ऑफीस की रंडी बनने का मेरा सफ़र

हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.

इश्स स्टोरी का 2न्ड पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है.

अब आयेज..

बाकी सब ऑफीस वालो के सामने तो में अपने जिस्म को दुपट्टे से कवर करके रखती थी मगर नौशड्जी के सामने जाने से पहले अपनी चट्टी पर से दुपट्टा हटा कर वही अपनी डेस्क पे चोर के जाती थी.

में जानबुज कर उनके सामने झुक झुक के काम करती थी जिससे मेरी ब्रा के अंदर दबाए हुई मेरी चुचिया उनके सामने झूलने लगे.

यह सब रोज़ करते मेने ढेरे ढेरे महसूस किया की उनकी नज़रो मे भी बदलाव आने लगा था. आख़िर आता भी क्यूँ नही वो थोड़ी कोई साधु-संत तो थे नही और उनके सामने में थी भी इतनी सुंदर की मुझसे दूर रहना भौत मुश्किल का काम था. और में भी उनको सताने का कोई मौका नही चोर्थी थी. कभी कभी तो काम करते अपने बूब्स उनके जिस्म से छू देती जिससे हम दोनो को एहसास होता.

यह सब के साथ मेने ऑफीस का काम भी इतनी आचे से मॅनेज कर लिया था की अब नौशड्जी ने काम की भौत सारी ज़िम्मेदारी मूज़े दे दी थी. मेरे बिना वो काम मे भौत बेबास महसूस करने लगे थे इसलिए अब में ज़्यादा चुट्टिया भी नही लेती थी. धीरे धीरे हम दोनो काफ़ी ंिलझूल गये थे.

फ्री टाइम मे में उनकी कॅबिन मे चली जाती और हम भौत बाते करते. बाते करते उनकी नज़रे भी बाते करती जो मेरे चेहरे से फिसल कर नीचे जाती तो मेरे निपल्स बुलेट की तरह तंन कर खड़े हो जाते.

नौशड्जी मे इतने बड़े आदमी होने का बिल्कुल भी गुरूर नही था. में रोज़ हे घर से उनके लिए कुछ ना कुछ नया नास्टा बना कर लाती और फिर हम उनकी कॅबिन मे बैठ के साथ मे नास्टा करते थे. मेरी जॉब के कुछ महीने होने के बाद अब में यह ऑफीस मे भी ब्लाउस और स्कर्ट पहें ने लगी थी हाइ हील्स के साथ.

जिस दिन मेने पहली बार ब्लाउस और स्कर्ट पहना और उनके सामने गयी तो मेने नौशड्जी की आखो मे एक अलग हे चमक देखी थी. तब हे मेने सोच लिया की अब मूज़े हे बात आगे बढ़ानी होगी.

अब जब लगता की काम भौत ज़्यादा बढ़ गया है तो में उनसे कहने लगती.

साहिबा:- सिर काम इतना ज़्यादा है तो अगर आप कहो तो यह सारी फाइल्स में आपके घर ले आती हू या फिर ऑफीस मे हे ज़्यादा टाइम रुक जाती हू.

लेकिन उनका जवाब सब से अलग हे होता था जो कोई नही सोच सकता. वो हमेशा कहते.

नौशड्जी:- साहिबा में अपनी टेन्षन घर ले जाना पसंद नही करता हू और में सोचता हू की तुम्हे भी छुट्टी होने के बाद अपनी लाइफ अपनी तरह से एंजाय करनी चाहिए अपने घरवालो के साथ या अपने बाय्फ्रेंड के साथ एंजाय करना चाहिए. बाय्फ्रेंड तो होगा हे ना तुम्हारा???

साहिबा:- आप जैसा हॅंडसम और शरीफ लड़का जिस दिन मूज़े मिल जाए यूयेसेस दिन बाय्फ्रेंड बना लूँगी.

