अंजान आदमी के साथ बढ़ती नज़दीकिया

जो कोई भी शोकसभा से हमबिस्तर-2 नही पढ़े है, वो ज़रूर पढ़ के यहा आए.

अब आयेज की कहानी…

तब राहुल ज़िप्स बंद करते हुआ मेरे पास आके बिके पे बेत गया और स्टार्ट काइया. तब तक मई धीरे धीरे हास रही थी.

राहुल : बेतिए भाभी जी, पर यॅ सही नही काइया आपने.

फिर मैं बेत गयी बिके पे और हम जाने लगे.

मैं : क्या हुआ?

राहुल : अब ज़्यादा भोली मत बानिए आप तो पहले. अपने तो मेरा लंड ही देख लिया. अब मैं सबको कैसे मूह देखौँगा. मेरे इज़्ज़त तो आपने देख लिया.

मैं : क्यू तुम लड़की हो क्या? पहले तो बहात बड़े बड़े बात कर रहे थे की हम लड़के है कुछ भी कर सकते है. अब कहा गया वो?

अब राहुल चुप हो गये.

मैं : और कितना टाइम लगेगा. बदल च्गाई है, लगता है बारिश होगी.

उतने मई वो फिर एक पॅयन की शॉप पे बिके रखा.

मैं : अब क्या हुआ?

राहुल : उतरो, सिग्रते पीना है मुझे.

फिर मैं उतार गयी. वो सिग्रते लेने गया और मैं वाहा खड़ी होके वो बचे का दिया हुआ चॉक्लेट खाने लगी.

राहुल : क्या बचो की तरह चॉक्लेट खा रही हो?

मैं : मेरी फॅवुरेट है.

तब वो शॉपकीपर : क्या भैया आप भी भाभी को 10 का डायर्यमिल्क दे रहे हो बचे की तरह. पत्नी है आपकी, तोड़ा तो सोचो.

उसके मुहे से यह सुनके मैं रुक गयी और राहुल की और देखने लगी. राहुल भी मुझे देख के मुस्कुराने लगा.

राहुल : अच्छा फिर दो जो कोई भी बड़ा वाला हो इसका. और एक सिग्रते भी देना.

फिर शॉपकीपर ने दो डायर्यमिल्क के बड़ा पॅक दिया और हेस्ट हुआ राहुल के हाथ मई कुछ दिया तो राहुल भी हेस्ट हुआ उसे सीधा अपने पॉकेट मई दल दिया. सिग्रते तो नही था क्यू किड्स सिग्रते तो शॉपकीपर ने बाद मई दिया, पर क्या ही होगी मैं भी ज़्यादा मत सोची.

राहुल : पाकड़ो इससे (चॉक्लेट देते हुआ).

मैं : नही मैं नही ले सकती यह.

शॉपकीपर : अरे भाभी अब आप क्यू इतने नखरे देखा रहे हैं, ले लीजिया ना. भैया को पता नही था की पत्नी को केसे चॉक्लेट देना है. अब जान गयी है वो. आज से रोज आपको चॉक्लेट देंगे.

मैं शॉक होके शॉपकीपर को देख ही रही थी.

राहुल : रखलो मिस मनीषा जी. पैसे नही माँग रहे आपसे, बस प्यार से दे रहे (हेस्ट हुआ).

फिर मैं राहुल से चॉक्लेट ले ली. राहुल अब सिग्रते जलाने लगा.

मैं : अरे जल्दी करो ना, लगती है तेज़ बारिश होगी.

शॉपकीपर : भैया जी, वो इधर सिग्रते नही पिए सकते आप. पिच्चे आजाईया.

राहुल : नही, चला ही जाता हूँ इधर से मैं. बेतो मनीषा भाभी . थोड़ी आयेज चलते है.

राहुल की मूह से भाभी सुन के शॉपकीपर तो हेरान ही रह गया. वो सिर्फ़ मिझे ही ताज्जुब से देख रहा था.

मैं बिके पे बेत गयी. हम निकले वाहा से. थोड़ी आयेज जाके साइड पे हम फिर रुके. वो सिग्रते पिए ने लगा.

राहुल : साले खुद तो बेचते है पर पीने नही देते उनके पास.

उतने मई रोड़े साइड पे बेती हुई एक बूढ़ी औरत आई पैसा माँगने केलिया. तो मैं उसे 10 रुपये दे दी.

बूढ़ी औरत : तुम दोनो सदा खुस रहो बेटी. तुम दोनो की जोड़ी हमएसा सलामत रहे.

तब राहुल ने 200 रुपये और दिया उस बूढ़ी औरत को.

