लड़के और आंटी के बीच सेक्स के रिश्ते की कहानी

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम हॅरी है. आज मैं आपसे जो कहानी शेर करने जेया रहा हू, वो मेरी हॉट आंटी की है. अभी मैं 26 साल का हू. लेकिन ये कहानी काफ़ी साल पुरानी है, जब मैं 1स्ट्रीट एअर में पढ़ता था, और 19 साल का था.

उस वक़्त मेरा लंड 7 इंच का था, जो आज 8.5 इंचस का है. मेरी हाइट 5’9″ है, और मेरी बॉडी भी अची बनी हुई है. उस वक़्त मैं आज से तोड़ा पतला था. तो चलिए अब कहानी शुरू करते है.

जब मैं स्कूल में 11त क्लास में पढ़ता था, तो मेरी क्लास में एक नया लड़का आया. उस लड़के का नाम तनीश था. तनीश दिखने में लल्लू था, और उसका पेट निकला हुआ था. पढ़ाई में भी वो भोंडू था, और टीचर के जूते खाता रहता था. मैं क्लास के टॉपर्स में से एक था.

तनीश ने मुझसे पढ़ाई में हेल्प माँगी, और मैने भी उसकी हेल्प करनी शुरू कर दी. ऐसे ही हमारी दोस्ती हो गयी. एग्ज़ॅम्स भी उसने मेरी नकल करके पास कर लिए.

फिर एक दिन उसने मुझे अपने घर किसी फंक्षन पर इन्वाइट किया. उस दिन मैने उसकी मम्मी को पहली बार देखा. उसकी मम्मी यानी मेरी मालती आंटी. जब उसने मुझे कहा की मालती उसकी मम्मी थी, तो मुझे यकीन ही नही हुआ.

अब मालती आंटी के बारे में बताता हू. मालती आंटी की हाइट 5’5″ थी, और बॉडी फिर थी. वो सलवार-सूट पहनती थी. उनके बाल छ्होटे थे, और कर्ली थे. रंग उनका गोरा था, और फिगर 34-30-36 होगा. वो किसी भी आंगल से उस लोदउ की मम्मी लगती ही नही थी.

उनकी स्किन इतनी चिकनी थी, की उनको देखते ही चूमने का दिल करता था. दिल करता था, की उनके पुर जिस्म पर मैं अपना लंड घिसता जौ. फिर मेरी उनसे बात हुई. तनीश की हेल्प के लिए उन्होने मुझे थॅंक योउ बोला, और मुझे हग कर लिया.

ओह यार! कितनी मादक खुश्बू थी, जो उनके जिस्म से आ रही थी. मेरा लंड तो उनकी खुश्बू सूंघ कर खड़ा हो गया. जब उन्होने मुझे हग किया, तो हाइट लंबी होने की वजह से मैं उनके बूब्स को फील नही कर पाया. फिर ऐसे ही मैं बार-बार उनके घर जाने लगा.

टाइम बीट-ता गया, और मैं मालती के बारे में सोच-सोच कर अपना लंड हिलता गया. उसका बेटा पढ़ाई में मेरे रहमो-करम पर चल रहा था. अब हम कॉलेज में आ चुके थे, और मेरी हवस बढ़ती जेया रही थी. मुझे कैसे भी करके उनको छोड़ना था.

फिर मैने एक प्लान बनाया. मैने तनीश के साथ बैठना बंद कर दिया, और किसी और के साथ बैठने लगा. इससे तनीश का काम बिगड़ गया, और उसके मार्क्स कम हो गये. मैं तनीश को इस तरह से इग्नोर कर रहा था, की उसको फील भी ना हो, और मैं उसकी हेल्प भी ना करू.

फिर एक दिन तनीश मुझे बोला: हॅरी आज मम्मी ने तुझे डिन्नर पर बुलाया है.

मैं: ओक, मैं आ जौंगा.

अब मेरा काम बनने वाला था. मैं शाम को तैयार होके डिन्नर के लिए चला गया. आज मालती आंटी ने ब्लॅक कलर का डीप नेक सूट और ब्लॅक लेगैंग्स पहनी थी. क्या कमाल की रांड़ लग रही थी वो. उनकी गांद बहुत मस्त लग रही थी उस लेगैंग्स में.