मेरे ऐसे कहते हे उन्होने इन्स्टेंट टॉपिक बदल दिया.

एक दिन कम करते उन्हे सरदर्द होने लगा था तो उन्होने मुझसे कहा.

नौशड्जी:- प्लीज़ मेरे लिए सरदर्द की टॅबलेट ला दो.

साहिबा:- टॅबलेट क्यूँ में आपका सर दबा देती हू.

यह कह कर में उनकी चेर के पीछे गयी और उनके सर को हाथो मे पकड़ कर दबाने लगी. मेरी उंगलिया उनके घने मुलायम हाथो मे घूम रही थी. ऐसे करने से कुछ हे टाइम मे उनको दर्द से आराम मिला तो उनकी आखे अपने आप बंद होने लगी. तब मेने उनका सर अपने जिस्म से लगा दिया.

मेने अपने दोनो चुचियो के बीच उनके सर को दबा कर उनके सर को दबाने लगी. उन्होने भी यह सब महसूस किया पर कुछ बोले नही. यह सब करने से मेरी चुचिया शाक्त हो गयी और निपल्स भी भौत तंन गयी. मेरे गाल भी शरम से भौत लाल हो रहे थे.

नौशड्जी:- बस साहिबा अब भौत आराम हो गया है दर्द मे.

यह कह कर जब उन्होने अपना सर मेरी छाती से हटा दिया तब मूज़े भौत बुरा लगा लेकिन ना हे में कुछ एक्सप्रेस कर सकती थी और ना हे कुछ कह सकती थी. में बस शरम की वजह अपनी नज़रे नीचे किए हुए उनके सामने वाली चेर पे बैठ गयी.

ढेरे ढेरे हम बेताकालूफ होने लगे थे. मेरी जॉब को अभी कुछ 6 महीने हे हुए थे की एक दिन नौशड्जी ने मूज़े अपनी कॅबिन मे बुलाया और एक एन्वेलप दिया और जब मेने उससे ओपन करके देखा तो खुशी से उड़दने लगी. यूयेसेस लेटर मे यह लिखा था की मेरी पोस्ट पर्मनेंट कर दी गयी है और मेरी सॅलरी भी बढ़ा दी गयी है. यह सब देखते हे मेने कहा..

साहिबा:- थॅंक योउ सो मच सिर.

नौशड्जी:- ऐसे सुखी सुखी थॅंक्स नही चलेगा बेबी. यह इतनी बड़ी न्यूज़ के बाद तो अब तुम्हे मूज़े एक अची ट्रीट देनी होगी.

साहिबा:- जी ज़रूर सिर क्यूँ नही अभी देती हू.

नौशड्जी:- क्या???

तब मेने सोचा में इश्स मौके को हाथ से नही जाने दे सकती हू इसलिए मे तुरंत हे उनकी गोद मे जेया कर बैठ गयी और उनको अपनी बहो मे भरते हुए उनके होतो को चूमने लगी. मेरी यह सब अचानक की हुई हरकत से वो भौत गभहरा गये.

नौशड्जी:- साहिबा यह सब क्या है??? योउ जस्ट कंट्रोल युवरसेल्फ. इश्स तरह एमोशनल होना अची बात नही है. में एक शादीशुदा बाकचो वाला बुद्धा आदमी हू.

इतना कहते हे उन्होने मूज़े अपनी गोद से उठा दिया. तो मेने भी कह दिया.

साहिबा:- में क्या करू सिर आप हो हे इतने हॅंडसम की मुझसे कंट्रोल नही हो पाया.

इतना जवाब दे कर में वाहा से उनकी कॅबिन से बाहर भाग गयी.

जब इतना सब होने के बाद भी उन्होने मुझसे कुछ नही कहा तो में उनसे ज़्यादा ओपन और क्लोज़ होती गयी.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है. तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे. आप सभी के फीडबॅक आप मूज़े मेरी मैल ईद