ही फ्रेंड्स, मेरा नाम अरमान है. मैं आप सब प्यारे रीडर्स के लिए “तारक मेहता का उल्टा चश्मः” के कॅरेक्टर्स पे बेस्ड एक नयी कहानी लेके आया हू. आशा करता हू, की आप सब इस कहानी को एंजाय करेंगे, और भरपूर प्यार देंगे. ये कहानी टापू और रोशन की है.
पतंग का सीज़न था, और टापू च्चत पर खड़ा पतंग उड़ा रहा था. तभी रोशन अपनी च्चत पर आती है, और धोए हुए कपड़ों को धूप में सूखने लगती है.
रोशन ने वाइट कलर का सलवार सूट पहना हुआ था. उसका शर्ट डीप नेक वाला था, और वो दुपट्टा नही लेके आई थी. वो बार-बार नीचे झुक कर बकेट से कपड़ा निकालती, उसको निचोढ़ती, और फिर तार पर सूखने के लिए डाल देती.
तभी टापू की नज़र रोशन पर पड़ी. उसने रोशन को झुक कर बकेट से कपड़ा निकालते देखा. जैसे ही वो झुकी, उसके गोरे-गोरे बूब्स की गहरी सी क्लीवेज टापू को दिख गयी. उसकी इतनी सेक्सी क्लीवेज देख कर टापू के मूह में पानी आ गया.
टापू की पतंग की डोर उसके हाथ से छ्छूट गयी, और उसका हाथ उसके खड़े हुए लंड पर चला गया. वो घूर-घूर कर उसकी क्लीवेज को देख रहा था, और अपनी ही थूक के घूँट भर रहा था. तभी रोशन की नज़र भी टापू पर पड़ी.
रोशन ने देखा की टापू उसकी क्लीवेज को घूर रहा था, और उसका हाथ जीन्स में खड़े हुए उसके लंड पर था. टापू का टाइट लंड जीन्स के अंदर से ही काफ़ी बड़ा लग रहा था. रोशन को भी उसका लंड देख कर कुछ-कुछ फील होना शुरू हो गया.
फिर रोशन जान-बूझ कर नीचे झुकी. बकेट में कोई कपड़ा नही बचा था, फिर भी वो नीचे झुकी रही बकेट में हाथ डाल कर. उतनी देर तक टापू अपना लंड हिलने लग गया. फिर वो सीधी हुई, और उसने बकेट उठा कर फर्श पर फेंकी. तब टापू को होश आया. वो हड़बड़ा सा गया, और अपने लंड पर से हाथ हटा लिया.
रोशन उसकी तरफ स्माइल करके देखने लगी, और वाहा से चली गयी. उसको स्माइल करके देख टापू भी खुश हो गया, की उसकी बात बन सकती थी. उस दिन रात में टापू रोशन के बूब्स का वो सीन याद करके पागल हुआ जेया रहा था.
फिर टापू ने मूठ मारी अपनी रोशन आंटी के नाम की. अगले दिन टापू फिरसे च्चत पर चला गया, और वाहा जाके रोशन की वेट करने लगा. रोशन जब उपर आई, तो उसको सामने टापू खड़ा दिखाई दिया.
उसने टापू को देख तो लिया था, लेकिन वो ऐसा दिखा रही थी, जैसे उसने टापू को नही देखा था. आज उसने लाल रंग का सलवार सूट पहना था, और आप सब तो जानते ही है, की क्लीवेज का बेस्ट सीन लाल रंग के कपड़ों में दिखता है.
वो फिरसे झुकने लगी, और टापू के मूह में पानी आने लगा. आज तो सामने से उसकी ब्रा का स्ट्रॅप भी दिख रहा था. रोशन को भी टापू को अपना सेक्सी जिस्म दिखा कर बहुत मज़ा आ रहा था.
आज टापू ने बिना दर्रे अपना लंड जीन्स की ज़िप खोल कर बाहर निकाल लिया, और उसको रोशन के सामने ही हिलने लगा. उसका मोटा तगड़ा लंड देख कर रोशन के मूह में पानी आ गया. फिर वो दोबारा स्माइल देके चली गयी.
ऐसा 4-5 दिन चलता रहा. रोशन रोज़ आके टापू की प्यास का इंतेहाँ लेने लगी, और टापू भी रोज़ उसको देख कर अपना माल निकालने लगा. फिर एक दिन टापू ने सोचा की रोशन के नाम का माल ऐसे निकालने से अछा उसकी छूट के अंदर निकाला जाए.
फिर अगले दिन टापू रोज़ की तरह च्चत पर चला गया. लेकिन आज उसने अपनी च्चत पर खड़े होके रोशन के आने की वेट नही की, बल्कि रोशन की च्चत पर कूद कर चला गया. और च्चत पर बने कमरे में जाके च्छूप गया.
फिर कुछ देर बाद रोशन च्चत पर आई. कमरे के अंदर से टापू को उसकी बॅक दिख रही थी. रोशन की मटकती गांद देख कर उसका लंड उसी वक़्त खड़ा हो गया. रोशन ने जब सामने देखा तो आज टापू नही था. उसने इधर-उधर होके देखा लेकिन उसको कुछ नज़र नही आया.
टापू ये सब पीछे से देख रहा था की रोशन उसको ढूँढ रही थी. वो पीछे से उसकी गांद के नज़ारे का मज़ा ले रही थी. फिर रोशन ने अपना कपड़े सूखने डाल दिए, और वापस जाने लगी.
