आंटी के बाद मा की चूत मे लंड डाला

. पढ़ा की आंटी की चुदाई की और मेरे लंड का साइज़ सुन कर मम्मी हैरान हो गयी थी.

पीछा पार्ट यहा पढ़े – आंटी से प्यार-5

अब आयेज…

मम्मी- डॉक्टर ने क्या कहा भेनजी?

आंटी- डॉक्टर ने आराम और कुछ दिन सेक्स ना करने की . दी है.

मम्मी – तो ठीक है फिर आप आराम करो मैं राजीव से मिल कर आती हू.

मम्मी- राजीव तू रूम हो क्या?

मैं- जी मम्मी जी आप आ जाओ.

मम्मी- क्या कर रहे हो तुम? मैने तुझे कहा था कोई ऐसा कम मत करना फिर तूने यह क्या किया?

मैं- मम्मी मुझे आंटी पसंद है.मुझसे रहा नही गया और वो सब हो गया.

मम्मी- इस बात का . को पता चल गया तो क्या होगा?

मैं- मम्मी जी किसी को कुछ पता नही चलेगा.

मम्मी- ठीक है तुम किसी बात मत करना और आंटी का ध्यान रख जब तक ठीक नही हो जाती समझा.

मैं- ओक मम्मी.

मेरे दिल का दार तोड़ा ख़तम हो गया. अब मम्मी मुझसे प्यार से बोल रही थी. फिर मैं आंटी के पास गया और उनसे उनका हाल चल पूछा आंटी आप कैसे हो.

आंटी – तूने कुछ छोड़ा हो तो तुझे मैं कुछ बतौ.

मैं – नही आंटी जी आप ऐसा मॅट बोलो मैं आप से बहुत प्यार करता हू.

आंटी- देख लिया तेरा प्यार मैने रात को.

मैं- आंटी आप मुझ से गुस्सा हो क्या?

आंटी- नही राजीव बेटा पर तुझे देखना चाहिए था मुझे कोई इतना बुरी तरह से चुदाई करता है क्या?

मैं- जी आंटी जी मैने की ना आप की.

आंटी- तुम तो पूरे बदमाश हो और हासणे लगी, तभी आंटी का फोन बजा तो आंटी ने उठाया फोन दिनेश जी का था.

दिनेश- सीमा कैसी हो जान?

आंटी- जी मैं बिल्कुल ठीक हू.

दिनेश- सीमा मैं आगले हफ्ते आ रहा हू घर पर.

आंटी- खुश हो गये और बोली जी यह तो बहुत अछा है वैसे भी मुझे आप की बहुत याद आ रही थी.

दिनेश- सीमा तो फिर बस एक हफ्ते की बात है.

आंटी- मैं आपका इंतेज़ार करूँगी.

दिनेश- ओक सीमा मिलते है एक हफ्ते बाद.

मैं- आंटी क्या हुया? आप बहुत खुश हो.

आंटी- तेरे अंकल जी आ रहे है, अगले हफ्ते.

मैं- आंटी तो फिर मेरा क्या होगा?

आंटी- अब तू अपना आप देख मुझे क्या.

मैं- आंटी जी मैं आप को सॅचा प्यार करता हू, अब आप को नही छोढ़ सकता मैं

आंटी- तू पागल हो गया है क्या?

मैं- आंटी जी आप ने मुझे पागल कर दिया है.

आंटी – तुझे पता है मैं शादी शुदा हू मेरा एक बेटा है, तुम मुझसे ऐसा नही कर सकते और मैं भी आब ऐसा सोच नही सकती काल रात एक ग़लती मान कर भूल जाते है, अब तुम यह सब भोल जाओ.

मैं- नही आंटी जी आप को नही छोड़ूँगा, मैने आप से प्यार क्या है.

आंटी – अब बस कर मेरे पति आ रहे उन्हे कुछ पता नही चलना चाहिए, तेरे मेरे बीच क्या हुया?

मैं- आंटी जी किसी को पता नही चलेगा, आप डारो मॅट आपकी इज़्ज़त पर कोई आँच नही आने दूँगा.

आंटी – ओक बेटा.

तभी मम्मी आ गये, तो मैने बात को बदला और आंटी जी से आम बातें शुरू की.

मैं- आंटी जी आप आराम करो और अपना ख्याल करो.

मम्मी- ख्याल तो तुझे करना चाहिए था बोल तू आंटी को रहा है.

मैं- जी मम्मी जी ग़लती हो गये.

आंटी- दीदी जी आब जाने भी दो.

मैं वाहा से चला गया और सोच रहा था आब क्या होगा जब आंटी के पति आ जाएँगे तो मैं क्या कृंगा. बस यह सोच कर मेरा दिमाग़ खराब हो रहा था तभी.

मम्मी- बेटा क्या कर रहे हो ज़रा बात सुनो.

मैं- क्या हुया मम्मी जी?

मम्मी- यह समान मेडिकल से लेकर आओ.

मैं- यह समान किस लाइ है?

मम्मी – तेरी ग़लती ठीक करने के लाइ.

