मकान मालकिन भाभी को गरम करके सेक्स के लिए राजी किया

चूत और लंड के सभी खिलाड़ियों को मेरा प्रणाम। मैं रोहित एक बार फिर से आप सबके बीच में हाज़िर हूं। मैं 25 साल का नौजवान लौंडा हूं। मेरा मस्त हथियार 6 इंच लंबा है, जो किसी भी चूत की बखियां उधेड़ सकता है।

मुझे अक्सर पकी-पकाई औरतें बहुत ज्यादा पसंद है, क्योंकि ऐसी औरते अपने अनुभव से लंड को बहुत ज्यादा मज़ा देती है। मैं शादी से पहले कई अनुभवी औरतों को मेरा लंड दे चुका था। लेकिन शादी के बाद मैं सीधा सच्चा इंसान बन गया था।

अब मैं और मेरी वाइफ हम दोनों सिटी में किराए पर कमरा लेकर रह रहे थे। मैं आराम से जॉब कर रहा था। हमारी जिंदगी अच्छी चल रही थी। तभी मेरी वाइफ प्रेग्नेंट हो गई। ये मेरे बड़ी खुशी की बात थी। लेकिन धीरे-धीरे मेरा लंड चूत के लिए तड़पने लगा। जॉब पर जाने की वजह से मैं मेरी बीवी का अच्छे से ध्यान नहीं रख पा रहा था। फिर कुछ महीनों के बाद मैंने मेरी वाइफ घर भेज दिया।

अब मैं रूम पर अकेला था, और मेरा प्यासा लंड चूत की तलाश में था। मेरी मकान मालकिन यानि आरती भाभी जी के साथ बहुत अच्छी बनती थी। आरती भाभी जी के मकान में हम ही अकेले किरायेदार थे।

आरती भाभी जी लगभग 38 साल की मस्त बिंदास औरत है। उनका गोरा-चिट्टा रंग किसी को भी लंड मसलने पर मजबूर कर सकता है। भाभी जी एक-दम गदराई हुई सी है। भाभी जी के बोबे लगभग 34″ साइज के है। उनके मोटे-मोटे बोबों का उभार मेरे लंड को बार-बार उकसा रहा था।

भाभी जी की चिकनी कमर लगभग 32″ साइज की है। कमर के नीचे भाभी जी की मदमस्त गांड लगभग 34″ साइज की है। उनकी गांड की कसावट साड़ी में साफ-साफ झलकती है। भाभी जी की गांड को देख-देख कर मेरा लंड पागल हो उठा था।

मेरी वाइफ के घर जाने के बाद आरती भाभी जी मेरा अच्छी तरह से ध्यान रखने लगी। वो मेरे रूम की साफ सफाई कर दिया करती थी, और कभी-कभी वो मेरे लिए खाना भी बना देती थी।

मुझे कोई परेशानी नहीं हो रही थी लेकिन चूत का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था। मेरा लंड चुदाई करने के लिए तड़प रहा था। ऐसे ही टाइम निकलता जा रहा था।

एक दिन आरती भाभी जी हॉल में पोछा लगा रही थी। उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था। तभी मेरी नज़र भाभी जी के बोबों पर पड़ गई। भाभी जी के बड़े-बड़े बोबों को देख कर मेरा लंड बुरी तरह से तन गया। फिर मैं कमरे में जाकर लंड मसलने लगा।

अब मैं सोचने लगा “रोहित क्यों नहीं आरती भाभी जी को ही पटाया जाये। अगर ये पट गई तो फिर चूत का जुगाड़ हो जायेगा।”

अब मैं रोजाना आरती भाभी जी को प्यास भरी नज़रो से देखने लगा। भाभी जी की मस्त फूली हुई गांड को देख-देख कर मेरा लंड आग बबूला हो जाता था। लेकिन आगे कुछ करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।

अब एक दिन मैं कमरे में ही था। तभी भाभी जी मेरे कमरे में पोछा लगाने आई। अब मैं बेड पर बैठा हुआ था, और भाभी जी पोछा लगा रही थी। तभी भाभी जी को देख-देख कर मेरा लंड पजामा फाड़ कर बाहर निकलने को तैयार हो रहा था।

मैं भाभी जी को ताड़ रहा था तभी भाभी जी ने मुझे उनको ताड़ते हुए देख लिया। तभी भाभी जी काम खत्म करके चली गई।

फिर भाभी जी काम ख़त्म करने के बाद मुझे पोहे देने आई। तभी मैंने सोचा “आज सही मौका है भाभी जी को दिल की बात बोल ही देता हूं।”

