विधवा भाभी को अपनी रंडी बनाने की स्टोरी

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम गगन है. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. पिछले पार्ट को इतना प्यार देने के लिए आप सब का बहुत धन्यवाद. उमीद है, की आप सब को ये पार्ट भी पिछले पार्ट जितना ही पसंद आएगा.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की कैसे भाई की डेत के बाद भाभी बाहर के मर्द के चक्कर में पद गयी. फिर मम्मी ने मुझे भाभी की गर्मी ठंडी करने के लिए कहा. उसके बाद मैं भाभी के रूम में गया, और सोई हुई भाभी के कपड़े उतारने लगा. भाभी उठी और बोली-

भाभी: गगन तुम!? ये तुम क्या कर रहे हो?

मैं: मैं वही कर रहा हू भाभी जो सही है. इस वक़्त आपको एक मर्द की ज़रूरत है, और मैं उसी ज़रूरत को पूरी करने की कोशिश कर रहा हू.

भाभी: ये सब कहते हुए तुम्हे शरम नही आ रही? अभी तुम्हारे भाई को गये हुए वक़्त ही कितना हुआ है. और तुम अपनी भाभी को अपने साथ सेक्स करने के लिए कह रहे हो.

भाभी की ये बात सुन कर मुझे गुस्सा आ गया. फिर मैं बोला-

मैं: वाह भाभी जी. शरम सिर्फ़ मैं करू, जो अपने घर की इज़्ज़त को बचना चाहता हू. आप जो किसी बाहर के मर्द के साथ खुले-आम घूम रही हो, और चुम्मा-छाती कर रही हो, उसको शरम नही आनी चाहिए? बेवकूफ़ तो मैं हू, जो यहा आपके पास आ गया. मुझे तो आपकी आपके यार के साथ जो तस्वीरे है, वो सब के सामने रख देनी चाहिए थी.

ये सुन कर भाभी की गांद फटत गयी. वो चुप-छाप सर नीचे करके बैठ गयी. फिर मैं ठंडा हुआ और बोला-

मैं: देखो भाभी, सेक्स एक बॉडी नीड है. किसी के चले जाने से ये नीड तो नही ख़तम होगी. लेकिन अगर यही नीड बाहर से पूरी की जाए, तो बदनामी ज़रूर होती है. मैं इसीलिए आपके पास आया हू. इससे आपकी ज़रूरत भी पूरी हो जाएगी, और घर की बात घर में ही रहेगी.

भाभी शांत थी, और कुछ भी नही बोल रही थी. मैने भाभी की चुप्पी को उनकी हा समझा, और उनके करीब गया. भाभी ने अपने आँचल को अपने हाथो से च्छुपाया हुआ था. मैने उनके हाथ उनके बूब्स पर से हटाए, और उनके लिप्स के साथ अपने लिप्स जोड़ दिए.

अब मैं अपनी भाभी के रसीले होंठो को चूस रहा था. बड़े स्वाद थे भाभी के होंठ, नमकीन-नमकीन. पहले 15-20 सेकेंड तो भाभी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया, लेकिन फिर वो भी सामने से मेरे होंठ चूसने लगी. जब उन्होने रेस्पॉन्स देना शुरू किया, तो मैं समझ गया की वो अब पूरी तरह से तैयार थी.

हमारी किस तकरीबन 10 मिनिट तक चली. किस के दौरान मैने उनके दोनो होंठो और जीभ को जाम के चूसा. फिर जब मैं किस तोड़ कर पीछे होने लगा, तो भाभी ने मेरी शर्ट का कॉलर पकड़ कर मुझे अपने उपर ही खींच लिया.

भाभी के उपर आके जब मैने उनकी आँखों में देखा, तो उनकी आँखों में कामुकता भारी पड़ी थी. फिर मैने उनकी गर्दन पर चूमना शुरू किया, और भाभी कामुक सिसकियाँ भरने लग गयी. उनकी गर्दन चूमने के बाद मैं नीचे आया, और मैने उनकी क्लीवेज में अपना मूह डाल लिया.

