगा.

अब मैं भैया से कहने लगी: मारो भैया और ज़ोर से मारो भैया. आअहह अहल्ह आह डालो भैया. आअहह मज़ा आ रहा है.

भैया भी ज़ोर-ज़ोर से मेरी छूट की चुदाई करने लगे. उसके बाद भैया ने अपना लंड मेरी छूट से बाहर निकाल कर मेरे मूह में दिया, और चूसने को कहा.

मैं भैया का लंड मूह में लेकर चूसने लगी. मुझे मज़ा आ रहा था. फिर भैया का पानी मेरे मूह में ही निकल गया. मैने भैया के लंड का पानी पी लिया, और मुझे बहुत अछा लगा.

उस दिन के बाद से भैया के साथ मेरा रिश्ता भाई-बेहन वाला नही बल्कि पति-पत्नी वाला हो गया था.

तो दोस्तों ये थी मेरी पहली चुदाई की कहानी. आपको कैसी लगी मुझे एमाइल करके ज़रूर बताए.