टपु ने अंजलि की चूत और गांद बजाई

जैसा की आप सब को पता होगा टापू एक बहुत ही शरारती लड़का है. वो अंजलि के साथ वो सब करता है जो उसके पापा जेथलाल चंपकलाल गाड़ा उसकी मम्मी दया के साथ करते है. टापू को सेक्स करना बहुत पसंद है, और वो अंजलि को पता लेता है. क्यूंकी जब भी वो बाहर सोसाइटी कॉंपाउंड में खेलता था, अंजलि उसको बहुत प्यार करती थी. उसे वो घर पर बुला कर कभी शरबत, कभी नींबू पानी, तो कभी क्या खिलती रहती थी.

एक बार जब टापू सोनू को देख कर हिला रहा था, तब अंजलि ने उसे देख लिया था. क्यूंकी टापू क्लबहाउस में अकेला था, और अंजलि वाहा अचानक से चली गयी थी. उसी समय टापू ने अंजलि से कहा-

टापू: आंटी आप मुझे बहुत पसंद है, और मुझे पता है की मेहता अंकल आपको वो सुख नही दे पाते, जो सुख आप डिज़र्व करते हो. मैं आपके साथ वो सब कर सकता हू, जो आप चाहते हो. मैं आपके ये बूब्स इतने बड़े कर सकता हू, की आप बबिता आंटी से भी ज़्यादा हॉट दिखोगे. आप समझ रहे हो ना मेरी बात?

ये बात सुन कर अंजलि वाहा से शर्मा कर चली जाती है, और घर जेया कर बैठ जाती है. अब टापू को समझ आ गया था की अंजलि ने ज़रा सा भी गुस्सा नही किया था, मतलब की अंजलि उसके साथ सेक्स करने को तैयार थी. पर वो ऐसे डाइरेक्ट जेया कर अंजलि के साथ सेक्स नही कर सकता. तो उसने एक प्लान बनाया की आज रात को च्छूप जाएगा, और अंजलि को बिना बताए उसे छोड़ देगा. तू आइए जानते है की आयेज क्या हुआ-

टापू अब्दुल की दुकान पर-

टापू: ही अब्दुल भाई.

अब्दुल: क्या हाल टापू? कैसे हो?

टापू: बस बढ़िया अब्दुल.

अब्दुल: बोल क्या चाहिए टापू, हिचकिचा क्यूँ रहा है?

टापू: अब्दुल भाई मुझे वो चाहिए.

अब्दुल: वो क्या टापू?

टापू: वो अब्दुल भाई, वो जो रात में काम आता है. मैं एक बार आपसे पहले भी ले गया था मेरी कॉलेज वाली गर्लफ्रेंड पूजा के लिए.

अब्दुल: ओक टापू समझ गया. पर आज क्यूँ?

टापू: सॉरी अब्दुल भाई, वो सीक्रेट है.

अब्दुल: कोई बात नही, एंजाय.

टापू की किस्मत बहुत ही ज़्यादा बुलंद थी. उसी रात मेहता साहब को किसी अर्जेंट काम से देल्ही जाना पद गया, और अंजलि भाभी घर पर अकेली थी. टापू सोसाइटी कॉंपाउंड में ही घूम रहा था, और वेट कर रहा था की कब मेहता साहब घर से बाहर निकले, और वो अंदर जाए. उसी समय मेहता साहब बड़ा सा सूटकेस लेकर बाहर निकले.

टापू: मेहता अंकल, कहा जेया रहे है?

मेहता: टापू बेटा अर्जेंट काम से देल्ही जेया रहा हू.

टापू: अंकल, अंजलि आंटी?

मेहता: टापू वो यही है, तू देख लेना उसे कोई काम हो तो.

टापू: वाउ, ओके मेहता अंकल.

मेहता: थॅंक योउ टापू.

और मेहता वाहा से चला जाता है. फिर टापू रात के 2:00 बजे अपने घर से चुप-छाप आता है, और पुर काले कपड़े पहन लेता है. अंजलि रात के 2:00 बजे तक सोफे पर बैठ कर सविता भाभी की हॉट कॉमिक्स पढ़ रही थी. क्यूंकी अंजलि खुद को शांत करना चाहती थी.

