नटू का लंड दया को भाया

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम अरमान है. आज मैं आपके सामने “तारक मेहता का ऊलतः चश्मः” के कॅरेक्टर्स पर बेस्ड एक नयी स्टोरी लेके आया हू. उमीद है आपको स्टोरी पसंद आएगी. तो चलिए शुरू करते है.

दया, जिसकी गांद मोटी, बूब्स गोल, और रंग गोरा है. सारी में ढाका होने के बाद भी उसका जिस्म किसी भी मर्द की नीयत बिगाड़ सकता है. और अगर सारी उतार गयी, तो सोचो क्या नही हो सकता.

दया और जेथलाल में काफ़ी दीनो से झगड़ा चल रहा था. वो दोनो आपस में बात भी नही कर रहे थे, और सो भी नही रहे थे. एक दिन दया कमरे में सोती थी, और दूसरे दिन जेथलाल कमरे में सोता था.

लेकिन जैसे-जैसे दिन बीट-ते जेया रहे थे, दोनो की चुदाई की प्यास बढ़ती जेया रही थी. और क्यूंकी ज़िद के दोनो पक्के थे, तो कोई किसी को सॉरी नही बोल रहा था. इसी बीच नटू काका की बीवी बीमार हो गयी.

उसको जेथलाल ने एक आचे हॉस्पिटल में भारती करवाया, और जीतने पैसे लग रहे थे सब पे किए. लेकिन उसकी हालत इतनी खराब हो गयी थी की उसको बचना मुश्किल था. और फिर जिस बात का दर्र था, वही हुआ. नटू काका की बीवी की डेत हो गयी.

इस हादसे को कुछ दिन बीट गये, लेकिन नटू काका काम पर वापस नही आया. जेथलाल को उसकी फिकर होने लगी, की कही वो अपनी बीवी की डेत के गुम में कुछ कर ना ले, या बीमार ना हो जाए, तो वो उसके घर उसको काम पर ना आने का कारण पूछने गया.

जब वो उसके घर पहुँचा, तो नटू काका वैसे ही ज़मीन पर बैठा हुआ था. जेथलाल ने उसके पास जाके पूछा-

जेता: क्या हुआ नटू, काम पर क्यूँ नही आ रहे?

नटू काका: क्या करूँगा अब काम करके. मेरा प्यार तो चला गया.

जेता: ऐसा नही होता. अपने जाते है, लेकिन उनके जाने के बाद हम जीना तो नही छ्चोढ़ सकते ना.

ये बोल कर जेता नटू का समान पॅक करता है, और उसको कुछ दीनो के लिए अपने घर ले जाता है. वाहा तो उसको रूम दे देता है, और आराम करने के लिए कहता है. दया को इस बात का पता नही होता की नटू उनके घर में था. फिर ऐसे ही दिन निकल जाता है.

अगले दिन जेता सुबा-सुबा तैयार होके दुकान पर चला जाता है. दया तोड़ा लाते उठती है, और बातरूम की तरफ जेया रही होती है. रास्ते में उस रूम की खिड़की थी, जहा जेता ने नटू काका को रखा था. वो खिड़की खुली थी, और दया उसके पास से गुज़र रही थी.

तभी उसकी नज़र खिड़की से रूम के अंदर पड़ती है, और वो अंदर का नज़ारा देख कर हैरान हो जाती है. अंदर नटू काका बेड पर बैठा हुआ था. उसने कुर्ता पहना हुआ था, और पाजामा उसका साइड में पड़ा हुआ वो नीचे से नंगा था, और उसने अपने हाथ में अपना लंड पकड़ा हुआ था.

नटू काका के हाथ में उसकी बीवी की तस्वीर थी, और वो उससे बातें कर रहा था. वो बोल रहा था.

