बारिश में भीगने के बाद चुदाई का मज़ा

ही दोस्तों, मैं अभिषेक अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पहले उसको ज़रूर पढ़े. मुझे यकीन है आपको पिछला पार्ट ज़रूर पसंद आएगा.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की कैसे मेरी दोस्ती अपनी पुरानी कोलीग रूप कॉयार के साथ हुई. फिर एक दिन मैने उसको प्रपोज़ किया, लेकिन उसने सरदार ना होने की वजह से मुझे माना कर दिया.

फिर मैं जब एग्ज़ॅम के लिए उसकी जॉब वाले शहर गया, तो उसने मुझे उसके रूम में रुकने को कहा. वाहा जाके मेरे मॅन में उसके लिए वासना पैदा हो गयी. अगले दिन हम घूमने गये, और वापस आते हुए बारिश में भीग गये. अब आयेज बढ़ते है.

हम घर तो पहुँच गये, लेकिन हमारे कपड़े पुर भीग चुके थे. दोनो को ठंड लग रही थी, और ठंड से दोनो काँप रहे थे. मैने रूप को कहा की वो पहले जाके बातरूम में कपड़े बदल ले, और फिर मैं बदल लूँगा.

लेकिन वो मुझे कहने लगी की पहले मैं जौ. अब इस बात पर हम दोनो एक-दूसरे को जाने के लिए बोलने लगे. मज़ाक-मज़ाक में बात एक-दूसरे को बातरूम में धक्का देने तक पहुँच गयी. हम दोनो एक-दूसरे को खींच कर बातरूम भेजने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कोई जाने को तैयार नही था.

मैने फिर उसको पीछे से पकड़ा, और बातरूम तक उठा कर ले गया. बातरूम के पास पहुँचते ही वो धक्का मार कर मुझसे छूट गयी, और बातरूम के दरवाज़े की साथ वाली दीवार पर जाके पीठ के बाल चिपक गयी. मेरा बॅलेन्स बिगड़ा, और मैं उसके साथ बिल्कुल चिपक गया. अब मेरी चेस्ट में उसके बूब्स डाबब रहे थे.

हम दोनो की हस्सी वही बंद हो गयी, और एक अजीब सा मोमेंट बन गया. मेरा फेस उसके फेस के इतने करीब था, की हम दोनो एक-दूसरे की सांसो को फील कर पा रहे थे. मुझे लगा यही सही मौका था, तो मैने अपने होंठ उसके होंठो से चिपका दिए, और उसके होंठ चूसने लगा.

तकरीबन 30 सेकेंड्स तक मैं उसके होंठो को चूस्टा रहा. फिर अचानक उसने मुझे धक्का दिया, और बोली-

रूप: ये ग़लत है. हम दोनो दोस्त है.

मैं: क्या सच में. अछा अगर मैं सरदार होता तो तुम मुझसे शादी के लिए हा करती या ना?

वो चुप हो गयी. फिर मैने उसको दोबारा अपनी बाहों में भरा, और उसके होंठ चूसने लगा. इस बार उसने मुझे नही रोका. तकरीबन 2 मिनिट होंठ चूसने के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी. अब हम दोनो पागलों की तरह किस करने लगे.

किस करते हुए मैं उसके भीगे हुए कपड़ों के उपर से उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था. वो भी मेरे गीले बाल सहला रही थी. फिर मैं अपने हाथ उसकी गांद पर ले गया, और जीन्स के उपर से उसकी गांद दबाने लगा. इससे वो और उत्तेजित हो गयी, और उसकी होंठ चूसने की स्पीड बढ़ गयी.

कुछ देर होंठ चूसने के बाद मैने उसको घुमा लिया, और पीछे से हाथ आयेज ले-जेया कर उसके बूब्स दबाने लगा. वो आ आ की सिसकियाँ भर रही थी. फिर मैने उसकी त-शर्ट को कमर से पकड़ा, और उपर करने लगा. उसने अपने हाथ उपर कर दिए, और मैने उसकी भीगी हुई त-शर्ट निकाल दी.