अब मैं अपनी भाभी की सेक्सी क्लीवेज चूम-चाट रहा था, और भाभी मेरे बालों में हाथ डाल कर मेरा सर अपने बूब्स में दबा रही थी. फिर मैने सामने से उनकी ब्रा में हाथ डाला, और उसको खींच कर भाभी के सॉफ्ट बूब्स से अलग कर दिया.

अब उनके रसीले बूब्स मेरी आँखों के सामने थे. मैं उनके बूब्स देखते ही उन पर टूट पड़ा. मैं एक निपल को मूह में डाल कर चूसने लगा, और दूसरे निपल्स को चुटकी में लेके मसालने लग गया. बीच-बीच में मैं उनके निपल को ज़ोर से काट भी देता, जिससे भाभी की आहह निकल जाती.

फिर मैं नीचे आया, और भाभी का पेट चाटने लगा. बड़ा सेक्सी पेट था भाभी का. पेट चाट-ते हुए मैं भाभी की नाभि में जीभ डालने लगा. इससे भाभी और गरम होने लगी. फिर और नीचे आके मैने भाभी का पाजामा पूरा निकाल दिया.

अब मेरी सेक्सी भाभी मेरे सामने सिर्फ़ पनटी में थी. मैने पनटी के उपर से उनकी छूट पर किस किया, और पनटी निकाल कर छूट चाटने लगा. भाभी मज़े से पागल हो रही थी, और उनकी छूट धड़ा-धड़ पानी छ्चोढ़ रही थी. वो मेरा सर अपनी छूट में दबाने लग गयी. मैं भी ज़बरदस्त तरीके से उनकी छूट चूस रहा था.

फिर मैने अपने कपड़े उतारने शुरू किए. मैने एक ही बार में अपने सारे कपड़े उतार दिए. अब मेरा लंड भाभी की आँखों के सामने फुकारे मार रहा था. भाभी मेरा लंड देख कर खुश हो गयी.

फिर मैने भाभी के बाल पकड़े, और अपना लंड उनके मूह में दे दिया. मैं ज़ोर-ज़ोर से लंड अंदर-बाहर करके भाभी का मूह छोड़ने लगा. बड़ा मज़ा आ रहा था, किसी रंडी की तरफ अपनी विधवा भाभी का मूह छोड़ने में.

कुछ देर मैने ऐसे ही भाभी का मूह छोड़ा. फिर मैने उनको सीधा लिटाया, और उनकी टाँगो के बीच आ गया. मैने अपना लंड उनकी छूट पर रखा, और छूट के मूह पर रगड़ने लगा. भाभी भी पक्की खिलाड़ी थी, वो जानती थी की मैं उसको और उत्तेजित कर रहा था. फिर कुछ देर में वो बोली-

भाभी: मैं हो चुकी हू गरम देवर जी. अब आप डाल सकते हो.

ये सुनते ही मैने लंड उनकी छूट में घुसेध दिया. उनकी आहह निकली, और मैने धीरे-धीरे लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. भाभी गांद हिला-हिला कर लंड लेने लगी. इससे उनकी प्यास का पता चल रहा था, की वो लंड की कितनी भूखी थी.

कुछ देर उनको उसी पोज़िशन में छोड़ने के बाद मैने भाभी को घोड़ी बना दिया. घोड़ी बन कर भाभी बहुत जबरात लग रही थी. पहले मैने उनके चूतड़ छाते. फिर उनकी छूट पर लंड सेट करके अंदर घुसा दिया. इस बार लंड उनकी बच्चे-दानी को लगा.

फिर मैं तबाद-तोड़ धक्के देके भाभी को छोड़ने लगा. भाभी मुझे और ज़ोर के धक्के मारने को बोल रही थी. मैने भी अपना पूरा ज़ोर लगा कर भाभी को संतुष्ट किया, और हम दोनो साथ में ही झाड़ गये.

उस दिन के बाद भाभी की छूट की आग मैं ही बुझा रहा हू. दोस्तों अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो कॉमेंट करे, और स्टोरी शेर ज़रूर करे.