मा के साथ बेटे की रासलीला शुरू

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम मानव है. मैं आपके सामने अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. पिछले पार्ट्स को आपने बहुत प्यार किया, उसके लिए मैं आपका दिल से शूकर-गुज़र हू. जिन रीडर्स ने पिछले पार्ट्स नही पढ़े है, वो पहले जाके वो पार्ट्स ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की मैने मामी की छूट छोड़ी, और गांद फाड़ दी. फिर मैने उनकी गांद को अपने माल से भर दिया. उसके आयेज बढ़ते है.

चुदाई के बाद मैं और मामी नंगे ही एक-दूसरे के साथ लिपट कर पड़े हुए थे. हम दोनो के बदन पुर गरम हुए पड़े थे. फिर मामी मुझसे बोली-

मामी: मानव तू तो बड़ी ज़बरदस्त चुदाई करता है रे. पता नही तेरे घर पर होते हुए भी तेरी मा असंतुष्ट क्यूँ है.

मैं सब जानता था, लेकिन क्यूंकी मा हमे देख रही थी, तो मैं अंजान बन कर बोला-

मैं: मामी असंतुष्ट मतलब?

मामी: और नही तो क्या. तेरे पापा सरकारी जॉब करते-करते सरकार की तरह तूस्स हो चुके है. अब उनमे वो दूं नही है, की तेरी मों को सेक्षुयली सॅटिस्फाइ कर सके. लेकिन फिर भी तेरी मा इतनी पतिव्रता है, की कभी बाहर मूह मारने की नही सोची.

मैं: मामी ये सब मा ने बताया आपको?

मामी: अर्रे मैं एक औरत हू. दूसरी औरत को देख कर ही बता सकती हू की उसकी सेक्स लाइफ कैसी है. तेरी मा को देख कर पता चलता है, की वो कितनी प्यासी है. पता नही कितने दिन वो अपने आप को रोक पाएगी, और घर की इज़्ज़त बचा कर रखेगी. जिस दिन उसके सबर का बाँध टूट गया, तो वो किसी बाहर वाले की रंडी बन जाएगी.

मैं: तो मामी अब इसका सल्यूशन क्या है.

मामी ने मेरा लंड पकड़ा, और बोली: ये है इसका सल्यूशन. तेरे पास इतना तगड़ा लंड है. अगर तू मुझे संतुष्ट कर सकता है, तो अपनी मा को भी संतुष्ट कर सकता है. बोल करेगा संतुष्ट. और ना बोलने से पहले ये सोच लेना, की घर की इज़्ज़त बाहर लूटने से बचा रहे हो.

मैं: लेकिन मामी मा इसके लिए कभी राज़ी नही होंगी.

मामी: वो तू मुझ पर छ्चोढ़ दे. मैं अपने आप उसको राज़ी कर लूँगी. तू बता, की तेरी हा है या ना?

मैं: ठीक है मामी, मैं मा को छोड़ने के लिए तैयार हू. लेकिन उनको राज़ी करना आपके हाथ में है.

मामी: चल ठीक है मैं कल बात करती हू तेरी मा से.

मैं: ओक मामी.

बात ख़तम करने के बाद मामी और मैं फिर किस्सिंग करने लग गये, और हमने एक बार दोबारा चुदाई करी. उसके बाद हम दोनो तक कर सो गये. मैं सुबा उठा, तो बेड पर अकेला था. फिर मैं जाके फ्रेश हुआ, और नहा कर बाहर चला गया.

रोज़ की तरह नाश्ते की टेबल पर मैं चला गया. मामी और मा दोनो किचन में काम कर रही थी. दोनो ने ढीले पाजामे और त-शर्ट्स पहनी हुई थी. पीछे से दोनो की गांद मस्त लग रही थी. मामी मा से कुछ बात कर रही थी, और मुझे लग रहा था की मेरे बारे में ही बात कर रही होंगी.

