मेरी चुदाई भारी ज़िंदगी की कहानी

हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.
इश्स स्टोरी का 5त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे. अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है.

अब आयेज..

अज़हर और उनकी फॅमिली भौत हे खुले विचारो वाली थी. अज़हर हमेशा मूज़े रिवीलिंग कपड़े पसंद करते थे और मूज़े पहें ने नो ज़ोर देते थे. मेरा पूरा वॉर्डरोब उन्होने चेंज करवा दिया था क्यूकी उन्हे मेरे जिस्म पर क्रॉप टॉप और मिनी स्कर्ट हे पसंद था.

सिर्फ़ मेरे कपड़े हे नही पर मेरे अंडरगार्मेंट्स और संडलेस हील्स सब उन्होने चेंज करवा दिए थे और अपनी पसंद के रखवाए थे. अज़हर को भी सभी आदमियो की तरह हाइ हील्स के तरफ भौत हे अट्रॅक्षन था.

अज़हर काफ़ी टाइम मूज़े पब लेके जाते और वाहा जाने के लिए मुझे क्रॉप लूस टॉप और माइक्रो स्कर्ट हे पहें ने को कहते. पब मे हम भौत फ्री हो कर डॅन्स करते शराब पीते और मस्ती करते. ऐसे कपड़ो की वजह अक्सर कुछ लोफर लड़के और आदमी मेरे जिस्म से रग़ाद रग़ाद कर चलते. भौत लोग तो मेरे बूब्स भी मसल देते. वो सब यह हे फिरत मे रहते की कोई मुझ जैसी हसीना हाथ लग जाए तो अपने हाथ सेक ले.

यह सब की वजह से में कही बार अज़हर से नाराज़ हो जाती लेकिन वो मूज़े चुप करवा देते थे. काफ़ी बार तो कुछ लड़के अगर पब मे मेरे साथ डॅन्स करने की खवैिश करते तो अज़हर खुशी खुशी मूज़े आगे करते देते.

मेरे साथ डॅन्स का तो वो सब बस बहाना करते थे पर असलियत तो यह थी की डॅन्स करते करते वो लड़के मुझसे मेरे जिस्म से किसी गुम की तरह चिपक जाते और मेरे पूरे जिस्म को मसालते रहते. सब से ज़्यादा वो सब मेरी चुचियो का बुरा हाल कर देते थे की उसमे दर्द होने लगता मूज़े.

जब में अज़हर से यह सब कहती तो वो इशारा करके मूज़े चुप कर देते. शुरू शुरू मे इश्स तरह के खुलेपन मे में भौत दार जाती थी मूज़े यह सब भौत बुरा भी लगता था लेकिन टाइम के साथ साथ मूज़े यह सब मे बाद मे मज़ा आने लगा और में भी तोडसा नशे मे खुल कर यह सब मे भाग लेने लगी.

उसके बाद अज़हर को उत्तेजित करने के लिए में वाहा पब मे किसी गैर मर्द के साथ चिपक के डॅन्स करती और उसके सिड्यूस करती जिस से अज़हर मे भौत ज़्यादा जोश आ जाता और हुमारी वो शाम कुछ ज़्यादा हे जोश से भारी बीट जाती.

खैर यह सब के साथ साथ हुमारा निकाह भी भौत हे धूम धाम के साथ हो गया. निकाह के बाद जब नौशड्जी ने दुआ देते हुए मूज़े अपने सीने से लगाया तब इतने मे हे में भौत गीली हो गयी थी.

तब मेने महसूस किया की अब हुमारा रिश्ता आज से बदल गया है लेकिन मेरे मान मे अभी एक छुपी हुई चिंगारी बाकी है अपने ससुरजी के लिए जिसका हवा लगते हे भड़क सकती है.

मेरे सारे ससुराल वेल भौत हे आचे लोग और खुले विचारो वेल लोग थे. अज़हर के एक बड़े भैसाहब है फ़िरोज़ और एक बहें है समीना. दोनो का हे निकाह हो चुका था. समीना के पति मतलब हुमारे नंदोइजी का नाम है सलमान.

सलमांजी भौत हे रंगीन मिज़ाज़ के आदमी है. उनकी नज़रो से हे कामुकता टपकती थी. निकाह के बाद मेने देखा की सलमांजी मूज़े हमेशा कामुकता भारी नज़रो से घूरते रहते है.

अब तब तो मेरा नया नया निकाह हुआ था इसलिए में घर मे किसी से यह कह भी नही सकती थी. और उनकी फॅमिली भी इतनी अड्वान्स थी के अगर में ऐसी बात करती या कोई शिकायत करती तो हासणे लगते और मुझे हे उनकी तरफ धक्का दे देते.

सलमांजी की ससुराल मे भौत हे अची इमेज बनी हुई थी इसलिए मेरी किसी भी शिकायत पे कोई ध्यान नही देता.

