भाई को दिल की बात बता कर चुदी बहन

ही, ई आम काजल, आंड ई आम 20 यियर्ज़ ओल्ड, और मेरा भाई मुझसे 10 साल बड़ा है. बचपन से भाई ने मेरा बहुत ध्यान रखा है, और मेरी हर विश को पूरा किया है. मम्मी-पापा के बाद भाई ने ही मुझे अपनी गोद में खिलाया है, और नहलाया भी है.

मतलब भाई ने मुझे नंगा देखा है. इसलिए मुझे उसके सामने नंगा होने में शरम भी नही आती.

जब मैं छ्होटी थी, मतलब जब मैं 10-12 साल की थी, तब से ही भाई के साथ सोती आई हू. कभी-कभी तो गर्मी के कारण मैं और भाई नंगे भी सोए है. जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गयी, मेरा बदन और खिलता गया, और मेरे बूब्स का साइज़ भी बड़ा होता गया, और छूट के आस-पास बाल आ गये.

फिर देखते-देखते मैं 19 साल की हो गयी और स्कूल से निकल कर कॉलेज जाने के लिए तैयार हो गयी. दूसरी तरफ भाई का कॉलेज ख़तम हो चुका था, और वो जॉब करने लगा था. इससे हमारी बातें कम होने लगी. लेकिन हर रात को भाई और मैं च्चत पर बैठ कर बातें करते और अपना-अपना हाल बताते. जब भैया की जॉब लग गयी, तो सुबा-सुबा ही काम पर निकल जाते.

एक दिन कॉलेज जाने के रास्ते में मैने भैया को कॉफी सेंटर में बैठे देखा. उनके सामने एक लड़की भी थी. ये देख कर मुझे बहुत गुस्सा आया. रात में जब भाई च्चत पर मेरे पास आया, तो मैं वाहा से जाने लगी. तभी भैया ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी बाहों में ले लिया और बोले-

भाई: इतना गुस्सा क्यूँ हो?

मैं: आपको कैसे पता?

भाई: बस पता है.

मैं: अछा.

भाई: मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानता हू.

मैं: श.

भाई: हा, तुमने क्या खाया से लेकेर तुम क्या पहनती हो, क्या करती हो, और कॉलेज में किस-किस से मिलती हो.

मैं: अछा! तो बताओ मैने किस कलर की ब्रा पनटी पहनी है?

भाई (मेरे कानो के पास आ कर): ब्रा रेड, और पनटी ब्लॅक.

मैं: आ! आपने देख लिया होगा चुपके से?

भाई: नही!

मैं: झूठ.

भाई: सॅकी यार! अछा ये तो बताओ तुम गुस्सा क्यूँ हो?

मैं: तुम्हारे साथ केफे में लड़की कों थी?

भाई: अछा वो! तो तुम इस बात पे गुस्सा हो?

मैं: हा! बताओ?

भाई: मेरी गर्लफ्रेंड है!

मैं: गर्लफ्रेंड?

भाई: हा.

मैं: तो मैं कों हू?

भाई: तुम मेरी बेहन हो.

मैं: बेहन! वाह क्या कोई भाई अपनी बेहन को लीप किस करता है?

भाई: नही.

मैं: क्या कोई भाई अपनी बेहन के साथ नंगा सोता है?

भाई: नंगा सोया ही तो हू बस, कुछ किया थोड़ी ना है.

मैं: तो मैने कभी माना किया है?

भाई: ऐसा क्या?

मैं: हा! मैं बचपन से आपको अपना ब्फ मानती हू.

भाई: सॉरी यार.

फिर मैं रोने लगी और भाई मुझे गले से लगा कर मुझे चुप करने लगे. लेकिन मेरे आँसू रुक ही नही रहे थे, और फिर आँसू से भीगे होंठो को भाई ने चूमना शुरू कर दिया, और बस चूस्टे रहे. 2 मिनिट तक हम एक-दूसरे को बस चूमते ही रहे.