तभी मैंने भाभी जी से कहा “भाभी जी आप बहुत अच्छी हो जो मेरे लिये इतना सब कर रही हो। वरना इस ज़माने ऐसे मकान मालिक मिलना मुश्किल है।”

“अब तुम हमारे यहां इतने सालों से रह रहे हो, तो हमारे परिवार जैसे रिश्ते बन गए है। और इस टाइम इतनी हेल्प तो करनी ही चाहिए।”

“सच में आप बहुत अच्छी हो भाभी जी।”

तभी भाभी जी ने कहा, “रोहित जी आपको और किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो मांग लेना।”

तभी मैंने सोचा अब तो भाभी जी से बोल ही देता हूं। ये भी लाइन पर आ ही गई है। तभी मेंने हिम्मत की, “भाभी जी मुझे अब तो सिर्फ एक ही चीज़ की ज़रूरत है, और वो आप दे देते तो बहुत अच्छा रहेगा।”

“क्या चीज़?”

“भाभी जी आप सब जानती हो। इस टाइम मुझे किसकी ज़रूरत है। मैं बहुत महीनो से प्यासा हूं भाभी जी। बस अब तो आप मेरी प्यास बुझा दो।”

मेरी बात सुन कर भाभी जी सकपका गई। उनके चेहरे की हवाइयां उड़ गई। तभी मैं बेड से उठ कर भाभी जी के पास खड़ा हो गया और उनके कंधो पर हाथ रख दिया।

“बुझा दो ना भाभी जी मेरी प्यास।”

“रोहित जी आप ये क्या बोल रहे हो यार। ऐसा नहीं हो सकता। माना कि मैं आपकी परेशानी समझ रही हूं, लेकिन मैं…”।

“भाभी जी आप मेरे लिए इतना सब कर ही रही हो तो फिर ये भी कर दो ना।।इसमें कौन सी बड़ी बात है। आपके पास टाइम भी है, मौका भी है। और घर मे सुरक्षा भी है।”

“नहीं यार रोहित जी मैं ये सब नहीं कर सकती। मैंने जिंदगी में ऐसे काम नहीं किये हैं। मैं एक अच्छे घर की बहु हूं।”

“भाभी जी अच्छे घर के तो सभी होते हैं। लेकिन ज़रूरत तो पूरी करनी पड़ेगी ना। अच्छे घर के होने के चक्कर में कब तक खुद को रोक कर रखे?”

“आपकी बात सही है रोहित जी लेकिन जो काम हो नहीं सकता उसके बारे में बात करना ही बेकार है।”

“आप चाहो तो सब हो सकता है भाभी जी।”

“मैं नहीं कर सकती यार।”

और भाभी जी इतना कह कर वापस अपने रूम में चली गई। इधर मेरा लंड तड़पता ही रह गया। उस दिन के बाद भाभी जी के हाव-भाव बदल गए। वो अब मुझसे कटी-कटी सी रहने लगी।

तभी एक दिन भाभी जी मुझे खाना देने आई तभी मैंने भाभी जी को फिर से छेड़ दिया। “भाभी जी प्यास बुझा दो ना। बहुत तड़प रहा हूं मैं।”

“नहीं रोहित जी। मैं नहीं बुझा सकती।”

बाद भाभी जी तुरंत खाना देकर वापस चली गई। अब मैं जब भी मौका मिलता तो भाभी जी को पटाने की पूरी कोशिश करता, लेकिन भाभी जी पट नहीं रही थी।

अब एक दिन भाभी जी उनके कमरे की साफ सफाई कर रही थी। तभी उनको हेल्प की ज़रूरत पड़ी और उन्होंने मुझे बुला लिया। मैं तुरंत भाभी जी के पास चला गया। अब मैं सामान इधर-उधर उठाने मे भाभी जी की हेल्प करने लगा।

मेरी प्यासी नजरे भाभी जी को ताड़ रही थी। वो भी मेरी प्यास को समझ रही थी। लेकिन भाभी जी कुछ कहने को तैयार नही हो रही थी। तभी मैंने आज फिर से भाभी जी को पटाने की हिम्मत की।

“भाभी जी आप कब मानोगी यार? ”

तभी भाभी जी ने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। वो साफ-सफाई करने में लगी हुई थी। मेरा लंड भाभी जी की गांड की कसावट को देख कर आग बबूला हो रहा था। अब मैं भाभी जी के पास जा कर खड़ा हो गया।

