शरीफ लड़की ने देखा थियेटर में रोमॅन्स

ही दोस्तों, मैं हेमंत शर्मा अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. उमीद है आपने पिछला पार्ट पढ़ा होगा, और उसको पसंद भी किया होगा. अगर आपने पिछला पार्ट अभी तक नही पढ़ा है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था की मेरी बेटी अपनी पढ़ाई पूरी करके वापस घर आई थी. वो पूरी जवान हो चुकी थी, और खूबसूरत तो वो पहले से ही थी. फिर मैने रात में उसको और अपने बेटे को बात करते सुना, जिसमे वो कह रही थी की उसके काफ़ी बाय्फरेंड्स थे यूनिवर्सिटी में. ये बात सुन कर मैं हैरान था. अब आयेज बढ़ते है.

अब कोमल सन्नी को अपने यूनिवर्सिटी के बाय्फरेंड्स के बारे में बताने जेया रही थी. तो कोमल की कहानी उसी की ज़ुबानी आयेज बढ़ेगी.

जब मैं फर्स्ट एअर में हुई, तो क्लास में काफ़ी लड़के मुझ पर लाइन मारने लगे. मुझे इन चीज़ो में कोई इंटेरेस्ट नही था, तो मैं उनको इग्नोर करके पढ़ाई पर ध्यान देती थी. जब मैं हॉस्टिल रूम में होती, तो मेरी फ्रेंड्स अपने-अपने बाय्फरेंड्स से बातें करती थी.

मैं हैरान थी, की वो इतनी बातें कर कैसे लेती थी अपने बाय्फरेंड्स से. फिर एक दिन मेरी रूमेट अंजलि ने कहा-

अंजलि: कोमल आज हम मोविए देखने चलते है.

मैं: मुझे नही जाना, मुझे पढ़ाई करनी है.

अंजलि: सिर्फ़ पढ़ती रहेगी तो पागल हो जाएगी. तोड़ा एंजाय करना भी ज़रूरी है.

फिर मैने सोचा की उनके साथ जाने में कोई हर्ज भी नही था. तो मैने हा बोल दी. फिर हम सब रेडी होके मोविए देखने थियेटर पहुँच गये. वाहा जाके पता चला की मेरी दोनो रूम्मटेस (अंजलि आंड दिव्या) के बाय्फरेंड्स पहले से वाहा उनकी वेट कर रहे थे.

जब मुझे ये पता चला की वो लोग अपने बाय्फरेंड्स के साथ मोविए देखने वाली थी तो मैने उनको बोला-

मैं: यार ये क्या बात हुई. अगर तुम लोगों को अपने बाय्फरेंड्स को बुलाना था, तो मुझे अपने साथ क्यूँ लेके आई?

अंजलि बोली: अर्रे नही यार, हमे नही पता था की वो आने वाले है, सच में.

दिव्या: हमने तो बस उनको बताया था की हम मोविए देखने जेया रहे है. वो लोग तो अपने आप ही यहा पहुँच गये.

मैं: अब मैं क्या करू?

अंजलि: यार तू टेन्षन क्यूँ लेती है. वो लोग बस साथ ही बैठेंगे, और क्या करना है. वैसे भी तो थियेटर में इतने लोग होंगे. तू समझ लेना कोई अंजान लोग है. प्राब्लम क्या है?

मैं: चलो ठीक है.

फिर हम अंदर चले गये, और अपनी-अपनी सीट्स पर जाके बैठ गये. हम कुछ इस तरह से बैठे थे. सबसे पहले मैं, मेरी लेफ्ट साइड पर अंजलि, फिर उसका बाय्फ्रेंड, उसके बाद दिव्या, और फिर उसका बाय्फ्रेंड. मोविए शुरू हो चुकी थी, और सब मोविए देखने लग गये.

तकरीबन आधे घंटे की मोविए के बाद जब मैने अंजलि की तारा देखा, तो मैं हैरान हो गयी. अंजलि का फेस उसके बाय्फ्रेंड के हाथो में था, और वो उसके होंठ चूस रहा था. ये देख कर मैने जल्दी से अपना मूह वापस मोविए की तरफ घुमा लिया.