मैने समान लाकर मम्मी को डेया जिस मैं डेटोल और कुछ मेडिसिन थी, मम्मी ने आंटी की छूट की डेटोल से साफ क्या और उस पर मेडिसिन लगाए.

मम्मी – भेनजी आप सुबा तक चल पाओ गी तेनतीओं मत लेना.

रात का खाना हम ने खाया और सूने की त्यारी करने लगे तभी बॉब्बी ने मम्मी से कहा.

बॉब्बी- आंटी जी मैं आज मम्मी के पास सूना चाहता हू और मम्मी ने हा कह दिया.

अब बॉब्बी आंटी जी के पास सू गया और मम्मी मेरे पास आ कर सू गये.
करीब 2घंटे बाद मैं मम्मी से चिपक गया, उनके बूब्स दबाने लगा उँचो ने टाइट ब्रा पह्न रखी थी तो ज़्यादा कुछ नही क्या मैने फिर एक हाथ उनकी जाँघ से होते हुए उनकी छूट पर रखा उन्हो ने पेंटी डाल रखी थी तो मैं फिर सू गया. सुबा जब उठा तो देखा की किचन मैं मम्मी और आंटी खाना बनाः रही थी.

मैं- क्या बात है आज तो बहुत अछा खाने को मिलेगा.

मम्मी – खाने को कुछ अछा देती हू तो तुझ से खाया भी नही जाता.

मैं- मम्मी जी ऐसी कोई बात नही है मैं तो खाने के लाइ बेताब रहता हू.

मम्मी – बस कर आब मैने देख लिया क्या खा सकता है तू.

मैं मम्मी की बात समझ नही पाया क्या गोलमोल बोल गये और आंटी हासणे लगी.शाम को आंटी आपने घर चली गये और वो घर कम मैं बिज़ी हो गये यहा मम्मी भी मुझे घूर रही थी लेकिन मैने ध्यान ही नही डेया.

मम्मी – राजीव बेटा तुम से मुझे कुछ बात करनी है यहा आओ.

मैं- जी मम्मी जी बताओ.

मम्मी- देख सीमा के पति आब आ जाएँगे तुम कोई हरकत मत करना जिस से मुझे कोई परेशानी का सामना करना पढ़े जो हो गया उसे भूल जा मैने सीमा से भी कह दिया है.

मैं- लेकिन मम्मी जी मेरा क्या होगा आब.

मम्मी- चुप कर आब जो कहा है वो कर समझा के नही.

मैं- ओक मम्मी जी.

शाम को बचे तेनतीओं के लाइ आ गये और मैने उन्हे पढ़ना शुरू क्या तभी बॉब्बी भी आ गया.

मैं- बॉब्बी सुना है तेरे पापा आ रहे है.

बॉब्बी- जी भैया जी पापा मंडे तक आ जाएँगे.

मेरा तो दिल ही टूट गया, बात मम्मी सुन रही थी. फिर रात का खाना खा कर हूँ सूने गये.

मम्मी- बेटा प्लीज़ अब तुम कोई ऐसी हरकत मत करना जिस मुझे दुख हो.

मैं- मम्मी जी आप मुझ पर विश्वास रखो मैं कुछ नही ग़लत करूँगा.

फिर हम सू गये कुछ टाइम बाद मैं मम्मी से चिपक गया तो आज देखा की मम्मी ने ब्रा नही पहनी तभी जल्दी से मैने मम्मी की छूट पर हाथ रखा तो पेंटी भी नही थी.

फिर मुझे तोड़ा अजीब लगा लेकिन मैं सू गया सुबा उठा तो मम्मी बाहर थी मैं फ्रेश हो कर मम्मी के पास गया.

मैं- मम्मी जी गुड मॉर्निंग.

मम्मी- ओक गुड मॉर्निंग.

मम्मी मुझसे गुस्सा लग रही थी मैं दार गया कही मम्मी को कल रत वाली बात पता लग गये होगी की मैने उन्हे किस तरह टच क्या है, मेरी तो हवा टाइट हो रही थी. मैं अंदर गया और मम्मी ने मुझे खाना डेया तो.

मैं- मम्मी जी मैं इतनी पराता नही खा सकता कम करो.

मम्मी- गुस्से से जब भी तुझे कुछ अछा खाने का मोका मिलता है तू कुछ भी खा नही पता चल आब मुझे देह.

पर मुझे मम्मी के गुस्से का कर्ण नही पता चल रहा था उस दिन सनडे था और दूसरे दिन आंटी के पति जी आने वेल थे तो मम्मी ने आंटी से फ़ोन पर बात की और उँचे कहा.

मम्मी- भेनजी कल तो आपका इंतेज़ार ख़तम आप की छूट का मलिक आ रहा है तो रात को खूब पीटते गे यह.

आंटी- हा दीदी जी बहुत पित्टने वाली है यह छूट पर जो इसे राजीव ने पेतता ऐसा कोई नही पेट सकता.

मम्मी- आब भूल जाओ भेजी उस ग़लती को.

आंटी- क्या क्रू दीदी जी भूला नही जाता उस रात का मज़ा.

मम्मी- मज़ा था जा सज़ा थी उस रात.

आंटी- राजीव को सज़ा मैं भी मज़ा था.

