आंटी से प्यार

हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम राजीव है मैं हिमाचल का रहने वाला हू मेरी आगे 20 साल है. मैं अपनी स्टडी पूरी कर चुका हूँ और जॉब डूंड रहा हू. जॉब ना मिलने के कर्ण मैं बचो को टेउतिओं पढ़ने लगा था.

मेरी फॅमिली मे सिर्फ़ 3 मेंबर्ज़ है मेरे पापा राजेश 45 साल आगे है और गवर्नमेंट जॉब करते है. उनका ट्रान्स्फर होता ही रहता है घर पेर कम ही होते है. मम्मी का नाम सुधा 40 साल आगे है और मम्मी हाउसवाइफ है लेकिन बहुत सॉफ्ट है.

यह बात तब की है जब मैं च्चत पेर गया घूमने. तो मैं देखा के साथ वेल घर मैं एक आंटी थी. क्या लग रही थी एक दूं सेक्सी माल. जिसे देख कर किसी का भी दिमाग़ हिल जाए. गोरा रंग फिट बॉडी और मॉट मॉट मुममे. मैं तो देखता ही रह गया. तभी मम्मी ने मुझे आवाज़ दी तो मई नीचे गया.

मैं – मम्मी कोई काम है क्या?

मम्मी – हा बेटा कुछ समान बाज़ार से लाना है तू लाकर आना.

मैं – ओक मम्मी जी.

जब मैं बाहर आया तो देखा की आंटी अपने गाते के पास थी. तो मैने उन्हे देखता और स्माइल दी. फिर वो भी मुझे स्माइल दी और अंदर चली गयी.

मैं 1 घंटे बाद मे वापिस आ गया और आंटी को देखने च्चत पेर गया. वाहा कोई नही था मैं नीचे आ गया. दूसरे दिन मैं बाहर निकला तो देखा की आंटी अपने बेटे को मार रही थी. तभी मैने उनको रोका और वो रुक गये.

मैं – आंटी आप इसे क्यू मार रही हो क्या हुआ?

आंटी – यह स्कूल नही जाता है और पूरा दिन घूमता रहता है. स्कूल से मुझे शकायत मिली है की यह पढ़ने मे बिल्कुल नालयक है. मैं इसका क्या करू मुझे कुछ पता नही है.

मैं – इसकी टुटीओन क्यू नही रखते पढ़ने के लिए?

आंटी – मैं यहा अभी ही आए हू, मुझे यहा का कुछ नही पता. क्या करू मैं इसने टेन्षन मे डाल रखा है.

मैं – कोई बात नही आंटी जी मैं इसको टुटीओन पढ़ा दूँगा आप इसे कल से भेज देना.

आंटी – ओक बेटा तूने तो मेरी मुश्किल ही ख़तम कर दी.

मैं वाहा से आ गया और आंटी भी अंदर चली गये अपने घर मई. अगले दिन आंटी का लड़का पढ़ने के लिए आ गया. तो मैं उससे उसकी फॅमिली के बारे मे पूछा. पहले तुम्हारा क्या नाम है उसे अपना नाम बॉब्बी बताया.

बॉब्बी – मैं भैया12 त पढ़ता हू. हमारी फॅमिली मे सिर्फ़ 3 मेंबर्ज़ है. मेरे पापा दिनेश 47 साल आगे है और वो विदेश मे नोकारी करते है. मम्मी सीमा 40 साल आगे है और वो हाउसवाइफ है लेकिन बहुत गुस्से मे रहती है.

मैं – बॉडी तुम पड़ाई पेर ध्यान दो बाकी मैं देख लूँगा.

कुछ दिन ऐसे ही चला मैं आंटी को रोज़ च्चत पेर देखता और स्माइल देता और वो भी स्माइल देती. एक दिन आंटी हमारे घर आए तो मम्मी से बातें कर रही थी तो मैं भी वाहा गया.

मैं – आंटी जी आप?

आंटी – मैने सोचा बॉब्बी के बारे मे ही पूछ लू कैसा है अब पढ़ने मे.

मैं – आंटी जी आप तेनतीओं मत लो वो पास हो जाएगा.

आंटी – ओक बेटा तुमने अपना नाम नही बताया.

मम्मी – इसका नाम राजीव है, बहुत अछा बेटा है मेरा.

आंटी – यह तो दिख ही रहा है.

आंटी और मम्मी बातें करती रही और उनमे अची दोस्ती हो गये मैं वाहा चला गया.

कुछ दिन ऐसे ही गुज़रे मैं रोज़ आंटी को देखता और स्माइल देता. फिर एक दिन आंटी हमारे घर पेर आए.

आंटी- राजीव बेटा टुमरी मम्मी कहा है?

मैं – आंटी जी मम्मी च्चत पेर है मैं अभी बुलाता हू मैं मम्मी को बुलाया.

मम्मी – आप भें जी आ गये.

आंटी – हा मैने सोचा मैं ही जाती हू आप तो कभी हमारे घर पेर आते नही है.

मम्मी – ऐसी कोई बात नही है मैं ज़रूर ओंगी.

आंटी – अब आप रेडी हो बाज़ार चले?

मम्मी -हा चलो चलते है. और वो बाज़ार चले गये कुछ 2 घंटे बायड वापिस आए तो उन्होने काफ़ी शॉपिंग की थी.

मैं – अपने तो पूरी दुकान ही खरीद ही ली लगता है.

आंटी – नही बेटा तुमाहरी मम्मी को बाज़ार का पूरा पता है इसलिए हम साथ गये थे.

मैं – जी आंटी जी.. और आंटी अपने घर चले गये और कुछ समान उनका घर पेर रह गया.