सलमांजी अक्सर हे मूज़े छूउ कर हे बात करते थे. वैसे तो इसमे कुछ ग़लत बात नही थी पर ना जाने क्यूँ मूज़े यूयेसेस आदमी से हे घिंन होती थी. उनकी नज़रो को हमेशा मेने मेरी च्चातियो पर घूमते देखा था.

कई बार वो मुजसे सातने की भी कोशिश करते थे. कभी कभी सबकी नज़रे चुरा कर वो मेरी कमर मे चुकोती काट लेते तो कभी कभी मूज़े घूरते हुए अपनी जीब होतो पे घुमा लेते.

मेने जब समीना से घुमा फहीरा कर यह सब बाते बताने की ट्राइ की तो वो हेस्ट हुए कहने लगी

समीना:- तो अब दे दो ना बेचारे को कुछ लिफ्ट. आज कल में रोज़ उनका बिस्तर गरम नही कर रही हू इसलिए खुला सांड़ बॅन कर घूम रहे है. संभालना भौत बड़ा है उनका और तुम अभी एक कक़ची काली से फूल बनी हो तो उनका इतना बड़ा झेल पाना तुम्हारे बस का नही है.

साहिबा:- अप्पा क्या आप भी बस भी…. आपको शरम नही आती अपने भाई की नयी दुल्हन से इश्स तरह बाते कर रहे हो???

समीना:- इसमे बुराई क्या है?? हर मर्द का किसी शादीशुदा की तरफ अट्रॅक्षन का मतलब बस एक हे होता है की वो यूयेसेस के साहेद (हनी) को चखना चाहता है. इश्स से कोई लड़की घुस तो नही जाती है ना.

यह सब कह कर अप्पा ने सारी बातो को हसी मे उद्दा दिया.

यूयेसेस हे दिन शाम को जब में और अज़हर अकेले थे. तब समीना अप्पा ने अपने भाई से भी मेरी शिकायत कर दी चाहे मज़ाक मे हे सही. सब सुन्न कर अज़हर हासणे लगे और अप्पा से कहने लगे

अज़हर:- लगता है अब जीजाजी (सलमांजी) का आप से मान भर गया है. तब हे मेरी नयी बेगम पर नज़र डाले बैठे है.

में तो यह सब सुन्न कर शरम से पानी पानी होये जेया रही थी साँझ ने नही आ रहा था. मूज़े वही बैठे रहना चाहिए या वाहा से उठ कर भर जाना चाहिए. सब सुन्न कर मेरा तो चेहरा हे शरम से पूरा लाल हो गया था.

मूज़े शरमाते देख अज़हर समीना अप्पा से कहने लगे

अज़हर :- अभी तो नयी नयी दुल्हन है ना इसलिए शर्मा रही है बाद मे घर की रंगत मे ढाल जाएगी.

और मूज़े भी समझते हुए बोलने लगे

अज़हर:- समीना हुमारे घर मे किसी तरह का कोई परदा नही.. और सब एक दूसरे से सभी तरह का मज़ाक और छेड़-चाड कर सकते है. इसलिए तुम किसी की भी किसी भी बात का या हरकत का बुरा नही मान ना.

अगले दिन की हे बात है जब में डिन्निंग टेबल पे बैठ कर सब्जिया काट रही थी. तब समीना अप्पा और सलमांजी सामने सोफा पे बैठे हुए बात कर रहे थे. मूज़े काम मे ध्यान हे नही रहा कब मेरे चट्टी से सारी का पल्लू हॅट गया और मेरी चुचि दिखने लगी.

क्यूकी सब्जी कट्ट कर मूज़े नहाने हे जाना था. इसलिए मेने ब्लाउस के एक हे बटन बंद रखा था बाकी सब खुले थे. मेरी आधे से ज़्यादा चुचिया बाहर निकल आई थी.

यह सब का मूज़े कोई खबर हे नही थी क्यूकी में काम मे लगी हुई थी. पर सामने बैठ सलमांजी मूज़े न्यूसपेपर मे से चुप चुप के घुरे जेया रहे थे. मूज़े मालूम तब हुआ जब अप्पा ने मूज़े बुलाया और कहा

समीना:- साहिबा ज़रा सोफा के पास आना..

साहिबा:- क्यूँ अप्पा??

समीना:- इतनी दूर से सलमान को तुम्हारा जिस्म दिख नही रहा है. वो भौत देर से कोशिश कर रहे है की उनकी नज़रो की गर्मी से तुम्हारे ब्लाउस का एक्लोटा बटन पिघल जाए और ब्लाउस से तुम्हारी चुचिया पूरी बाहर निकल जाए लेकिन उनको कोई कामयाबी नही मिल रही है.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू. पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.