पड़ोस की भाभी को ठीक करते हुआ चोदा

ही दोस्तों, मैं हू रोशन. मैं आपके सामने अपना रियल लाइफ एक्सपीरियेन्स लेके आया हू. उमीद है आपको मेरी कहानी अची लगेगी. तो चलिए मैं अपनी कहानी शुरू करता हू.

नाम तो मैने बता ही दिया है. मैं देल्ही में एक मंक में जॉब करता हू. वैसे मैं एंपी से बिलॉंग करता हू, और देल्ही में मैने एक फ्लॅट रेंट पर लिया हुआ है. मेरी हाइट 6 फीट है, और रंग सावला है. लंड मेरा 7.5 इंच का है, और किसी भी औरत को संतुष्ट कर दे ऐसा है.

मेरे फ्लॅट के सामने वाले फ्लॅट में अशोक भैया, और उनकी वाइफ दिव्या रहते है. उन दोनो के 2 बेटे भी है, एक 10 साल का, और दूसरा 5 साल है. अशोक भैया बड़े फ्रेंड्ली है, तो फ्लॅट में शिफ्ट होते ही मेरी और उनकी दोस्ती हो गयी.

उनकी उमर 38 साल थी, और भाभी की उमर 34 थी. भाभी दिखने में अची थी. उनकी हाइट 5’5″ थी, और फिगर 34-30-36 होगा. उनका रंग गोरा था, मगर ज़्यादा गोरा नही था. उनकी गांद काफ़ी उभरी हुई थी, जो मुझे हर बार अट्रॅक्ट करती थी. ये कोई ऐसा अट्रॅक्षन नही था की मुझे उनको छोड़ना था. बस वैसे ही नॉर्मल अट्रॅक्षन था, जैसा हर लड़के को किसी सेक्सी लड़की या औरत को देख कर होता है.

अशोक भैया हॉस्पिटल में जॉब करते थे, और उनकी नाइट ड्यूटी होती थी. वो अक्सर मुझे उनके जाने के बाद घर का ध्यान रखने के लिए कहते थे. एक आचे पड़ोसी के सारे गुण थे उनमे. उनके दोनो बेटों से भी मेरी अची दोस्ती हो गयी थी. कभी-कभी हम बिल्डिंग के कॉंपाउंड में बॅडमिंटन भी खेलते थे. फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिससे मुझे भाभी को छोड़ने का मौका मिल गया.

रात 9 बजे का टाइम था. तभी किसी ने मेरे फ्लॅट का दरवाज़ा खटखटाया. मैने सोचा की इस वक़्त कों हो सकता था, क्यूंकी मेरे यहा कोई कम ही आता-जाता था. फिर जब मैने दरवाज़ा खोला, तो अशोक भैया का बड़ा बेटा बाहर खड़ा था. उसकी आँखों में आँसू थे. मैने उससे पूछा की क्या हुआ उसको, तो वो बोला-

बच्चा: अंकल मेरी मम्मी सीडीयों से गिर गयी है. उनके सर पर चोट लगी है, और खून निकल रहा है. आप आ जाओ.

मैं जल्दी से उसके साथ गया. उनके घर में जाके देखा, तो भाभी बेड पर लेती थी, और माथे से खून बह रहा था. वो किसी कपड़े से अपनी चोट को दबा रही थी, और दर्द से कराह रही थी.

मैने जल्दी से बच्चे को फर्स्ट ाईड बॉक्स लाने को बोला. फिर मैने उनकी चोट को डेटोल से सॉफ किया, और उस पर पट्टी बाँधी. ठंड का मौसम था, तो भाभी काँप रही थी. वैसे भी ठंड में बंदे को चोट लग जाए, या बुखार हो तो ठंड और ज़्यादा लगने लगती है.

मैने उनको रज़ाई देके लिटा दिया, और हल्दी वाला दूध दिया. फिर मैने रूम हीटर भी ओं कर दिया. लेकिन भाभी अभी भी काँप रही थी. मैने सोचा की अब मैं क्या करू. फिर मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया. मैने सोचा मैं भी भाभी के साथ रज़ाई में लेट जाता हू, इससे उनको और गर्माहट मिलेगी.

