पलंग तोड़ चुदाई नौकर के साथ

ही फ्रेंड्स, मई 36 साल की प्यारी सी कामिनी हू. नाम के अनुरूप मेरी कामिनी से काया है. मेरी काली गहरी ज़ूलफे, मदिरा छिड़कते मेरे ये मस्त-मस्त दो नैन, रस्स से भरे मेरे दो गुलाबी होंठ और मेरे गोरे-गोरे गालो के सब दीवाने है.

मेरे इस रूप के जाल मे जो भी फ़ससा, बस फ़ससा ही रह गया. संगेमरमर जैसे मेरे बदन का तो कहना ही क्या है. मेरे इस बदन पर जो बड़े-बड़े चूचे है, उसकी तो दुनिया दीवानी है. हर कोई मेरे इन काससे हुए चूचो का मज़ा लेना चाहता है.

मेरी उभरी हुई मस्त गांद के तो कहने ही क्या है. जब मई मटक-मटक कर चलती हू, तो चाहे वो बच्चे हो, बुड्दे हो, या जवान हो, सबके लंड खड़े हो जाते है. मुझे देख-देख कर सब आहें भरते है और हाए-हाए करते है.

मई बस इसी तरह से अपने जवान और मादक जिस्म का प्रयोग करती हू और हमेशा जवान, स्मार्ट और हॅंडसम लड़को से अपनी छूट चुड़वाती हू और उनको अपने रूप का रस्स-पॅयन करवाती हू. अब मई अपनी कहानी पर आती हू-

मेरी बड़ी बेहन की बेटी की शादी मे मई बेहन के घर गयी थी. शादी संपन्न हो चुकी थी. फिर शादी ख़तम होने के बाद की रसम अदाएगी के लिए, सारे लोग लड़के के घर गये हुए थे.

अब घर मे मई और काम करने वाला लड़का रोहन ही थे. रोहन जवान हो रहे लड़के की तरह ही था, लेकिन पूरी तरह से जवान नही हुआ था. वो 18 साल का एक कमसिन लड़का था, जिसकी अभी दाढ़ी-मूचे नही आई थी.

रोहन 5’9″ हाइट वाला अची काड्द-काठी का लड़का था. घटना कुछ यू हुई, की रात को मई खाना खाने के बाद टीवी वाले रूम मे सो रही थी. उस वक़्त रोहन बाहर बरामदे मे था.

आधी रात को मुझे ऐसा लगा, जैसे मुझे कोई टटोल रहा हो. फिर मैने धीरे से देखने की कोशिश की. कमरे मे हल्की सी लाइट जल रही थी और मैने देखा, की रोहन मेरे पैरो के पास बैठा हुआ था. वो धीरे से मेरी निघट्य उपर करने की कोशिश कर रहा था.

मुझे उत्सुकता होने लगी और मेरे शरीर मे एक सुसूरी सी बहने लगी. या यू कहिए की चूड़ने की मेरी इच्छा जाग उठी थी. मैने भी कोई हरकत नही की और देखने लगी, की वो आयेज क्या करने वाला था.

फिर रोहन ने धीरे-धीरे मेरी गांद और बर सब कुछ नंगा कर दिया था. मई एक साइड पर मूड कर लेती हुई थी, जिसकी वजह से रोहन अपना लंड ना तो मेरी छूट मे डाल पा रहा था और ना ही गांद मे.

जब मुझे इस बात का एहसास हुआ, तो मई सीधी लेट गयी और इस तरह से मैने ये शो कर दिया, की मई सोई नही हुई थी. अब मई ऐसी पोज़िशन मे थी, जिसमे रोहन का लंड आसानी से मेरी छूट मे जेया सकता था.

मैने रोहन का रास्ता क्लियर कर दिया था, लेकिन जैसे ही मैने करवट बदली, तो रोहन दर्र कर बेड के नीचे चिप गया. फिर जब सब कुछ शांत हो गया, तो रोहन फिरसे हिम्मत करके पलंग पर आया. अब मेरी बर आसमान की तरह मूह खोले हुए थी और रोहन के लंड की वेट कर रही थी.