नटू काका: जान तुम मुझे अकेला छ्चोढ़ कर चली गयी. अब मैं तुम्हारे बिना क्या करूँगा? कितने प्यार से तुम मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया करती थी. फिर उसको चूस्टी थी, और फिर उस पर चढ़ कर मज़े से चुड्ती थी. अब कों ये सब करेगा? कों बुझाएगा इस लंड की प्यास?

नटू का लंड पूरा खड़ा था, और वो उसको हिला रहा था. उसका लंड बहुत बड़ा और मोटा नही था, लेकिन किसी भी औरत को गरम करके छोड़ने के लिए काफ़ी था. जब वो लंड हिला रहा था, तो दया की नज़र उसके लंड पर ही थी.

नटू काका का लंड देख कर दया की छूट में खुजली होने लग गयी थी. उसका हाथ सारी के उपर से ही उसकी छूट पर चला गया, और वो अपनी छूट मसालने लग गयी. वो सोच रही थी, की अगर वो अंदर जाके नटू काका के लंड को अपनी छूट में लेले, तो उसकी आग शांत हो जाएगी.

लेकिन फिर उसने सोचा की अगर किसी को पता चल गया तो पंगा हो जाएगा. ये सोच कर वो बातरूम में चली गयी, और वाहा जाके कपड़े उतारने लगी. पहले उसने अपनी सारी खोली, और फिर अपने ब्लाउस के हुक खोलने लगी.

अब उसने मोटे बूब्स ब्रा में काससे हुए थे. फिर उसने ब्रा खोली, और अपने बूब्स को आज़ाद कर दिया. उसके बाद उसने अपने पेटिकोट का नाडा खोला, और उसको भी उतार दिया. अब वो सिर्फ़ पनटी में थी, और पनटी में उसकी मोटी गांद बहुत सेक्सी लग रही थी.

फिर वो अपने आप को शीशे में देखने लगी. अपना बदन देख कर उसने सोचा की किस काम का इतना सेक्सी और भरा हुआ बदन जब कोई छोड़े ही ना. फिर वो अपने बूब्स सहलाने लगी, और निपल्स को मसालने लग गयी.

इससे उसको सेक्स की गर्मी चढ़ने लग गयी. बूब्स दबाते हुए वो एक हाथ नीचे लेके गयी, और अपनी छूट को सहलाने लगी. वो पीछे दीवार से लग गयी, और घुटने थोड़े बेंड करके अपनी छूट में ज़ोर-ज़ोर से उंगली करने लगी. उसकी छूट से पानी निकालने लगा, और वो आहह आ कर रही थी.

तभी उसने शवर छ्चोढ़ लिया, और पानी की बूंदे उसके बदन पर गिरने लगी. क्या मस्त नज़ारा था. दया ज़ोर-ज़ोर से फिंगरिंग कर रही थी, और नहा रही थी. फिंगरिंग से 5 मिनिट में उसका पानी तो निकल गया, लेकिन उसको शांति फिर नही मिली.

अब उसने सोचा की जेता तो उसकी छूट की आग को बुझाएगा नही. तो वो नटू काका से ही अपनी छूट की प्यास बुझवाएगी. फिर चाहे जो हो जाए. ये सोच कर वो अपना नहाना करके कपड़े पहन लेती है. फिर वो अपने रूम में जाती है, और अपने बदन पर पर्फ्यूम लगा लेती है.

वो अपने ब्लाउस को तोड़ा नीचे खींच लेती है, जिससे उसकी क्लीवेज आधी बाहर दिखने लगती है. पल्लू को वो इकट्ठा कर लेती है, जिससे उसके रस्स से भरे बूब्स ब्लाउस में से नज़र आए, और उसकी कमर का नज़ारा भी दिखे. फिर दया नटू काका के कमरे की तरफ चल पड़ती है.

इसके आयेज क्या होता है, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो, तो इसको अपने दोस्तों के साथ शेर ज़रूर करे. मैं चाहता हू, की ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसको पढ़ कर मज़ा करे.