फिर उसके बाद हम अलग हुए, और मैं नीचे जाने लगी. तभी भाई मुझे पीछे से पकड़ कर मुझे दीवार से लगा कर मेरे बूब्स दबाने लगा, और मेरी सलवार का नाडा खोलने लगा. मेरे जिस्म से सलवार और पाजामा उतार देने के बाद भाई की नज़र मेरी ब्रा और पनटी पे थी.

फिर ब्रा और पनटी के उपर से ही भाई मेरी छूट और बूब्स मसालने लगा, और बीच-बीच में होंठो को चूमते-चूमते काटने भी लगा. मेरे मूह से सिसकियाँ निकल रही थी, और भाई उन मस्त सिसकियों का पूरा मज़ा ले रहा था. फिर भाई भी मुझे पलट कर मेरी पीठ को चूमने लगा, और एक हाथ से लंड निकाल कर गांद में घुसने लगा.

उसके बाद भाई अपना लंड मेरे हाथ में थमा कर अपनी उंगली मेरी छूट में डालने लगा. कुछ देर में ही मेरी छूट के पानी से मेरी पनटी गीली हो गयी और साथ ही साथ भाई की उंगली भी गीली हो गयी. अपनी बीच की उंगली मेरे मूह में डाल कर मेरी ब्रा का हुक खोलने लगे.

मैं भी उस उंगली को बड़े मज़े से लॉलिपोप की तरह चूसने लगी. चूस्टे-चूस्टे मुझे पता ही नही चला की भाई ने कब मेरे जिस्म से ब्रा और पनटी को भी अलग कर दिया. मेरे हाथ में भाई का लंड मोटा और बड़ा हो गया था, और मेरे अंदर जाने के लिए तैयार हो गया.

लेकिन उससे पहले भाई ने लंड मेरे मूह में दिया, और ब्लोवजोब करवाया. मैं भी बड़े मज़े से लंड को मूह में लेके आयेज-पीछे कर रही थी, और बीच-बीच में मूठ भी मार रही थी. मूह में लंड रख कर जब मैं भाई का फेस देखी, तो भाई अपनी आँखें बंद करके आ आ की आवाज़ो के साथ पूरा मज़ा ले रहे थे.

फिर भाई ने मुझे खड़ा किया, और मेरी एक टाँग उठा कर अपना गीला लंड मेरी छूट में पेल दिया और अपनी रेल-गाड़ी शुरू कर दी. मैं दर्द की मारे अपने मूह से दर्द की आवाज़े निकाल रही थी, और मेरी आँखों में आँसू थे.

भाई ने उन आँसुओ को पीते हुए अपनी रेल-गाड़ी तेज़ कर दी. फिर भाई ने मुझे घुमा कर मेरी गांद में अपना लंड डालने की तैयारी करी. अपने लंड पे थूक लगा कर, मेरी गांद के द्वार पे रख कर, पहले धक्के की शुरुआत करी, और उसके बाद धक्कों की बरसात की.

देखते ही देखते कब हम डॉगी स्टाइल में आ गये, पता ही नही चला. डॉगी स्टाइल से कब मैं भाई के उपर, और भाई नीचे, और फिर कब मैं नीचे, और भाई उपर, पता ही नही चला. हमे ना ही टाइम का पता चला. 10 बजे के आस-पास चुदाई की शुरुआत की थी, और कहा 12 बाज गये थे.

फिर भाई ने अपने आख़िरी धक्के के साथ अपनी रेल-गाड़ी बंद कर दी, और उससे निकालने वाला रस्स मेरी छूट के अंदर ही निकल गया. रात के 1:30 बजे तक हम च्चत पर नंगे ही लेते रहे. और फिर हम कपड़े पहन कर नीचे जाने लगे. तभी भाई से मैने एक सवाल किया-

मैं: भाई क्या अभी भी वो लड़की हमारे बीच में आएगी?

भाई: कोंसि लड़की?

बस इतना कह कर भाई नीचे आ गये. और उनका ये जवाब सुन कर मेरे फेस पर स्माइल आ गयी. अब हफ्ते में 3-4 बाद च्चत पे रेल-गाड़ी ज़रूर चलती है.

दोस्तों स्टोरी का मज़ा आया हो, तो इसको फ्रेंड्स के साथ ज़रूर शेर करे.