तो अगले दिन मम्मी ने मुझे बोला जाओ यह समान आंटी के घर दे कर आओ. मैं चला गया लेकिन मुझे अजीब लगा समान. मैने दूर्बेल बजाई तो आंटी ने दरवाजा खोला क्यूकी बॉडी तो स्कूल मे था.

आंटी – राजीव बेटा तुम शूकर है तुम भी हमारे घर आए.

मैं – नही ऐसा कुछ नही है बस आप को तो पता ही है टाइम नही मिलता. और आप कुछ समान घर पेर रह गया था वो देने आया हू.

आंटी – तो बेटा समान ही देने आया है वैसे नही चलो मैं छाई बनती हू.

मैं – नही आंटी जी छाई रहने दो फिर कभी.

आंटी – देखा मैने पहले ही बोला था की तुम सिर्फ़ समान देने ही आए हो.

मैं – ऐसा नही चलो फिर बना लो छाई.

जब आंटी छाई लेकर आए तो मैं नोटीस क्या की जब मैं पहले आया था तो आंटी जी की कमीज़ का अप्पर वाला बाट्टों बंद था पेर अब खुला था. जिस मे आंटी जी का क्लेआवेगे दिख रहा था.

आंटी – राजीव बेटा लो छाई पेओ.

मैने छाई ली और देखा की आंटी मेरे सामने ही बेत गये और उनका क्लीवेज सॉफ दिख रहा है. उन्होने भी यह नोटीस कर लया और फिर उन्होने बटन बंद कर लिया. मैने सोचा की यह ग़लती से हो गया होगा.

मैं घर वापिस आ गया.

कुछ दिन ऐसे ही चल रहा था तो एक दिन मैं मम्मी की आवाज़ दी पेर घर पेर कोई नही था. तो मैने सोचा की मम्मी बाज़ार मे होगी. पेर कुछ टाइम बाद मम्मी घर पेर आए तो मैने पूछा आप कहा थी?

मम्मी – मैं तेरी आंटी के घर पेर गये थी वाहा से आए हू मेरी तबीयत कुछ ठीक नही है.

मैं – चलो आप आराम कर लो.

मम्मी बेड रूम मई चली गये पेर मुझे कुछ ठीक नही लगा, मैने ध्यान नही दिया. बस ऐसे ही चल रहा था तो एक दिन आंटी मम्मी को बुलाने घर आए.

मम्मी – भेनजी आप आए बेतो.

आंटी – जी दीदी जी मैने सोचा की दीदी जी नही आए तो मई देखने आ गये.

मम्मी आ- छा क्या आप ने जो आ गये.

आंटी – राजीव बेटा कहा है?

मम्मी – अपने रूम मे है सू रहा शाम को बचो को भी पढ़ना है उसे.

आंटी – सही है यह भी तो दीदी आप कब आओगे घर पेर बॉडी के आने से पहले आ जाना.

और आंटी चली गये पेर उन्हे क्या पता था के मैने सब सुन लिया है.

मम्मी – राजीव बेटा मैं तेरी सीमा आंटी के घर जा रही हू.

मैं – ओक मम्मी जी.

पर मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था. पहले मम्मी कभी भी कही नही जाती थी. शाम को मम्मी लगभग 4 भजे घर आए. मैने मम्मी से पूछा आप इतना टाइम कहा लगा दिए?

मम्मी – क्या बेटा तू भी हर बात पूछता है कहा थी क्या किया, तुम चुप भी रहा करो.

मैं – मम्मी पूछना तो मेरा फ़र्ज़ है ना.

मम्मी – बढ़े आए फ़र्ज़ वेल.

मैने देखा मम्मी फिर से कुछ ताकि हुई महसूस हो रही थी. उस दिन भी जब मम्मी आंटी के घर से आए तो थके हुए थे. अब भी तब तक बॉब्बी भी पढ़ने आ गया, मैने सोचा बॉब्बी से कुछ पूछता हू.

मैं – बॉब्बी क्या हाल है?

बॉब्बी – ठीक हू भैया जी.

मैं – बॉब्बी स्कूल से कब आते हो?

बॉब्बी – भैया जी 2 भजे.

मैं – ओक तो फिर क्या करते हो स्कूल से वापिस आके शाम तक?

मैं तोड़ा मालूम करना चाहा की चाकर क्या है आंटी और मम्मी का.

बॉब्बी – बस खाना खाया और सू गया था.

मैं – घर पेर तुम अकेले थे जो सू गये थे?

बॉब्बी – जी नही मम्मी और आंटी थे वाहा.

मैं – ओक तो वो क्या कर रहे थे तुमने देखा बॉब्बी?

बॉब्बी – भैया जी वो भी रूम मे सू रहे थे.

मैने मॅन मे सोचा की यदि मम्मी और आंटी सू रही थी तो मम्मी ताकि हुई क्यू लग रही थी. मेरा तो दिमाग़ हिल रहा था. मैं देखना चाहता था की आख़िर बात क्या है. कुछ दिन बाद मम्मी ने मुझे एक पार्सल दिया.

मम्मी – बेटा यह समान सीमा आंटी को दे कर आ.

मैं – ओक मम्मी जी.

मैने समान पकड़ा और बाहर आ गया. लेकिन मैं समान देखना चाहता था की उसमे क्या है. फिर मैं आंटी के घर ना जा के साथ वेल प्लॉट मे गया और वाहा जा कर मैने समान खोल कर देखना चाहा और खोल लिया, उसमे जो देखा मेरे होश उड़ गये.

आयेज की कहानी अगले पार्ट मे देखते है, राजीव ने ऐसा क्या देखा समान मे.

मुझे फीडबॅक दीजिए मेरे मैल पे और किसी आंटी कपल या सिंगल लेडी को सेक्स या मसाज करना हो मेरी मैल मे मसाज डाले.