मम्मी- अब भेनजी भोल भी जाओ.

आंटी- दीदी जी आप तेनतीओं मत लो बस बात यही ख़तम है और रात क्या हुया मैं आप को ज़रूर बतौँगी.

मम्मी- ओक भेनजी.

तभी मैं आ गया घर पर टाइम तकरीबन 2बाज रहे थे, तभी मैं च्चत पर गया तो देखा की आंटी अपने घर पर ही थी और वो साफ सफाई मे थी उन्हो ने मुझे देखा पर कोई रिक्ट नही क्या.मैं नीचे आ गया.

मम्मी – शाम का खाना बनाः रही हू क्या खाएगा तू बताओ?

मैं- कुछ भी बनाः लो मम्मी.

मम्मी- फिर तुझ से नही खाया जाता जितना मर्ज़ी तेरे पसंद का हो.

मैं- मम्मी नही मैं खा लूँगा.

रात को खाना खाया तो मम्मी ने कुछ बात आंटी से फोन पे की और सू गये कुछ 1 घंटे बाद मैने मम्मी के बूब्स दबाना शुरू कर डाइ आज भी उन्हो ने ब्रा नही पहनी थी इसका मतलब था के पेंटी भी नही पहनी होगी.

मैने बूब्स को दबाना चालू रखा मम्मी का कोई रिक्षन नही था तो मैने नीचे मम्मी की छूट पर हाथ रख दिया और उसे मसालने लगा और मम्मी ने आपनी थोड़ी टाँगे खोल दी थी फिर मैने हिम्मत करी और छूट को चाटने लगा मैने सिर्फ़ छूट को 10 मिंट छत और मम्मी का कम हो गया और वो एक ट्राफ् हो कर सो गये और मई सू गया.

सुबा जब मेरी आँख खुली तो मैं फ्रेश हो कर मम्मी के पास गया मम्मी किचन मैं थी.

मैं- मम्मी जी गुड मॉर्निंग.

मम्मी- गुड मॉर्निंग बेटा मुस्कराते हुए बोली.

मैं कुछ समझ नही पा रहा था, की बात क्या है आज मम्मी का मूड बिल्कुल अलग था. वाहा अंकल भी घर आ चुके थे विदेश से.

मम्मी- तुम कही मत जाना आज सीमा के घर जाना है तुमहरे अंकल आए है सीमा ने इन्वाइट क्या है.

मैं- मम्मी जी आप चले जाना मुझे कम है.

मम्मी- नही बेटा तुम साथ चलो आंटी क्या सोचेगी.

कुछ टाइम बाद हम आंटी के घर गये और डोर वेल बजाए, आंटी ने दरवाजा खोला और हमे देखा और बोली.

आंटी- मैं आपका ही इंतज़ार कर रही थी आओ अंदर आओ ना.

हम अंदर गये और अंकल आ गये उन्हो ने हमे बुलाया और हम बात गये.

अंकल- क्या हाल है राजीव बेटा.( शायद आंटी ने मेरा नाम बातः दिया होगा)

मैं- बिल्कुल ठीक हू अंकल जी, आप बतो आपका सफ़र कैसा रहा.

अंकल- सब मज़े मैं रहा,तुमहरा थॅंक्स राजीव जो तूने अपनी आंटी की इतनी हेल्प की.

मैं- अंकल जी अपनो को कोई थॅंक्स थोड़ी बोलता है.

फिर हम ने छाई पी और वापिस घर आ गये बचो को पढ़ने के बाद मैं रूम मैं चला गया और सोच रहा था की आब तो आंटी नही मिलेगी यह सोच कर मुझे गुस्सा आ रहा था.

मम्मी- बेटा खाना खा लो.

हम ने खाना खाया और सू गये रात को मैने देखा की मम्मी की निघट्य से मम्मी की चूटर बाहर थे तो मेरा मॅन खराब हो गया और मैने उसे मसलना शुरू क्या.

कुछ टाइम बाद मैने अपना लंड निकल और चूटरों के बीच रगड़ने लगा तभी मम्मी सीधी हो गये मैं तोड़ा रुक गया.

कुछ टाइम बाद फिर से शुरू हो गया ( किओ की मेरा लंड नीचे नही हो रहा था) अब मैने मम्मी के बूब्स को दबाया और मसला फिर नीचे छूट को मसाला मम्मी की टाँगे खुल चुकी थी.

मैने अपना लंड उनकी छूट पर रगड़ने लगा पर मज़ा नही आ रहा था तो मैने छूट चाटना चुरु किया और छूट गिल्ली कर दी. फिर मैने अपना लंड छूट पाए रगड़ने लगा आब मज़ा आ रहा था मैं लंड छूट मैं नही डाल रहा किओ की मेरा लंड मॉटा और लंबा था तो मम्मी उसे ले नही पति.

मैं ज़ोर ज़ोर से छूट पर लंड रग़ाद रहा था तभी मेरे लंड का टोपा मम्मी छूट मैं छा गया और तब.

नेक्स्ट पार्ट मैं लिखुगा की क्या हुआ, मुझे फीडबॅक दीजिए.

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