काली नौकरानी को गरम करके चोदा

मेरा नाम राजू है, और मैं 5’11” हाइट का गोरा लड़का हू. ये कहानी है जब मैं 1स्ट्रीट एअर में रहा होऊँगा. हमारे यहा एक नौकरानी आती थी. वो भी काफ़ी यंग लड़की थी 19-20 साल की रही होगी. उसका रंग काला था.

दिखने में आवरेज से सुंदर थी. लिप्स काफ़ी बड़े और रसीले थे. वो हमारे यहा बर्तन और झाड़ू-पोछा करती थी.

मेरा कमरा दूसरे फ्लोर पर था. मैने शुरुआत में तो इतना ध्यान नही दिया. क्यूंकी मैं यूष्यूयली तो कॉलेज में रहता था, और वीकेंड्स पर बाहर खेलने जाता था. पर जब सम्मर हॉलिडेज़ लगी, तो मेरा अपने कमरे में रहना बढ़ गया. तब काई बार जब वो मेरे कमरे में झुक कर पोछा लगती, तो उसके बड़े-बड़े बूब्स दिखते थे.

मैने कुछ दिन में नोटीस करा की नीचे काम करते टाइम तो वो चुननी बाँध कर रखती थी. पर दूसरे फ्लोर पर काम करते टाइम वो चुननी उतार देती थी. मैं भी उसे काफ़ी घूर-घूर कर देखता था, और चोरी-च्चिपे उसे देख कर लंड हिलने लगता था. काई बार तो मैं अपने बेड पर चड्डी उतार कर चादर डाल कर बैठ जाता था, और जब वो काम करती तो अंदर ही अंदर अपना लंड हिलता था.

मैने उससे तोड़ा बहुत बात-चीत करना भी शुरू कर दिया था. क्या नाम है, कहा रहती हो, बाकी टाइम क्या करती हो? उसका नाम कंचन था, और वो बातरूम से बाहर बाल्कनी तक पानी की बाल्टी ले जाती थी प्लॅंट्स में पानी डालने के लिए. तो मैं उससे बाल्टी ले लेता था की अर्रे मैं रख देता हू. इसी बहाने मैने उसे तोड़ा बहुत छ्छूना भी शुरू कर दिया था.

फिर कुछ दिन बाद मैने एक नयी तरकीब सोची. जब वो नीचे काम करती, तब मैं उपर अपने बातरूम में नहाने घुस जाता. फिर जब वो उपर आती, तो उसके सामने टवल में बाहर आता. वो भी मेरी गोरी-चित्ति बॉडी देख कर देखती रह जाती थी.

कुछ दिन तक ऐसा ही चला. एक दिन वो उपर आई. तब मैं पहले से ही रूम में आ कर कपड़े पहनने का नाटक कर रहा था.

मेरे रूम का गाते खुल्ला था जिससे आते से ही उसे अंदर में दिख जौ. वाहा मैं खड़े हो कर टवल से अपना लंड रग़ाद रहा था. मुझे टा था की वो आ गयी थी, और उसे दिख रहा था. पर मैं नॉर्मली अपने कपड़े पहनने लग गया. फिर मैं रूम के बाहर आया. वो हड़बड़ा कर बाहर जाने लगी.

मैने एक-दूं से कहा: अर्रे कंचन, तुम कब आई?

वो बोली: बस अभी आई.

ये बोल कर वो अपना काम करने लग गयी. उसने झाड़ू लगाई, फिर मैं उसके लिए पानी की बाल्टी बाहर रखने गया. तब मेरे दिमाग़ में एक खुराफात आई. मैने बातरूम के नाल को शवर पर करके छ्चोढ़ दिया. वो उसी नाल से पोंछे के लिए पानी भारती थी.

बाकी सब काम करके जैसे ही वो पोचे के लिए पानी भरने गयी, एक-दूं से शवर चालू हो गया, और वो थोड़ी सी गीली हो गयी. एक-दूं चिल्ला कर वो बाहर आई. मैने भी जेया कर देखा, और शवर बंद कर दिया.

फिर मैने कहा: अर्रे तुम तो गीली हो गयी.

ये कह कर मैं अपना टवल उठा कर उसे पोंछने लगा. इसी बहाने मैने उसके बूब्स भी दबा लिए. वो मुझे रोकने लगी की मैं कर लूँगी. फिर मैने उसे अपना टवल दे दिया. उसने खुद को सूखाया, और वापस से अपना काम शुरू कर दिया.

मुझे लगा की अब टाइम आ गया था टवल गिरने का. नेक्स्ट दे मैं उसके सामने हमेशा जैसे नहा कर बाहर आया. वो झाड़ू लगा रही थी. मैं उसको जेया कर मस्ती में बोलने लगा-

मैं: बेड के नीचे से आचे से निकाल. आधा अधूरा क्या काम कर रही है?

वो जैसे ही घुटनो पर बैठी बेड के नीचे से कचरा निकालने के लिए, मैने अपना टवल गिरा दिया. अब उसके मूह के सामने मेरा सख़्त लंड खड़ा था. वो भी चौंक गयी. उसका मूह खुल्ला का खुल्ला रह गया, और मैं अपने हाथ से अपना लंड च्छुपाने लगा. एक-दूं से जाने लगी, तो मैने उसको पकड़ कर रोका और बोला-

मैं: मेरा टवल निकाल कर कहा भाग रही है?

उसने बोला: मैने नही खोला. वो अपने आप ही गिर गया.

