सुहाना: सैयाँ जी, मेरे पास ज़्यादा टाइम नही है. मुझे जल्दी जाना पड़ेगा आज. मैं सिर्फ़ तुम्हारा लंड चूसने आई हू.
यश: क्या भाभी जान, मेरा क्या होगा उसके बाद?
सुहाना: सैयाँ जी, मैं जल्दी ही कोई इंतेज़ां कर दूँगी. मगर अभी इतनी देर मत करो.
और बात करते हुए ही उसने अपना सूट उतरा, और मेरी पंत उतार दी. उसने रेड कलर की वही ब्रा पहनी थी, जो उसने पिछले दिन ली थी. उसने मेरा लंड हाथ में लिया, लेकिन उसके एक हाथ की पकड़ में नही आया. फिर उसने दोनो हाथो से पकड़ कर अपने कोमल गुलाबी होंठ, लंड के गुलाबी टोपे पर रख दिए.
उसके गरम और नरम होंठो के स्पर्श से ही लंड में करेंट सा आ गया. उसके होंठो की गर्मी से लंड और ज़्यादा कड़क हो कर अपने आप ही उपर-नीचे उछालने लगा.
अब सुहाना ने भी अपने होंठो को लंड पे टाइट कर दिया, और मूह आयेज-पीछे करके लंड चूसने लेगी. उसके मूह में अभी तक लंड का टोपा ही गया था, की उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी, और उनमे से पानी गिरने लगा. लेकिन फिर भी वो लंड को चूस्टी ही जेया रही थी.
मैं सातवे आसमान में पहुँच गया था, और मोन करते हुए मज़े ले रहा था. मेरी आहें निकल रही थी. अब उसके होंठो के साथ-साथ उसके हाथ भी आयेज-पीछे हो कर लंड की मालिश कर रहे थे.
यश: आ भाभी जान, क्या मस्त चूस्टी हो आप. मज़ा आ गया उफफफफफफ्फ़. असलम भाई की किस्मत बहुत बढ़िया है. उफफफ्फ़ ऑश भाभी जान, चूसो और निकालो मेरा माल.
और वो बस माधमस्त हो कर मेरे मोटे लंड को चूस्टी ही जेया रही थी. मेरे दोनो हाथ में उसके बूब्स थे, जिन्हे मैं मसल रहा था, और धीरे-धीरे मैने उसकी ब्रा भी खोल दी. उसके मोटे बूब्स अब नंगे थे.
मैं पहली बार इतने बड़े बूब्स को इतनी ज़्यादा टाइट और शेप में खड़े देख रहा था. अब तक सुहाना ने भी मेरे लंड को चूस-चूस के पूरी तरह से गीला कर दिया था. उसके होंठ मेरे लंड पे एक-दूं से टाइट काससे हुए थे, और उसके मूह से केवल गून-गून की ही आवाज़ निकल पा रही थी. तभी मैने लंड अचानक से उसके मूह से बाहर खींच लिया, और सुहाना गहरी-गहरी साँसे लेने लगी.
सुहाना: क्या हुआ, खींच क्यूँ लिया? मज़ा नही आ रहा है क्या?
यश: भाभी जान, मैं आपके चूचों की भी मालिश करना चाहता हू, इनके बीच में लंड डाल के.
सुहाना: ओक सैयाँ जी, तो फिर तुम चेर पे बैठो, और मुझे नीचे आने दो.
अब मैं चेर पे बैठा था, और उसने घुटनो पे बैठ के लंड को चूचों के फ़ससा लिया. फिर उसने भी अपने चूचों को पकड़ के मेरे लंड पे कस्स के दबा दिया, और उपर-नीचे करने लगी. मैं भी अपनी कमर को हिला-हिला के चूचों की चुदाई करने लगा.
यश: भाभी जी, आप कमाल चूस्टी हो. असलम तो रोज़ ही चुस्वता होगा?
सुहाना: हा करवाता तो है, लेकिन उसका इतना छ्होटा है की मुझे कुछ मज़ा नही आता.
यश: श भाभी जान, क्या मस्त चूचे है उफफफफफफ्फ़. मॅन कर रहा है खा जौ आपको, और जाने ही ना डू कही.
सुहाना: खा जाना, तुम्हारे जैसे मर्द के लिए ही तो है ये चूचे.
फिर मैने उसके चूचों से लंड निकाला, और उसके उनपे लंड से थपकी मार दी. वो भी आह कर गयी. मैने अब फिरसे लंड सुहाना के मूह में पेल दिया, और उसके चूचों पे 10-12 थप्पड़ जड़ दिए. अब तक वो बहुत गरम हो चुकी थी. उसकी आँखों में वासना उतार आई थी.
उसने भी मेरी कमर को दोनो हाथ से पकड़ा, और मूह ज़ोर-ज़ोर से आयेज-पीछे करके लंड चूसने लगी. लेकिन अभी भी वो आधा लंड ही मूह में ले पा रही थी. तभी मैने उसका सर पकड़ लिया, और उसके मूह में झटके देने शुरू कर दिए.