फिर मैने उसकी जीन्स का बटन खोला, और उसको भी नीचे उसकी जांघों तक कर दिया. उसने जांघों को अड्जस्ट करके जीन्स नीचे गिरा दी. अब वो सिर्फ़ ब्रा और पनटी में थी. फिर मैने उसको अपनी तरफ घुमाया, और उसकी गर्दन पर चूमने लगा. गर्दन चूमते हुए मैं उसके शोल्डर्स पर गया, और उसकी ब्रा स्ट्रॅप्स को शोल्डर से नीचे खिसका कर उसके रसीले बूब्स बाहर निकाल लिए.

क्या खूबसूरत बूब्स थे उसके, एक-दूं मस्त. मैने उसका एक बूब पकड़ा, और उसको मूह में डाल कर चूसने लगा. उसकी सिसकी निकल गयी, और वो हाथ मेरे सर के पीछे रख कर बूब में मेरा मूह दबाने लगी.

मैं फिर पागलों की तरह उसके दोनो बूब्स चूसने लगा. कुछ देर बूब्स चूसने के बाद मैने उसको बेड पर लिटा दिया. फिर मैने अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो गया. अब मेरा मोटा लंड उसको सलामी दे रहा था. वो आँख बचा कर मेरा लंड देख रही थी, और शर्मा रही थी.

फिर मैं उसके उपर आया, और उसकी पनटी नीचे खींच कर निकालने लगा. उसने अपनी पनटी पकड़ ली, लेकिन मैने ज़ोर से खींच कर निकाल दी. अब उसकी नंगी चिकनी छूट मेरे सामने थी, जिसको वो अपने हाथो से च्छूपा रही थी. जैसा मैने सोचा था उसकी छूट वर्जिन थी.

फिर मैने उसकी टांगे खोली, जिसके लिए मुझे काफ़ी ज़ोर लगाना पड़ा, क्यूंकी वो खोल नही रही थी. उसके बाद मैने अपना मूह उसकी खूबसूरत छूट पर लगा दिया, और उसको चाटने लगा. मेरे छूट चाटने से तो जैसे वो पागल हो रही थी. वो आ आ कर रही थी, और मेरे सर को अपनी छूट में दबा रही थी. उसकी छूट पानी-पानी हो रही थी.

कुछ देर छूट चाटने के बाद मैं उपर गया, और फिरसे उसके होंठ चूसने लगा. उसने मुझे बाहों में भर लिया था, और हम दोनो के नंगे बदन चिपके हुए थे. मेरा लंड उसकी छूट पे टकरा रहा था. फिर मैने एक हाथ से लंड उसकी छूट पर सेट किया, और ज़ोर का धक्का मारा.

होंठो में होंठ होने की वजह से उसकी चीख तो डब गयी, लेकिन दर्द से वो झटपटाने लगी. पर मैं धक्का मारता गया, और छूट फाड़ कर पूरा लंड अंदर घुसा दिया. क्या टाइट और गरम छूट थी. फिर पूरा लंड डालने के बाद उसके नॉर्मल होने की वेट की. जब वो नॉर्मल हुई, तो मैने उसको छोड़ना शुरू कर दिया.

बड़ा मज़ा आ रहा था. शादी नही, तो कम से उसको छोड़ने को तो मिल गया था, इस चीज़ का हॉंसला था मुझे. आधा घंटा मैने मज़े से उसकी चुदाई की. इस बीच वो 2 बार झाड़ चुकी थी. फिर मैने अपना लंड उसकी छूट से बाहर निकाला, और उसके पेट पर अपना माल निकाल दिया.

जब तक मैं वाहा रहा, उसको छोड़ता रहा. फिर मैं वापस आ गया, और उसके बाद हमारी बात भी बंद हो गयी.

थे एंड.