मैने दोनो बच्चो को साथ वाले रूम में सुला दिया, और रज़ाई में भाभी के साथ लेट गया. मेरे साथ लेटने से उनके शरीर को गर्मी मिली, और वो भी सो गयी. मैं अभी आधी नींद में था, की अचानक से मेरी नींद खुली. मैने महसूस किया की मेरा लंड आधा खड़ा था, और भाभी की गांद को टच हो रहा था.

ये सीन देख कर भाभी के लिए मेरी वासना जाग गयी. मैने देखा भाभी गहरी नींद में सोई हुई थी, तो सोचा क्यूँ ना मौके का फ़ायदा उठा लिया जाए. ये सोच कर मैं भाभी के साथ चिपक गया, और अपना लंड पाजामे के अंदर से उनकी गांद पर रगड़ने लगा. मेरा लंड कुछ ही सेकेंड्स में पूरा तंन गया.

फिर मैं अपना हाथ आयेज ले गया, और भाभी के बूब्स पर रख कर ही उनको दबाने लग गया. भाभी को भी मज़ा आने लगा, और वो नींद में ही मोन करने लगी. मैं लगातार अपना लंड उनकी गांद पर रगड़ता गया, और बूब्स दबाता गया. अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था, तो मैने उनके नाइट सूट के पाजामे में हाथ डाल दिया.

मेरा हाथ सीधे उनकी पनटी के उपर गीली छूट वाले हिस्से पर पड़ा. फिर मैं उनकी छूट को मसालने लग गया. मुझे अब भाभी के जागने की कोई परवाह नही थी और मैं ज़ोर-ज़ोर से उनकी छूट मसालने लगा. तभी मैने उनका पाजामा नीचे किया, और इसके साथ ही भाभी जाग गयी.

भाभी ने मेरी तरफ सवाल भारी नज़र से देखा, और मैने भी अपनी नज़र उनकी नज़र से मिलाए रखी. फिर उन्होने दूसरी तरफ फेस कर लिया. मैं समझ गया ये भाभी की हा थी. फिर मैने उनकी पनटी नीचे करके निकाल दी, और अपना पाजामा और अंडरवेर भी निकाल दिए.

उसके बाद मैने भाभी की एक टाँग उठाई, और अपने हाथ में लंड लेके उनकी छूट पर सेट किया. उनकी छूट पूरी गीली थी. लंड सेट करके मैने हल्के धक्के से तोड़ा लंड उनकी छूट में घुसा दिया. भाभी की आ निकल गयी. फिर मैं धीरे-धीरे लंड अंदर पुश करता गया. भाभी की छूट बहुत ज़्यादा तो नही, पर टाइट थी.

मैने अपना एक हाथ उनके सर के नीचे रखा, और दूसरे हाथ से उनके बूब्स दबाता रहा. नीचे से मैं उनकी छूट में लंड अंदर-बाहर कर रहा था. बहुत मज़ा आ रहा था. वो आ आ कर रही थी. फिर मैने अपने होंठ उनके होंठो से मिला लिए, और उनके होंठो का रस्स पीने लगा.

धीरे-धीरे मैने अपनी स्पीड बधाई, और तेज़ी से उनको छोड़ने लगा. कुछ देर ऐसे ही छोड़ने के बाद मैने उनकी छूट से लंड निकाला, और उनको सीधा लिटा कर उनके उपर आ गया. फिर मैने लंड उनकी छूट में डाला, और उनके होंठ चूस्टे हुए उनको छोड़ने लगा.

मैं उन्हे तेज़ी से छोड़ रहा था जिससे छाप-छाप की आवाज़े आ रही थी. 15 मिनिट की चुदाई के बाद मैने अपना लंड उनकी छूट से निकाला, और भाभी के पेट पर छ्चोढ़ दिया. फिर मैं साइड हो गया. भाभी ने रज़ाई ओढ़ ली, और वैसे ही सो गयी. मैं भी उनके साथ ही सो गया. सुबा मेरी नींद खुली, तो भाभी अभी भी सोई हुई थी.

फिर मैं रज़ाई से बाहर निकला, और रूम से बाहर आने लगा. तभी भाभी बोली-

भाभी: रोशन जो कल रात हुआ वो दोबारा नही होगा.

मैं: जी भाभी.

और मैं वापस आ गया.

दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको शेर ज़रूर करे.