दोस्त की मम्मी की प्यासी चूत की चुदाई

ही फ्रेंड्स, मैं रमण अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. अगर आप लोगों ने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पहले जाके पिछला पार्ट पढ़े. उमीद है आपको पिछला पार्ट ज़रूर पसंद आएगा.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की मेरे स्कूल फ्रेंड की मम्मी पर मेरा दिल आ गया. लेकिन मैं उस वक़्त कुछ कर नही सकता था. फिर थोड़े वक़्त बाद वो मुझे अचानक से एक आक्सिडेंट के दौरान मिली.

उनकी टाँग पर प्लास्टर लगा था, तो मैं उनका हाल पूछने गया था. तभी उन्होने मुजर ड्रॉयर में से कुछ निकालने को कहा. ड्रॉयर खोला, तो मुझे एक पॉर्न सीडी के साथ पुसी वाइब्रटर और डिल्डो भी मिला. तभी आंटी ने मुझे कुछ कहा और मेरे हाथो से डिल्डो नीचे गिर गया. अब आयेज बढ़ते है.

मेरे हाथ से डिल्डो नीचे गिर गया था, और आंटी ने भी उसको देख लिया था. सिचुयेशन बड़ी अजीब सी हो गयी थी. ना वो कुछ बोल रही थी, और ना मैं कुछ बोल रहा था. फिर मैं वाहा से चुप-छाप निकल आया.

रास्ते में मैने सोचा की आंटी की भी छूट में बहुत आग थी, जो उन्होने ऐसे खिलोने रखे हुए थे. फिर मैने सोचा की मैने वाहा से चुप-छाप आके ग़लती कर दी, और मुझे आंटी को वही पकड़ लेना चाहिए था. पर अब सोचने का कोई फ़ायदा नही था. उसी दिन शाम को मुझे व्हट्सप्प पर आंटी का मेसेज आया.

आंटी: हेलो बेटा, कैसे हो?

मैं: ठीक हू आंटी. आप बताओ कैसे हो?

आंटी: मैं भी ठीक. अछा वो मुझे आज उस इन्सिडेंट के बारे में बात करनी थी.

मैं: हंजी बताइए आंटी.

आंटी: बेटा तेरे अंकल के जाने के बाद मैं बहुत अकेली पद गयी हू. तो मुझे ऐसी चीज़ो का सहारा लेना पड़ता है. अब बॉडी नीड्स की पूरी करनी ही पड़ती है. तुम ये बात मेरे बेटे को तो नही बताओगे ना?

मैं: नही आंटी, बिल्कुल नही. मैं आचे से समझता हू आपकी हालत. और मैं आपके बेटे को कुछ भी नही बतौँगा. ये आपकी लाइफ है, आप जो चाहे करो. इससे किसी को कोई प्राब्लम नही होनी चाहिए.

आंटी: थॅंक योउ बेटा.

मैं: कोई प्राब्लम नही है आंटी. मैं तो कहता हू आप एक बाय्फ्रेंड बना लो. इससे आपकी नीड्स भी पूरी हो जाएँगी, और आपका दिल भी लग रहेगा उससे बातें करके.

आंटी: बेटा बाय्फ्रेंड बनाना रिस्की है. अगर किसी को पता चला तो बहुत बेइज़्ज़ती हो जाएगी. आज-कल कोई भरोसे वाला आदमी कहा मिलता है.

मैं: आंटी अगर आप बुरा ना मानो तो एक बात बोलू?

आंटी: हा बोल बेटा.

मैं: आंटी आप मुझे अपना बाय्फ्रेंड बना लो.

आंटी: ये क्या बोल रहा है तू बेटा. मैं तेरी मा जैसी हू.

मैं: आंटी मैने जब आपको पहली बार देखा था, तब से ही आप मुझे बहुत अची लगती है. पहले मैं आपको ये बोल नही सकता था. लेकिन अब मैं आपकी हर ज़रूरत पूरी कर सकता हू. अब आप भी सिंगल ही है. मैं आपको सारी खुशियाँ दूँगा. प्लीज़ माना मत करना.