वो लंड चूस ही रही थी, और उसके फोन पे वीडियो कॉल आने लगा. मैने उसका फोन पकड़ा, और उसको बताया किसका फोन आ रहा था. वो कॉल मंदाकिनी का था. उसने कहा उठा लो. मैने कहा इस कंडीशन में वीडियो कॉल उठा लू. वो बोली हा उठा लो.
मैने फिर कॉल उठाया और रियर कॅमरा पे सेट कर दिया ताकि वो मुझे ना देख सके. उसकी सहेली मेरा लंड चूस रही थी. कॉल कनेक्ट हुई.
मंदाकिनी: साली रंडी, लंड चूस रही है. और इतना बड़ा लंड किसका है यार? असलम का तो छ्होटा सा है. बता ना किसका लंड चूस रही है? किसकी कुटिया बन गयी अब तू?
सुहाना ने भी मेरे लंड से मूह हटाया, लेकिन हाथो से मूठ मारना चालू रखा. मैं फोन की स्क्रीन पे उस औरत को देख रहा था. उसको भी पता था की मैं उसको देख रहा था. क्यूंकी फोन मैने ही पकड़ा हुआ था.
मंदाकिनी सावले रंग की औरत थी, और उमर उसकी 26-28 की लग रही थी. तीखे नैन-नक्श की सुंदर औरत थी.
सुहाना: अर्रे साली छिनाल, देख इस मर्दाना मूसल लंड को. मैं रंडी की तरह आधे घंटे से रग़ाद रही हू, मगर एक बूँद माल नही निकला अभी तक. और असलम तो 2 मिनिट में ढीला हो जाता है. उसके लंड में ऐसा ज़ोर कहा है. ऑश, मेरा मूह दर्द कर गया. लेकिन ये नही झाड़ा.
मंदाकिनी: वाह मेरी जान, मेरी चुदाई भी करवा दे ना इस मूसल लंड से.
सुहाना: पहले मैं तो करवा लू, अभी तू देख ले और फिर कभी बनाते है प्रोग्राम.
मंदाकिनी: ओक जान.
और वो फिरसे लंड मूह में लेकर चूसने लगी. मैने भी फोन को इस तरह सेट किया, की उसको पूरा नज़ारा दिखाई दे. फिर मैं भी अब सुहाना के मूह की चुदाई करने लगा. मैं झटके दे-दे कर उसको मूह को छोड़ रहा था उसके मूह से घून-घून की आवाज़ निकल रही थी. मेरा लंड अब उसकी हलाक तक पहुँचने लेगे था. उसके गले की गर्माहट मुझे लंड पे महसूस हो रही थी. उसके मूह से सलाइवा निकल कर उसके चूचों पे गिर रहा था.
मैने अब उसके गाल पे थपकीया भी लगाना शुरू कर दिया. सुहाना का एक हाथ उसकी सलवार के अंदर उसकी छूट में चला गया था.
यश: भाभी जान हाथ को क्यूँ परेशन करती हो. मैं हू ना, अभी छूट को ठंडा कर देता हू.
मगर वो कुछ नही बोली, और लंड चूस्टी ही रही. छूट में उसकी उंगलियाँ जादू चला रही थी. अब मेरे लंड का भी बारूद फटत के बाहर निकालने ही वाला था, और भाभी की छूट ने भी पानी छ्चोढ़ दिया था.
यश: आह भाभी जान, करते रहो, रुकना मत प्लीज़, करते रहो, होने वाला है आह.
उसने भी लंड पे अपने हाथ और होंठ की पकड़ टाइट कर ली, और दुगनी स्पीड से चूसने लगी.
यश: आह मज़ा आ गया भाभी जी, आ गया मैं.
ऐसा कहते हुए मैने लंड पकड़ा और टोपे को मसालते हुए सारा माल मैने सुहाना के मूह में भर दिया. माल इतना ज़्यादा निकला था, की मूह से निकल कर उसके होंठो पे भी आ गया था. मगर सुहाना ने किसी रंडी की तरह उसको भी चाट लिया, और सारा माल पी गयी. फिर चाट-चाट के उसने लंड सॉफ कर दिया. उसके बाद उसने कपड़े पहन लिए. उधर मंदाकिनी भी इस शो से खुश हो गयी थी.
सुहाना: मस्त मज़ा आया ये लंड चूस के. बस अब तो इस लंड से चूड़ने का इंतेज़ार है.
यश: भाभी जान मैं तो बेसबर हुआ पड़ा हू. देखो ना लंड अभी तक टाइट है, बोलॉगी तो अभी छूट भी छोड़ सकता हू मैं.
सुहाना: नही टाइम आने दो, पूरा एंजाय करेंगे. ऐसे जल्दबाज़ी में नही.
यश: ओक भाभी जान, मगर इसको एक बार और चूस कर एक किस तो देती जाओ.
फिर उसने भी झुक कर लंड पकड़ा, और टोपे को होंठो में दबा के चूसा. फिर एक किस दी, और वाहा से निकल गयी.