फिर वो दोनो मूडी, और प्लेट्स देने टेबल तक आई. मेरी नज़र टेबल की तरफ आ रही मा के थाइस पर थी. जब मैने मा के फेस की तरफ देखा, तो मा मुझे ही देख रही थी. फिर मैने मामी को देखा, तो उन्होने मुझे इशारा किया की उन्होने बोल दिया था मा को.

आज मा नाश्ता करने मेरे सामने नही बैठी, और मेरे साथ वाली चेर पर बैठ गयी. मेरी तो एग्ज़ाइट्मेंट के मारे जान निकली जेया रही थी. मामी जो सामने बैठी थी, उसने मुझे इशारा किया, की मैं मा के साथ कुछ करू. वैसे तो मैं मा को छोड़ चुका था, लेकिन वो अंजाने में था. ऐसे जानते हुए मा के साथ कुछ करने में मुझे दर्र भी लग रहा था.

फिर मैने सोचा की मामी ने बात तो कर ही ली होगी, और मा भी चाहती होगी की मैं ये करू. इसलिए मुझे अब टाइम वेस्ट नही करना चाहिए. ये सोच कर मैं अपना दया हाथ टेबल के नीचे ले गया, और मैने उसको मा की लेफ्ट जाँघ पर रख दिया.

वाउ! क्या कमाल की सॉफ्ट जाँघ थी मेरी मा की. उसकी जाँघ को टच करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. फिर मैने मा की जाँघ पर हाथ फेरा, और उसको दबाने लगा. तभी मैने मा के फेस की तरफ देखा, तो मा मेरे दबाने पर अपनी आँखें बंद कर रही थी.

फिर हाथ फेरते-फेरते मैं उनकी छूट तक पहुँच गया. जैसे ही मैने उनकी छूट पर हाथ रखा, तो मा ने अपनी टांगे जोड़ ली, जिससे मेरा हाथ उनकी जांघों के बीच फ़ासस गया. लेकिन फिर भी मैने अपना हाथ ज़ोर से उनकी छूट पर रग़ाद दिया. इससे मा की आहह निकल गयी. मा की आ सुन कर नानी बोली-

नानी: क्या हुआ बेटा?

मा: मम्मी कुछ काट गया लगता है. शायद कोई मकड़ी होगी.

बहुत गरम जगह थी जहा मेरा हाथ फ़ससा हुआ था. ऐसा लग रहा था जैसे मेरा हाथ किसी भत्ति में था. फिर मा ने धीरे से अपनी टांगे खोल दी, और मैं मा की छूट वाली जगह पर हाथ फेरना शुरू हो गया.

दोस्तों क्या बतौ क्या फीलिंग थी. ऐसे मा के जानते हुए उसकी छूट पर हाथ फेरना, और वो भी सब के सामने होते हुए, इससे बड़ा अड्वेंचर और कुछ नही है. मा की साँसे तेज़ हो रही थी, और वो खुल कर आहें भी नही भर सकती थी, क्यूंकी सब बैठे थे.

फिर मा का खाना हो गया, और वो उठ कर किचन में बर्तन रखने चली गयी. मैं भी उठ कर मा के पीछे-पीछे चला गया. फिर किचन में जाके मैं मा के पीछे खड़ा हो गया. मैं मा के पीछे चिपक गया, जिससे मेरा खड़ा हुआ लंड मा की गांद के चियर में टच होने लगा.

मा ने भी अपनी गांद पीछे की तरफ कर दी, जिससे लंड और डब गया. क्या मस्त एहसास था मा की गांद का. एक-दूं सॉफ्ट गांद थी मा की, बिल्कुल किसी गद्दे जैसी. फिर मैने बर्तन रखे, और किचन से बाहर आ गया. अब इंतेज़ार था, तो रात को सोने के लिए जाने का. आज रात मेरी और मेरी मा की सुहग्रात होने वाली थी.

हमारी सुहग्रात के बारे में पढ़ने के लिए आपको थोड़ी और वेट करनी पड़ेगी. क्यूंकी मेरी और मा की चुदाई अगले पार्ट में होगी. अगर आपको ये वाला पार्ट पसंद आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ शेर करना ना भूले.