राहुल : अम्मा, और 2-3 आशीर्वाद दो ना हमे.

बूढ़ी औरत : तुम युगल को किसी की नज़र ना लगे. तुम्हे कोई जुड़ा ना कर सके. तुम दोनो का दंपत्या जीवन खूब आनंद से बीते. इसकी पेट से तुम्हारा एक सुंदर सा बचा हो.

राहुल बहात खुस हो गया. मैं तो हैरान थी की वो बूढ़ी औरत क्या साँझ कर क्या ही बोल गयी.

उतने मई धीमी धीमी बारिश सुरू हो गयी.

मैं : राहुल, चलो चलते है. कही बारिश तेज़ ना हो.

राहुल : माजी, धन्याबाद.

बूढ़ी औरत : जाओ बेटा तुम जेया सकते हो.

राहुल : मनीषा, तुम दोनो तरफ पेर करके बेतो.

मैं : अच्छा ठीक हैं. बेत रही हूँ.

फिर मैं दोनो और पेर रख के बेत गयी. वो गाड़ी तेज़ चलाने लगा तो मैं चिपक के बेत गयी उसे पकड़ के. अब मेरी दोनो स्तन उसके पेत पे एक दूं दाब गयी थे. धीमी धीमी बारिश हो रहा था और फिर हम बातें करने लगे.

राहुल : आज मैं बहात खुस हूँ.

मैं : तुम्हारी हरकतों से पता चलता है.

राहुल : उस बूढ़ी औरत की आशीर्वाद तो मैं हमेशा याद रखूँगा.

मैं : वो आशीर्वाद मुझे और मेरी पति को दी.

राहुल : अच्छा वो केसे ?

मैं : मैं और मेरी पति हमेशा खुस रहे ,हमारी जोड़ी सलामत रहे, हमे किसीकि नज़र ना लगे, हमे कोई आलग ना कर साले, हम कपल की लाइफ आराम से बीते असे बोली.

राहुल : ओह असी बात है क्या. मैं सोचा की तुम्हे और मुझे हम दोनो बो बोली पति पत्नी.

मैं : चुप.

राहुल : लास्ट वाला तो तुम भूल गयी. इसकी पेट सो तुम्हारा एक सुदार बचा हो. इसका मतलब समझे ना तुम.

मैं : क्या?

राहुल : की तुम्हारे पेट मे मेरा बचा हो यानी की तुम्हारी बचे का बाप मैं बनू. समझे मिस मनीशजी.

मैं : बदमाश. (बोलके 2 थप्पड़ उसकी जंघा पे लगाई और गाल पे एक चींटी काट दी)

राहुल : आ, क्या कर रहे हो.

उतने मई तेज़ बारिश शुरू हो गयी.

मैं : बारिश होने लगी, अब कैसे जाए हम.

राहुल : टेन्षन मत लो. यहा पास मे ही मेरा घर है वाहा चलते है. बस 4-5 मीं दूरी, बारिश रुकने के बाद मैं छ्चोड़ दूँगा तुम्हे.

बोलते हुआ वो गाड़ी उ तुर्न घुमा ली.

मैं : वापस क्यू जेया रहे हो?

राहुल : अरे ऑलरेडी मेरे घर पास करके गये है हम. मैं तो तुम्हे छ्चोड़ने के लिए ही जेया रहा था.

उतने मे और ज़ोर से बारिश होने लगी.

राहुल : तुम कस के पकड़ लो मुझे.

मैं उस सो ज़ोर से चिपक गयी और कस के पकड़ ली. 5 मीं पे ही हम दोनो उसके घर पहुँच गयी पर तब तक हम पूरी तरह से भीग चुके थे. हम जल्दी जल्दी घर के आंदार जाना चाहते थे. बारिश मई गीली होने के वजह से सब कुछ बॉडी से चिपके हुआ थे. राहुल ने डोर लॉक खोला तो हम दोनो आंदार आगाई.

राहुल : मुझे देख के हासणे लगे.

मैं : ऐसे हास क्यू रहे हो ?

राहुल : ऐसे ही, तुम्हे देख कर.

मैं : क्यू मैं कोई कार्टून हूँ या कॉमेडी कर रही तुम्हारे सामने?

राहुल : मूड तो सीरीयस है पर हसी को रोक नही पा रहा मैं.

मैं : कही पागल तो नही हो तुम?

राहुल : अब तक तो ठीक था मैं पर अब तुम्हे देखने के बाद पागल ही हो गया हूँ मैं.

कहानी आयेज जारी रहेगी. कॉमेंट या मैल करके आप सब कृपया अपनी फीडबॅक ज़रूर बताई मुझे.