अब जैसे ही भाभी जी मेरी तरफ मुड़ी, तो मैंने भाभी जी को मेरी तरफ खींच लिया। अब भाभी जी कुछ कह पाती उससे पहले ही मैंने भाभी जी को धर दबोचा और मैं भाभी जी के रसीले होंठो को चूसने लगा।

तभी भाभी जी मुझे दूर हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने भाभी जी को ज़ोर से कस रखा था। मैं भाभी जी के होंठो को रगड़ कर चूस रहा था।

तभी मैं भाभी जी की साड़ी के पल्लू को एक तरफ हटा कर उनके बड़े-बड़े बोबों को दबाने लगा। मैं बलाऊज के ऊपर से ही भाभी जी के बोबों को ज़ोर-ज़ोर से कस रहा था। अब भाभी जी के बोबे और होंठ मेरी पकड़ में थे। मैं उनके होंठो को बुरी तरह से चूस रहा था।

तभी भाभी जी गर्म होने लगी। कमरे मे आउछ पुछ आउछ पूछ की आवाजे गूंजने लगी थी। अब मैंने भाभी जी के बोबों पर से हाथ हटा कर उनकी गांड पर ले गया, और मैं भाभी जी की मदमस्त गांड को मसलने लगा। आहा! बहुत ही गज़ब की गांड थी भाभी जी की। मैं भाभी जी की गांड को बुरी तरह से मसल रहा था।

इधर मेरा लंड भाभी जी की चूत फाड़ने के लिए बेताब हो रहा था। मैं भाभी जी के होंठों को खाते हुए भाभी जी की गांड को खूब कस रहा था। अब मेरा लंड भाभी जी की चूत फाड़ने के लिए बेताब हो रहा था। तभी मैंने भाभी जी को बेड पर पटक दिया। अब मैं भाभी जी के बलाऊज को खोलने लगा, लेकिन भाभी जी बलाऊज नहीं खोलने दे रही थी।

“रोहित जी अब आगे कुछ मत करो”

“भाभी जी आज तो सब कुछ होगा ही।”

तभी भाभी जी और मेरे बीच बलाऊज को खोलने के लिए छीना-झपटी होने लगी। लेकिन फिर मेने भाभी जी के बलाऊज के हुक खोल हो दिए। बलाऊज के हुक खुलते ही भाभी जी उनके बोबों को दोनों हाथो से ढकने लगी।

अब मैं भाभी जी के हाथों को दूर हटाने की कोशिश करने लगा।

“भाभी जी बच्चों की तरह कर रही हो आप? हाथ हटाओ।”

लेकिन भाभी जी ऐसे मान नहीं रही थी। फिर मैंने भाभी जी को ज़ोर का झटका दिया, और उनके हाथों को दूर हटा दिया। अब मैंने भाभी जी की ब्रा को एक तरफ हटाया, और भाभी जी के बोबों को कैद से बाहर निकाल लिया।

लेकिन तभी ड़ोरबेल बज उठी। अब भाभी जी मुझे धक्का देकर तुरंत खड़ी हो गई और फ़टाफ़ट से उन्होंने बलाऊज के हुक लगा लिए।

अब भाभी जी साड़ी को ठीक करके गेट खोलने चली गई। देखा तो पडोसी आंटी आई थी। मुझे आंटी पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। आज इस आंटी की वजह से मेरा लंड पानी पीते-पीते रह गया।

फिर आंटी भाभी जी के साथ जम कर बैठ गई। उसके बाद आंटी की लड़की स्कूल से वापस आ चुकी थी। फिर उस दिन तो मुझे भाभी जी को बजाने का मौका ही नहीं मिला। अब शाम को मैं भाभी जी के साथ बात-चीत करने लगा। भाभी जी बिल्कुल नॉर्मल लग रही थी।

“अगर आज आंटी नहीं आती तो मेरी प्यास बुझ जाती।”

“रोहित जी ये अच्छी बात नहीं है यार। मैं ये सब नही करना चाहती।”

“भाभी जी आप एक बार करने तो दो। बहुत मजा दूंगा आपको।”

“नहीं रोहित जी। आपके भैया को पता चल जायेगा यार।”

“कुछ पता नही चलेगा भैया को तो।”

अब भाभी जी मेरे लंड के नीचे आने को तैयार थी। तभी मैंने मौका देख कर भाभी जी की सेक्सी गांड पर दो चपेड़ मार दी।गांड पर चपेड़ मारते ही भाभी जी सिहार उठी।

“आईईईई सिस्सस्स।”

कहानी जारी रहेगी……

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