आंटी: लेकिन बेटा, मैं कैसे?

मैं: आंटी आप इतना मत सोचिए. मुझे अपना बाय्फ्रेंड बना लीजिए, और आपको कभी उन खिलोनो का सहारा नही लेना पड़ेगा.

आंटी: अछा, इतना भरोसा है खुद पर?

मैं: जी आंटी, आप आज़मा कर तो देखिए.

आंटी: आ जाओ फिर.

मैं: अभी?

आंटी: हा अभी.

फिर मैं जल्दी से रेडी हुआ, और बिके लेके आंटी से मिलने चल दिया. वाहा पहुँच कर मैने बेल बजाई, और आंटी ने दरवाज़ा खोला. आंटी का प्लास्टर उतार चुका था, लेकिन दर्द की वजह से वो अभी भी लंगड़ा कर चल रही थी. उन्होने लेगैंग्स सूट पहना हुआ था.

मैं जैसे ही घर के अंदर एंटर हुआ, आंटी ने मुझे देख कर एक स्माइल पास की. फिर मैं आंटी के करीब गया, और अपने होंठ उनके होंठो के साथ जोड़ दिए. अब मैं उनके रसीले होंठो को चूस रहा था. आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

तकरीबन 15 मिनिट तक हम खड़े-खड़े ही एक-दूसरे के होंठ चूस्टे रहे. फिर जब हमारी किस टूटी, तो हमारी साँसे चढ़ि हुई थी. आंटी की आँखों में भारी वासना को मैं आचे से देख सकता था. फिर मैने आंटी को गोद में उठाया, और उनको बेडरूम में ले गया. बेडरूम में जाके मैने उन्हे आराम से बेड पर लिटाया. वो मुझे बोली-

आंटी: बेटा आज मुझे आचे से शांत कर दे. मैं बहुत प्यासी हू.

मैं: आंटी आज मैं आपको जन्नत की सैर कार्ओौनगा.

फिर मैने आंटी की लेगैंग्स और पनटी उतार दी. उनकी छूट बिल्कुल सॉफ थी, शायद मेरे आने से पहले ही शेव करी थी. छूट से हल्का पानी निकल रहा था. मैने देखते ही छूट पर मूह लगा लिया, और उसको चाटने लगा.

आंटी बोली: ज़ोर से चाट मेरे बेटे, आह मज़ा आ रहा है.

मैं ज़ोर-ज़ोर से उनकी छूट चाटने लगा, और उसका नमकीन रस्स पीने लगा. आंटी पागल हो रही थी, और मेरे सर को अपनी छूट में दबा रही थी. फिर मैने उनको उपर से नंगा किया, और उनके बूब्स चूसने लगा. उनकी बहुत मज़ा और सुकून मिल रहा था.

कुछ देर बूब्स चूसने के बाद मैं नंगा हो गया, और मैने अपना मोटा लंड उनकी नंगी छूट पर रखा. मैने लंड छूट पर सेट किया, और धीरे-धीरे पूरा अंदर घुसा दिया. आंटी आ आ करने लगी, और नीचे से गांद हिलने लगी.

फिर मैने तबाद-तोड़ उनकी छूट में लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया. उन्होने अपनी टांगे मेरी कमर पर लपेट ली, और मज़े से चूड़ने लगी. मैं भी ज़ोर-ज़ोर के धक्के मार कर उनको छोड़ रहा था. साथ में मैं उनके होंठ और बूब्स चूस रहा था.

मैं पोज़िशन नही बदल सकता था, क्यूंकी उनकी टाँग ठीक नही थी. तो मैने उनको ऐसे ही छोड़ना जारी रखा. आधा घंटे में मैने उनकी छूट की बंद बजा दी, और उनका 2 बार पानी निकाला. फिर मैने अपना माल भी उनके अंदर ही निकाल दिया. आंटी अब शांत हो चुकी थी, और मुझे एक पेरमाणंत छूट छोड़ने को मिल चुकी थी.

दोस्तों ये थी मेरी कहानी. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो इसको अपने दोस्तों में भी शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद. [email protected]