मेरी चुदाई का पहला अनुभव का पार्ट ८

हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.

इश्स स्टोरी का 7त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है. अब आगे

सलमांजी की हरकटो से अब में भी मज़े लेने लगी थी. मेरी छूट भी गीली होने लगी थी लेकिन कुछ ना कहते हुए में नज़रे झुकाए चुप छाप बैठी रही.

सब हसी मज़ाक मे लगे हुए थे. दोनो भाई बहें को बिल्कुल भी उम्मेड नही थी की उनकी पीठ के ठीक पीछे किस तरह का खेल चल रहा था.

में नाइनवेली दुल्हन कुछ तो शरम के मारे और कुछ परिवार वालो के खुले विचारो को देखते हुए चुप छाप बैठी रही. वैसे में भी कोई दूध की धूलि तो थी नही ससुरजी के साथ हुमबईस्तर होते होते रह गयी थी. इसलिए मेने मामूली विरोध और कसमसने के अलावा कोई हरकत नही की.

मेरी छुपी देख कर सलमांजी ने मूज़े अब आगे की तरफ झुका दिया और अपने हाथ पीछे मेरी पीठ पे ले जेया कर मेरी ब्रा के हुक्स खोल दिए. अब ब्लाउस और ब्रा से मेरे बूब्स ढीले हो गये और वो आराम से ब्लाउस मे हाथ दल कर चुचिया मसालने लगे.

थोड़ी देर मसालने के बाद उन्होने मेरे ब्लाउस के सारे बटन खोल कर मेरी चुचिया पूरी बाहर निकल कर नंगी कर दी और उसके मज़े लेने लगे.

चुचिया नंगी करने के बाद सलमांजी ने अपना सिर कंबल के अंदर दल कर मेरी नंगी चुचि को चूमने लगे. और अपने होतो के बीच मेरी एक एक निपल को पकड़ कर चूसने भी लगे. में तो दार के मारे सासे भी रोक बस चुप छाप बैठी रही थी. ऐसा लग रहा था मानो मेरी सासे से भी हुमारी हरकटो का पता चल जाएगा.

कुछ टाइम तक मेरी दोनो निपल्स चूसने के बाद उन्होने वापस अपना सिर कंबल से बाहर निकल दिया. उसके बाद उन्होने अपने हाथो से मेरा हाथ पकड़ लिया. और मेरी पतली पतली उंगलियों को वो कुछ देर तक चूमते चूस्ते रहे.

फिर ढेरे से उसको पकड़ कर अपने पंत के उपेर लंड के पास रख दिया था. उनकी यह हरकत से में भौत ज़्यादा दार गयी पर कुछ नही कर सकती थी. अपनी उंगलियो को कुछ देर तक वही पर दबाए रखने के बाद मेने हिम्मत करके अपने हाथो से उनके लंड को एक बार अपनी मुति मे लेकर दबा दिया.

जब में उनका लंड दबा दी तो उन्होने अपने दाटो को मेरी गर्दन मे ढेरे ढेरे गाड़ा दिया. मेरे कानो की एक र्लोबस को अपने मूह मे भर के चूसने लगे.

यह सब के बीच मूज़े पता हे नही चला कब उन्होने अपने पंत की ज़िप खोल कर अपना लंड बाहर निकल दिया था. मूज़े तो पता तब लगा जब मेरे हाथ उनके नंगे लंड को छूउ गये. में अपने हाथ को वाहा से हटाने खिच रही थी मगर उनकी पकड़ से छोरा नही पा रही थी.

जैसे हे मेरे हाथ ने उनके नंगे लंड को चूहा तो मेरे पूरे जिस्म मे एकद्ूम से करेंट दौध गया. उनका लंड पूरी तरह खड़ा हुआ था. लंड तो क्या मानो मेने मेरे हाथो मे कोई गरम लोहा पकड़ लिया हो. मेरी ज़ुबान मानो तो बिल्कुल चिपक हे गयी और पूरा मूह शुखने लगा.

मेरे सौहर और ननद कार मे आगे बैठे थे और में एक नाइनवेली दुल्हन एक मर्द का वो भी मेरे नंदोइजी का लंड हाथ मे लिए बैठी थी. मूज़े इतनी शरम आ रही थी और साथ हे यूयेसेस से भी ज़्यादा दार लग रहा था की मेरी ज़ुबान को तो जैसे लाकुवा हे मार गया हो और अगर कुछ बोलती भी तो सब क्या सोचते.

इसलिए मेरी छुपी को उन्होने मेरी पर्मिशन साँझ ली. और मेरे हाथो को मजबूती से पाने लंड पर पकड़ रखा था. मेने भी ढेरे ढेरे उनके लंड को अपनी मुति मे ले लिया. तब उन्होने अपने हाथ को मेरे हाथ से उपेर नीचे करके लंड को सहलाने का इशारा किया.

में भी उनके लंड को सहलाने लगी. जब उनको यह यकीन हो गया की अब में उनके लंड को खुद हे सहलौंगी तो उन्होने अपना हाथ हटा दिया और मेरे चेहरे को पकड़ कर खुद की तरफ कर लिया और एकद्ूम से हे अपने होतो को मेरे होतो से चिपका दिए. मेरे होतो को अपनी जीब से खुलवा कर खुद की जीब मेरे मूह मे घुसा दी थी.

यूयेसेस वक़्त में साची दार के मारे काँप ने लगी थी. मेने जल्दी हे उन्हे धक्का दे कर खुद से अलग कर लिया था.

थोड़ी देर बाद उन्होने अपने हाथो से मेरी सारी उपेर करनी शुरू की थी. और अपने हाथ को मेरी नंगी झंगो पर घूमने लगे थे. मेने तो अपनी टॅंगो को इतना कस्स कर दबा रखा था इसलिए उन्हे मेरी छूट तक पोछने का मौका हे नही मिला.

उनकी यह सब हरकत की वजह से में भी उनके लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी थी. कुछ देर मे उनके मूह से सिसकारियाँ निकल ने लगी थी. लेकिन चलती कार की आवाज़ मे उनकी सिसकारी की आवाज़ डब गयी थी. मेरे लंड को ज़ोर से हिलने की वजह से उनके लंड से ढेर सारा गाड़ा गाड़ा वीर्या (कम/स्पर्म्ज़) निकल ने लगा था और मेरे पूरे हाथो पे फैल गया था.

जब मेने अपना हाथ उनके लंड से हटा कर बाहर निकाला. तो वो वापस मेरे हाथ को पकड़ कर मूज़े जबारजस्ति उनके वीर्या को छत कर सॉफ करने मजबूर करने लगे. लेकिन इश्स बार मेने उनकी बिल्कुल भी चलने नही दी थी. मूज़े इश्स तरह की हरकत भौत हे गांडी और वाहियात लगती थी. इसलिए मेने उनकी पकड़ से अपना हाथ खिच कर अपने रुमाल से हाथ सॉफ कर लिया.

यह सब होने के कुछ देर बाद अज़हर ने कार रोकी और वो पीछे की सीट पे आ कर बैठ गये और सलमांजी आगे चले गये तक जेया कर मेने रहट की सास ली.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.