मैने उसे कहा: अब तो तूने देख ही लिया है, नज़रे चुरा कर क्या ही होगा. अपना काम कर ले.

मैं उसके सामने एक-दूं नंगा खड़ा था. मैने उसे वापस हाथ पकड़ कर खींचा और नीचे बिता दिया, ये बोलते हुए-

मैं: बेड के नीचे से कचरा अभी भी निकालना है. मेरा टवल खींचने से काम से नही बच जाएगी.

उसको वापस काम पर लगा कर मैं कमरे में ऐसे घूम रहा था, जैसे कोई हो ही ना. मैं पलट कर अपनी अलमारी से कपड़े निकाल रहा था. जैसे ही मैं पलटा, तो वो मुझे ही देख रही थी, और एक-दूं से नज़रे चुराई. फिर मैं वापस उसके पास गया और बोला-

मैं: देखना ही है तो आचे से देख ले ना कंचन. मैने रोका थोड़ी है. पकड़ भी ले. वैसे भी तेरी वजह से ही खड़ा रहता है ये. रोज़ हिला कर बिताना पड़ता है.

वो एक टक्क मेरे लंड को देख रही थी. मैने उसका हाथ लिया, और उसमे अपना लंड पकड़ा दिया.

मैं: ले पकड़ लंड से ध्यान ही नही हॅट रहे तेरा. काम करने में मॅन ही नही है.

वो मुझे बोली: इतना गोरा और लंबा लंड मैने कभी नही देखा.

मैने कहा: तो फिर आज, अब आचे से देख भी ले, और चूस भी ले.

ये बोल कर मैने अपना लंड उसके होंठो पर लगा दिया. वो पीछे हटी, और बोलने लग गयी-

कंचन: पर मैं तो इतनी काली और ग़रीब भी हू, आपको कहा पसंद अवँगी.

तो मैने कहा: मुझे भी कों सा शादी करनी है.

ये बोल कर उसका सिर पकड़ कर मैने अपना गरम लंड उसके मूह में डाल दिया. अब मैं उसके मूह को छोड़ रहा था. उसके बड़े लिप्स बहुत ही सॉफ्ट और आचे लग रहे थे मेरे लंड पर. वो काफ़ी आचे से चूस रही थी मेरा लोड्‍ा. मैं 15-20 मिनिट तक उसका मूह छोड़ता रहा अलग-अलग पोज़िशन्स में. उसको पलंग पर लिटा कर भी पेला. कभी दीवार से सत्ता कर.

मेरा लंड पूरा उसके सलाइवा में कवर हो चुका था. इतनी बुरी तरह से उसके मूह को छोड़ रहा था मैं, की हर तरफ बस उसका सलाइवा ही निकल रहा था. फिर फाइनली मैने अपना सारा लोड उसके चेहरे पर निकाल दिया. उसके काली स्किन पर मेरा सफेद स्पर्म बहुत ही अछा लग रहा था.

मैने उसे अपना पूरा सीमेन चटा कर खिलाया. फिर वो बातरूम में जेया कर अपना मूह ढोने लगी. इतने में मैं पीछे से आया और उसकी कुरती उठा कर सलवार खोलने लगा.

उसने मेरी तरफ देख कर बोला: ये अभी तक खड़ा कैसे है?

मैने कहा: अभी इसे तेरी छूट में भी डालना है ना.

ये बोल कर मैने उसकी छूट में एक झटके में डाल दिया. वो वॉशबेसिन पकड़े मिरर में देख रही थी, और मैं पीछे से उसे रंडियों की तरह छोड़ते हुए मिरर में आइ कॉंटॅक्ट कर रहा था. एक हाथ से उसके बाल पकड़ रखे थे, और दूसरा उसकी कमर पर था. मैं पाट पाट पाट कर के उसकी गांद पर झटके मार रहा था.

काफ़ी देर तक इस पोज़िशन में छोड़ने के बाद मैने उसे पलताया. फिर उठा कर वॉशबेसिन पर बिता दिया. फिर आयेज से लंड डाला, उर उसे उठा लिया. उसे उठा कर मैं उसकी छूट में ज़ोर-ज़ोर से झटके मार रहा था. अभी वो पूरी तरह से मेरे कंट्रोल में थी. मेरा लंड उसकी छूट की गहराइयों तक जेया रहा था. उसे उठा कर मैं पुर कमरे में घूम रहा था. फाइनली मैने उसे बेड पर पटका, और उसे पूरी ताक़त से झटके मारने लग गया.

काफ़ी देर तक उसे छोड़ने के बाद मैने अपना लंड निकाला, और उसके उपर फिरसे अपनी पिचकारी मार दी. पूरा सीमेन निकालने के बाद मैने उसे उठाया, और कहा-

मैं: जेया अब सॉफ कर ले खुद को. और कल से कचरा आचे से निकालना, नही तो गांद भी मार लूँगा.

बस इस दिन के बाद पूरी गर्मी की च्छुतटियों में हमारी कुछ ना कुछ मस्ती होती रही. मैं पहले से ही अपना लंड ले कर तैयार रहता. ताकि जैसे ही वो आए, तो पेलना शुरू किया जाए. उपर ज़्यादा टाइम ना लगे, और घर वालो को शक ना हो. इसलिए मैं उसका काम कर दिया करता था.

अब से मैं उपर का झाड़ू पोछा करता था, और कंचन मेरी नौकरानी मेरे लंड की सफाई करती थी.