मैने मूह घुमा तो लिया, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उनकी तरफ ही जेया रहा था. उसका बाय्फ्रेंड उसको किस करते हुए धीरे-धीरे उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था. हाथ फेरते-फेरते वो अपना हाथ नीचे उसके छूतदों पर ले गया, और उनको दबाने लगा. मुझे समझ नही आ रहा था की अंजलि एक पब्लिक प्लेस पर उसको ये सब कैसे करने दे रही थी.

मैने सोचा की मैं दिव्या को बोलती हू की उनको बोले की ये सब ना करे. फिर जब मैने दिव्या की तरफ देखा, तो वो तो अंजलि से भी एक कदम आयेज थी. उसका बाय्फ्रेंड उसके होंठ चूस रहा था, और उसका एक हाथ दिव्या की त-शर्ट के अंदर था. मुझे ये सब अजीब लग रहा था, लेकिन मेरा देखने को भी दिल कर रहा था.

उनको ये सब करते देख मेरी छूट में अलग सी सेन्सेशन होने लगी. मैने लेगैंग्स-कुरती पहना हुआ था. जब मैने अपनी लेगैंग्स के उपर से अपनी छूट पर हाथ लगाया, तो मुझे तोड़ा-तोड़ा गीला-पन्न महसूस हुआ. मैं समझ नही पा रही थी की ये क्यूँ हो रहा था.

फिर मेरा दूसरा हाथ अपने आप ही मेरे बूब पर चला गया. जब मैने बूब को दबाया, तो मेरी बॉडी में एक करेंट सा लगा. मुझे बहुत मज़ा आया. फिर मैं ऐसे ही अपनी छूट पर हाथ रखे हुए अपना बूब दबाती रही. जब मैने अंजलि की तरफ देखा, तो अंजलि का सर उसके बाय्फ्रेंड की गोद में था.

मुझे लगा वो उसकी गोद में सर रख कर सो रही थी. लेकिन जब मुझे पूछ-पूछ की आवाज़ आई, तो मैने ध्यान से देखा. मैने देखा की अंजलि उसके लंड को अपने मूह में लेके चूस रही थी. मैं हैरान थी, की वो ऐसा कैसे कर सकती थी.

मैने दिव्या की तरफ देखा तो उसकी त-शर्ट पूरी उपर उठी हुई थी, और उसका बाय्फरेंड्स उसके निपल्स चूस रहा था. तभी अंजलि सीधी होके बैठी, और मैं भी जल्दी से सीधी हो गयी. अंजलि ने मेरी तरफ देखा, लेकिन मैं अंजान बन कर मोविए देखती रही.

फिर अंजलि और उसका बाय्फ्रेंड दोनो उठ कर बाहर जाने लगे. मैने उससे नही पूछा की वो कहा जेया रहे थे, और मैं चुप-छाप बैठी मोविए देख रही थी. तभी जाते-जाते अंजलि मुझसे बोली-

अंजलि: कोमल हम ज़रा वॉशरूम होके आते है.

मैं: ठीक है.

फिर वो दोनो हॉल से बाहर चले गये. मुझसे रहा नही गया, और 5 मिनिट बाद मैं भी हॉल से बाहर आ गयी, और वॉशरूम की तरफ चली गयी. मैं लॅडीस वॉशरूम में गयी, और अंदर जाके अंजलि को आवाज़ दी. लेकिन वो वाहा नही थी. फिर मैने सोच की कही वो दोनो जेंट्स वॉशरूम में तो नही चली गये.

ये सोच कर मैं हैरान हो गयी. पहले तो मैने वापस आने का सोचा. लेकिन मेरी उत्सुकता ने मुझे वापस आने नही दिया. मैने सोचा क्यूँ ना अंदर चल कर देखा जाए की वो क्या करने वाले थे. फिर मैने हिम्मत की, और जेंट्स वॉशरूम में घुस गयी.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको शेर ज़रूर करे.