उनके गोरे रंग पर काला रंग बहुत जाच रहा था. दिल तो कर रहा था, की देखते ही उनको पकड़ लू. फिर हमने डिन्नर किया. आंटी की क्लीवेज को देख कर तो मेरी भूख बढ़ती ही जेया रही थी. खाने की नही, आंटी को छोड़ने की भूख.

डिन्नर के बाद आंटी ने तनीश को आइस-क्रीम लाने भेज दिया. हम अभी डिन्नर टेबल पर ही बैठे थे, और आंटी ने मुझसे बात शुरू की.

आंटी: और कैसे हो हॅरी?

मैं: मैं ठीक हू आंटी, आप बताओ.

आंटी: हॅरी कुछ हुआ है क्या, तुम्हारे और तनीश के बीच?

मैं: क्या आंटी, कुछ भी तो नही हुआ.

आंटी: वो कह रहा था, की आज कल तुम उसके साथ नही बैठते.

मैं: अर्रे नही आंटी, ऐसी बात नही है. आक्च्युयली स्टडीस थोड़ी मुश्किल है, तो मुझे बाकियों के साथ भी बैठना पड़ता है डिस्कशन के लिए.

आंटी: ओक.

मैं: जी आंटी.

आंटी: हॅरी तुम तो जानते ही हो, की वो दिमाग़ से तोड़ा वीक है. और जब से तुमने उसके साथ बैठना शुरू किया है, उसके मार्क्स कम होते जेया रहे है. इससे वो काफ़ी निराश रहता है. उसका और कोई दोस्त भी नही है. तो अगर तुम उसके साथ बैठ जाओगे तो बढ़िया रहेगा.

मैं: आंटी मैं समझता हू. लेकिन मेरी भी कुछ ज़रूरते है. और तनीश के साथ रह कर वो पूरी नही होती.

आंटी: क्या मतलब ज़रूरते?

मैं कुछ समझी नही.

मैं: अब मैं आपको कैसे बतौ?

आंटी ने मेरे हाथ पर हाथ रखा, और बोली: बताओ बेटे, मुझसे क्या शरमाना.

आंटी के हाथ के टच से मेरे पुर जिस्म में करेंट सा लग गया. मैने सोचा अभी तो उन्होने मेरे हाथ पर हाथ रख है, तो ये हाल है. जब वो मेरे लंड पर हाथ रखेंगी, तो क्या हाल होगा. और जब मैं उनकी छूट में अपना लंड पेलुँगा, तब तो मुझे जन्नत ही मिल जाएगी. फिर मैं अपनी सोच से बाहर आया, और बोला-

मैं: आंटी आक्च्युयली मुझे एक लड़की पसंद है. और उसी को पाटने के लिए मैं दूसरे लड़कों के साथ रह रहा हू. तनीश भोला है, और उसके साथ रह कर मेरी डाल नही गलने वाली

आंटी हेस्ट हुए बोली: अछा ये बात है. जवान हो गया है मेरा बेटा.

फिर आंटी ने कामुकता भारी आँखों से देखते हुए पूछा-

आंटी: अछा तो क्या करेगा लड़की पत्ता कर?

मैं: वही जो करते है.

आंटी: क्या करते है.

मैं: मज़ा करते है.

आंटी: कैसे करते है?

मैं: वो तो आप बेहतर जानते होंगे. तभी तो तनीश आया है दुनिया में.

आंटी: हाहाहा, तू बड़ा नॉटी हो गया है.

मैं: थॅंक योउ आंटी.

आंटी: हाहाहा, शैतान! अछा अगर मैं तुझे काहु की तू उसको मॅट पता, और मेरे बेटे की हेल्प कर, तो तू क्या कहेगा?

मुझे यही सही मौका लगा, और मैने झट से जवाब दिया.

मैं: तो मैं कहूँगा, की आंटी अगर आप चाहते हो की मैं तनीश के लिए उस लड़की को ना पटौ. तो आप मुझे वो मज़ा डेडॉ.

आंटी: हाहाहा, तू जानता भी है, की मज़ा कैसे करते है?

मैने एक सेकेंड भी वेस्ट नही किया, और अपनी चेर से उठ कर अपने होंठ आंटी के होंठो के साथ लगा दिए.

इसके आयेज की कहानी के लिए आपको अगले पार्ट की वेट करनी पड़ेगी. यहा तक कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.

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