मेरी गलती का खामियाजा भुगतना पड़ा

antarvasna, kamukta मुझे मेरी गलती का खामियाजा उस वक्त भुगतना पड़ा जब मैंने गुस्से में एक दिन अपने ऑफिस से रिजाइन दे दिया मुझे नहीं पता था कि मेरी यह गलती इतनी ज्यादा बड़ी हो जाएगी, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे नौकरी छोड़ते ही मेरे ऊपर इतनी मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा। मैंने जिस समय अपनी नौकरी से रिजाइन दिया उस दिन मैं अपने घर पर आकर बैठ गया और जब मैं अपने घर पर बैठा तो मेरी पत्नी कहने लगी कि कल बच्चों की फीस जमा करनी है, मैंने उसे कहा ठीक है कल हम बच्चों की फीस जमा कर देंगे मेरे अकाउंट में जितने पैसे पड़े थे वह मैंने एटीएम से निकाल कर अपनी पत्नी को दे दिए उसने अगले दिन मेरे बच्चों की फीस भर दी, मुझे घर पर दो महीने हो चुके थे और मेरी सेविंग भी धीरे-धीरे खत्म होने लगी थी मेरे पास और कोई भी नौकरी नहीं थी क्योंकि हमारा शहर इतना बड़ा नहीं है कि वहां पर मैं कोई नौकरी कर पाता, मेरे लिए तो अब बड़ी समस्या बन चुकी थी क्योंकि मेरे पास ना तो कोई काम था और ना ही मैं किसी रिश्तेदार या अपने दोस्त से मदद लेना चाहता था।

दिन प्रति दिन मेरी स्थिति खराब ही होती जा रही थी परंतु मैंने यह बात अपनी पत्नी को कभी भी महसूस नहीं होने दी। एक दिन मेरी मौसी मेरे घर पर आई और वह कहने लगी संजीव बेटा तुम तो अब हमारे घर पर आते ही नहीं हो, तुम्हारा काम कैसा चल रहा है? मैं जब तक कुछ बोल पाता तब तक मेरी पत्नी ने मेरी मौसी को कह दिया कि इन्होंने तो नौकरी छोड़ दी है और पिछले कुछ महीनों से यह घर पर ही बैठे हुए हैं, जैसे ही मेरी पत्नी ने यह बात मेरी मौसी को बताई तो मेरी मौसी मुझे कहने लगी तुम इतने वक्त से खाली बैठे हो और तुमने मुझे कुछ भी नहीं बताया, लगता है तुम मुझे अपना नहीं मानते, तुम्हारी मां के देहांत के बाद मैंने ही तुम्हारी सारी जिम्मेदारी उठाई है और अब तुम मुझे अपना नहीं समझते। मेरी मौसी उस दिन मेरे सामने रोने लगी, मैंने मौसी को शांत कराया और कहा कि मौसी मैं नहीं चाहता था कि मैं आपको बताऊं, मेरी मौसी का मेरे सिवा और कोई भी नहीं है उनके पति का देहांत भी कार एक्सीडेंट में काफी वर्षो पहले हो चुका है और उनके कोई बच्चे भी नहीं है इसलिए वह मुझे ही अपना सब कुछ मानती हैं।

मेरी मौसी कहने लगी तुम अब कहीं और नौकरी कर लो, मैंने मौसी से कहा मौसी मुझे कहीं और नौकरी नहीं मिल रही और मेरे पास जितने भी पैसे थे वह सब अब खत्म होते जा रहे हैं। मेरी मौसी ने मुझे कहा कि कल तुम घर पर आना उस दिन यह कहते हुए मेरी मौसी चली गई, अगले दिन जब मैं मौसी से मिलने गया तो उन्होंने मेरे हाथ में कुछ जेवरात और कुछ पैसे पकड़ा दिए और वह कहने लगी संजीव बेटा यह सब मैं तुम्हें सौंप रही हूं यह मेरे किसी काम के नहीं है तुम इन्हें अपने पास रख लो। उन्होंने जब मुझे वह सब कुछ सौंपा तो मैंने उन्हें कहा मौसी आप मुझे यह मत दीजिए मैं आपका एहसान कैसे चुका पाऊंगा, वह मुझे कहने लगी संजीव तुम्हारे सिवा इस दुनिया में अब मेरा कोई भी नहीं है और यह सब कुछ अब तुम्हारा ही है। मैंने भी वह पैसे रख लिये और उन पैसों से मैंने एक रेस्टोरेंट खोल लिया, मैंने जब वह रेस्टोरेंट खोला तो मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरा काम इतना अच्छा चल पड़ेगा, मेरा काम अब अच्छा चलने लगा था मैंने अपनी मौसी को वह पैसे वापस लौटाने की भी सोची लेकिन उन्होंने वह पैसे पकड़े ही नहीं वह कहने लगी यह पैसे अब तुम अपने पास ही रखो, मैंने वह पैसे अपने पास ही रख लिए लेकिन मेरे दिल पर एक बहुत बड़ा बोझ था मैं चाहता था कि मौसी भी अब हमारे साथ ही आ कर रहे, मैंने अपनी पत्नी से एक दिन यह बात कही की मौसी को भी अब हमारे साथ ही रहना चाहिए उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया है, मेरी पत्नी कहने लगी मैं तो उन्हें कब से कह रही हूं लेकिन वह सुनते ही नहीं हैं, मैंने अपनी पत्नी से कहा कि एक बार तुम उनसे बात कर के देखो।

