ही दोस्तों, मैं हू अनुज. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप के सामने आया हू. उमीद है, की आप सब को मेरी पिछली कहानी अची लगी होगी. अगर आपने मेरी पिछली कहानी नही पढ़ी है, तो प्लीज़ पहले जाके वो पढ़ ले.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की भाभी मेरे रूम में आई, और मुझे अपने अफेर की सफाई देने लगी. फिर काफ़ी बातों के बाद भाभी ने मेरे सामने सरेंडर कर दिया. अब मैं उसके साथ कुछ भी कर सकता था. लेकिन जैसे ही हमारी किस्सिंग शुरू हुई, घर वाले वॉक से वापस आ गये. फिर भाभी अपने रूम में भाग गयी. अब आयेज बढ़ते है.
भाभी चली तो गयी, लेकिन मैं बहुत खुश था. खुश होता भी क्यूँ ना, इतनी सेक्सी भाभी जब आपकी रंडी बन जाए, तो कों सा देवर खुशी से पागल नही होगा. फिर मैं सोने लगा, लेकिन आज मुझे नींद कहा आने वाली थी.
जैसे ही मैं आँखें बंद करता, मेरे सामने भाभी का चेहरा, उनके बूब्स, उनकी गांद घूमने लगते. मेरा लंड तंबू बनाए बैठा था, और मुझे सोने नही दे रहा था. दिल तो मेरा कर रहा था की आज भाभी आके मेरा लंड चूज़, और इसको शांत करे. लेकिन ऐसा अभी हो नही सकता था.
मुझे सब आराम से धीरे-धीरे करना था, और जब तक भाभी मेरे लंड की दीवानी नही हो जाती, तब तक सोच समझ कर हर कदम उठना था. फिर मैं बातरूम में गया, और वाहा जाके अपना लंड हिलने लगा. मैं भाभी का नाम लेने लगा, और 5 मिनिट में मैने भाभी के नाम का माल निकाल दिया.
फिर मैं जाके बेड पर लेट गया, और मुझे नींद आ गयी. अगले दिन मैं सुबा उठा, और कॉलेज जाने के लिए तैयार हो गया. मेरे मॅन में जब भी भाभी का ख़याल आता, तो मेरा लंड खड़ा हो जाता. मैं बड़ी मुश्किल से अपने लंड पर कंट्रोल कर रहा था.
फिर मैं नाश्ता करने बैठा, तो भाभी मुझे नाश्ता परोसने लगी. मेरे अलावा नाश्ते की टेबल पर सिर्फ़ भैया बैठे थे. बाकी सारी फॅमिली नाश्ता लाते करती है. सिर्फ़ मैं और भैया ही जल्दी करते है, क्यूंकी मुझे कॉलेज जाना होता है, और भैया को काम पर.
भैया मेरे सामने बैठे थे. तो जब भाभी मेरी प्लेट में छपती परोस रही थी, तो मैने उनका हाथ पकड़ लिया. मैने भैया पर भी नज़र रखी हुई थी, की कही वो हमे देख ना ले. जैसे ही मैने भाभी का हाथ पकड़ा, वो घबरा गयी. उन्होने सीधा भैया की तरफ देखा, जो नाश्ता कर रहे थे, और अपने मोबाइल में न्यूज़ देख रहे थे.
भाभी ने मुझसे हाथ च्चूदवाने की कोशिश की, लेकिन मेरी पकड़ मज़बूत थी. भाभी ने मस्त लेगैंग्स और शर्ट पहना हुआ था, और साथ में दुपट्टा नही था. फिर मैने एक हाथ भाभी के चूतड़ पर रख दिया, और उसको मसल दिया. दर्र के मारे भाभी की गांद फटत रही थी.
तभी भैया का ध्यान उनके मोबाइल से हटता, और मैने भाभी का हाथ छ्चोढ़ दिया. भाभी जल्दी से किचन में चली गयी. जाते हुए उनके चूतड़ मस्त लग रहे थे. फिर नाश्ता करने के बाद भैया चले गये.
