जवान लोंड़िया हो गयी बॉस की दीवानी

हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.
इश्स स्टोरी का 4त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है.

अब आयेज..

मज़े के आस पास दौध लगते में डोर की तरफ भागने लगी तो नौशड्जी ने मूज़े पकड़ लिया और इश्स बार उन्होने मूज़े पीछे से पकड़ कर मेरी कमीज़ के अंदर अपना हाथ दल दिया तो में तब बिल्कुल कसमसा गयी.

वो भौत टाइम तक मेरे उभरो पर रंग लगते रहे और मेरी निपल्स को भी दबा कर मसालते हुए खिचने लगे. में भी उनसे पूरी तरह लिपट गयी और तब उन्होने पहली बार अपने होतो को मेरे होतो से मिला कर चूमने लगे.

तब मेने मेरे होतो को खोला और उनकी जीब को अंदर जाने का रास्ता कर दिया. काफ़ी टाइम तक हम दोनो एक दूसरे को ऐसे हे चूमते रहे.

चूमते हुए मेने मेरा एक हाथ सरका कर उनके प्यज़ामे तक पोछा और फिर ढेरे से प्यज़ामे के अंदर कर दिया. अब में उनका लंड अपने हाथो मे महसूस कर सकती थी और तभी मेने हाथो को और आगे बढ़ा कर उनके लंड को अपने हाथो मे पकड़ लिया.

मेरी यह हरकत से तो मानो उनके सरीर मे एकद्ूम से करेंट दौध गया और एकद्ूम से हे उन्होने मूज़े अपने से दूर करने के लिए धक्का दिया और अलग कर लिया. में तो गरमी से तड़प रही थी लेकिन नौशड्जी बोले

नौशड्जी:- नही साहिबा यह सब बिल्कुल ठीक नही है. तुम मुझसे भौत छोटी हो.

में वही सिर झुकाए खड़ी रही और उनकी बाते सुनती रहे तब उन्होने मेने चेहरे को अपने हाथो मे थमा और कहा

नौशड्जी:- तुम भौत अची लड़की हो और हम एक दूसरे के भौत आचे दोस्त भी है पर यह सब करना ग़लत होगा.

उनकी बाते सुन्न कर मेने सिर्फ़ हा मे सिर हिलाया क्यूकी मान हे मान मे में खुद को कूस रही थी और मूज़े अपनी इश्स हरकत पर भौत शर्मिंदगी भी हो रही थी.

उन्होने मेरी इश्स हालत को समझा और मूज़े संभालने के लिए खुद की बहो मे भर लिया और बस मेरे माथे पर एक बार चूम कर वो घर के लिए निकल गये. उनकी इश्स हरकत से में फिर से नॉर्मल हो गयी और जब तक में उन्हे कुछ कहती वो वाहा से जेया चुके थे.

ढेरे ढेरे टाइम बीतने लगा लेकिन यूयेसेस दिन के बाद मेरे और नौशड्जी के बीच उन्होने एक दीवार बना दी थी. में हमेशा सोचती की नौशड्जी को कैसे मनाओ लेकिन एक दिन अचानक मेरी ज़िंदगी मे आँधी सी आई और सब कुछ बदल गया. मेरे सपनो का राजा मूज़े ऐसे मिलेगा मेने कभी सोचा भी नही था.

एक दिन ऐसे हे ऑफीस मे में अपने कामो मे बिज़ी थी तभी कोई मेरी डेस्क के पास आ कर खड़ा हुआ और बोला

पर्सन:- ई वॉंट तो मीट मिस्टर. नौशाद ख़ान. (मूज़े मिस्टर. नौशाद ख़ान से मिलना है)

मेने काम मे लगे हे रहते उनसे पूछा

साहिबा:- अन्य अपायंटमेंट?? (कोई अपायंटमेंट है आपके पास)

पर्सन:- नो (नही)

साहिबा:- सॉरी हे इस बिज़ी. (सॉरी वो बिज़ी है)

पर्सन:- टेल हिं हिज़ सोन अज़हर इस हियर. (उन्हे कहिए उनका बेटा अज़हर आया हुआ है)

उनके यह कहते हे मेने अपनी नज़रे उठाई और यूयेसेस हॅंडसम आदमी को बस देखती हे रह गयी. पर मेरी ख़ुशनसीबी यह थी की वो भी मेरी खूबसूरती मे खो गये थे.

अज़हर:- ओह मी गोद क्या चीज़ हो तुम तभी आज कल डॅडी सारा टाइम ऑफीस मे रहने लगे है.

उनकी बात सुन्न कर में बस शरमाने लगी थी.

अज़हर:- क्या में आपका काम जान सकता हू???