मेरी पत्नी ने अगले दिन उनसे बात की तो वह कुछ दिन हमारे घर पर रुकने के लिए मान गई लेकिन उन्होंने हमारे सामने शर्त रखी कि मैं ज्यादा समय तक तुम्हारे घर पर नहीं रुक सकती, वह ज्यादा समय तक हमारे घर पर नहीं रुके लेकिन मुझे बहुत खुशी थी कि चलो कुछ समय तक तो मैसी हमारे घर पर हैं, मेरा जीवन अब पहले से बेहतर हो चुका था अब मैं अपने परिवार को पूरा समय भी दे पा रहा था और मैं पहले से ज्यादा खुश था लेकिन हमेशा ही खुशी एक जैसी बरकरार नहीं रहती, मैंने जो रेस्टोरेंट खोला था उसके मालिक मुझे कहने लगे कि भैया आपको यह रेस्टोरेंट खाली करना पड़ेगा, मैंने उनसे कहा लेकिन मैंने तो आपके साथ एग्रीमेंट किया था, वह कहने लगे आप चाहे पूरे पैसे ले लो लेकिन अब यह रेस्टोरेंट की जगह मैं आपको ज्यादा समय तक नहीं दे सकता। मैं बहुत ही ज्यादा दुविधा में आ गया मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए, अब मेरे पास और कोई भी रास्ता नहीं था मुझे उस रेस्टोरेंट को खाली करना ही था, मैंने एक दूसरी जगह देखी और वहां पर अपना रेस्टोरेंट शिफ्ट कर दिया लेकिन वहां पर मेरा काम कुछ अच्छा नहीं चल रहा था। मैं रेस्टोरेंट चलाने के लिए बहुत नई नई चीजें करने लगा लेकिन फिर भी रेस्टोरेंट कुछ अच्छा नहीं चल रहा था। मैंने इस बारे में काफी सोचा मुझे क्या नया करना चाहिए तभी एक दिन मेरे पास एक लड़की आई वह कहने लगी सर आपके पास क्या कोई वैकेंसी है। उसका गदराया बदन देखकर तो मेरे पसीने छूट गए थे, उसके बड़े बड़े स्तन और उसकी बड़ी गांड देखकर मैं उसकी तरफ जैसे फिदा हो गया था।

मैंने उसका नाम पूछा उसका नाम शर्मिला है। मैंने उसे कहा तुम मेरे रेस्टोरेंट में काम कर लो उसने मुझसे पूछा सर मुझे रेस्टोरेंट में क्या काम करना होगा। मैंने उसे कहा आप रिसेप्शन का काम कर लीजिए। मैंने उस लड़की को रिसेप्शन पर रख दिया जब से मैंने शर्मिला को काम पर रखा तब से मेरे पास कस्टमर की संख्या बढ़ने लगी। उसका बदन देखकर मेरे पास काफी लोग आने लगे, मेरा काम अच्छा चलने लगा था। मैंने एक दिन शर्मिला से कहा मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूं मैंने उसे कुछ पैसे दिए। वह बहुत खुश हो गई मैं उसे अपना बनाना चाहता था मैंने उसके सामने सेक्स की मांग रख दी। पहले वह थोड़ा हिचकीचा रही थी लेकिन जब मैंने उसे और भी पैसे दिए तो वह मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो गई। उसके गदराए बदन की कल्पना से ही मेरा पानी निकलने लगा था। जब मैं उसे रेस्टोरेंट के स्टोर रूम में ले गया तो वहां पर जब मैंने उसके कपड़े उतारे तो उसके बड़े स्तन नीचे की लटक रहे थे और उसकी गांड देखकर मेरा वीर्य अपने आप ही बाहर गिर गया। उसके गुलाबी होठों से उसने मेरे लंड को चूसना शुरू किया तो मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं जन्नत में चला गया। वह मेरे लंड को अपने गुलाबी होठों से बड़े ही अच्छे तरीके से चूस रही थी। उसने मेरी उत्तेजना को बढ़ा दिया था मैंने भी उसे वही जमीन पर लेटाते हुए अपने होठों से उसके स्तनों को चूसना शुरू किया। उसके स्तनों से दूध बाहर निकलने लगा था उसके बड़े बड़े स्तनों को मैं अपने दोनों हाथ से दबाता तो उसे भी बहुत अच्छा लगता। जो मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया तो उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने जब उसकी चूत के अंदर लंड डाला तो वह मुझे कहने लगी सर आपके लंड को लेकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वह मेरे लंड को अपनी चूत में बड़े ही मजे मे ले रही थी मैंने जितनी देर उसके साथ सेक्स किया मुझे बड़ा अच्छा लगा। मैंने अपने लंड को उसकी गांड के अंदर डाला तो उसकी बड़ी गांड पकड़ने में मुझे थोड़ा तकलीफ हो रही थी लेकिन मेरा लंड उसकी गांड में जा चुका था। मैं अपने लंड को उसकी गांड के अंदर बाहर करता तो उसके अंदर उतनी ही गार्मी पैदा होने लगती। मैंने अपने वीर्य को उसकी बड़ी-बड़ी चूतडो पर गिरा दिया मुझे उस दिन पूरा यकीन हो गया कि अब यह मुझे कभी छोड़कर नहीं जाएगी। शर्मिला अब भी मेरे पास काम कर रही है वह बहुत ही अच्छे तरीके से काम करती है उसका बदन देखकर मेरे पास कस्टमरो की लाइन लग गई है। एक दिन एक कस्टमर ने कहा आप हमें शर्मिला के हुस्न का रसपान करवा दीजिए मैंने उन्हें साफ तौर पर मना कर दिया।