फिर अंजलि ने कॉमिक ख़तम की, और वो सोने जेया रही थी. उसी समय घर की बेल बाजी. वो दर्र गयी. लेकिन उसे पता था की सोसाइटी सेफ थी, इसलिए वो बिना टेन्षन दरवाज़ा खोलने गयी. तभी टापू जल्दी से अंदर घुस कर दरवाज़ा बंद कर देता है. उसने अपना फेस कवर किया होता है, और वो अंजलि को पीछे से पकड़ लेता है.

अंजलि कुछ बोलने वाली थी, तभी टापू उसकी आँखों पर पट्टी बाँध देता है. फिर वो अंजलि के होंठो को चूसने लग जाता है. अंजलि को पता नही था की कों उसके होंठो को चूस रहा था. टापू उसके होंठो को मस्ती से चूस रहा था. अब अंजलि को भी मज़ा आ रहा था. टापू काफ़ी देर तक इस तरह अंजलि के होंठो का रस्स पीटा है.

अंजलि को कुछ समझ में नही आता है. फिर टापू नंगा होता है और वो अंजलि को भी नंगी कर देता है. उसके बाद टापू अंजलि के पीछे उसकी गांद पर थप्पड़ मारता है. इससे अंजलि के मूह से कपड़ा हट जाता है, और वो ज़ोर से चिल्लती है आह.

अंजलि फिर बोलती है: प्लीज़ कों है? मत करो, बहुत दर्द हो रहा है ह अहह. नही आह, प्लीज़ मत करो, दुख रहा है.

अब टापू अपनी पंत में हाथ डालता है, और अपना लंड निकालता है. वो अपने लंड को हिलने लगता है, और अंजलि की छूट पर रगड़ता है. अंजलि की छूट पर सहलाने के बाद धीरे से अपना लंड नीचे खिसकते हुए अंजलि की गांद में डाल देता है. फिर अचानक से धक्का लगता है, और अंजलि बहुत ज़ोर से चिल्लती है-

अंजलि: आ मॅर गयी.

तभी अंजलि पीछे मूह कर टापू के फेस से कवर हटता देती है. अब टापू का फेस उसको नज़र आ जाता है. वो उसको देख कर हैरान हो जाती है, और उसको कहती है.

अंजलि: टापू तू, तू यहा क्या कर रहा है?

टापू: आंटी आप बहुत सेक्सी हो. जब मैने देखा की मेहता अंकल घर पर नही है, तो मैने सोचा आपको तोड़ा प्यार कर लेता हू. वैसे भी अंकल तो आपको सॅटिस्फाइ नही करते.

अंजलि: ये तो सच कहा तूने. लेकिन तू ये फेस कवर करके क्यूँ आया. वैसे भी तो आ सकता था.

टापू: आंटी मुझे दर्र लग रहा था.

अंजलि: चल कोई बात नही, आ आचे से मेरी गांद छोड़.

ये सुन कर टापू ने अंजलि के छूतदों पर अपने हाथ रखे, और धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा. अंजलि आ आ करने लग गयी. उसको दर्द और मज़ा दोनो मिल रहे थे. धीरे-धीरे अंजलि का दर्द भाग गया, और उसको सिर्फ़ मज़ा आने लगा.

ये देख कर टापू ने अपने धक्के तेज़ कर दिए. अब वो फुल स्पीड पर अंजलि की गांद छोड़ने लगा. साथ में वो उसकी गांद पर थप्पड़ भी मार रहा था. अंजलि आ आ कर रही थी, और पुर रूम में फॅट-फॅट की आवाज़े गूँज रही थी.

कुछ देर टापू ने ऐसे ही अंजलि की गांद छोड़ी. फिर अंजलि ने उसको छूट छोड़ने के लिए कहा. टापू ने अंजलि को सीधा किया, और उसकी छूट में लंड घुसा दिया. अंजलि की आ निकली, और टापू को उसकी गरम छूट में लंड डाल कर मज़ा आ गया. अब वो तबाद-तोड़ धक्कों के साथ उसकी छूट छोड़ने लगा.

आधा घंटा छोड़ने के बाद टापू ने अपना माल अंजलि की छूट में ही भर दिया. फिर दोनो ऐसे ही पड़े रहे. तभी अंजलि बोली-

अंजलि: टापू आयेज भी ऐसे ही आते रहना.

टापू: ज़रूर आंटी.

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