वापस जाते हुए वो अपने आप से बोली: आज आया क्यूँ नही?
तभी टापू रूम से बाहर आया, और बोला: लो आ गया.
उसके ऐसे अचानक से आ जाने से रोशन दर्र गयी. फिर टापू बोला-
टापू: आंटी आप मेरी ही वेट कर रही थी ना?
रोशन लड़खड़ाती ज़ुबान में बोली: क्या मतलब?
टापू तभी रोशन को अपनी बाहों में भर लेता है, और उसके होंठो पर अपने होंठ लगा देता है. रोशन अचानक हुए इस हमले को समझ नही पाती, और कुछ भी नही करती. टापू रोशन के होंठ चूसने शुरू कर देता है, जिससे वो जल्दी गरम हो जाती है और उसका साथ देने लगती है.
अब रोशन अपने आप को टापू के हवाले कर देती है, और किस करते हुए उसका सर सहलाने लगती है. टापू किस करते हुए रोशन के बूब पर हाथ डालता है, और उसको ज़ोर से दबाता है. रोशन को दर्द होता है, और किस करते हुए उसके मूह से ह्म की सिसकारी निकलती है.
टापू रोशन के दोनो बूब्स ज़ोर-ज़ोर से दबाने लग जाता है, जिससे रोशन वाइल्ड हो जाती है. वो टापू को धक्का देके कमरे के अंदर ले जाती है, और बेड पर धक्का देके लिटा देती है. टापू बेड पर लेट-ते ही अपनी त-शर्ट उतार देता है.
उसके इस जोश को देख कर रोशन भी अपना शर्ट उतार देती है. अब उसके पर्पल ब्रा में काससे हुए बूब्स टापू के सामने थे. उनको देख कर टापू के मूह में पानी आ जाता है, और वो कहता है-
टापू: कमाल के है आपके बूब्स आंटी. मेरा तो इंपे दिल ही आ गया है.
ये सुन कर रोशन अपनी ब्रा खोल कर बूब्स आज़ाद कर देती है, और टापू का हाथ पकड़ कर अपने काससे हुए बूब्स पर रख देती है. टापू बूब्स दबाता है, और मज़े से कहता है-
टापू: श आंटी, ई लोवे युवर बूब्स.
वो रोशन के बूब्स दबाता है, और रोशन उपर हाथ करके आहें भरने लगती है. फिर टापू रोशन की सलवार का नाडा खोलता है, और उसको सलवार उतारने के लिए कहता है. रोशन खड़ी हो जाती है, और उसकी सलवार गिर जाती है. फिर वो अपनी पनटी भी निकाल देती है, और टापू को इशारा करती है.
टापू उसका इशारा समझ जाता है, और बैठ कर उसकी छूट पर अपना मूह लगा लेता है. साथ में वो अपनी जीन्स और अंडरवेर उतार देता है. रोशन टापू का मूह अपनी छूट में दबा कर उसको छूट का स्वाद दे रही थी. टापू भी अपना लंड हाथ में लेके हिलने लगता है. कुछ देर ऐसे ही चलता रहता है. टापू कुत्तों की तरह रोशन की छूट चाट रहा था, और लंड हिला रहा था.
फिर रोशन झुक कर टापू को किस करती है, और अपनी खुद की छूट का स्वाद उसके मूह से लेती है. फिर वो टापू की गोद में बैठ कर उसका लंड अपनी छूट पर सेट करती है, और पूरा का पूरा अंदर ले लेती है.
लंड अंदर जाते ही दोनो के मूह से आहह निकलती है, और दोनो पागलों की तरह किस करने लगते है. फिर टापू अपने हाथ रोशन के छूतदों पर रखता है, और उसको उपर नीचे करने लगता है. लंड अंदर-बाहर होके रोशन को छोड़ने लगता है.
धीरे-धीरे रोशन अपने आप टापू के लंड पर कूदने लगती है. लेकिन उनकी किस लगातार चल रही थी. टापू उसकी गांद पर थप्पड़ भी मार रहा था. फिर रोशन किस तोड़ती है, और पीछे हो जाती है. उसके हाथ टापू के शोल्डर्स पर होते है.
रोशन उसके शोल्डर्स को कस्स के पकड़ती है, और अपनी गांद को तेज़ी से आयेज-पीछे करने लग जाती है. टापू भी उसी रिदम में गांद आयेज पीछे करने लगता है. दोनो की साँसे चढ़ि हुई थी, और बदन पसीने से भरे हुए थे.
पसीने और छूट के पानी की वजह से छाप-छाप की आवाज़ पुर कमरे में आ रही थी. टापू अपने हाथ रोशन की पीठ पर रख लेता है, और जब भी वो करीब आती है, तो उसकी ब्रेस्ट के साथ अपनी चेस्ट मारता है. इससे दोनो को और ज़्यादा मज़ा आता है.
दोनो बस अपने चरम पर पहुँच जाते है, और दोनो के अंदर से लावा छ्छूट कर आपस में मिक्स हो जाता है. छाप-छाप की आवाज़े अब पूछक-पूछक की आवाज़ो में बदल जाती है. कुछ मिंटो में दोनो ठंडे हो जाते है.
दोस्तों आज बस इतना ही. अगर आपको कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.