फिर रोहन ने अपना लंड मेरी बर पर सेट किया और एक ज़ोर का धक्का मारा. इससे रोहन का लंड सनसानता हुआ मेरी बर को चीरते हुए अंदर चला गया. मई बड़बड़ाने लगी-

मई: आहह.. क्या हुआ आहह.. क्या हो रहा है.

रोहन मुझे चुदाई के लिए मिन्नटे करने लगा. मैने उसकी मिन्नत सुन कर उसकी कमर पर हाथ रख लिए और उसकी कमर को कस्स कर दबोच लिया. अब रोहन समझ गया था, की मैने उसको पूरी इजाज़त डेडी थी.

फिर क्या था, रोहन दे दाना दान मेरी छूट की चुदाई करने लग गया. मई अभी अपने चरम से काफ़ी डोर थी, लेकिन रोहन और तेज़ होने लग गया था. जब उसने मुझे जकड़ा, तो मुझे पता चल गया, की वो झड़ने वाला था.

मैने तभी उसको गालिया देते हुए बोला-

मई: मादरचोड़ सेयेल, बीच रास्ते मे छोढ़ कर भाग जाएगा. सेयेल तेरी गांद फाड़ दूँगी. धीरे कर अपनी स्पीड को और अपने लंड को काबू कर.

ये कह कर मैने रोहन की गांद को कस्स कर पकड़ लिया. लेकिन जिस बात कर दर्र था वही हुआ और रोहन ने मेरी छूट मे गरम-गरम वीर्या की बरसात कर दी. पर मैने रोहन की गांद को पकड़े रखा, ताकि वो भाग ना जाए.

मैने उसके लंड को अपनी बर मे ही जकड़े रखा और बर को हरकत देकर उसके लोड को फिरसे खड़ा करने लगी. मेरी मेहनत काम आ गयी और कुछ ही मिंटो मे उसका लोड्‍ा फिरसे खड़ा हो गया. अब रोहन का लंड मेरी बर मे उछाले मार रहा था.

फिर मैने उसकी गांद पर थप्पड़ मारा और वो खचा-खच मेरी छूट मे अपने लंड को भगाने लगा. अब वो पूरी स्पीड से मेरी छूट को छोड़ रहा था आयुयी मई गांद उछाल-उछाल कर अपनी छूट उससे छुड़वा रही थी.

धक्का-पेल चुदाई मे बेड की छार्र-छार्र की आवाज़ कानो मे रस्स घोल रही थी. अजीब मादक आवाज़े आ रही थी. रोहन मुझे छोड़ता जेया रहा था और मई चुड्ती जेया रही थी.

चुड़वाते-चुड़वाते आधा घंटा बीट चुका था. माल-युध पुर ज़ोरो-शॉरो से चल रहा था और कोई भी योढ़ा हार मान-ने को तैयार नही था. मई बार-बार रोहन को उत्तेजित कर रही थी और उसको बोल रही थी-

मई: छोड़ सेयेल मादरचोड़. ज़ोर से छोड़ सेयेल. हा ऐसे ही छोड़ आहह.

साथ ही मेरे मूह से संतुष्टि भारी आवाज़े आ रही थी और मई आहह आहह कर रही थी. फिर मेरा बदन काँपने लगा और मेरी छूट काम-रस्स छोढ़ दिया. उधर रोहन का भी यही हाल था. वो आहह आह कर रहा था और उसका लंड गढ़े के समान मोटा हो गया था.

मेरी छूट ने रोहन के लंड को पूरी तरह दबाया हुआ था और रोहन के लंड ने मेरी छूट मे गरम वीर्या की पिचकारी छोढ़ दी थी. अब दोनो योढ़ा बराबर पे रहे थे, तो चुदाई की लड़ाई बिना किसी रिज़ल्ट के समाप्त हो गयी.

फिर चुदाई का फैंसला करने के लिए हमने फिरसे चुदाई की, फिर दोबारा से चुदाई की और चुदाई करते रहे. घमासान चुदाई करते-करते फाइनली मेरी छूट ने लंड के आयेज हार मान ली और लंड ने मेरी छूट को शिकस्त दे दी.

मेरी छूट का बुरा हाल हो गया था, लेकिन मुझे मज़ा बहुत आया था.

इस स्टोरी मे इतना ही.