जब मेरा नाश्ता हुआ मैं किचन में प्लेट रखने गया. मैने देखा भाभी बर्तन सॉफ कर रही थी. आस-पास कोई नही था, तो मैने मौके का फ़ायदा उठाने का सोच. मैने भाभी को पीछे से पकड़ लिया, और अपना लंड जीन्स के अंदर से उनकी सॉफ्ट गांद पर सत्ता दिया.
भाभी हैरान हो गयी और धीरे से बोलने लगी: तू बाज़ आजा अपनी हरकटो से. हम दोनो फ़ासस जाएँगे.
मैं: जानेमन तुम सेक्सी ही इतनी हो, की मुझसे रहा नही जेया रहा. जो कल काम रह गया था, वो कब पूरा करेंगे.
भाभी: मुझे नही करना कोई काम पूरा.
ये बोल कर भाभी किचन से जाने लगी. तभी मैने उनका हाथ पकड़ कर उनको अपनी तरफ खींच लिया, और अपनी बाहों में भर लिया. फिर मैं उनको बोला-
मैं: भाभी शायद तुम भूल गयी हो, की तुम अब मेरे भाई की बीवी होने के साथ-साथ मेरी रंडी भी हो. और अगर तुम ये बात भूल जाओगी, तो मैं भी तुम्हारी असलियत किसी को ना बताने का अपना वादा भूल जौंगा.
ये सुन कर भाभी शांत हो गयी, और उसने डोर होने के लिए ज़ोर लगाना बंद कर दिया. अब मैं उनकी आँखों में आँखें डाल कर देख रहा था. उनका टेन्षन वाला चेहरा बड़ा सेक्सी लग रहा था.
फिर मैने अपना मूह आयेज बढ़ाया, और अपने होंठ भाभी के होंठो के साथ चिपका दिए. अब मैने अपनी भाभी के होंठो को चूसना शुरू कर दिया. कुछ सेकेंड्स में भाभी भी रेस्पॉंड करके लगी. मैने अपने हाथ भाभी की गांद पर रखे, और उनके छूतदों को दबाने लग गया.
भाभी ने भी अपनी बाहें मेरी गर्दन पर लपेट की. जल्दी ही हमारी किस इनटेन्स हो गयी, और हम दोनो सब कुछ भुला कर किस का मज़ा ले रहे थे. लगभग 10 मिनिट हमने किस्सिंग की. इस दौरान कोई हमे डिस्टर्ब करने नही आया. फिर हम अलग हुए.
हमारी साँसे तेज़ चल रही थी, और हमारी आँखों में उत्तेजना सॉफ नज़र आ रही थी. फिर भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लग गयी, और मैने भी उनको स्माइल पास की. भाभी की मुस्कुराहट उनका इस बात को कबूल करना था, की उन्हे भी किस करने में बहुत मज़ा आया था.
फिर मैने भाभी को बोला: भाभी आज की इंस्टल्लमेंट का मज़ा आ गया.
भाभी: सच काहु तो मुझे भी बहुत मज़ा आया.
मैं: भाभी मुझे तुम्हे जल्दी से छोड़ना है.
भाभी: यहा घर में तो मुश्किल है. कही बाहर चलना पड़ेगा.
मैं: नही भाभी, मुझे आपको मेरे रूम में, और मेरे बिस्तर पर छोड़ना है. हम एक बार बाहर जाके कर सकते है. लेकिन हर बार थोड़ी जाएँगे. मुझे आपको बहुत छोड़ना है.
भाभी: तो फिर कैसे होगा तुम ही बताओ.
मैं: कोई ना मैं सोचता हू कोई प्लान.
भाभी को ये बोल कर मैं कॉलेज के लिए निकल गया. इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको लीके और शेर ज़रूर करे.