साहिबा:- जी साहिबा.

अज़हर:- ओह साहिबा…!! अब यह नाम में कभी नही भूलूंगा.

में बस शर्मा कर अपनी नज़रे झुका ली और वो अंदर नौशड्जी की ऑफीस मे चले गये. जब वो वापिस जाने लगे तब मुझसे बात करने उन्होने शाम को मिलने की बात कर ली.

यूयेसेस दिन के बाद हम अक्सर मिलने लगे. जल्द हे हम दोनो मे प्यार हो गया. हम शम्भर मिल कर एल दूसरे की बहो मे वक़्त बिताने लगे. अज़हर भौत हे खुले ख़यालो के आदमी थे. ह्यूम मिलते मिलते अब काफ़ी टाइम हो गया था.

एक दिन नौशड्जी ने मूज़े अपनी कॅबिन मे बुलाया और मेरे हाथो मे एक लेटर देते हुए कहा

नौशड्जी:- यह तुम्हारा रेसिग्नेशन(टर्मिनेशन) लेटर है.

लेटर देखते हे मेने रोटी हुई आवाज़ मे पूछा

साहिबा:- लेकिन मेरी ग़लती क्या है???

नौशड्जी:- तुमने मेरे बेटे को अपने जाल मे फसाया है.

साहिबा:- लेकिन सिर….

नौशड्जी:- कोई लेकिन लेकिन कुछ नही.

उन्होने ज़ोर से आवाज़ मे मूज़े कहा

नौशड्जी:- नाउ गेट आउट (अब बाहर निकल जाओ यहा से).

मेरी आखो मे एकद्ूम से आसू आ गये और रोते हुए में वाहा उनके कॅबिन से जाने लगी लेकिन जैसे हे में डोर के पास पोछी मूज़े उनकी आवाज़ सुन्नआई दी और वो कहने लगे

नौशड्जी:- शाम को हम सब तुम्हारे अब्बू अम्मी से मिलने आ रहे है क्यूकी अज़हर जल्दी हे तुमसे निकाह करना चाहता है.

यह सब सुनते हे मेरे कदम वही रुक गये और मूड कर जब में उनकी तरफ देखने लगी. तो नौशड्जी वाहा अपनी बहे फैलाए खड़े खड़े मुस्कुरा रहे थे. में आसू पॉच कर खिलखिला उठी और दौध कर उनकी बाहू से लिपट गयी. आख़िरकार खुश होती भी क्यूँ नही अब में मिस्टर. नौशाद खनजी के परिवार का हिस्सा बनने जेया रही थी.

यूयेसेस शाम नौशड्जी के परिवार वेल मेरे घर आए और मेरे और अज़हर का निकाह भी फिक्स हो गया था.

अज़हर मुझे भौत हे चाहते थे. निकाह से पहले हम दोनो हर शाम को मिलते और खूब घूमते फिरते और बाते करते. अज़हर ने मूज़े मेरे बाय्फरेंड्स के बारे मे भी पूछा और उनसे मिलने से पहले मेरी सेक्षुयल लाइफ के बारे मे भी पूछा.

जब मेने उनसे कहा की की में अब तब वर्जिन (कुवारि) हू तो यह बात सुन्न कर वो हासणे लगे और बोले

अज़हर:- क्या याअर तुम्हारी लाइफ तो कितनी बोरिंग सी है. अब यह सब नही चलेगा तुम्हे एक दो भावरे तो रखने हे चाहिए तभी तो तुम्हारी मार्केट वॅल्यू पता लगेगी.

उनकी यह सब बाते सुन्न कर में हस्ती रही.

हुमारे निकाह से पहले हे में और अज़हर हुमबईस्तर हो चुके थे. हुँने निकाह से पहले भी खूब सारा सेक्स किया.

अज़हर के साथ अब में शराब भी पीने लगी थी और लगभग रोज़ हे हम किसी होटेल मे जेया कर सेक्स करने लगे थे.

हुमारे निकाह से पहले रोज़ रोज़ मिलने से एक बार अब्बू ने ऐतराज़ जताया था. पर वो भी किससे मेरे होने वेल ससुरजी मिस्टर. नौशाद खनजी से लेकिन उन्होने तो अब्बू की चिन्ताओ को भाप बना कर उड़ा दिया. क्यूकी वो खुद हे एक रंगीन मिज़ाज़ के आदमी थे.

नौशाद खनजी ने मूज़े फ्री चूर रखा था. लेकिन यह सब के बीच मेने कभी भी अपने काम से मान नही चुराया था. निकाह फिक्स होने के बाद अब में फिर से ऑफीस मे सलवार सूट मे जाने लगी थी.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.